NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
गोरखपुर विश्वविद्यालय : ABVP को हार से बचाने के लिए टाले गए छात्र संघ के चुनाव !
अंदरूनी लड़ाई के कारण एबीवीपी प्रत्याशी की स्थिति कमजोर होती जा रही थी और विपक्षी प्रत्याशी मजबूत होते जा रहे थे. इसी कारण मंगलवार दोपहर में बवाल होने के बाद छह घंटे के अंदर चुनाव स्थगित करने का निर्णय ले लिया गया.

मनोज कुमार सिंह
12 Sep 2018
ABVP

गोरखपुर।  दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ का चुनाव स्थगति किये जाने का प्रत्यक्ष कारण 11 सितम्बर को तीन शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार व अध्यक्ष पद के दो प्रत्याशियों के बीच मारपीट बना लेकिन इसकी असली वजह चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के प्रत्याशियों की संभावित हार टालना था.

अंदरूनी लड़ाई के कारण एबीवीपी प्रत्याशी की स्थिति कमजोर होती जा रही थी और विपक्षी प्रत्याशी मजबूत होते जा रहे थे. इसी कारण मंगलवार दोपहर में बवाल होने के बाद छह घंटे के अंदर चुनाव स्थगित करने का निर्णय ले लिया गया. विश्वविद्यालय प्रशासन से लेकर शासन तक कोई नहीं चाहता था कि मुख्यमंत्री के शहर के विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी प्रत्याशियों की हार हो और यह खबर लोकसभा उपचुनाव की तरह राष्टीय स्तर सुर्खिया बनें.

वर्ष 2017 में इन्हीं कारणों से चुनाव घोषित करने के बाद उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के निर्देश पर चुनाव टाल दिया गया था और फिर पूरे वर्ष चुनाव नहीं हुआ. चुनाव टालने का विरोध करने पर छात्रों पर बर्बर लाठीचार्ज भी किया गया.

गोरखपुर विश्वविद्यालय में 13 सितम्बर को छात्र संघ का चुनाव होना था। इसके लिए सभी तैयारियां पूर्ण हो गई थीं. 11 सितंबर को चुनाव प्रचार का आखिरी दिन होने के कारण सभी प्रत्याशी दम-खम दिखाने में लगे थे. इसी बीच पूर्वाह्न 11 बजे एबीवीपी प्रत्याशी रंजीत सिंह श्रीनेत और एबीवीपी के बागी प्रत्याशी अनिल दुबे के समर्थकों के बीच विश्वविद्यालय गेट पर मारपीट हो गई. दोनों गुटों के बीच बवाल टालने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया.

इसके पहले विधि संकाय में एबीवीपी प्रत्याशी रंजीत सिंह श्रीनेत के समर्थकों ने तीन शिक्षकों से बदसलूकी की. शिक्षकों से बदसलूकी के बाद शिक्षक संघ ने चुनाव में सहयोग नहीं करने का निर्णय लिया. शाम को विश्वविद्यालय कुलपति की अध्यक्षता में छात्र संघ चुनाव सलाहकार समिति की बैठक हुई और चुनाव स्थगति कर दिया. इसके साथ ही दो दिन के लिए विश्वविद्यालय भी बंद कर दिया गया.

यह बात सभी जानते हैं कि पिछले वर्ष की तरह यह स्थगित चुनाव अब नहीं होना है.

गोरखपुर विश्विद्यालय में वर्ष 2006 के बाद छात्र संघ चुनाव नहीं हो रहा था. वर्ष 2016 में 10 वर्ष बाद चुनाव हुआ जिसमें एबीवीपी प्रत्याशियों को सिर्फ एक सीट पुस्तकालय मंत्री पद पर जीत मिली थी.

इस चुनाव में दलित और ओबीसी छात्र-छात्राओं के बीच जबर्दस्त एकता देखने को मिली थी और छात्र संघ अध्यक्ष पद पर अमन यादव जीते.

वर्ष 2017 में छात्रों के आंदोलन के बाद छात्र संघ चुनाव घोषित किया गया. इसी बीच उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा गोरखपुर विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में आए. उन्होंने राज्य सरकार से अनुमति के बिना छात्र संघ चुनाव कराने पर सार्वजनिक रूप से कुलपति वीके सिंह को फटकार लगाई.  इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने चुनाव स्थगित कर दिया.

इस वर्ष भी एक महीने तक छात्रों के आंदोलन के बाद छात्र संघ चुनाव कराने का निर्णय लिया गया. चुनाव अधिकारी के बतौर प्रो ओपी पांडेय की नियुक्ति कर दी गई और उन्होंने चुनाव का कार्यक्रम भी घोषित कर दिया. प्रत्याशी नामांकन करने के बाद प्रचार में लग गए.

इस चुनाव में पिछले वर्ष की तरह एबीवीपी प्रत्याशी अपनी मजबूत पकड़ नहीं बना पाए. अध्यक्ष पद के लिए अनिल दुबे और रंजीत सिंह श्रीनेत के बीच दावेदारी थी. अनिल दुबे एबीवीपी के पुराने कार्यकर्ता हैं लेकिन संगठन ने टिकट रंजीत सिंह श्रीनेत को दे दिया. इसको लेकर संगठन दो खेमों में बंट गया. अनिल दुबे भी बागी प्रत्याशी के रूप में मैदान में आ गए. वह विधि के छात्र हैं. उन्होंने अपने विभाग के छात्रों का अच्छा समर्थन मिल रहा था.

उधर समाजवादी छात्र सभा ने अन्नू प्रसाद को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बना दिया. वह अम्बेडकरवादी छात्र सभा से जुडी हुई हैं. अन्नू प्रसाद को समाजवादी छात्र सभा का प्रत्याशी बनाए जाने के बावजूद इसी संगठन से इन्द्रेश यादव भी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रहे थे लेकिन नाटकीय तरीके से उन्होंने अन्नू प्रसाद के समर्थन की घोषणा कर दी. वह पर्चा वापसी के दिन रहस्यमय तरीके से गायब हो गए थे. उनके समर्थकों ने अपहरण की आशंका जताते हुए पुलिस को सूचना भी दे दी लेकिन वह शाम को सपा कार्यालय में दिखे और जिलाध्यक्ष की उपस्थिति में अन्नू प्रसाद के समर्थन की घोषणा कर दी. उन्होंने बताया कि उनका अपहरण नहीं हुआ था बल्कि वह पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने गए थे.

अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रहे भाष्कर चौधरी भी अम्बेडकरवादी विचार के हैं और उन्हें हाल में गठित छात्र-युवा संगठन ‘ असुर’ समर्थन दे रहा था. उनके लड़ने से दलित-ओबीसी मतों में बिखराव की आशंका जतायी जा रही थी. उन पर दबाव था कि अन्नू प्रसाद के समर्थन में बैठ जाएं. सूत्रों का कहना था कि इस बारे में 11सितम्बर को दोपहर बाद फैसला होना था कि इसी बीच दूसरी घटना हो गई और चुनाव टल गए.

भाजपा और उसके अनुसांगिक संगठन विशविद्यालय में एबीवीपी प्रत्याशियों की जीत के लिए हर संभव प्रयास कर रहे थे. भाजपा के प्रदेश महामंत्री और केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह भी इसके लिए गोरखपुर आए और पदाधिकारियों के साथ बैठक की. उन्होंने नगर निगम के पार्षदों के साथ बैठक कर एबीवीपी प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित कराने को कहा.

एबीवीपी प्रत्याशी चुनाव में बेतहाशा पैसा खर्च कर रहे थे. होटलों में दावतें दी जा रही थीं और हास्टलों में पिज्जा बांटे जा रहे थे. दर्जनों वाहन कैम्पस से लेकर शहर में प्रचार करते घूम रहे थे. पूरे परिसर को बैनर-पोस्टर से पाट दिया गया था. समाजवादी छात्र सभा की प्रत्याशी अन्नू प्रसाद के समर्थन में सपा नेताओं ने शहर में बड़े-बड़े कट आउट लगाए थे.

इस तरह विशविद्यालय छात्र संघ चुनाव भाजपा-सपा के बीच रस्साकशी का मंच बन गया था. सपा इस चुनाव को लोकसभा उपचुनाव की तरह भाजपा के शिकस्त का एक और मंच बना देना चाहती थी और इसमें कामयाब होते भी दिख रही थी. ऐसा इसलिए था कि विश्वविद्यालय में दलित-ओबीसी छात्र-छात्राओं की संख्या अधिक है और वे राजनीतिक रूप से एकजुट हैं. लगातार तीन वर्षों से दलित और ओबीसी छात्र संगठनों ने कैम्पस में अपनी उपस्थिति बनाए रखी थी. समाजवादी छात्र सभा ने दलित शोध छात्रा अन्नू प्रसाद को उम्मीदवार बना कर और अपने बागी प्रत्याशी को बैठाकर इस समीकरण को काफी ठोस कर दिया था.

इन परिस्थितियों में एबीवीपी प्रत्याशी के जीतने की संभावना क्षीण होती जा रही थी. एबीवीपी अध्यक्ष पद के प्रत्याशी और समर्थकों का विधि संकाय जाना, नारेबाजी करना, स्टीकर चिपकाना, मना करने पर तीन शिक्षकों के साथ हाथापाई करना और फिर विद्रोही एबीवीपी प्रत्याशी द्वारा इसका जवाब देने की कोशिश में दोनों पक्षों में मारपीट, पूर्व नियोजित हो चाहे न हो, लेकिन इस घटना को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने जिस तरह आनन-फानन में चुनाव स्थगित करने का निर्णय लिया वह सबको हैरान कर गया.

gkp

गौर करने की बात है कि मारपीट-दुर्व्यवहार की घटना के पौन घंटे बाद ही विश्वविद्यालय की सभी कक्षाएं स्थगित कर दी गई. दो बजते-बजते शिक्षक संघ ने भय और असुरक्षा के माहौल में छात्र संघ चुनाव में सहयोग न करने की घोषणा कर दी. एक घंटे बाद शिक्षक संघ ने कुलपति से मिलकर अपना निर्णय बता दिया. शाम पांच बजे छात्र संघ चुनाव सलाहकार समिति जिसमें कुलपति, प्रतिकुलपति, प्राक्टर, चुनाव अधिकारी, सभी संकायों के डीन और विधि सलाहकार शामिल थे, ने बैठक कर चुनाव स्थगित करने का निर्णय ले लिया.

gkp

 

 

यह पूरा घटनाक्रम एक पूर्व नियोजित प्लाट की तरह लग रहा है. आश्चर्य यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्र संघ चुनाव स्थगित करने में जितनी तेजी और दिलचस्पी दिखाई, उतनी तेजी कैम्पस में शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार , मारपीट व तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में अब तक नहीं दिखाई है.

छात्र संघ अध्यक्ष प्रत्याशी अन्नू प्रसाद और भाष्कर चौधरी ने एबवीपी प्रत्याशियों को हार से बचाने के लिए चुनाव टालने का आरोप लगाया है. एबीवीपी प्रत्याशी रंजीत सिंह के समर्थक विधि संकाय के डीन पर चुनाव टलवाने की साजिश रचने का आरोप सोशल मीडिया पर लगा रहे हैं. एबीवीपी के विद्रोही प्रत्याशी अनिल दुबे ने फेसबुक पोस्ट लिखा है कि उन्हें फर्जी मामलों में फंसा कर गिरफ्तार किया जा सकता है. एबीवीपी के अंदर ब्राह्मण और क्षत्रिय वर्चस्व को लेकर भी टिप्पणी की जा रही है जिसकी बुनियाद इस विश्वविद्यालय में काफी गहरी है.

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ का चुनाव स्थगित किए जाने पर टिप्पणी की है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि ‘लगता है गोरखपुर लोकसभा उप-चुनाव में हारने के बाद अब कुछ लोगों को गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में भी हार का डर सता रहा है, इसीलिए वो चुनाव टाल रहे हैं. ये चुनाव से पहले ही हार मान लेने का सबूत है. छात्रों से उनका अधिकार छीनना अलोकतांत्रिक है.’

ABVP
Gorakhpur
gorakhpur university

Related Stories

कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’

अलीगढ़ : कॉलेज में नमाज़ पढ़ने वाले शिक्षक को 1 महीने की छुट्टी पर भेजा, प्रिंसिपल ने कहा, "ऐसी गतिविधि बर्दाश्त नहीं"

दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल

लखनऊ विश्वविद्यालय: दलित प्रोफ़ेसर के ख़िलाफ़ मुक़दमा, हमलावरों पर कोई कार्रवाई नहीं!

लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी

‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र

जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए

JNU: मांस परोसने को लेकर बवाल, ABVP कठघरे में !

जेएनयू छात्र झड़प : एबीवीपी के अज्ञात सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

जेएनयू में फिर हिंसा: एबीवीपी पर नॉनवेज के नाम पर छात्रों और मेस कर्मचारियों पर हमले का आरोप


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License