NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
हाईकोर्ट के फ़ैसले का मज़ाक़! न्यूनतम वेतन की जगह महज़ 1800 रुपये महीना!
बबीता और रमेश ने नैनीताल हाईकोर्ट में समान कार्य-समान वेतन की मांग को लेकर वर्ष 2018 में याचिका दाखिल की। अदालत ने ज़िलाधिकारी को न्यूनतम वेतन के आदेश दिए, जिस पर ज़िलाधिकारी ने मात्र पांच रुपये प्रति घंटे वेतन में इज़ाफ़ा किया।
वर्षा सिंह
18 Sep 2019
sfai karmachari
बबीता वाल्मीकि और रमेश वाल्मीकि, साभार - न्यूज़ 18

“लिखित में 3 घंटे का काम दिया है। लेकिन दोपहर क्या कभी-कभी पूरा दिन ही निकल जाता है। कभी-कभी तो इतवार को अधिकारी तहसील पहुंच जाएं, तो हमारा इतवार भी चला जाता है। वर्ष 2005 में 100 रुपये मासिक वेतन से शुरुआत की थी। जो बढ़ते-बढ़ते 1200 रुपये मासिक हुई। 19 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से रोज के तीन घंटे का वेतन मिलता है। वो भी हर महीने नहीं। कभी छह महीने पर आता है, तो कभी साल-साल भर लग जाते हैं। इतवार की छुट्टी तक का पैसा कट जाता है।”

ये बबीता वाल्मीकि है, जो नैनीताल की लालकुआं तहसील में पार्ट टाइम सफाई कर्मचारी है। वो बताती है कि “हर तहसील में एक सफाई कर्मी है। लालकुआं तहसील में करीब 14-15 ऑफिस और 14-15 टायलेट हैं। नालियां और बगीचों की भी सफाई करनी होती है। 1200 रुपये से क्या आज के समय में किसी का गुजारा हो सकता है। इतने वर्षों में कितने ही जिलाधिकारी आए। सभी को प्रार्थनापत्र दिया। जब कहीं बात नहीं बनी तो हमने नैनीताल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वकील ने हमसे फीस नहीं ली। बोला- जब तुम 1200 रुपये महीना कमाती हो तो मुझे क्या फीस दोगी। नैनीताल हाईकोर्ट ने हमारे पक्ष में फ़ैसला सुनाया और हमें न्यूनतम वेतन दिये जाने का निर्देश दिया। इस फैसले के बाद उस समय जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन ने हमें बुलाया और पांच रुपये प्रति घंटा वेतन बढ़ाने का लिखित आदेश जारी किया। हमें न्याय दिला दो।”

बबीता के पति तिलकराम भी मज़दूरी करते हैं। पांच बच्चे हैं, जो स्कूल जाते हैं।

समान कार्य-समान वेतन की आस में रमेश वाल्मीकि भी बबीता के साथ नैनीताल हाईकोर्ट गए थे। वह भी बबीता की तरह नैनीताल की कालाढूंगी तहसील में पार्ट टाइम सफाई कर्मचारी हैं। रमेश वर्ष 1990 से यहां काम कर रहे हैं। कहते हैं कि उम्मीद थी कि एक न एक दिन हमें भी स्थायी नौकरी मिल जाएगी। इसी उम्मीद में इतने बरस गंवा दिये। रमेश और बबीता की तरह और भी सफाई कर्मचारी हैं जिन्होंने स्थायी नियुक्ति या संविदा पर रखे जाने की उम्मीद में कई-कई बरस गुजार दिए। रमेश कहते हैं कि हमने उनसे भी कोर्ट चलने के लिए पूछा, लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। हमारी गुजर-बसर नहीं हो पा रही, इसलिए हम अदालत गए।

बबीता और रमेश ने नैनीताल हाईकोर्ट में समान कार्य-समान वेतन की मांग को लेकर वर्ष 2018 में याचिका दाखिल की। साथ ही नौकरी में नियमित किये जाने की अपील भी की।

नैनीताल हाईकोर्ट में दोनों के वकील गणेश कांडपाल कहते हैं कि अदालत ने पिछले वर्ष 14 नवंबर को जिला अधिकारी को दोनों सफाई कर्मचारी को न्यूनतम वेतन के आदेश दिए। जिस पर जिलाधिकारी ने मात्र पांच रुपये प्रति घंटे वेतन में इजाफा किया। ये तो एक मज़ाक है। 

आपको बता दें कि इस बढ़ोतरी के हिसाब से अब सफ़ाई कर्मचारियों का वेतन 24 रुपये प्रति घंटा हो जाएगा, यानी 3 घंटे के हिसाब से उनको प्रति महीना(26 दिन) 1872 रुपये मिलेंगे।

गणेश कांडपाल कहते हैं कि सातवें वेतन आयोग के मुताबिक राज्य सरकार ने न्यूनतम वेतन 18 हज़ार तय किया है। केंद्र के कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 21 हज़ार है। ऐसे में रमेश और बबीता को अब तक 12सौ रुपये प्रति माह वेतन मिल रहा था, जो अब बढ़कर 18 सौ रुपये के आसपास पहुंच गया है।

हाई कोर्ट के आदेश के बाद नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन ने 17 जून को एक आदेश निकाला। जिसमें तमाम नियम-कानून बताते हुए प्रति दिन के पारिश्रमिक 19 रुपये प्रति घंटे में पांच रुपये प्रति घंटे की बढ़ोतरी की। आदेश में लिखा कि इनका कार्य सुबह छह बजे या सात बजे शुरू होता है और दस बजे खत्म हो जाता है।

dm order.png

बबीता पूछती है कि क्या यही इंसाफ़ है। हमारी इतनी भागदौड़ का यही नतीजा है।

इसी वर्ष श्रम विभाग ने राज्य में कुशल, अर्द्धकुशल, अकुशल और अतिकुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन बढ़ाया है। जिसके तहत अतिकुशल श्रमिकों को अब 9,574 रुपये प्रति माह दिया जाएगा। इससे पहले यह 6,080 रुपये प्रति माह था। जबकि अकुशल श्रमिकों का वेतन 5,050 रुपये से बढ़ाकर 8,300 हो गया है।

मुख्य नगर आयुक्त चंद्र सिंह मर्तोलिया बताते हैं कि निगम में कार्यरत सफाई कर्मचारियों को स्वच्छता समितियों के तहत 8230 रुपये दे रहे हैं जो शासन की ओर से तय किया गया है। कुछ सफाई कर्मचारी दैनिक मज़दूरी के हिसाब से भी रखे गये हैं। उनमें स्किल यानी कुशल श्रेणी के तहत लगभग 300 रुपये दिए जाते हैं। सफाई कर्मचारी तो अकुशल श्रेणी के तहत रखे जाते हैं। चंद्र सिंह मर्तोलिया कहते हैं कि तहसीलों में अलग तरह से सफाई कर्मचारी रखे जाते हैं। वहां किस हिसाब से श्रम तय किया जा रहा है, ये उनकी जानकारी में नहीं है।

नैनीताल के वर्तमान ज़िलाधिकारी सवीन बंसल ने मीडिया में कहा कि फिलहाल ये मामला उनके संज्ञान में नहीं है। वे इसकी जांच करेंगे।
राज्यभर में सफाई कर्मचारी असमान वेतन को लेकर अपनी आवाज़ मुखर करते रहे हैं। निगम में मोहल्ला स्वच्छता समितियों के माध्यम से सफाई कर्मचारियों को वेतन दिया जाता है। उसमें भी न्यूनतम तय वेतन नहीं मिलता। दैनिक वेतन पर कार्यरत सफाई कर्मचारियों का हश्र बबीता और रमेश की तरह ही है। बरसों तक काम करने के बावजूद, 21वीं सदी के न्यू इंडिया में उन्हें 2100 रुपये वेतन भी नहीं मिल रहा।

sfaai krmachachri
manual scavenger
utrakhand
nainital high court
minimum wage

Related Stories

पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल

सीवर कर्मचारियों के जीवन में सुधार के लिए ज़रूरी है ठेकेदारी प्रथा का ख़ात्मा

तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है

दिल्ली में 25 नवंबर को श्रमिकों की हड़ताल, ट्रेड यूनियनों ने कहा - 6 लाख से अधिक श्रमिक होंगे हड़ताल में शामिल

ट्रेड यूनियनों के मुताबिक दिल्ली सरकार की न्यूनतम वेतन वृद्धि ‘पर्याप्त नहीं’

पश्चिम बंगाल: ईंट-भट्ठा उद्योग के बंद होने से संकट का सामना कर रहे एक लाख से ज़्यादा श्रमिक

मिड डे मील में लाखों महिलाओं को मिला काम लेकिन हालात बंधुआ मज़दूरों से भी बदतर

खेत मज़दूर बने किसानों के ऐतिहासिक आंदोलन का अहम हिस्सा

खोज ख़बर :संविधान रक्षक किसान-मजदूर से भिड़ी मोदी सरकार

दिल्ली चलो: किसान सरकारी दमन के आगे झुकने वाले नहीं


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License