NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
गुजरात में BJP की आरक्षण नीति को लेकर आदिवासी समाज बेहद नाराज़
ग्रामीण समाज के तीन जातियों को ST श्रेणी में शामिल करने पर आदिवासियों का विरोध
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
15 Nov 2017
gujrat BJP

गुजरात में पिछले कुछ समय में बीजेपी-विरोधी कई प्रदर्शन हुए, ख़ासकर आदिवासी बहुल क्षेत्र दक्षिणी गुजरात में भील, वसावा तथा गमित समाज के लोगों ने ये विरोध प्रदर्शन किया। इस समाज के लोग ख़ुद को 'पारंपरिक जनजाति' होने का दावा करते हैं। गुजरात सरकार के ख़िलाफ इस अशांति का तात्कालिक कारण इस वर्ष जनवरी में लाया गया एक अधिसूचना था जिसमें पशुचारी समाज के तीन जातियों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आरक्षण दिया गया।

गुजरात सरकार की एक अन्य अज्ञात अधिसूचना के ख़िलाफ विरोध प्रदर्शन क़रीब तीन महीने पहले अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित उप-अधीक्षक पुलिस और उप-कलेक्टरों के 68 पदों पर हुई भर्ती भी थी। नए भर्ती किए गए अधिकारियों में से 35 उम्मीदवार उन समुदायों के थें जो सरकार की अधिसूचना द्वारा हाल ही में अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल किए गए थें। इससे नाराज हुए अन्य आदिवासी समुदायों ने महसूस किया कि उनके अधिकारों से धोखाधड़ी की गई है।

आरक्षण को लेकर आंदोलन के लिए मुखर जनजातीय नेताओं की मुख्य दलील थी कि तीन पशुचारी समुदायों - रबारी, भारवाड़ और चरण, जिनकी कुल आबादी राज्य में क़रीब दो प्रतिशत है, को एसटी श्रेणी में ग़लत तरीक़े से शामिल किया जा रहा है।

भील जनजाति का नेतृत्व कर रहे भीलिस्तान टाइगर सेना के नेता प्रफुल वसावा के हवाले से न्यूज़18 में छपी ख़बर के मुताबिक़ "आरक्षित नौकरियां और सीटें पूरी तरह मूल आदिवासियों को ही मिलनी चाहिए। रबारी, भारवाड़ तथा चरण समाज वास्तव में ओबीसी हैं न कि एसटी। उन्हें ओबीसी कोटा में आरक्षण क्यों नहीं दिया जाता है?”

राज्य में आरक्षण के कथित दुरुपयोग के मामले में आंदोलनरत आदिवासियों के बढ़ते विरोध को लेकर सरकार ने 11 अक्टूबर को अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण के संबंध में जनवरी में जारी अधिसूचना सहित दो अधिसूचनाओं को रद्द कर दिया।

116 जनजातीय समूहों द्वारा राज्य-स्तरीय एक आदिवासी सम्मेलन 18 नवंबर को तापी ज़िले के व्यारा में संयुक्त रूप से आयोजित किया जाएगा। माना जाता है कि ये सम्मेलन आगामी विधानसभा चुनाव में आदिवासी समुदायों के "राजनीतिक दृष्टिकोण" के साथ-साथ "भविष्य में होने वाली गतिविधियों" पर कथित रूप से फैसला करेगा।

राज्य के 182 निर्वाचन क्षेत्रों में से 27 अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। बीजेपी पहले से ही काफी दबाव में है क्योंकि ओबीसी, दलित और पटेल समाजों के नेता क्रमशः अल्पेश ठाकुर, जिग्नेश मेवानी और हार्दिक पटेल पहले से ही बीजेपी के ख़िलाफ खुलेआम प्रचार और आलोचना करते आ रहे हैं। गुजरात की आबादी का क़रीब 15% आबादी आदिवासियों की है जो बीजेपी के ख़िलाफ काफी ज़्यादा नाराज़गी व्यक्त कर रहे हैं, गुजरात में शासित पार्टी के लिए कुछ भी बेहतर नहीं दिख रहा है जिसकी अगुवाई वर्ष 2014 में दिल्ली आने से पहले नरेंद्र मोदी द्वारा की जा रही थी।

Gujrat model
BJP
Reservation Policy
Adivasi

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • सत्यम् तिवारी
    देश भर में निकाली गई हनुमान जयंती की शोभायात्रा, रामनवमी जुलूस में झुलसे घरों की किसी को नहीं याद?
    16 Apr 2022
    एक धार्मिक जुलूस से पैदा हुई दहशत और घायल लोगों की चीख़-पुकार अभी फ़िज़ा में मौजूद है कि राजधानी दिल्ली सहित देश भर में एक और त्योहार के जुलूस निकाले गए। और वह भी बाक़ायदा सरकारी आयोजन की तरह। सवाल…
  • पलानीवेल राजन सी
    अपनी ज़मीन बचाने के लिए संघर्ष करते ईरुला वनवासी, कहा- मरते दम तक लड़ेंगे
    16 Apr 2022
    पिल्लूर में स्थानीय समुदायों की लगभग 24 बस्तियां हैं, जो सामुदायिक वन अधिकारों की मांग कर रही हैं, जैसा कि एफआरए के तहत उन्हें आश्वस्त किया गया था।
  • रूबी सरकार
    बुलडोज़र की राजनीति पर चलता लोकतंत्र, क्या कानून और अदालतों का राज समाप्त हो गया है?
    16 Apr 2022
    जिस तरह एक ख़ास धर्म के ख़िलाफ़ माहौल बनाने के लिए भाजपा की राज्य सरकारें बुलडोज़र को आगे कर रही हैं उससे लोकतंत्र हर रोज़ मरणासन्न स्थिति की ओर जा रहा है। 
  • सत्यम श्रीवास्तव
    कन्क्लूसिव लैंड टाईटलिंग की भारत सरकार की बड़ी छलांग
    16 Apr 2022
    देश में मौजूद ज़मीन के हर एक पीस/प्लॉट का एक आधार नंबर दिया जाना जिसे इस बजट भाषण में यूनिक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर (ULPIN) कहा गया है। इसके लिए बाज़ाब्ता ज़मीन के हर टुकड़े के अक्षांश और देशांत…
  • विजय विनीत
    पत्रकारों के समर्थन में बलिया में ऐतिहासिक बंद, पूरे ज़िले में जुलूस-प्रदर्शन
    16 Apr 2022
    पेपर लीक मामले में पत्रकारों की गिरफ़्तारी और उत्पीड़न के खिलाफ आज बलिया में ऐतिहासिक बंदी है। बलिया शहर के अलावा बैरिया, बांसडीह, बेलथरा रोड, रसड़ा और सिकंदरपुर समेत ज़िले के सभी छोटे-बड़े बाज़ार…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License