NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
हिमाचल में दलित साहित्य ‘जूठन’ पर प्रहार
जूठन को पाठ्यक्रम से हटाने का विरोध
रजनीश
18 Jan 2018
जूठन

हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद दलित साहित्य के खिलाफ गतिविधियां तेज हुई है। प्रदेश के कुछ शिक्षा संस्थान प्रख्यात साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मिकि की चर्चित आत्मकथा “जूठन” को पाठ्यक्रम से हटाया जा रहा है। जूठन के खिलाफ यह आरोप लगाया जा रहा है कि इससे जातिवाद को बढ़ावा मिलता है।

वंचितों, खासकर दलितों की पीड़ा पर लगातार लिखने वाले लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा ‘जूठन’ देश भर में खासी चर्चित रचनाओं में एक मानी जाती है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के कई शिक्षा संस्थान चाहते हैं कि उनके पाठ्यक्रम से जूठन को हटा दिया जाए। संस्थानों का यह तर्क कि जूठन में कई जातिसूचक शब्दों का प्रयोग हुआ है जिससे समाज का एक हिस्सा आहत होता हैं। यह भी कहा जा रहा है कि सामाजिक समरसता के लिहाज से इस किताब का हटाया जाना सही कदम है।

शिक्षा संस्थानों की इस सोच के खिलाफ़ हिमालय साहित्य एवं संस्कृति मंच समेत कई संगठनों और साहित्यकारों ने आवाज बुलंद की है। शिमला में एक प्रेस कांफ्रेंस में हिमालय साहित्य एवं संस्कृति मंच के अध्यक्ष और जाने-माने लेखक एस आर हरनोट ने कहा कि संस्थानों का यह कदम चर्चित लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि को अपमानित करने वाला है। उन्होंने कहा, “ जूठन जैसी महत्वपूर्ण कृति दलित जीवन की असहनीय पीड़ा और ओमप्रकाश वाल्मीकि के अनुभवों का प्रामाणिक दस्तावेज है।“

अपने तर्क में श्री हरनोट ने कहा, “इस किताब में जिन जातिसूचक शब्दों का प्रयोग हुआ है वे किसी जाति विशेष के अपमान के तौर पर नहीं आये हैं बल्कि समाज की ऊंची कही जाने वाली जातियों का दलितों के प्रति क्रूर और असंवेदनशील व्यवहार का लेखा – जोखा है। यह आत्मकथा विद्यार्थियों को देश में मौजूद जातिगत असमानता की प्रवृतियों को समझने में मदद करती है, न कि उनमे समाज को तोड़ने का अहसास भरती है।“

उनका कहना है कि अगर हमें गलत बातों का विरोध करना है तो उन मंदिरों पर सवाल खड़े करने चाहिए जहां आज भी दलितों को जाने की मनाही है। उस व्यवस्था का विरोध होना चाहिए जो शादी –ब्याह और उत्सवों में जाति-आधारित रसोई की इजाजत देती है। इस बात पर विचार होना चाहिए कि क्यों हिमाचल के गांवों में सवर्णों के घरों में दलितों का प्रवेश वर्जित है। उन्होंने पूछा, “क्या एक किताब को पाठ्यक्रम से हटाने से जाति-व्यवस्था का खात्मा हो जायेगा?”

Courtesy: ड सिटिज़न
जूठन
दलित चेतना
ओमप्रकाश वाल्मीकि
book attacked
Himachal Pradesh

Related Stories

हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 

हिमाचल: प्राइवेट स्कूलों में फ़ीस वृद्धि के विरुद्ध अभिभावकों का ज़ोरदार प्रदर्शन, मिला आश्वासन 

हिमाचल सरकार ने कर्मचारियों के धरना-प्रदर्शन, घेराव और हड़ताल पर लगाई रोक, विपक्ष ने बताया तानाशाही फ़ैसला

हिमाचल प्रदेश: नियमित करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरीं आंगनबाड़ी कर्मी

हिमाचल प्रदेश: फैक्ट्री में ब्लास्ट से 6 महिला मज़दूरों की मौत, दोषियों पर हत्या का मुक़दमा दर्ज करने की मांग

बुमला : हिमाचल के ऊंचे इलाकों में भारत-चीन आमने-सामने

हिमाचल: जलशक्ति विभाग के मज़दूरों ने किया प्रदर्शन, कहा अगर मांगे नहीं मानी तो करेंगे आंदोलन तेज़

हिमाचल: सेब के उचित दाम न मिलने से गुस्साए किसानों का प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन

हिमाचल: आईजीएमसी वर्कर्स यूनियन का आउटसोर्स व ठेका मज़दूरों की मांगों को लेकर प्रदर्शन  

सवर्ण आयोग: शोषणकारी व्यवस्था को ठोस रूप से संस्थागत बनाने का नया शिगूफ़ा


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन
    20 May 2022
    मुंडका, नरेला, झिलमिल, करोल बाग से लेकर बवाना तक हो रहे मज़दूरों के नरसंहार पर रोक लगाओ
  • रवि कौशल
    छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस
    20 May 2022
    प्रचंड गर्मी के कारण पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे गेहूं उत्पादक राज्यों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
  • Worship Places Act 1991
    न्यूज़क्लिक टीम
    'उपासना स्थल क़ानून 1991' के प्रावधान
    20 May 2022
    ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ा विवाद इस समय सुर्खियों में है। यह उछाला गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर क्या है? अगर मस्जिद के भीतर हिंदू धार्मिक…
  • सोनिया यादव
    भारत में असमानता की स्थिति लोगों को अधिक संवेदनशील और ग़रीब बनाती है : रिपोर्ट
    20 May 2022
    प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में परिवारों की आय बढ़ाने के लिए एक ऐसी योजना की शुरूआत का सुझाव दिया गया है जिससे उनकी आमदनी बढ़ सके। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य, शिक्षा, पारिवारिक विशेषताओं…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना
    20 May 2022
    हिसार के तीन तहसील बालसमंद, आदमपुर तथा खेरी के किसान गत 11 मई से धरना दिए हुए हैं। उनका कहना है कि इन तीन तहसीलों को छोड़कर सरकार ने सभी तहसीलों को मुआवजे का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License