NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
भारत
बहादुर बेटियां : "मां-बाप डर जाते हैं, हम नहीं डरेंगे"
बीच बहस : अनचाही मुश्किल स्थितियों में फंस जाने पर भी ज़्यादातर लड़कियां सबसे पहले 100 या 112 नंबर डायल करने का ख़्याल नहीं करती। उनका कहना है कि उन्हें पुलिस पर बहुत ज्यादा विश्वास नहीं है। ये ऐसा सवाल है जिसपर पुलिस को बहुत गंभीरता से सोचना चाहिए।
वर्षा सिंह
11 Dec 2019
बहादुर बेटियां

उत्तराखंड में इन दिनों खेल महाकुंभ के तहत अलग-अलग खेलों की प्रतियोगिताएं चल रही हैं। देहरादून में खेल के मैदान में लड़कियां अगले राउंड में पहुंचने के लिए अपना पूरा दम-खम लगा रही हैं। वॉलीबॉल के ग्राउंड में बॉल मिस होने पर एक लड़की खुद पर गुस्सा ज़ाहिर करती है, वहीं दूसरे ख़ेमे में बॉल हाथों तक पहुंचती है और हर्ष की एक लहर दौड़ पड़ती है। उनकी निगाहें बॉल पर टिकी हैं, पांव खेल के मैदान में जमे हैं, दिल भविष्य में खेले जाने वाले अनगिनत मैचों के उत्साह से भरा हुआ है। अभी उनके हिस्से में बहुत सी यात्राएं हैं। रातों में ट्रेन और बस की खिड़की पर टिमटिमाते तारों को देखना है। कई शहरों के नक्शे उनके पांवों से बंधे हुए हैं, जहां वे भविष्य में खेलने जाएंगी। दर्शक दीर्घा में तालियां गूंजेगी। उनकी जीत पर साथी सीटियां बजाएंगे और हार पर कई आहें एक साथ होंगी। ये उनके जीवन के सबसे सुरीले सुर होंगे।

लेकिन यहां एक ब्रेक लगता है। मुझे इन लड़कियों से हैदारबाद और उन्नाव जैसी घटनाओं पर बात करनी है। उनके सपनों को ठेस नहीं पहुंचानी है बल्कि हमारे समाज की घिनौनी और कठोर हक़ीकत पर तपाना है। वॉलीबॉल के कोच विजय इन लड़कियों से बात करते हैं और उन्हें मुझसे बात करने के लिए कहते हैं। सात-आठ लड़कियां एक गोल घेरे में मेरे पास आ गईं। मीडिया से बातचीत करने को लेकर उनके अंदर कुछ हिचक है। कुछ लड़कियां बात नहीं करना चाहती। उन्हीं में से कुछ ऐसी भी हैं जिनके पास कहने को बहुत कुछ है।

volley2.JPG

मां-बाप डर जाते हैं, हम नहीं डरेंगे

शिवानी ठाकुर से मिलिए। देहरादून की ये लड़की पंजाब के लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कर रही है। घर से दूर अकेली रहती है। यहां वॉलीबॉल खेलने आई हुई है। बहुत आत्मविश्वास से कहती है कि मैं इंडिपेंडेंट हूं। हैदराबाद-उन्नाव जैसी घटनाओं पर कहती है कि मां-बाप डर जाते हैं। वे घर से बाहर निकलने के लिए, खेलने या पढ़ने के लिए मना करने लगते हैं। लेकिन लड़कियां फिर भी घर से बाहर निकलती हैं। शिवानी कहती हैं कि ऐसी घटनाओं के होने के बाद भी हमें रुकना नहीं चाहिए। चुनौतियों का सामना करना चाहिए। मैं बहुत समय से बाहर हूं और जो भी मुश्किलें आती हैं, उन्हें खुद ही सुलझाती हूं। शिवानी सेल्फ डिफेंस पर ज़ोर देती हैं, कहती हैं कि हमें खुद अपनी सुरक्षा करनी आनी चाहिए।

पहाड़ों की रानी मसूरी की रहने वाली लक्ष्मी थापा दून घाटी में वॉलीबॉल को एक पाले से दूसरे पाले में छकाने आई हुई हैं। वह बताती हैं कि ऐसी घटनाओं से हमारे घरवाले इतना डर चुके हैं कि हमें बाहर भेजने में डरते हैं। वह लोगों की सोच को बदलने पर ज़ोर देती हैं। वह कहती हैं कि कुछ लोगों की वजह से लड़कियों को लेकर मां-बाप चिंतित हो जाते हैं। जबकि हमारे आसपास बहुत से अच्छे लड़के भी हैं। लक्ष्मी को लगता है कि लड़के-लड़कियां दोनों में लैंगिक समानता के लिए कार्य करना चाहिए।

छोटे से कद की अंजलि कहती हैं कि गेम्स के दौरान हम रात में किसी भी समय बाहर निकलते हैं। उस समय हम अपने समूह में होते हैं। हम लगातार खेलते हैं और लगातार यात्राएं करते हैं। ट्रेन-बस में रात में सफ़र करते हैं। जब हम घर से बाहर निकले हैं तो हमें मज़बूत होना चाहिए। कुछ लोग समाज में खराब होते हैं। अंजलि भी सेल्फ डिफेंस की बात कहती हैं यहां तक कि लड़कियों को पास में चाकू रखने तक की बात कहती हैं।

नैनीताल की रहने वाली कोपल शाह देहरादून से बीटेक कर रही हैं और अपनी दोस्तों के साथ कमरा साझा कर रहती हैं। वह भी वॉलीबॉल खेलने आई हुई हैं। कोपल बताती हैं कि हैदराबाद मामले के बाद मां ने नैनीताल से फ़ोन कर ढेर सारी हिदायतें दे डालीं। कहा कि लड़कों से ज्यादा बात मत करना, अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना, रात में बाहर मत निकलना, कोई जरूरी काम आ गया तो किसी को साथ लेकर जाना। कोपल कहती हैं कि मां-बाप की चिंता जायज़ है। लेकिन मैं उऩ्हें समझाती हूं कि हर कोई बुरा नहीं होता। मैं उन्हें कहती हूं कि आप मेरी सिक्योरिटी की टेंशन मत लिया करो। मैं देख लूंगी।

ये पूछने पर कि वे कभी हैदराबाद मामले की तरह किसी अनचाही स्थिति में फंस गईं तो क्या करेंगी। शिवानी कहती है कि घरवालों को फ़ोन करूंगी। मोबाइल में जीपीएस ऑन करके, अपनी लाइव लोकेशन घर पर भेजकर कोई टैक्सी लूंगी। कैब बुक करेंगी या गाड़ी में खुद को बंद कर लेंगी। किसी लड़की ने खुद से 100 नंबर डायल करने की बात नहीं कही। बल्कि मेरे सवाल करने पर जवाब आया कि हां, वो भी करूंगी।

पुलिस पर लड़कियों को भरोसा नहीं

यहां ये खिलाड़ी कहती हैं कि उन्हें पुलिस पर बहुत ज्यादा विश्वास नहीं है। वे कहती हैं कि घरवाले या पड़ोसी पहले पहुंच जाएंगे लेकिन पुलिसवाले समय पर नहीं आते।

कोपल कहती हैं कि यदि रात में घर से बाहर जाना पड़ा तो वह किसी दोस्त को साथ लेकर जाएंगी। उनका कहना है कि किसी अनचाही स्थिति में फंसी तो पुलिस से पहले दोस्तों को कॉल करना ज्यादा बेहतर रहेगा। उन्हें पुलिस को कॉल में डर लगता है। कोपल कहती हैं कि कई बार पुलिसवाले भी मिले हुए लगते हैं। पुलिस के बारे में ऐसी राय क्यों बनी, इसकी कोई बहुत ठोस वजह नहीं है उनके पास।

अफसोस की बात ये है कि ये सभी लड़कियां हैदराबाद एनकाउंटर को सही ठहराती हैं। उन्हें लगता है कि बलात्कारियों को त्वरित और कठोर सजा नहीं मिल पाती। जिससे उनके हौसले बुलंद रहते हैं।

कोपल कहती हैं कि हमारे देश में बलात्कार या महिलाओं से हिंसा के मामलों में जल्दी कार्रवाई नहीं होती। हमारी न्यायिक प्रक्रिया बहुत लंबी है। निर्भया केस में अभी तक कुछ नहीं हुआ। लड़कियों के साथ हिंसा से जुड़े बहुत से मामले तो मीडिया के सामने आते ही नहीं है।

लेकिन वह ये भी जोड़ती हैं कि हम ऐसी घटनाओं से डरेंगे नहीं। किसी और की वजह से अपना भविष्य खराब नहीं करेंगे। हमें जो पसंद है वो भी करेंगे। चाहे आप हमारे कपड़ों को लेकर बोलते रहो। हमारे शॉर्ट्स पर कमेंट करते रहो, हम जिसमें कंफर्टेबल हैं, वो करेंगे।

देहरादून में ताईक्वॉन्डो कोच पूनम कहती हैं कि हैदराबाद जैसी घटनाएं हमारा हौसला नहीं तोड़ सकतीं। लड़कियां लगातार खेल के मैदानों में आ रही है। बल्कि अब तो अभिवावक भी कहते हैं कि हमारी लड़कियों को लेकर जाइये। वो खेलेंगी।

महिलाओं की सुरक्षा के लिए दून पुलिस की नई पहल

महिलाओं में बढ़ती असुरक्षा की भावना को लेकर देहरादून पुलिस ने एक नई पहल की है। एसएसपी अरुण मोहन जोशी न्यूज़क्लिक के लिए बताते हैं कि इस समय महिलाओं में असुरक्षा की जो भावना पैदा हो गई है, हम ऐसे उपाय करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करें। उन्होंने जानकारी दी कि यदि महिलाएं रात के समय या किसी ऐसी जगह फंस गई हैं, जहां से ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो वे 112 फोन नंबर पर कॉल करें। वहां से नजदीकी थाने की पुलिस उन तक पहुंचेगी। कोई ट्रांसपोर्टेशन सुविधा नहीं होगी तो पुलिस की पेट्रो कार खुद उन्हें घर तक छोड़ कर आएगी। यदि ट्रांसपोर्टेशन मिल जाएगा तो हम ये सुनिश्चित करेंगे कि वे सुरक्षित घर पहुंच जाएं। उन्होंने बताया कि 112 फोन कॉल को महिला कर्मचारी ही संभाल रही हैं इसलिए उनसे बातचीत करने में भी किसी को दिक्कत नहीं होगी।

उन्होंने ये भी बताया कि 100 फोन नंबर बंद होने के बाद 112 नंबर कॉल करना होता है। फिलहाल 100 पर फोन करने पर कॉल 112 पर ट्रांसफ़र हो जाती है। लेकिन अब भी बहुत से लोग 112 नंबर की जानकारी नहीं रखते।

UTTARAKHAND
volleyball
girls in volleyball
women empowerment
women in sports

Related Stories

विशेष: क्यों प्रासंगिक हैं आज राजा राममोहन रॉय

आख़िर क्यों सिर्फ़ कन्यादान, क्यों नहीं कन्यामान?

महिला दिवस विशेष: क्या तुम जानते हो/ पुरुष से भिन्न/ एक स्त्री का एकांत

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: क़ाफ़िला ये चल पड़ा है, अब न रुकने पाएगा...

देश को गोल्ड दिलाने वाली नसरीन, लॉकडाउन में खाने के लिए कर रहीं हैं संघर्ष!

सुरक्षा बलों में भी कम नहीं है महिलाओं का शोषण-उत्पीड़न : ITBP की पूर्व डिप्टी कमांडेंट की कहानी

बंगाल : क्या है उस महिला की कहानी, जिसे दुर्गापूजा की थीम बनाया गया है?

पौड़ी, टिहरी, गैरसैंण की कैबिनेट बैठकों का क्या हासिल?

‘करुणामय संघर्ष’ : बौद्ध काल की स्वतंत्रचेत्ता महिलाओं की कहानी

उत्तराखंड : अब देवी जागरण से तय होगी हिन्दुत्व की राजनीति !


बाकी खबरें

  • putin
    एपी
    रूस-यूक्रेन युद्ध; अहम घटनाक्रम: रूसी परमाणु बलों को ‘हाई अलर्ट’ पर रहने का आदेश 
    28 Feb 2022
    एक तरफ पुतिन ने रूसी परमाणु बलों को ‘हाई अलर्ट’ पर रहने का आदेश दिया है, तो वहीं यूक्रेन में युद्ध से अभी तक 352 लोगों की मौत हो चुकी है।
  • mayawati
    सुबोध वर्मा
    यूपी चुनाव: दलितों पर बढ़ते अत्याचार और आर्थिक संकट ने सामान्य दलित समीकरणों को फिर से बदल दिया है
    28 Feb 2022
    एसपी-आरएलडी-एसबीएसपी गठबंधन के प्रति बढ़ते दलितों के समर्थन के कारण भाजपा और बसपा दोनों के लिए समुदाय का समर्थन कम हो सकता है।
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 8,013 नए मामले, 119 मरीज़ों की मौत
    28 Feb 2022
    देश में एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 1 लाख 2 हज़ार 601 हो गयी है।
  • Itihas Ke Panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    रॉयल इंडियन नेवल म्युटिनी: आज़ादी की आखिरी जंग
    28 Feb 2022
    19 फरवरी 1946 में हुई रॉयल इंडियन नेवल म्युटिनी को ज़्यादातर लोग भूल ही चुके हैं. 'इतिहास के पन्ने मेरी नज़र से' के इस अंग में इसी खास म्युटिनी को ले कर नीलांजन चर्चा करते हैं प्रमोद कपूर से.
  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    मणिपुर में भाजपा AFSPA हटाने से मुकरी, धनबल-प्रचार पर भरोसा
    27 Feb 2022
    मणिपुर की राजधानी इंफाल में ग्राउंड रिपोर्ट करने पहुंचीं वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह। ज़मीनी मुद्दों पर संघर्षशील एक्टीविस्ट और मतदाताओं से बात करके जाना चुनावी समर में परदे के पीछे चल रहे सियासी खेल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License