NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
भारत
राजनीति
ग्राउंड रिपोर्ट: कश्मीर में पाबंदियों के बीच डॉक्टरों ने अपने घरों को अस्पताल बना दिया
घाटी में सख़्त बंदिशों के चलते मरीज़ और डॉक्टर क्लीनिक या अस्पतालों तक जाने में सक्षम नहीं हैं। नतीजतन, कई डॉक्टरों ने अपने घर पर ही मरीज़ों को देखना शुरू कर दिया है।
ज़ुबैर सोफी
21 Aug 2019
जम्मू-कश्मीर

अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद लगाई गई पाबंदी में भले ही ढ़ील दी गई है फिर भी सड़कों पर सुरक्षा बल के जवान तैनात हैं और हर 300 से 500 मीटर की दूरी पर बैरिकेड और चेकप्वाइंट बना रखा है। ये चेकप्वाइंट न सिर्फ आम लोगों को प्रभावित कर रहे हैं बल्कि मरीज़ों के लिए भी परेशानी का सबब बने हुए हैं।

घाटी में पिछले 14-15 दिनों से अपने घरों में ही क़ैद होने के चलते मरीज़ और डॉक्टर क्लीनिक और अस्पताल जाने में असमर्थ हैं। नतीजतन कई डॉक्टरों ने अपने घरों पर ही मरीजों को देखना शुरू कर दिया है।

ऐसा ही एक मामला डॉक्टर सज्जाद का है (बदला हुआ नाम)। चार किलोमीटर के दायरे में ये एक मात्र डॉक्टर हैं और अपने घर पर ही मरीज़ को देख रहे हैं। शुरू में मरीज़ों की संख्या कम थी लेकिन जैसे ये ख़बर फैली बड़ी संख्या में मरीज़ यहां आने लगे।

सज्जाद का मानना है कि लोगों को मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में अस्पताल जाने से नहीं रोका जाना चाहिए। कर्फ्यू के चलते अब तक लोगों के पास अस्पताल जाने का साधन नहीं हैं यहां तक इमरजेंसी के समय भी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

12 अगस्त को ईद-उल-अज़हा के मौके पर डॉ. सज्जाद ने अपने घर पर फूड प्वाइजनिंग के कई मरीज़ों को देखा। लोगों ने ईद-उल-अज़हा बेहद सख़्ती के दौरान मनाया था। फूड प्वाइजनिंग के चलते कई लोगों की हालत इतनी ख़राब थी कि उन्हें पानी (ग्लूकोज़) चढ़ाने की नौबत आ गई और उनकी निगरानी के लिए उन्हें घर पर ही रखना पड़ा।

उन्होंने कहा, “मेरे पास बहुत से मरीज़ आएं जिनके पास पैसे नहीं थे, इसलिए मैंने उनका इलाज बिना किसी पैसे के करने का फैसला किया। वे मेरे अपने ही लोग हैं। मैंने उन लोगों के लिए दरवाज़े खुले रखे हैं ताकि उन्हें पता चले कि वे आधी रात को मेरे दरवाज़े पर दस्तक दे सकते हैं।"

जिस दिन दुनिया भर के लोग ईद मना रहे थे, सज्जाद के पास पैलेट से कुछ ज़ख्मी लोग आए, उनमें से कुछ की पलकों और पीठ पर पैलेट की गोलियां लगी थीं। इन पर सुरक्षा बलों द्वारा गोलियां चलाई गई थीं। सज्जाद ने कहा, “9 साल की उम्र तक बच्चे थे। मैंने उनकी मदद करने की पूरी कोशिश की। मैं इस तरह की इमरजेंसी का इलाज करूंगा।”
पैलेट से मामूली रूप से ज़ख़्मी होने वाले ज़्यादातर पीडि़त अस्पताल जाने से बचने की कोशिश करते हैं और स्थानीय तौर पर पैलेट की गोलियां निकाले जाने या इलाज किए जाने को वे सही नहीं मानते हैं। वे कहते है “लोग आस पास के इलाक़े में ही इलाज कराते हैं क्योंकि सरकार अस्पतालों में इन लोगों की तलाश कर रही है और अगर वे मिल जाते हैं तो उन्हें हिरासत में लिया जा सकता है। हिरासत के इस डर के चलते वे अस्पतालों में जाने से बचते हैं।”

इससे पहले 2016 में ऐसे मामले सामने आए थे जिनमें पैलेट की गोलियों से पीड़ितों को सुरक्षा बलों द्वारा अस्पताल जाने के दौरान रास्ते में रोक दिए गए थे और उन्हें पीटा गया था और हिरासत में लिया गया था।

डॉ. सज्जाद कहते हैं कि स्थानीय मेडिकल दुकानों पर पैलेट के छर्रों को निकालना ख़तरनाक है जिनके पास इस काम को करने के लिए बेहतर उपकरण नहीं हैं जिससे गंभीर संक्रमण हो सकता है।

उन्होंने कहा, “कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने हिरासत के डर के कारण अस्पताल जाने से मना कर दिया और अपनी आंखों की रोशनी गंवा बैठे। उनकी आंखों की रोशनी बचाई जा सकती थी अगर उनका सही समय पर इलाज हो जाता।” लेकिन इन लोगों के लिए कोई और विकल्प नहीं बचा है।

पैलेट पीड़ितों के अलावा दूसरे मरीज़ों ने भी सज्जाद के घर पर दिखाना शुरू कर दिया है। 15 अगस्त को पाबंदियों के चलते ज़्यादा से ज़्यादा लोगों ने उनसे दिखाया क्योंकि सभी मुख्य मार्ग को सुरक्षा बलों ने बंद कर रखा था।

एक मरीज़ को हर्पीस ज़ोस्टर था। हर्पीस ज़ोस्टर एक वायरल संक्रमण है जो वैरिसेला-ज़ोस्टर वायरस के रिएक्टिवेशन के कारण होता है। यह काफी तकलीफदेह होता है। इसके लक्षण के शुरू होने के 72 घंटे के भीतर एंटीवायरल दवाओं द्वारा इसके इलाज की आवश्यकता होती है।

सज्जाद कहते हैं, “यह बहुत ही तकलीफदेह होता है। मरीज़ के साथी रो रहे थे क्योंकि वे असहाय थे और इलाज कराने में असमर्थ थे।”

सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में छह स्टाफ होने के बावजूद केवल सज्जाद और उनके एक सहयोगी 5 अगस्त से जा पाते हैं। सज्जाद इसी अस्पताल में कार्यरत हैं।

लगभग 8 घंटे तक इस स्वास्थ्य केंद्र में काम करने के बाद सज्जाद घर आने के बाद भी मरीज़ों को देखते है। औसतन वह प्रतिदिन अपने घर पर लगभग 75 मरीज़ों को देखते है और उन्हें वे मुफ्त इलाज करते है।

अस्पताल की स्थिति के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "अभी हमारे अस्पताल किसी भी तरह की आपात स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं, दवाओं और अन्य महत्वपूर्ण सामग्रियों का कोई उपयुक्त बैकअप नहीं है।"

उन्होंने कहा, “हम गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज़ों को भी देखते हैं और उन लोगों को भी देखते हैं जिनको गंभीर चोटें आई हैं। लेकिन जब चीजें अधिक जटिल होती हैं तो हम उन्हें बड़े अस्पताल भेजते हैं। लेकिन अब, रेफरल मामले में भी उन्हें बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि एम्बुलेंस को भी रोका जा रहा है।”

Jammu and Kashmir
Kashmir crises
Abrogation of Article 370
Kashmir Lockdown
Curfew in Kashmir
Medical Facilities in Kashmir

Related Stories

कश्मीर में दहेज़ का संकट

कुछ सरकारी नीतियों ने कश्मीर में पंडित-मुस्लिम संबंधों को तोड़ दिया है : संजय टिक्कू

कश्मीर: अगर दिल्ली दूर है, तो मन का मिलना भी अभी बाक़ी है!

कश्मीर : ‘मनमानी नज़रबंदी’ से सहमे बच्चे

ख़ास रिपोर्ट: घाटी से लौटे बिहारी कामगारों की कश्मीरियों पर क्या राय है?

'कश्मीरियों की आवाज़ किसी को भी सुनाई नहीं दे रही है'

क्या 'ए' मुझे इस स्वतंत्रता दिवस की शुभकामना देगा?

आशंकाएं, अफवाहें और अलर्ट : यहां से किधर जाएगा कश्मीर?

बराक घाटी में हज़ार से अधिक मुस्लिम हुए बेघर


बाकी खबरें

  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    खोज ख़बर : मस्जिद दर मस्जिद भगवान की खोज नहीं, नफ़रत है एजेंडा, हैदराबाद फ़र्ज़ी एनकाउंटर के बड़े सवाल
    24 May 2022
    खोज ख़बर में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने एक के बाद एक मस्जिद में भगवान की खोज के नफ़रती एजेंडे को बेनक़ाब करते हुए सरकारों से पूछा कि क्या उपलब्धियों के नाम पर मुसलमानों के ख़िलाफ उठाए गये कदमों को…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानव्यापी- क़ुतुब में उलझा भारत कब राह पर आएगा ?
    24 May 2022
    न्यूज़चक्र में आज वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा बात कर रहे हैं कि सत्ता पक्ष आखिर क्यों देश को उलझा रहा है ज्ञानवापी, क़ुतब मीनार, ताज महल जैसे मुद्दों में। महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों की बात कब होगी…
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी: भारी नाराज़गी के बाद सरकार का कहना है कि राशन कार्ड सरेंडर करने का ‘कोई आदेश नहीं’ दिया गया
    24 May 2022
    विपक्ष का कहना है कि ऐसे समय में सत्यापन के नाम पर राशन कार्ड रद्द किये जा रहे हैं जब महामारी का समय अधिकांश लोगों के लिए काफी मुश्किलों भरे रहे हैं।
  • सोनिया यादव
    देश में लापता होते हज़ारों बच्चे, लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में 5 गुना तक अधिक: रिपोर्ट
    24 May 2022
    ये उन लापता बच्चों की जानकारी है जो रिपोर्ट हो पाई हैं। ज़्यादातर मामलों को तो पुलिस मानती ही नहीं, उनके मामले दर्ज करना और उनकी जाँच करना तो दूर की बात है। कुल मिलाकर देखें तो जिन परिवारों के बच्चे…
  • भाषा
    ज्ञानवापी मामला : मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई के लिए 26 मई की तारीख नियत
    24 May 2022
    मुकदमा चलाने लायक है या नहीं, इस पर अदालत 26 मई को सुनवाई करेगी। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License