NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
कोरोना के क़हर से अब तक उबर नहीं पाई है भारत की जीडीपी
जीडीपी की हकीकत रिकॉर्ड उछाल की नहीं बल्कि कोरोना से पहले की गिरावट की है।
अजय कुमार
01 Sep 2021
gdp

आंकड़ें महज आंकड़े होते हैं, बिल्कुल निर्जीव। उन आंकड़ों में जान डालने वालों पर यह निर्भर करता है कि वह आंकड़ों का इस्तेमाल जनता की भलाई के लिए करें या सरकार की करतूतों को छिपाने के लिए।

वित्त वर्ष 2021 - 22 की पहली तिमाही के जीडीपी के आंकड़े पेश किए गए हैं। देश के बड़े-बड़े अखबारों में सुर्खियां कुछ इस तरह से छपी हैं कि रिकॉर्ड GDP ग्रोथ में बड़ा उछाल; जून तिमाही में 20.1% हुई, मार्च में यह सिर्फ 1.6% थी। आंकड़े को इस तरह से कहने में कुछ गलत नहीं है। गलत है तो महज मकसद। मकसद यह जनता की आवाज को दबा दिया जाए और सरकार की करतूत को छिपा दिया जाए। यह केवल अखबार वाले नहीं कह रहे हैं, भाजपा का आईटी सेल भी खूब जोर लगा कर प्रचारित कर रहा है, तो चलिए एक सजग नागरिक होने के नाते इसे सीलेवार तरीके से समझा जाए।

किसी नियत अवधि में उपभोक्ताओं द्वारा खरीदे गए सामानों और सेवाओं की कुल कीमत को सकल घरेलू उत्पाद यानी ग्रॉस डॉमेस्टिक प्रोडक्ट कहा जाता है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की तरफ से एक वित्त वर्ष में चार बार यानी हर तिमाही पर जीडीपी के आंकड़े पेश किए जाते हैं। इस तिमाही में जीडीपी में 20.1 की बढ़ोतरी बताई गई है। जिसे रिकॉर्ड कहकर अखबारों में पेश किया जा रहा है। लेकिन जीडीपी के आंकड़ों को पढ़ने के पूरे तरीके को समझें तो सच्चाई साफ हो जाती है। अगर जीडीपी की पहली तिमाही में 20.1 फ़ीसदी की बढ़ोतरी बताई गई है तो इसका मतलब यह है कि यह बढ़ोतरी पिछले वित्त वर्ष के पहले तिमाही की जीडीपी से तय की गई है। पिछले साल की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी बढ़ने की बजाय  24.4 फ़ीसदी की दर से घटी थी (- 24.4 फ़ीसदी का संकुचन हुआ था)। साल 2019-20 के पहले तिमाही के मुकाबले साल 2020- 21 की पहली तिमाही में किसी भी तरह की बढ़ोतरी होने की बजाए 24.4 फ़ीसदी की कमी थी। यानी अर्थव्यवस्था अपने शुरुआती बिंदु से 24 फ़ीसदी नीचे धंस चुकी थी। उस 24 फ़ीसदी को आधार बनाकर इस तिमाही की बढ़ोतरी 20.1 फ़ीसदी बता कर सरकार और सरकार के पैसे पर चलने वाली चाटुकार संस्थाएं अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड स्तर का सुधार कह कर पुकार रही हैं जबकि हकीकत यह है कि अर्थव्यवस्था अब भी कोरोना के पहले से कमजोर अवस्था में है।

वर्ल्ड बैंक के भूतपूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु अपने ट्विटर अकाउंट पर बड़े ही अच्छे ढंग से आंकड़ों की इस प्रस्तुतीकरण को स्पष्ट करते हैं। कौशिक बसु की बात को अगर सरल तरीके से पेश किया जाए तो यह है कि करोना से पहले साल 2019 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ तकरीबन 5 फीसदी थी। अगर यह मान लिया जाए कि साल 2019 की पहली तिमाही में भारत की कुल जीडीपी ₹100 की थी। तो साल 2020 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी में तकरीबन माइनस 24 फ़ीसदी की गिरावट हुई थी। मतलब यह ₹100 से से घटकर ₹ 76  पर पहुंच गई थी। इसमें 20 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह तकरीबन ₹91 पर पहुंची है। अब भी कोरोना से पहले की स्थिति में पहुंचने के मामले में जीडीपी ₹9 कम है।

तकनीकी भाषा में जिसे भी V आकार वाली रिकवरी कहते हैं, अर्थव्यवस्था में वह भी नहीं हुआ है। V आकार का मतलब यह है कि अर्थव्यवस्था की जीडीपी घटकर बहुत नीचे आ गई लेकिन फिर से बढ़कर वहां तक नहीं पहुंची जहां वह पहले मौजूद थी। इसलिए V आकार की रिकवरी का झांसा देकर कोई बात करें तब भी उसे सही नहीं मानना है।

जब एक देश कोरोना महामारी की भयंकर संकट से गुजरा हो तो अर्थव्यवस्था को मापने का सही पैमाना यही है कि कोरोना से पहले की अर्थव्यवस्था के हालात को आधार बनाकर मापा जाए। इसी आधार पर  ही ताली बजाई जाए या वाहवाही की जाए। आसान शब्दों में समझे तो यह कि अर्थव्यवस्था कोरोना के दौरान 24 फीट नीचे गड्ढे में गिर गई थी। अब भी 9 फीट गड्ढे में मौजूद है। इस पर ताली बजाने और रिकॉर्ड तोड़ने जैसी बात लिखने की बजाए अर्थव्यवस्था की सही हालत बताई जानी चाहिए।

अगर पैसे के लिहाज से देखा जाए तो साल 2019-20 की पहली तिमाही में भारत की कुल अर्थव्यवस्था तकरीबन 35 लाख करोड रुपए की थी। कोरोना की वजह से धंसकर साल 2020 -  21 की पहली तिमाही में 26 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई। उसके बाद अब साल 2021- 22 की पहली तिमाही में 35 लाख करोड़ से कम महज 32 लाख करोड रुपए पर पहुंची है।

अर्थव्यवस्था के मुख्य सेक्टरों के कामकाज का आंकड़ा भी रिकॉर्ड उछाल जैसे शब्द इस्तेमाल करने वाला नहीं है।मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, ट्रेड ट्रांसपोर्ट ब्रॉडकास्टिंग, रियल स्टेट जैसे दूसरे क्षेत्र अभी कोरोना की मार से बाहर नहीं निकल पाए हैं। इनका आकार अभी कोरोना के पहले की स्थिति से पीछे है। अगर ऐसी बात है तो इसका मतलब यह है कि यहां से कोई रोजगार पैदा नहीं हुआ है। बल्कि पहले के रोजगार ही खत्म हुए होंगे और लौटकर नहीं आए होंगे। कृषि क्षेत्र के बाद कंस्ट्रक्शन जैसा क्षेत्र भारत में बहुत बड़ी आबादी को रोजी रोटी की आमदनी मुहैया करवाता है।

अंतिम तौर पर इन सभी आंकड़ों को देखकर कोई कह सकता है कि कृषि क्षेत्र में तो बढ़ोतरी हुई है। यह अच्छी बात है। लेकिन तनिक रुकिए। इसकी भी हकीकत जान लीजिए। हकीकत यह है कि कोरोना के दौरान लोग भागकर गांव में गए। कृषि क्षेत्र पर काम करने वाले लोगों की निर्भरता बढ़ी। यानी भले कृषि क्षेत्र की कुल आमदनी बढ़ती हुई दिख रही हो लेकिन प्रति व्यक्ति आमदनी घटी होगी। अगर इसमें महंगाई दर को भी जोड़ लिया जाए तो स्थिति और बदतर दिखने लगेगी।

GDP
GDP growth
q1 economic status of 2022
Coronavirus

Related Stories

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?

आर्थिक रिकवरी के वहम का शिकार है मोदी सरकार

कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 27 फीसदी की बढ़ोतरी

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के घटते मामलों के बीच बढ़ रहा ओमिक्रॉन के सब स्ट्रेन BA.4, BA.5 का ख़तरा 

कोरोना अपडेट: देश में फिर से हो रही कोरोना के मामले बढ़ोतरी 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना मामलों में 17 फ़ीसदी की वृद्धि

कोरोना अपडेट: अभी नहीं चौथी लहर की संभावना, फिर भी सावधानी बरतने की ज़रूरत

कोरोना अपडेट: दुनियाभर के कई देशों में अब भी क़हर बरपा रहा कोरोना 

दिवंगत फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी को दूसरी बार मिला ''द पुलित्ज़र प्राइज़''


बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License