NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
ग्वालियर : केंद्रीय मंत्री और विधायक 'जातीय हिंसा' के आरोपी के कार्यक्रम में शामिल होंगे
ऋषभ भदौरिया पर 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद के दौरान हत्या और जातिगत हिंसा भड़काने का आरोप है। उसके ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 302, 147, 148, 149 और एससी/एसटी एक्ट 1989 की धारा 25/27, 3(2)(वी) के तहत मामला दर्ज किया गया था। भदौरिया फ़िलहाल ज़मानत पर बाहर है।
काशिफ काकवी
19 Oct 2019
gwalior

भोपाल: 2 अप्रैल 2018 को हुए ग्वालियर जाति हिंसा मामले में कथित हत्या का मुख्य आरोपी ऋषभ भदौरिया क्षत्रिय (उच्च जाति) समाज के नेताओं का एक सम्मेलन आयोजित कर रहा है जिसमें एक केंद्रीय मंत्री, दो कैबिनेट मंत्री, एक पूर्व मंत्री और विधान सभा के सदस्य को मुख्य अतिथि के रूप में शामिल किया गया है।

आधिकारिक प्रेस नोट के अनुसार केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर; मध्य प्रदेश कांग्रेस सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ. गोविंद सिंह और प्रद्युम्न सिंह तोमर; पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया; दिग्गज कांग्रेसी नेता और पूर्व सीएम अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह; कई अन्य कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हैं।

'क्षत्रिय समागम 2019 - दशहरा मिलन और प्रतिभा सम्मान समारोह’ 22 अक्टूबर 2019 को ग्वालियर के जेवाईएमएस क्लब ग्राउंड में होना निर्धारित है। नेताओं के अलावा 11 क्षत्रिय समाज के नेता जिनमें करणी सेना के सदस्य शामिल हैं इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले हैं। ये कार्यक्रम के पर्चे में लिखा गया है।

kshatriya samagam.jpeg

kshatriya samagam-2.jpeg

हालांकि, आयोजक ऋषभ भदौरिया पर गल्ला-कोठा (ग्वालियर) के 25 वर्षीय दीपक जाटव की कथित रूप से हत्या करने और हिंसा के दौरान जानलेवा हथियारों से दंगा भड़काने का आरोप है। वह करणी सेना से जुड़ा है और ज़मानत पर बाहर है।

अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ विभिन्न दलित समूहों द्वारा बुलाए गए भारत बंद के दौरान हिंसा भड़क गई थी। मध्य प्रदेश में केवल चंबल इलाक़े में पांच दलितों सहित सात लोगों की हत्या कर दी गई थी।

ग्वालियर में हुई हिंसा में ऋषभ मुख्य आरोपी है। हिंसा के दौरान गोली चलाने का उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था और इसे नेशनल टेलीविज़न पर दिखाया गया था। घटना के कुछ दिनों बाद ऋषभ को 7 अप्रैल 2018 को ग्वालियर के थाटीपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज किए गए मामले में आईपीसी की धारा 302, 147, 148, 149 और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(2)(वी) के तहत गिरफ़्तार किया गया था। बाद में जांच करने पर धारा 25/27 जोड़ी गई।

लेकिन उसे कुछ महीने पहले निचली अदालत ने 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतने ही राशि के दो अन्य गवाहों के मुचलके पर हस्ताक्षर करने के बाद जमानत दे दिया। अदालत ने कहा था कि अगर वह सुनवाई की तारीख़ पर पेश नहीं होते हैं तो उनकी ज़मानत रद्द कर दी जाएगी।

भारत बंद के दौरान कई राज्यों में हिंसा भड़क गई थी। इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया था। ख़ासकर हिंदी भाषी राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और झारखंड काफ़ी ज़्यादा प्रभावित हुए। उधर मध्य प्रदेश का ग्वालियर-चंबल क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ था।

क्षत्रिय समागम

विडंबना यह है कि बांटे गए पर्चे के अनुसार ग्वालियर क्राइम ब्रांच पुलिस के एक अधिकारी दिनेश सिंह चौहान ऋषभ द्वारा किए जा रहे इस आयोजन के सह-आयोजक भी हैं।

संपर्क करने पर अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के ज़िला प्रमुख और आयोजन समिति के सदस्य गोपाल सिंह तोमर ने यह कहकर आयोजन में उनकी मौजूदगी को उचित ठहराया कि “ऋषभ आरोपी ज़रूर लेकिन उसे अपराधी साबित नहीं किया गया है। उसका मामला अभी भी अदालत में चल रहा है।”

यह पूछे जाने पर कि ये समुदाय ऐसे आयोजनों में उसकी मौजूदगी को क्यों नहीं रोक रहा है जब तक कि वह अदालत द्वारा दोषी नहीं साबित हो जाता है और जिसमें केंद्रीय मंत्री और मौजूदा मंत्री हिस्सा ले रहे हैं तो तोमर ने कहा, "समाज (क्षत्रिय) नहीं मानता कि उसने कोई अपराध किया है। इसीलिए वह इस कार्यक्रम को आयोजित करने में सक्षम है और समाज का समर्थन भी है।”

दलित समुदाय के एक नेता रामबाबू जाटव जो राज्य के चंबल क्षेत्र में दलित अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं उन्होंने इस तरह की घटनाओं पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, “यह हमारे चेहरे पर एक तमाचा है। हमारे लोग मारे गए, हम पर हमला किया गया और हमारे घरों में तोड़फोड़ की गई। फिर भी, हमारे ही ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गईं। जबकि चंबल क्षेत्र के दलित अभी भी डर में जी रहे हैं, हिंसा का मुख्य आरोपी जो ज़मानत पर बाहर है वह समारोह का आयोजन कर रहा है और केंद्रीय व राज्य मंत्री इसमें मुख्य अतिथि हैं। यह न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि एक शर्मनाक बात है।”

वे कहते हैं, “उसे समाज से अलग करके सबक सिखाने के बजाय वे (क्षत्रिय) उसे एक नायक के रूप में बता रहे हैं। मंत्रियों और नेताओं को इस आयोजन का बहिष्कार करना चाहिए।"

फ़ोन पर बात करते हुए जाटव ने यह भी इशारा किया है कि आरोपी का केंद्रीय मंत्री तोमर के साथ अच्छा संबंध है जो इस मामले में उसकी मदद करते रहे हैं।

कई बार कोशिश किए जाने के बावजूद ग्वालियर के एसपी नवनीत भसीन से संपर्क नहीं हो पाया।

अंग्रेजी में लिखा मूल लेख आप नीचे लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं। 

Gwalior: Union Ministers, MLAs to Attend Event Organised by Caste Violence Accused

Bharat Bandh
Caste Violence in MP
Madhya Pradesh
SC ST Prevention of Atrocities Act
Violence Against SCs
Kshatriya Samagam
Caste Violence in Gwalior
Narendra Singh Tomar
Deepak Jatav
karni Sena
gwalior
Rishabh Bhadoriya

Related Stories

परिक्रमा वासियों की नज़र से नर्मदा

कड़ी मेहनत से तेंदूपत्ता तोड़ने के बावजूद नहीं मिलता वाजिब दाम!  

मनासा में "जागे हिन्दू" ने एक जैन हमेशा के लिए सुलाया

‘’तेरा नाम मोहम्मद है’’?... फिर पीट-पीटकर मार डाला!

कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी

एमपी ग़ज़ब है: अब दहेज ग़ैर क़ानूनी और वर्जित शब्द नहीं रह गया

मध्यप्रदेशः सागर की एग्रो प्रोडक्ट कंपनी से कई गांव प्रभावित, बीमारी और ज़मीन बंजर होने की शिकायत

सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License