NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
हाउडी मोदी बनाम नमस्ते ट्रंप: अजीबो-ग़रीब समानताएं
इस्लाम से घृणा वाले विचारों को मोदी और ट्रंप प्रशासन फैलाते रहे हैं। दोनों ही मुस्लिमों के प्रति जातीय और सांप्रदायिक बयानबाज़ी करते रहते हैं।
वृंदा गोपीनाथ
26 Feb 2020
modi trump

ऐसा लगता है जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए आयोजित कार्यक्रम ''नमस्ते ट्रंप'', दिखावटी राजनीति और तड़क-भड़क में ह्यूस्टन में नरेंद्र मोदी के ''हाउडी मोदी'' के सर्कस पर भारी पड़ा है। बता दें गुजरात के अहमदाबाद में 22 फ़रवरी को नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

अहमदाबाद में एयरफोर्स वन (ट्रंप का विमान) की सीढ़ियों से मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम तक ज़बरदस्त नाच-गाना, प्रशंसा में लगाए जाने वाले नारों की भरमार थी। जब ट्रंप ने मोदी, भारत, विराट कोहली और बॉलीवुड के बारे में बात की, तो लोगों ने ज़बरदस्त तालियां बजाईं और खूब शोर-शराबा किया। 

ट्रंप पहले ही अपने मन की बात कह चुके थे। ट्रंप ने कहा था कि उनके स्वागत के लिए एयरपोर्ट से कार्यक्रम स्थल तक क़रीब सत्तर लाख से एक करोड़ लोग उपस्थित होंगे। फिर भी उनके क़ाफ़िले की सड़क पर 10 लाख लोगों के जमावड़े से ट्रंप बहुत खुश नज़र आए। पूरी सड़क पर यह लोग भारी-भरकम आनंदोत्सव का हिस्सा बने।

टिप्पणीकारों ने दोनों नेताओं के बारे में कई समानताएं भी बताईं। ट्रंप और मोदी खुद की व्यक्तिगत छवि को मजबूत और मर्दाना तरीके से पेश करते हैं। दोनों ही खुद को काफी ताक़तवर दर्शाते हैं। लेकिन ट्रंप और मोदी के बीच कुछ अजीबो-ग़रीब समानताएं भी हैं। दोनों अपने व्यक्तित्व से परे भी चले जाते हैं। क्या मोदी भी ट्रंप से अंधराष्ट्रवाद और कट्टरता की खूब सीख ले रहे हैं?

मोदी के डिटेंशन सेंटर का विचार सीधे अमेरिका से उधार लिया हुआ लगता है। क्या ट्रंप प्रशासन की प्रवासी विरोधी नीतियों ने भी मोदी के नागरिकता कानून, NPR और CAA को प्रभावित किया है? क्या मुस्लिम बहुसंख्यक देशों से आने वाले लोगों पर प्रतिबंध और शरणार्थियों पर लगाई गई नई बंदिशों से अमित शाह की धर्म आधारित जनगणना की नीति को कुछ हवा मिली होगी? अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने भी ट्रंप की इस प्रवासी विरोधी नीति को सही ठहराया है।

लेकिन मोदी-शाह की जोड़ी काफी आगे निकल गई और उन्होंने असम के गोलपारा में 46 करोड़ की लागत से पहला डिटेंशन सेंटर भी बना दिया। इसमें करीब 3,000 अवैध प्रवासी रह सकेंगे। असम में इनके लिए करीब 1600 करोड़ रुपयों की ज़रूरत है। पूरे देश में ऐसे कैंप बनाने के लिए 64,000 करोड़ रुपयों की ज़रूरत पड़ेगी। ध्यान रहे भारत का सालाना शैक्षणिक बजट ही करीब 96,000 करोड़ रुपये है।

भारत में भी मौजूदा नागरिता और डिटेंशन कानून के लिए सिर्फ मोदी और शाह जिम्मेदार नहीं हैं। भारत में डिटेंशन सेंटर खोलने का आदेश 2009 में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के आधार पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने दिया था। लेकिन अवैध तौर पर हिरासत में लिए गए लोगों को तीन साल बाद छोड़ना था। इसके लिए उनसे एक बांड भरवाया जाता। बांड के तहत उन्हें अपने करीबी पुलिस स्टेशन में हर हफ्ते उपस्थिति दर्ज करवानी थी। 

ट्रंप प्रशासन ने डिटेंशन सेंटर पर अरबों डॉलर खर्च किए। इसमें निजी उद्योगपतियों को भी शामिल किया गया। क्या मोदी-शाह की जोड़ी भी भारत में ऐसा ही करेगी और डिटेंशन सेंटर को बनाने-चलाने के लिए अरबों डॉलर के ठेके देगी। शाह साफ कह चुके हैं कि NRC-CAA पूरे देश में लागू होगा। कोई अंदाजा लगा सकता है कि अफसरशाही और पुलिसिया गलतियों से कितनी बड़ी मुसीबत आ सकती है। एक अरब से ज़्यादा लोगों के काग़जातों को जांचने के लिए कई अरब डॉलर खर्च किए जाएंगे। यह आपराधिक स्तर तक बेकार और पीछे ले जाने वाली कार्रवाई है।

वकालत से जुड़े कुछ समूहों के मुताबिक़, अमेरिकी करदाताओं के कई अरब डॉलर को निजी जेल कंपनियों को दिया जाता है। इनमें ''कोरसिविक'' और GEO समूह जैसी कंपनियां शामिल हैं, जिन्हें क्रमश: 60 मिलियन डॉलर और 250 मिलियन डॉलर मिलते हैं। इन्हें यह ठेके ''इमिग्रेशन एंड कस्टम एंफोर्समेंट'' ने 2018-19 के लिए दिए।

इस्लाम से घृणा करने वाले विचारों को भी मोदी और ट्रंप प्रशासन फैलाते रहे हैं। दोनों ही मुस्लिमों के प्रति जातीय और सांप्रदायिक बयानबाज़ी करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभालने के बाद से थोड़ा काबू कर रखा है, क्योंकि संविधान के मुताबिक वे किसी नागरिक के प्रति घृणा का भाव नहीं रख सकते। लेकिन दो महीने पहले ही उन्होंने झारखंड में मुस्लिमों पर सांप्रदायिक टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा, ''जो लोग आग लगाते हैं, उन्हें उनके कपड़ों से पहचाना जा सकता है।''

हाल ही में संपन्न हुए दिल्ली चुनावों में मोदी के सहयोगियों, जिनमें अमित शाह से लेकर उनके मंत्री तक शामिल हैं, सभी ने जमकर सांप्रदायिक भाषणबाजी की। इन नेताओं ने शांति से साथ विरोध करने वाली महिलाओं और बच्चों को गोली मारने के लिए भीड़ को उकसाया। ज़रूर मोदी और ट्रंप में ज़्यादा गिरी हुई टिप्पणी करने की होड़ लगती होगी।

मोदी के कैंपेन में मोदी विरोधी भावनाओं को देशविरोधी और पाकिस्तान समर्थक करार दिया जाता है। वो खुद को किसी हिंदू हृद्य सम्राट की तरह पेश करते हैं। वहीं ट्रंप के कैंपेन में मुस्लिम विरोधी भावनाओं को जमकर भड़काया जाता है। ट्रंप मस्ज़िदों को बंद करने की तक बात कह चुके हैं।हाल में उन्होंने कुछ मुस्लिम देशों से आने वाले नागरिकों पर प्रतिबंध लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके फ़ैसले पर रोक नहीं लगाई। ट्रंप लगातार अपने कार्यकाल के दौरान ''कट्टरपंथी मुस्लिम आतंकवाद'' की बात करते रहे हैं।

2017 में ट्रंप ने कई मुस्लिम विरोधी वीडियो ट्वीट किया। ट्रंप द्वारा ट्वीट किए गए एक वीडियो में एक बच्चे को कुछ मुस्लिम समूहों द्वारा छत से नीचे गिराया जा रहा है। दूसरे वीडियो में एक मुस्लिम, वर्जिन मैरी की प्रतिमा तोड़ता हुआ दिखाई देता है। वहीं तीसरे वीडियो में एक मुस्लिम प्रवासी, एक डच लड़के को पीटता हुआ नज़र आता है। ट्रंप ने इन वीडियो को ब्रिटेन के जायडन फ्रांसेन की वाल से रिट्वीट किया था। फ्रांसेन एक अति-दक्षिणपंथी हैं, जो अक्सर दोहरे चरित्र के लोगों के ट्वीट आगे बढ़ाते रहते हैं। 

दूसरी ओर मोदी कुछ गालीबाज और सांप्रदायिक लोगों को ट्विटर पर फॉलो करते हैं। इस बात के खुलासे के बाद भी उन्होंने इन्हें अनफॉलो नहीं किया।

अगर दोनों के मीडिया से रिश्तों को देखें, तो हम पाएंगे कि एक तरफ मोदी ने पिछले साढ़े पांच साल में मीडिया के लोगों से बातचीत ही नहीं की। पिछले और इस कार्यकाल में उन्होंने केवल कुछ चुने हुए पत्रकारों को ही इंटरव्यू दिए। यह इंटरव्यू ज़्यादातर पहले से तय होते हैं। वहीं ट्रंप, विरोधी अख़बारों और टीवी चैनलों के साथ झगड़ते और आंख दिखाते हुए नज़र आए हैं। कई बार तो ट्रंप ने उन्हें मूर्ख और फूहड़ जैसे अपशब्द भी कहे। कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (CPJ) के मुताबिक़, ट्रंप ने अपने 55.8 मिलियन फॉलोवर्स को 1,339 ऐसे ट्वीट किए, जिनमें पत्रकारों के लिए अपशब्द, धमकी और आलोचना थी।

मोदी और ट्रंप, दोनों का मानना है कि मीडिया उनके प्रति न्याय नहीं करती। दोनों ने मीडिया पर उन्हें नुकसान पहु्ंचाने के लिए फर्ज़ी ख़बर चलाने का आरोप लगाया। ट्रंप ने ऑस्कर जीतने वाली फिल्म ''पैरासाइट'' पर भी सवाल उठा दिया। उन्होंने कहा, ''हमारी दक्षिण कोरिया से जुड़ी कई सारी समस्याएं हैं... अब हम उन्हें साल की सबसे बेहतरीन फिल्म का अवार्ड भी दे रहे हैं।''

अगर मेलानिया ट्रंप और जशोदाबेन (मोदी की दूर रह रहीं पत्नी) की तरफ देखें, तो दोनों में काफी अंतर मिलेगा। जशोदाबेन, मेलानिया की तरह तो कतई नहीं हैं। मेलानिया, स्लोवेनिया की बेहद सफल मॉडल रही हैं। उनके पास एक से एक महंगी ज्वेलरी है। उनके पास ''फ्रेंच स्टरजियोन एग्स'' और कैवियर के साथ-साथ दूसरे स्किन केयर प्रोडक्ट्स की कतार लगी है। मेलानिया महंगे कपड़े और अच्छे ब्रांड के आभूषण पहनती हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने एक न्यूज़ चैनल के शो में मेलानिया की तारीफ भी की थी।

वहीं जशोदाबेन एक सामान्य, डरी हुई पत्नी हैं। वे गुजरात के एक छोटे से कस्बे में एक साधारण स्कूल शिक्षक का जीवन जी रही हैं। उन्हें जबरदस्ती चर्चा और ख़बरों से दूर रखा गया। जशोदाबेन को उनके पति ने लोगों की नज़रों से दूर रहने का आदेश दिया है।

लेकिन मेलानिया और जशोदाबेन, दोनों ही क्रांतिकारी रही हैं। दोनों ने ही अपने पतियों के ख़िलाफ खुद की दृढ़ता को दिखाया है। जशोदाबेन पिछली बार खबरों में तब आई थीं, जब उन्होंने भारत औऱ पाकिस्तान के बीच शांति के लिए जुलूस निकाला था (क्या आज उनके पति की सरकार उन्हें राजद्रोह में गिरफ्तार कर सकती है)। यह घटना जून, 2018 की है।  जब मोदी अपनी पाकिस्तान विरोधी भाषणबाजी को तेज कर रहे थे। इसके कुछ दिन पहले ही जशोदाबेन ने एक इफ़्तार पार्टी में हिस्सा लिया था। उन्होंने आरटीआई के ज़रिए यह भी जानने का प्रयास किया कि प्रधानमंत्री की पत्नी होने के नाते उनके पास क्या विशेषाधिकार हैं। जब जशोदाबेन को कागजों की कमी के चलते पासपोर्ट नहीं दिया गया, तो उन्होंने यह जानकारी मांगी कि अपने पासपोर्ट के लिए मोदी ने शादी के संबंध में कौन से दस्तावेज़ ज़मा किए थे।

मेलानिया राष्ट्रपति की धैर्यवान पत्नी हैं। वो सार्वजनिक जगहों पर कभी अपने पति की ओर नहीं देखतीं और बिरले ही कभी प्रेसिडेंट ट्रंप से बात करती हों। लेकिन वक्त-वक्त पर उन्होंने भी डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना साधा है। अक्टूबर, 2018 में मेलानिया अफ्रीका के टूर पर गईं। जबकि उनके पति ने इन देशों को ''गंदगी का गड्ढा'' करार दिया था। वहां मेलानिया ने स्कूल और हॉस्पिटल की यात्रा की और उनके लिए मदद का प्रोत्साहन दिया। जबकि डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन  पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा में विदेशी देशों की मदद पर होने वाले खर्च को कम कर रहा था। भले ही मेलानिया को उस यात्रा में अपने औपनिवेशिक कपड़ों के लिए ट्रॉल किया गया हो, पर उनकी वह यात्रा सफल रही थी।

जब ट्रंप की जीरो टोलरेंस वाली प्रवासी नीतियों के चलते हजारों बच्चे अपने परिवारों से दूर हो गए, तो मेलानिया ने मेक्सिको बॉर्डर पर कई डिटेंशन सेंटर की यात्रा भी की थी। फिर एक बार उनकी ''जैकेट'' से भी बवाल मचा था। उनकी जैकेट पर लिखा था-  ''मैं परवाह नहीं करती, क्या आप करते हैं?'' इस बात के कई अंदाजे लगाए गए। विवाद पर ट्रंप ने कहा कि उनकी पत्नी दरअसल न्यूज़ मीडिया को निशाना बना रही थीं, जिससे वो भी नफ़रत करती हैं। वहीं कुछ दूसरे लोगों ने मेलानिया की जैकेट पर लिखे वाक्य को व्हाइट हाउस पर निशाना बनाया। एक दूसरी घटना में मेलानिया के ऑफिस ने एक स्टेटमेंट जारी कर प्रोफेशनल बॉस्केटबाल खिलाड़ी लेब्रोन जेम्स के समाजसेवी कामों की तारीफ की थी। जबकि कुछ घंटे पहले ही डोनाल्ड ट्रंप ने जेम्स को राष्ट्रीय चैनल पर ''मूर्ख आदमी'' कहा था।

मोदी ने अहमदाबाद में ट्रंप की तरह दीवार बनाई है। इस दीवार के ज़रिए मोदी देश की गरीबी और झुग्गी-झोपड़ियों को छुपाना चाहते थे। यह झुग्गियां, एयरपोर्ट से मोटेरा की सड़क पर पड़ती थीं और इसी रास्ते से डोनाल्ड ट्रंप के काफिले को निकलना था।

लोकतंत्र में नकल उतारना अच्छी चीज नहीं होती।

लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। वे दिल्ली में रहती हैं। यह उनके निजी विचार हैं।

 

Trump Visit
Trump-Modi
Islamophobia
Detention Centres
Trump wall
Melania Trump
Jashodhaben
Narendra modi
anti-muslim propaganda

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License