NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
गुजरात: जातिगत अत्याचारों के ज्यादातर आरोपी खुले में घूम रहे, आसानी से मिल जाती है जमानत
गुजरात में जातिगत अत्याचारों के 833 मामलों के सभी अभियुक्त, निचली अदालतों या विशेष अत्याचार न्यायालय के दिए फैसलों पर, हाईकोर्ट से स्थगन आदेश पाने के बाद जमानत पर छूट गए हैं।
दमयन्ती धर
19 Aug 2021
गुजरात: जातिगत अत्याचारों के ज्यादातर आरोपी खुले में घूम रहे, आसानी से मिल जाती है जमानत
प्रतीकात्मक चित्र। सौजन्य : न्यूज सेंट्रल 24x7

गुजरात के राजकोट में 21 मई 2019 को दरबार (क्षत्रिय) जाति के आठ आदमियों ने राजेश सोनदरवा नाम के एक 20 वर्षीय युवा दलित पर बर्बरतापूर्वक हमला बोल दिया था। हमले के घंटों बाद पुलिस की पेट्रोल पार्टी कोटला ताल्लुक के मानेकवाडा गांव पहुंची, जहां राजेश अपने घर के बाहर लहुलुहान होकर मदद के लिए चीत्कार कर रहे थे। पुलिस उनको अस्पताल ले गई थी लेकिन अगले ही दिन उनकी मौत हो गई थी।
 
सोनदरवा परिवार में यह दूसरी हत्या थी। राजेश के पिता नानजी, जो स्थानीय स्तर पर सूचना अधिकार कार्यकर्ता थे, उनकी भी एक वर्ष पहले गांव के ही उसी ऊंच्ची जाति के लोगों ने हत्या कर दी थी।
 
राजेश की हत्या के मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार लोगों में महेन्द्र सिंह भिकुभ जड़ेजा और अजय सिंह उर्फ घनुभ चंदुभ जड़ेजा शामिल हैं। ये दोनों राजेश के पिता की हत्या मामले में भी मुख्य अभियुक्त हैं। ये दोनों जमानत पर रिहा थे, जब उन्होंने राजेश की हत्या की थी।
 
जून 2019 में, उना शहर के एक 29 वर्षीय दलित पीयूष सरवैया पर दो लोगों ने धावा बोल दिया था, जो उसके भाई की हत्या में शामिल अन्य 11 अभियुक्तों में शामिल था, जिसे निचली अदालत ने सजा दी थी। अक्टूबर 2012 में, पीयूष के भाई लालजी (27) को उनके गांव अंकोलाली में ही ऊंची जाति के 500 लोगों की हिंसक भीड़ ने जिंदा जला दिया था। लालजी का गांव गिर सोमनाथ जिले के गिर गडाडा ताल्लुक में पड़ता है, जो पहले उना ताल्लुक में था।
 
छह साल की कानूनी लड़ाई के बाद, उना की एक विशेष अदालत ने अपने एक मील का पत्थर कहे जाने वाले फैसले में 11 लोगों को इस अपराध के लिए दोषी करार दिया था और उन्हें मृत्यु पर्यंत जेल में ही रहने की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही प्रत्येक अभियुक्त को 54,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया था। अभियुक्तों ने इस सजा के खिलाफ, गुजरात उच्च न्यायालय में अपील की थी। इसके सात महीने बाद, इन अभियुक्तों में दो को हाई कोर्ट ने पेरोल पर रिहा कर दिया था, जिसने छूट कर आने के बाद पीयूष पर जानलेवा हमला कर दिया था।
 
गौरतलब है कि गुजरात में जातिगत अत्याचारों के 833 मामलों के सभी अभियुक्त निचली अदालतों या विशेष अत्याचार न्यायालय के दिए फैसलों पर हाईकोर्ट से स्थगन आदेश पाने के बाद जमानत पर छूट गए हैं।

वलजीभाई पटेल ने न्यूजक्लिक से इस बारे में बातचीत की, वलजीभाई गुजरात में एक दलित कार्यकर्ता हैं। उन्होंने कहा “वर्ष 2000 से एक भी सजायाफ्ता अभियुक्त को जेल नहीं भेजा गया है। यह खुलासा तब हुआ जब मैंने उच्च न्यायालय में सूचना अधिकार के तहत एक अर्जी डाली थी। उच्च न्यायालयों में विगत 20 सालों से अभियुक्तों के मामले विचाराधीन पड़े हुए हैं। इन सभी मामलों में, निचली अदालतों ने अभियुक्तों को सजा दी हुई है” 
 
हालांकि पीड़ित एवं उनके परिवार को न्याय का इंतजार रहता है जबकि आरोपित जमानत पर छुट्टा घूमते हैं, पटेल ने बताया कि साल 2000 से ही 833 मामले उच्च न्यायालय में लंबित हैं, इनमें कई आरोपितों की इस दौरान मौत भी हो चुकी है।
 
पटेल ने कहा, “पीड़ित एवं उनके परिजनों पर हमले के आरोपितों का जमानत पर रिहा हो जाना, प्रदेश के लिए कोई असामान्य बात नहीं है। मैंने गुजरात मानवाधिकार आयोग में इस बाबत अपील की है और मैं उसके जवाब का इंतजार कर रहा हूं।”
 
हाईकोर्ट ने अभियुक्तों को जमानत दे दी है, जिन्होंने जातिगत दबंगई दिखाने, शिकायतकर्ताओं से प्रतिशोध लेने के लिए उन पर हमले किए थे और मुकदमे वापस लेने के लिए उन पर प्रबल दबाब भी बना रहे हैं।
 
उना में हुई वारदात के दो साल बाद, 2018 में, जमानत पाए एक अभियुक्त ने रमेश सरवैया एवं उनके भतीजे अशोक सरवैया पर हमला कर दिया था। 2019 तक तो 43 में से 21 अभियुक्तों, जिनमें एक मुख्य अभियुक्त किरनसिंह दरबार भी शामिल है, उनको भी जमानत मिल गई थी।
 
अपराध अन्वेषण विभाग ने एक ऐसे ही अभियुक्त की पहचान की है, जिसे एक वीडियो में सरवैया पर हमला करते दिखाया गया है। यह वीडियो व्यापक रूप से प्रसारित किया गया था और चार्जशीट में भी इसका हवाला दिया गया है।
 
इसी साल, मामले में लोक अभियोजक दिपेन्द्र यादव ने सरकार से अपने लिए एक कार्यालय की मांग की ताकि वे गवाहों को तैयार कर सकें और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करा सकें।

परमार सरवैया परिवार के वकील गोविंद परमार ने न्यूजक्लिक से कहा “उन्हें (दिपेन्द्र यादव) को सुरक्षा तो मुहैया करा दी गई लेकिन सरकार ने उन्हें ऑफिस नहीं दिया। अब वह लॉबी में या खुली जगह में अपने गवाहों को तैयार नहीं करा सकते, इसमें जोखिम है। ऐसे कई दृष्टांत हैं, जिनमें आरोपित गवाहों को अपनी कार में ले उड़े हैं और उन्हें गुमराह होने पर मजबूर कर दिया है,” 
 
फरवरी से जुलाई 2019 के बीच, जातिगत अत्याचार के पांच मामलों के पीड़ितों पर अभियुक्तों ने हमला बोल दिया था। इनमें राजकोट, बोटाड और सुरेन्द्रनगर जिले के तीन पीड़ितों की तो अभियुक्तों ने और उनके परिवार वालों ने हत्या ही कर दी थी।
 
उनमें से एक प्रकाश परमार (32) मजदूर भी थे, जो थानगढ, सुरेन्द्रनगर में अम्बेडकरनगर के निवासी थे, उनकी भी हत्या कर दी गई। उनके चाचा सुरेश परमार को दरबार के गुंडे नरेश धंधल और देवराज जालू ने जून 2019 में गोली मारकर हत्या कर दी थी।
 
सुरेश के संबंधियों द्वार दायर किए गए मामले में धांधल मुख्य अभियुक्त है। जमानत पर छूटने के बाद, धांधल एवं उसके दो शागिर्द सुरेश के घर पर उनके संबंधियों की तलाश में जा धमके थे।
 
घर पर सुरेश के संबंधियों को न पा कर खीझे धांधल ने प्रकाश पर दरांती से हमला कर दिया था, जिससे उसके सिर में गहरा जख्म हो गया था। जब सुरेश ने इसमें बीच-बचाव की कोशिश की तो धांधल ने अपने रिवाल्वर से उन पर फायर कर दी। हमले में गंभीर रूप से घायल सुरेश और प्रकाश को राजकोट के सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां प्रकाश की मौत हो गई थी।
 
पीड़ितों के कुछ परिवार आरोपितों के अत्याचार के भय से गांव छोड़ कर भाग गए हैं। पीयूष का परिवार तो उनके भाई की अपने ही गांव की ऊंच्ची जाति के लोगों द्वारा हत्या किए जाने के बाद से अंकोलाली से भाग कर, गिर सोमनाथ के धेलावारा गांव में रहने लगा है। हालांकि उन्होंने उना में रहने की कोशिश की थी पर वे अपनी सुरक्षा को लेकर बहुत डरे हुए थे। बाद में, 11 लोगों के परिवार को मजबूरन अपनी ही राज्य सरकार से शरणार्थी का दर्जा लेना पड़ा।
 
अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।
Gujarat: Accused in 833 Cases of Caste Atrocities Out on Bail

Caste Atrocities
Gujarat
right to information
Gujarat Human Rights Commission

Related Stories

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?

लखनऊ: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत के साथ आए कई छात्र संगठन, विवि गेट पर प्रदर्शन

हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया

खंभात दंगों की निष्पक्ष जाँच की मांग करते हुए मुस्लिमों ने गुजरात उच्च न्यायालय का किया रुख

गुजरात: मेहसाणा कोर्ट ने विधायक जिग्नेश मेवानी और 11 अन्य लोगों को 2017 में ग़ैर-क़ानूनी सभा करने का दोषी ठहराया

ज़मानत मिलने के बाद विधायक जिग्नेश मेवानी एक अन्य मामले में फिर गिरफ़्तार

बैठे-ठाले: गोबर-धन को आने दो!

गुजरात : एबीजी शिपयार्ड ने 28 बैंकों को लगाया 22,842 करोड़ का चूना, एसबीआई बोला - शिकायत में नहीं की देरी

गुजरात में भय-त्रास और अवैधता से त्रस्त सूचना का अधिकार

गुजरात चुनाव: कांग्रेस की निगाहें जहां ओबीसी, आदिवासी वोट बैंक पर टिकी हैं, वहीं भाजपा पटेलों और आदिवासियों को लुभाने में जुटी 


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई
    17 May 2022
    मुण्डका की फैक्ट्री में आगजनी में असमय मौत का शिकार बने अनेकों श्रमिकों के जिम्मेदार दिल्ली के श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर उनके इस्तीफ़े की माँग के साथ आज सुबह दिल्ली के ट्रैड यूनियन संगठनों…
  • रवि शंकर दुबे
    बढ़ती नफ़रत के बीच भाईचारे का स्तंभ 'लखनऊ का बड़ा मंगल'
    17 May 2022
    आज की तारीख़ में जब पूरा देश सांप्रादायिक हिंसा की आग में जल रहा है तो हर साल मनाया जाने वाला बड़ा मंगल लखनऊ की एक अलग ही छवि पेश करता है, जिसका अंदाज़ा आप इस पर्व के इतिहास को जानकर लगा सकते हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    यूपी : 10 लाख मनरेगा श्रमिकों को तीन-चार महीने से नहीं मिली मज़दूरी!
    17 May 2022
    यूपी में मनरेगा में सौ दिन काम करने के बाद भी श्रमिकों को तीन-चार महीने से मज़दूरी नहीं मिली है जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • सोन्या एंजेलिका डेन
    माहवारी अवकाश : वरदान या अभिशाप?
    17 May 2022
    स्पेन पहला यूरोपीय देश बन सकता है जो गंभीर माहवारी से निपटने के लिए विशेष अवकाश की घोषणा कर सकता है। जिन जगहों पर पहले ही इस तरह की छुट्टियां दी जा रही हैं, वहां महिलाओं का कहना है कि इनसे मदद मिलती…
  • अनिल अंशुमन
    झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध
    17 May 2022
    कॉपी जांच कर रहे शिक्षकों व उनके संगठनों ने, जैक के इस नए फ़रमान को तुगलकी फ़ैसला करार देकर इसके खिलाफ़ पूरे राज्य में विरोध का मोर्चा खोल रखा है। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License