NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए जम्मू कश्मीर की सियासी दलों ने बनाया पीपुल्स अलायन्स फॉर गुपकर डिक्लेरेशन
एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में हाल ही में गठित गठबंधन ने इस बात की घोषणा की है कि धारा 370 एवं 35ए की बहाली के साथ-साथ जम्मू कश्मीर के संविधान एवं विशेष राज्य के दर्जे की बहाली को लेकर उनका संघर्ष जारी रहेगा।
अनीस ज़रगर
16 Oct 2020
sag
चित्र सौजन्य: डेक्कन हेराल्ड

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ़्ती के 14 माह लम्बी हिरासत से छूटने के कुछ दिनों के भीतर ही तमाम राजनीतिक दलों के सदस्यों, जिनमें मुफ़्ती भी शामिल थीं, ने वरिष्ठ नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) नेता फारूक अब्दुल्लाह के निवास पर मुलाक़ात की, जिसमें गुपकर घोषणा के तहत पारित जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा बहाल किये जाने के प्रस्ताव को आगे बढाने का फैसला लिया गया। इस घोषणा पर हस्ताक्षर पिछले वर्ष 5 अगस्त के दिन अनुच्छेद 370 हटाए जाने से एक दिन पूर्व ही किया जा चुका था।

बृहस्पतिवार को संपन्न हुई इस बैठक के उपरान्त केंद्र द्वारा पिछले वर्ष उठाये गए क़दमों का विरोध करने के लिए विभिन्न पार्टियों ने आपस में मिलकर बनाए मोर्चे को पीपुल्स अलायन्स फॉर गुपकर डिक्लेरेशन नाम दिया है। 

एनसी अध्यक्ष अब्दुल्ला ने इस बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा “हमारी यह लड़ाई एक संवैधानिक लड़ाई है, हम चाहते हैं कि भारत सरकार राज्य की जनता को उनके अधिकार वापस करे, जो 5 अगस्त 2019 से पहले तक उनको हासिल थे।”

गुपकर डिक्लेरेशन को हस्ताक्षरित करने वाले लोग इस बैठक में शामिल हुए, जिसमें पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सजाद गनी लोन, सीपीआई(एम) नेता मोहम्मद युसूफ तारीगामी, एएनसी के उपाध्यक्ष अहमद शाह और जेकेपीएम नेता जावेद मुस्तफ़ा मीर जैसे कई क्षेत्रीय मुख्यधारा के राजनीतिक नेताओं ने शिरकत की।

इस घोषणा को कांग्रेस प्रमुख जीए मीर द्वारा भी समर्थन दिया गया है, जो कि इस घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में से थे। हालाँकि कोविड-19 कारणों का हवाला देते हुए वे इस बैठक में शामिल नहीं हो सके। महबूबा की रिहाई के बाद जाकर यह बैठक फारूक और उनके बेटे ओमर अब्दुल्लाह द्वारा आहूत की गई थी, और पीडीपी नेता द्वारा इस आमंत्रण को मंजूर किया गया था।

बृहस्पतिवार को हुई इस मीटिंग को पिछले साल अगस्त के बाद से इस क्षेत्र में बेहद अहम राजनीतिक मोड़ के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि उस दौरान केंद्र सरकार द्वारा धारा 370 को निरस्त करने के इकतरफा फैसले पर किसी भी प्रकार के विरोध को रोकने के उपाय के तौर पर सभी मुख्यधारा के राजनीतिज्ञों को हिरासत में ले लिया गया था। 

कई महीनों की हिरासत के बाद जाकर कहीं इनमें से कई नेताओं को “चरणबद्ध तरीके” से एक-एक कर रिहा कर दिया गया था, लेकिन बड़े पैमाने पर हिरासत में रखे जाने एवं बदले की कार्यवाही के डर से इस क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधियाँ एक तरह से पूरी तरह से ठप पड़ी हुई थीं।न्यूज़क्लिक से बात करते हुए पीडीपी प्रवक्ता सुहैल बुखारी का वक्तव्य था “यह एक बेहद अहम बात हुई है। इस मामले में वैचारिक आम सहमति तो पहले से बनी हुई थी। आज जाकर इसपर औपचारिक मुहर लगी है। हम उम्मीद करते हैं कि यह हमारे हक़ की खातिर सामूहिक लड़ाई के हमारे संकल्प में तब्दील होने में मदद करेगा।”

नेताओं ने कहा कि भविष्य की राजनीति बृहस्पतिवार की बैठक के आधार पर निर्मित होगी और जैसे ही आगे की योजना तय होती है लोगों को इस बारे में सूचित कर दिया जायेगा।22 अगस्त को हस्ताक्षरकर्ताओं ने एक संयुक्त बयान को जारी कर इस प्रस्ताव के प्रति अपनी वचनबद्धता को दोहराया था। संयुक्त बयान में कहा गया था कि “हम सभी इस बात को दोहराते हैं कि हम गुपकर घोषणा की अंतर्वस्तु को लेकर पूरी तरह से वचनबद्ध हैं और इसका पूरी तरह से पालन करेंगे।” 

नेताओं ने आगे कहा था कि वे “अनुच्छेद 370 एवं 35ए की पुनर्बहाली, जम्मू-कश्मीर के संविधान और राज्य की बहाली” को लेकर प्रतिबद्ध हैं, और जम्मू-कश्मीर का किसी भी प्रकार का विभाजन उनके लिए “अस्वीकार्य” है। मेहबूबा मुफ़्ती जो उस दौरान भी हिरासत में ही बनी हुई थीं ने फारूक अब्दुल्लाह फोन काल के जरिये इस संयुक्त घोषणा के प्रति अपने समर्थन का इजहार कर दिया था। वहीँ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और पूर्व पीडीपी मंत्री अल्ताफ़ बुखारी के नेतृत्व वाली जम्मू एंड कश्मीर अपनी पार्टी ने गुपकर हस्ताक्षरकर्ताओं से अपनी दूरी बनाकर रखी हुई है। जहाँ बीजेपी ने निरस्तीकरण के प्रति अपने समर्थन को जारी रखा है वहीँ अपनी पार्टी जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किये जाने वाले मुद्दे पर मुखर बनी हुई है, जोकि कुछ ऐसा है जिसपर बीजेपी को अपनी राजनीतिक बिसात बिछाने में कोई दिक्कत नहीं है।भले ही बुखारी की अपनी पार्टी 5 अगस्त के बाद के कश्मीर में सबसे प्रमुख दल के तौर पर चाल चलती लग सकती है, लेकिन दरअसल यह फारूक के नेतृत्व वाली नेशनल कांफ्रेंस है जो कि फिलवक्त घटनाक्रमों के केंद्र में है और जो इस क्षेत्र में एक नए राजनीतिक परिदृश्य को आकार दे रहे हैं।

 

 


 

Gupkar Declaration
jammu kashmir
article 370 and gupkar decalaration

Related Stories

जम्मू कश्मीर की Delimitation की रिपोर्ट क्या कहती है?

कुछ सरकारी नीतियों ने कश्मीर में पंडित-मुस्लिम संबंधों को तोड़ दिया है : संजय टिक्कू

नई दिल्ली ने आख़िरकार कश्मीर के राजनीतिक दलों के लिए खोले बातचीत के दरवाज़े

जम्मू: सार्वजनिक कुएं से पानी निकालने पर ऊंची जातियों के लोगों पर दलित परिवार की पिटाई करने का आरोप

सुप्रीम कोर्ट का रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने का फ़ैसला कितना मानवीय?

जम्मू-कश्मीर के डीडीसी चुनावों का महत्व

उमर, महबूबा ने विपक्षी गठबंधन को ‘गुपकर गैंग’ कहने पर अमित शाह को लताड़ा

गुप्कर घोषणा की बहाली : जम्मू-कश्मीर में आशा और आशंका की लहर

बाक़ी एजेंडे 2024 से पहले ही क्यों पूरा करना चाहता है RSS

राजौरी जिले में बस के खाई में गिरी, 10 की मौत, 36 घायल


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License