NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
गुड़गांव की बस में डरे, सहमे, दुबके, सिसकते बच्चों की शक्ल में दस्तक देता ; गणतंत्र दिवस 2018
"न हमसफर न किसी हमनशीं से निकलेगा/हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा ।"
बादल सरोज
25 Jan 2018
republic day

68 सालों में अनेक उथल पुथल और झंझावातों से गुजरने के तजुर्बों के बावजूद 2018 के गणतंत्र दिवस पर जो नजर आ रहा है वह एक ठिठुरा गणतंत्र और सहमा संविधान है ।  जिस शहर में बैठकर ये पंक्तियां लिखी जा रही हैं उसमे एक दिन पहले जो एक सिनेमाघर पर लाठियां भांज रहे थे, आग लगा रहे थे अगले दिन वे ही तिरंगा (झण्डा) यात्रा निकाल रहे थे । दोनों ही समय झण्डे से ज्यादा नुमायां डण्डा था । आज उन्ही के सहविचारी तिरंगा लहरा कर सलामी लेंगे । झण्डा फिर अनफहारा रह जाएगा - डण्डा ज्यादा मुस्तैदी से लहरायेगा।  आजादी के बाद विडम्बना इतनी मुखरता से इससे पहले कभी नहीं दिखी ।

किसी राष्ट्र के जीवन में इस तरह के दिन ठहर कर सोचने और कड़ाई से आत्ममूल्यांकन करने के होते हैं । मगर इधर इन दिनों जुमलों की बौछारों ने सारे दर्पण धुंधले और सारे कागज गीले करके रख दिए हैं । एक तरफ दावोस के सूखे कुंए से बार बार प्रतिध्वनित होती घनगरज है दूसरी तरफ ऑक्सफैम की रिपोर्ट से निकली कड़वी सचाई । इन दोनों के बीच कहीं अपनी जगह तलाशता लोकतन्त्र अपने अब तक के जीवन की सबसे कठिन चुनौती से दो-चार है । लोक पीछे, आत्महत्या करते किसानों-देश के सारे मेहनतकशों के प्रतिनिधिरूप सलाखें गिनते मारुती के मजदूरों-अनगिनत जख्मो को शुमार करती महिलाओं और भात के लिए बिलख कर दम तोड़ती बच्ची संतोषी के साथ -कहीं बहुत पीछे छूट गया है । बचा है तंत्र  - बिना किसी हया के क्रूर धनपतियों के हाथ में लहराते राजदण्ड की तरह ।

गणतंत्र के साथ यह ठगी अनायास नहीं हुयी है । रातों रात नहीं हुयी है । अन्धेरा दिनदहाड़े बेआवाज़ दाखिल होता रहा और अब पूरी तरह से कपड़े उतार कर झप्प से पसर गया है । गणततंत्र की अर्ध-शताब्दी के समय एक राष्ट्रपति ने दुःखी मन से कहा था कि "संविधान ने हमे नहीं, हमने संविधान को विफल किया है ।"  पिछले 60 साल यही तो किया : जिन निर्देशक सिद्धान्तों के आधार पर नीतियां बनाई जानी थीं उन्हें नकारा गया ; जिस धर्मनिरपेक्षता को विकसित करना था, उससे फ़्लर्ट किया और ; जिस आत्मनिर्भरता ने अपने पाँव खड़े होने का आत्मविश्वास दिया उसे दुत्कारा गया । नतीजा सामने है ।

भारतीय संविधान और उसमे ढला गणतंत्र कोई 100 साल तक लगातार चले स्वतन्त्रता संग्राम की गर्मी में तपा, पका विमर्श था । आधे से भी कम समय में इसे तोड़ने फोड़ने का काम उन्ही हुक्मरानों ने कर दिखाया जिन्हें ठीक ऐसा न होने देने के लिए चुना गया था । संविधान में दर्ज उम्मीदों पर सरासर विफल हुक्मरान मनहूसियत पर सौ फीसद खरे उतरे।  डॉ. बी आर अम्बेडकर ने 26 नवम्बर 1949 को जो आशंका जताई थी उसे उनके अनुमान से भी कहीं ज्यादा सच कर दिखाने में इस मुल्क के शासकों ने कोई लेतलाली नहीं दिखाई । 

2018 की 26 जनवरी के दिन गणतंत्र और संविधान तितरफा हमले की जद में है । एक तरफ अतीत के नरभक्षी भस्मासुर, जिसके एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में मनुस्मृति है और जुबान पर अमरीकी श्राप-मन्त्र हैं, की गा-बजा कर हो रही वापसी हो रही है। दूसरी तरफ समता के आभासी सपने तक को तिरोहित कर पूंजी के अकूत भंडारों से लबलबाती दलदल का और गहरा होना है और ऐसा करते में जो भी मानवीय है, उसको हड़प जाना है । वहीं तीसरी तरफ विदेशी पूँजी के उन मगरमच्छों को खुद न्यौता देकर बुलाया जाना है जिन्हें बमुश्किल थोड़ा बहुत बाहर धकेलने में पांच-सात पीढियां होम हो गयी थीं ।

निशाने पर कोई फ़िल्म-विल्म नहीं है, इल्म है । यह "हिन्दू राष्ट्र" का ट्रेलर है । बर्बर सडकों पर हैं राज्याश्रय के चलते छुट्टा और बेपरवाह । निशाने पर मनुष्यता, सोच, सृजन, लोकतन्त्र और संविधान है । कल कुलबुर्गी-दाभोलकर-पानसारे और गौरी लंकेश थीं । यदि पागलपन रुका नहीं तो आगामी कल कबीर, नामदेव, तुकाराम, नानक, भगतसिंह, फुले, अम्बेडकर होंगे । यहां तक कि बख्शे नहीं जायेंगे विवेकानंद और आर्यभट भी ।

2018 के गणतंत्र ने गुड़गांव की बस में डरे, सहमे, दुबके, सिसकते बच्चों की शक्ल में दस्तक दी है । यह समय तय करेगा कि यह आगे का रास्ता कैसे तय करेगा । वह गुरुग्राम की ठीक अगली जली-फूंकी बस की गति को प्राप्त होगा या जोर जोर से राइम गाते खिलखिलाते बच्चों क़े सलामत स्कूल पहुँचने और जो पढ़ा जाना चाहिए उसे पढ़वाने तक पहुंचेगा ।

खतरे का आगाज़ संविधान के पहले चार शब्दों "हम भारत के लोग" को मिटा देने की मंशा के साथ हुआ है तो इसका मुकाबला भी इन हम भारत के लोगों द्वारा ही किया जा सकता है । गुज़री साल देश भर में शानदार लामबन्दियों और तेवरों से इसकी झलक ये भारत के लोग दिखा चुके हैं । कोशिशों को और तेज, संकल्प को और दृढ़, हलचलों को और अधिक परिणाममूलक बनाना होगा। ऐसा करते में ही वे जिस एकता को पूरी तरह विखंडित करना चाहते हैं उसे और मजबूत करना होगा।  

रास्ता यही है - इसका कोई शॉर्ट कट नहीं है । किसी ने कहा है न "न हमसफर न किसी हमनशीं से निकलेगा/हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा ।"

republic day
democracy
republic
Fascism
Hindutva
BJP
Secularism
Socialism

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    संतूर के शहंशाह पंडित शिवकुमार शर्मा का मुंबई में निधन
    10 May 2022
    पंडित शिवकुमार शर्मा 13 वर्ष की उम्र में ही संतूर बजाना शुरू कर दिया था। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में 1955 में किया था। शिवकुमार शर्मा की माता जी श्रीमती उमा दत्त शर्मा स्वयं एक शास्त्रीय…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ग़ाज़ीपुर के ज़हूराबाद में सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर पर हमला!, शोक संतप्त परिवार से गए थे मिलने
    10 May 2022
    ओमप्रकाश राजभर ने तत्काल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के अलावा पुलिस कंट्रोल रूम, गाजीपुर के एसपी, एसओ को इस घटना की जानकारी दी है। हमले संबंध में उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया। उन्होंने कहा है कि भाजपा के…
  • कामरान यूसुफ़, सुहैल भट्ट
    जम्मू में आप ने मचाई हलचल, लेकिन कश्मीर उसके लिए अब भी चुनौती
    10 May 2022
    आम आदमी पार्टी ने भगवा पार्टी के निराश समर्थकों तक अपनी पहुँच बनाने के लिए जम्मू में भाजपा की शासन संबंधी विफलताओं का इस्तेमाल किया है।
  • संदीप चक्रवर्ती
    मछली पालन करने वालों के सामने पश्चिम बंगाल में आजीविका छिनने का डर - AIFFWF
    10 May 2022
    AIFFWF ने अपनी संगठनात्मक रिपोर्ट में छोटे स्तर पर मछली आखेटन करने वाले 2250 परिवारों के 10,187 एकड़ की झील से विस्थापित होने की घटना का जिक्र भी किया है।
  • राज कुमार
    जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप
    10 May 2022
    सम्मेलन में वक्ताओं ने उन तबकों की आज़ादी का दावा रखा जिन्हें इंसान तक नहीं माना जाता और जिन्हें बिल्कुल अनदेखा करके आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उन तबकों की स्थिति सामने रखी जिन तक आज़ादी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License