NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
“गुप्कर घोषणा” कश्मीर में राजनीति के भविष्य की आधारशिला साबित हो सकती है!
एक राजनीतिक कार्यकर्ता, जिनकी पहुंच शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ़्रेंस सेंटर (SKICC) तक थी, जहाँ पर 30 से अधिक नेताओं को हिरासत में रखा गया है, का कहना है कि सभी राजनैतिक दलों पीडीपी, नेशनल कॉन्फ़्रेंस और पीपल्स कॉन्फ़्रेंस के बीच पहले से ही एक संयुक्त मोर्चे का स्वरूप निकल कर आ रहा है।
अनीस ज़रगर
21 Oct 2019
kashmir

एक ऐसे समय में जब तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित राज्य के शीर्ष नेतृत्व को हिरासत में रखा गया है, एक बदलाव की जड़ें अपना स्वरूप ग्रहण कर रही हैं जिसे मुख्यधारा के राजनीतिज्ञ ‘गुप्कर घोषणा’ के रूप में उधृत कर रहे हैं और जिससे यह उम्मीद की जा रही है कि यह कश्मीर के भविष्य की राजनीति की दिशा को तय करेगी।

चूँकि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर में भीषण पाबंदी लागू कर दी, सैंकड़ों नेताओं को गिरफ़्तार कर लिया, जिनमें से कुछ को उनके घरों में नज़रबंद किया गया है, जबकि कईयों को होटल से जेल में तब्दील स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया है। हिरासत में रखे गए लोगों में राज्य के भूतपूर्व मुख्यमंत्री- फ़ारूक़ अब्दुल्ला, अमर अब्दुल्ला और मेहबूबा मुफ़्ती शामिल हैं। वरिष्ठ नेताओं में सिर्फ़ फ़ारूक़ अब्दुल्ला ही हैं जिन्हें पब्लिक सेफ़्टी एक्ट (पीएसए) के तहत घर में नज़रबंद किया गया है।

जहाँ एक ओर कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को 24 अक्टूबर को होने वाले खंड विकास परिषद चुनावों (बीडीसी) को ध्यान में रखते हुए रिहा कर दिया गया है, वहीं उनमें से कुछ को अपने चुनाव क्षेत्रों का दौरा करने तक की इजाज़त नहीं है। दोनों दलों नेशनल कॉन्फ़्रेंस (एनसी) और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के सदस्यों के अनुसार, अभी भी राजनीतिक स्थान “दमघोंटू” बना हुआ है और नेताओं की हालत ‘पस्त’ है।
जैसा कि पर्यवेक्षकों ने मौजूदा संकट का जायज़ा लिया है, उसके अनुसार इसने धुर विरोधी पीडीपी और नेशनल कॉन्फ़्रेंस को ‘एकजुट’ करने का काम किया है। अनंतनाग से पूर्व सांसद हसनैन मसूदी का कहना है कि उन्हें उम्मीद है 5 अगस्त को विभिन्न पार्टियों के नेताओं की गुप्कर मीटिंग की प्रष्ठभूमि में भविष्य की राजनीति का ख़ाका अपना स्वरूप ग्रहण करेगा।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए मसूदी का कहना है, “अगस्त में सभी राजनैतिक दलों के नेता एक घोषणा के साथ सामने आए थे, जिसमें उन्होंने विशेष दर्जे की लड़ाई को लड़ने का संकल्प लिया था। उसके बाद हालात बदल गए, लेकिन जैसे ही ये लोग रिहा होते हैं, मेरा विश्वास है कि गुप्कर से निकले संदेश की निरंतरता में विचार-विमर्श आगे जारी रहेगा।”

मसूदी 31 अक्टूबर तक अपने वरिष्ठ पार्टी नेतृत्व की रिहाई को लेकर आश्वस्त हैं। उनके अनुसार इस प्रकार की किसी भी गतिविधि के लिए ज़मीनी आधार नेताओं की रिहाई के बाद ही बनना शुरू होगा।

सरकार द्वारा सर्वसम्मति से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित राज्यों में तब्दील कर उसके अस्तित्व को छोटा करने से एक दिन पूर्व 4 अगस्त को, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को छोड़कर सभी राजनैतिक दलों के नेताओं ने डॉ फ़ारूक़ अब्दुल्ला के गुप्कर आवास पर मुलाक़ात की और सुरक्षा बलों की भारी संख्या में तैनाती से पैदा हुई दहशत, केंद्र सरकार की ओर से जारी तमाम एडवाइज़री के साथ अमरनाथ यात्रा पर रोक और घाटी से पर्यटकों को ख़ाली किये जाने पर चर्चा की।

मीटिंग में, पार्टी नेतृत्व ने “राज्य की पहचान, स्वायत्तता और विशेष राज्य के दर्जे” की रक्षा के लिए “एकजुट होने और एकजुट खड़े रहने” का संकल्प लिया जिसे गुप्कर घोषणा का नाम दिया गया है।

उसके बाद से सभी राजनेता हिरासत में ही हैं।

राजनीतिज्ञों की रिहाई के सवाल पर पीडीपी के एक वरिष्ठ नेता जो हाल तक घर में नज़रबंद थे, मसूदी की तरह आशान्वित नहीं हैं, लेकिन मसूदी की तरह मानते हैं कि भविष्य का राजनीतिक ख़ाका 4 अगस्त की गुप्कर मीटिंग में खींचा जा चुका है।

अपना नाम न बताने की शर्त पर पीडीपी नेता कहते हैं कि “यह उन सभी लोगों के लिए एक नैतिक बंधन है जो गुप्कर में इकट्ठा हुए थे और एक घोषणा के साथ सामने आए थे। समय की मांग है कि वे एक साथ जुड़ें और इसे निर्मित करें। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो यह विश्वासघात होगा।

मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के नेता चुनावी राजनीति में भाग लेंगे या नहीं, यह देखना अभी बाक़ी है, लेकिन पीडीपी में पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने न्यूज़क्लिक को बताया कि कई लोगों ने पहले ही अपनी इच्छा ज़ाहिर कर दी है कि वे अब इसका हिस्सा नहीं बनेंगे।

एक राजनीतिक कार्यकर्ता, जिनकी शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ़्रेंस सेंटर (SKICC) तक पहुंच थी, जहां 30 से अधिक नेताओं को हिरासत में रखा गया है के अनुसार, पहले से ही पीडीपी, नेशनल कॉन्फ़्रेंस और पीपल्स कॉन्फ़्रेंस जैसे सभी राजनीतिक दलों के बीच से एक नया 'संयुक्त मोर्चा' उभर रहा है। नेशनल कॉन्फ़्रेंस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि उन्हें तब तक रिहा न किया जाए, जब तक पीडीपी के एक अन्य वरिष्ठ नेता की भी रिहाई नहीं होती।

SKICC में पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों और नेताओं की तरह, मसूदी के अनुसार, नेशनल कॉन्फ़्रेंस के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व, ख़ास तौर पर उमर अब्दुल्ला ने उनसे कहा है कि जब तक सभी को रिहा नहीं किया जाता, तब तक वे अपने लिए किसी क़िस्म के क़ानूनी उपायों की तलाश नहीं करेंगे।

मसूदी कहते हैं, “वे किसी क़िस्म का क़ानूनी उपचार लेने के पक्ष में नहीं हैं; उनकी चिंता सभी नेताओं को लेकर है चाहे वे किसी भी दल से हों और उनकी माँग है कि एक साथ सभी की रिहाई हो।

मसूदी के अनुसार, “जहाँ हमें SKICC के भीतर तमाम राजनीतिक पार्टियों के नेतृत्व के बीच एकजुटता दिखाई देती है वहीं इन दलों के भीतर एक दोषपूर्ण लकीर भी खिंचती नज़र आती है।”

कई लोगों का मानना है कि सबसे बड़ी ग़लती यह है कि नेताओं में इस बात को लेकर मत भिन्नता है कि भविष्य में चुनावी राजनीति में हिस्सा लिया जाना चाहिए या नहीं।

हालाँकि मसूदी कहते हैं कि असल मुद्दा चुनावी राजनीति में भाग लेने के सवाल से काफ़ी बड़ा है। वे आगे जोड़ते हैं, “यह चुनावी राजनीति का आसान प्रश्न नहीं है, बल्कि वर्तमान परिस्थति के मद्देनज़र किस प्रकार का रुख इख़्तियार करें, यह सबसे बड़ा सवाल है।”

Gupkar Declaration
Jammu and Kashmir
Kashmir conflict
Abrogation of Article 370
PDP
NC
Farooq Abdullah
mehbooba mufti
People’s Conference
BJP
Amit Shah

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License