NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
गुजरात चुनाव : बीजेपी के कार्यकर्ताओं को प्रचार के दौरान भगाया गया
चुनावों में जीत तो दूर की बात है पार्टी को बहुत से चुनाव क्षेत्रों में प्रचार करने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को कई कॉलोनियों से बाहर खदेड़ा जा रहा है.
तारिक़ अनवर
22 Nov 2017
Translated by ऋतांश आज़ाद
गुजरात चुनाव

कोई भी चीज़ स्थायी नहीं रहती ये कहावत गुजरात में बीजेपी के लिए सच साबित होती दिख रही है. ये कल्पना करना भी मुश्किल था कि बीजेपी उस राज्य में मुश्किल में पड़ सकती है जहाँ वो पिछले 2 दशक से राज कर रही है.

चुनावों में जीत तो दूर की बात है पार्टी को बहुत से चुनाव क्षेत्रों में प्रचार करने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को कई कॉलोनियों से बाहर खदेड़ा जा रहा है.

कुछ कॉलोनियों के दरवाज़े पर तो बीजेपी के कार्यकर्ताओं को चेतावनी देते हुए लिखा गया है कि उनका प्रवेश यहाँ निषेध है और बीजेपी के लोगों के लिए यहाँ धारा 144 लगी हुई है. अगर बीजेपी के कार्यकर्ता फिर भी सोसाइटी में दाखिल हो जाते हैं तो उनके पर्चे फाड़े जा रहे हैं और उनके खिलाफ नारे भी लगाये जा रहे हैं.

इसी तरह का एक बैनर सूरत के वराचा इलाके की अवन्ती सोसाइटी में देखा गया जो कि एक पटेल बहुल इलाके में हैं. बैनर पर लिखा था “वोट माँगने आये बीजेपी के भिखारियों को सूचित किया जाता है कि अवन्ती सोसाइटी में उनका प्रवेश निषेध है, यहाँ उनपर धारा 144 लगी हुई है. क्योंकि बीजेपी का कोई कॉर्पोरटर, MLA या MP यहाँ 5 सालों में नहीं आया, इसीलिए उनका वोट माँगने के लिए यहाँ आना मना है.”

न्यूज़क्लिक के पास उपलब्ध एक विडियो में बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को पाटीदारों द्वारा नारे देते हुए भगाया जा रहा है. पाटीदार प्रदर्शनकारी “बीजेपी वापस जाओ” , “सरदार लड़े थे गोरों से, हम लड़ेंगे चोरों से’’ और “सरदार तुम्हारा शेर है, हम तुम्हारे बाप हैं”, “और जय सरदार, जय पाटीदार” के नारे लगाते हुए दिख रहे हैं.

 

वरच्छा क्षेत्र में तीन विधानसभा सीटें हैं - वरच्छा, करंज और कामरेज - सभी भाजपा के गढ़ हैं. 2015 में पाटीदार आंदोलन पर हुई बड़े पैमाने पर हुए पुलिस दमन में 10 युवाओं की मौत हुई. इसके बाद राज्य के 13% मतदाता - पाटीदारों ने बीजेपी को आगामी चुनावों में सबक सिखाने का फैसला किया है।

मेहसाना जिले के निवासी भावेश पटेल ने न्यूज़क्लिक को बताया  "हम भाजपा के पारंपरिक मतदाता थे. हम पार्टी चुनाव के लिए चंदा दिया करते थे और उन्हें ज़रूरत के समय हर तरह का समर्थन देते थे। सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण की हमारी माँगों को सुनने के बजाय,  भाजपा ने हमारे विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए बल का इस्तेमाल किया। पुलिस ने हमारे घरों में प्रवेश किया और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया। हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं और इस चुनाव में, हम भाजपा को सबक सिखाएंगे.”

मेहसाणा, जहाँ पाटीदार अनामत आंदोलन समीति (पीएएएस) के नेता हार्दिक पटेल ने राज्यव्यापी कोटा आंदोलन शुरू किया था.  इसका सात विधानसभा क्षेत्रों - मेहसाना (शहर), विसनगर, ऊंझा, विजापुर, कडी, बेचराजी और खेरालू में बहुत असर था।
इन सभी सीटों पर पाटीदारों का वर्चस्व रहा है और इस इलाके में दशकों से कोई कांग्रेस विधायक नहीं चुना गया है। आरक्षण के विरोध के बाद उठे राजनीतिक ज्वार के बाद चीज़ें बदल गई हैं। गुजरात में पाटीदारों के सीटों पर दबदबे वाली भाजपा के गढ़ में सेंध लग गयी और कांग्रेस को पुनर्जीवन मिल गया है। अनुमानों के अनुसार पटेल-वर्चस्व वाले निर्वाचन क्षेत्र 40 से अधिक माने जाते हैं. गुजरात में लगभग 40 से ज़्यादा निर्वाचन क्षेत्र पटेल बहुल हैं.

ऐसी खबर आयी हैं कि बीजेपी की राज्य इकाई ने 25 पटेल-वर्चस्व वाली सीटों पर हार की आशंका ज़ाहिर करते हुए हाई कमान को एक रिपोर्ट सौंपी है। यह रिपोर्ट गुजरात गौरव लोक संपर्क यात्रा में शामिल काडर के इनपुट पर आधारित थी। पार्टी को राजकोट, अमरेली, महेसाणा और सूरत जिले में अपने कुछ गढ़ों में सत्ता खो देने का डर है।

पुलिस की कार्यवाही शुरू करने के बाद आंदोलन की अगवाही करने वाले हार्दिक को देशद्रोह के कानून के तहत गिरफ्तार किया. इसके बाद यह 22 साल की उम्र का यह युवा प्रसिद्धि के शिखर पर चढ़ गया. जब हर्दिक की लोकप्रियता में वृद्धि हुई,  उन्हें उत्तर और दक्षिण गुजरात में अभूतपूर्व समर्थन प्राप्त हुआ। पटेल, जिनमें से ज़्यादातर हीरा और कपड़ा व्यापारी हैं  गुजरात का एक प्रभावशाली समुदाय है और वो बीजेपी के पारंपरिक वोट बैंक हुआ करते थे। पाटीदार समुदाय की दोनों उपजातियाँ - कडव और लेउवा पटेलों ने - एक बैनर के नीचे आकर उन्हें समर्थन दिया।

 

gujarat elections 2017
Gujrat model
Patidar
Modi
BJP

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • एम. के. भद्रकुमार
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन में हो रहा क्रांतिकारी बदलाव
    30 May 2022
    जापान हाल में रूस के ख़िलाफ़ प्रतिबंध लगाने वाले अग्रणी देशों में शामिल था। इस तरह जापान अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है।
  • उपेंद्र स्वामी
    दुनिया भर की: कोलंबिया में पहली बार वामपंथी राष्ट्रपति बनने की संभावना
    30 May 2022
    पूर्व में बाग़ी रहे नेता गुस्तावो पेट्रो पहले दौर में अच्छी बढ़त के साथ सबसे आगे रहे हैं। अब सबसे ज़्यादा वोट पाने वाले शीर्ष दो उम्मीदवारों में 19 जून को निर्णायक भिड़ंत होगी।
  • विजय विनीत
    ज्ञानवापी केसः वाराणसी ज़िला अदालत में शोर-शराबे के बीच हुई बहस, सुनवाई 4 जुलाई तक टली
    30 May 2022
    ज्ञानवापी मस्जिद के वरिष्ठ अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने कोर्ट में यह भी दलील पेश की है कि हमारे फव्वारे को ये लोग शिवलिंग क्यों कह रहे हैं। अगर वह असली शिवलिंग है तो फिर बताएं कि 250 सालों से जिस जगह पूजा…
  • सोनिया यादव
    आर्यन खान मामले में मीडिया ट्रायल का ज़िम्मेदार कौन?
    30 May 2022
    बहुत सारे लोगों का मानना था कि राजनीति और सांप्रदायिक पूर्वाग्रह के चलते आर्यन को निशाना बनाया गया, ताकि असल मुद्दों से लोगों का ध्यान हटा रहे।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हिमाचल : मनरेगा के श्रमिकों को छह महीने से नहीं मिला वेतन
    30 May 2022
    हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले में मनरेगा मज़दूरों को पिछले छह महीने से वेतन नहीं मिल पाया है। पूरे  ज़िले में यही स्थिति है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License