NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
भारत
राजनीति
हिमाचल प्रदेश में भी ग़रीब बच्चों को शिक्षा से बेदख़ल करने की तैयारी!
सूत्रों की मानें तो हिमाचल प्रदेश सरकार 10 से 20 विद्यार्थी वाले स्कूलों को बंद कर सकती है। कम छात्र वाले स्कूलों की बात करें तो शिक्षा विभाग के अनुसार प्रदेश में 400 स्कूल ऐसे हैं, जहां पर छात्रों की संख्या बेहद कम है। ये स्कूल मिडल और प्राइमरी हैं।
मुकुंद झा
01 Oct 2019
himachal pradesh govt school

हिमाचल सरकार योजना बना रही है कि कम नामांकन दर यानी कम एडमिशन वाले सरकारी स्कूलों की पहचान करेगी। इसके लिए सरकार ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को आदेश भी दिया है कि वो सभी क्षेत्रों में सर्वे करे कि किस स्कूल में कितने बच्चे हैं। इसका सीधा अर्थ यह है कि सरकार सरकारी स्कूलों को बंद करने पर विचार कर रही है। ये कोई पहली सरकार नहीं है,जिसने इस तरह का निर्णय लिया हो। इससे पहले देश की कई राज्य सरकारों ने भी सरकारी स्कूलों को बंद करने का फैसला किया है।

शिक्षा के अधिकार के बाद आज भी हमारे देश के लाखों बच्चे स्कूली शिक्षा से बाहर हैं। सूत्रों की मानें तो हिमाचल प्रदेश सरकार 10 से 20 विद्यार्थी वाले स्कूलों को बंद कर सकती है। कम छात्र वाले स्कूलों की बात करें तो शिक्षा विभाग के अनुसार प्रदेश में 400 स्कूल ऐसे हैं, जहां पर छात्रों की संख्या बेहद कम है। ये स्कूल मिडल और प्राइमरी हैं। एक सच्चाई यह है कि हिमचाल में खासतौर पर प्राइमरी स्कूलों में बच्चो की संख्या घटी है।

हिमाचल के 12 जिलों की बात करे तो सिर्फ लाहौल स्पीति एक जिला है जहाँ बच्चों के नामांकन में 6 प्रतिशत की और सोलन में मामूली 0.3 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है, बाक़ी सभी जिलों में बच्चो की संख्या घटी है।

पूरे हिमाचल की बात करें तो सभी जिलों के सभी सरकारी, स्थनीय निकाय और स्पेशल ट्रेनिंग सेंटर स्कूल की संख्या को जोड़ दें तो वर्तमान में 15494 स्कूल हैं। जिसमें 2018-19 में कुल मिलाकर 5,09,804 बच्चे पढ़ रहे हैं। जबकि वर्ष 2017-18 में 5,24,705 बच्चे थे। अगर हम दोनों वर्षों की तुलना करें तो 14901 बच्चों की संख्या में गिरावट आई है।

Himachal Pradesh 1 to 8.JPG

स्रोत: मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार 

यह किसी भी सरकार के लिए चिंता की बात है कि संख्या बढ़ने की बजाय घट रही है। सरकार कह रही है कि इन स्कूलों में छात्र प्रवेश नहीं ले रहे हैं ,परन्तु उन्हें ये बताना चाहिए कि छात्र सरकारी स्कूलों में प्रवेश क्यों नहीं ले रहे? इसका कारण किसी से छुपा नहीं है कि सरकारी स्कूल के खस्ता हाल के कारण नए छात्र प्रवेश के स्थान पर, जो पढ़ रहे हैं वो भी छोड़ रहे हैं। आज एक दिहाड़ी मज़दूर भी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहता है, इसलिए मज़बूर होकर, पेट काटकर, कर्ज़ लेकर उन्हें अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाना पड़ रहा है। सरकारी स्कूलों को लेकर लोगों का विश्वास लगातार कम हो रहा है।

सरकार को इसकी जाँच करनी चाहिए जिससे ये जाना जा सके कि लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में क्यों नहीं पढ़ना चाहते हैं, न कि स्कूलों को इस आधार पर बंद कर दिया जाना चाहिए कि वहाँ प्रवेश दर में कमी आई है। आपको बता दें कि अभी जारी किए नीति आयोग के स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक में हिमाचल प्रदेश एक पायदान और गिरकर चौथे से पांचवें स्थान पर पहुंच गया है।  

दूसरी बात अगर कुछ स्कूलों में छात्रों की संख्या कम भी है लेकिन अगर वो हिमाचल जैसे राज्य के किसी दूर दराज़ में है। वहां अगर केवल 5 या 10 ही छात्र हैं तो क्या सरकार को स्कूल बंद कर देना चाहिए ? नहीं क्योंकि वो जो बच्चे हैं वो बहुत गरीब परिवार से होते हैं और किसी प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़ सकते। स्कूल बंद होने से वो नहीं पढ़ पाएंगे ये उनके शिक्षा के अधिकार का हनन होगा जो उन्हें संविधान ने दिया है।

यहाँ सरकारों को शिक्षा के लिए नए संस्थान बनाने और खासतौर पर प्राथमिक शिक्षा में और अधिक निवेश करने की ज़रूरत है। वहीं हमारी सरकारें इसके उलट जो स्कूल पहले से हैं, उन्हें भी बंद करने का लगातार प्रयास कर रही है ।

यह कोई पहली सरकार नहीं है जिसने इस तरह का निर्णय किया हो। इससे पहले महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान मध्यप्रदेश, ओडिशा और हरियाणा में भाजपा, कांग्रेस या किसी अन्य दल की सरकार हो सभी ने इस तरह स्कूलों को बंद किया। इसका सबसे बड़ा कारण प्रो-प्राइवेट स्कूल नीति है। जो कि गरीब और आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों के साथ अन्याय है क्योंकि उनके पास और शिक्षा के लिए और कोई संसाधन नहीं होता है।

कई शिक्षाविदों का कहना है कि “ये कदम शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने वाला है। क्योंकि अगर सरकारी स्कूल बंद हो जाएँगे तो गरीब परिवार के बच्चे कहाँ पढ़ेंगे। इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दे रहा है।"

जबकि हमरे पास एक उदाहरण है जहाँ सरकार इस समस्या से लड़ी और जीती भी। केरल में पूर्व की कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ की सरकार ने भी लगभग 3000 सरकारी स्कूलों को बंद करने फैसला किया था परन्तु वहाँ मज़बूत छात्र आंदोलन की उपस्थिति ने ऐसा होने नहीं दिया था। फिर जब सीपीएम के नेतृत्व में वामपंथी लोकतांत्रिक गठबंधन (LDF) की सरकार आई तो उसने इस प्रस्ताव को वापस लिया। और जिन स्कूलों में बच्चे जा नहीं रहे थे उन्हें चिह्नित कर उनपर विशेष ध्यान दिया और आज वो सभी स्कूल केरल के मॉडल स्कूल हैं। नीति आयोग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016-17 के दौरान स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक में देश के 20 बड़े राज्यों में केरल शीर्ष स्थान पर है।

हिमाचल सरकार के इस फैसले को लेकर कांग्रेस और सीपीएम ने इसकी आलोचना की है। मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने प्रदेश में पूर्व सरकार के खोले गए किसी स्कूल को बंद करने के प्रदेश सरकार के निर्णय का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश में पूर्व वीरभद्र सिंह सरकार ने लोगों की मांग पर ही स्कूल खोले थे। अब अगर उन्हें बंद करने का सरकार कोई फैसला लेती है तो इसे जनविरोधी मानते हुए कांग्रेस विरोध करेगी।

(डेटा विश्लेषण पीयूष शर्मा)

Himachal Pradesh
Government schools
Poor children
himachal pradesh government
education system
Congress
BJP

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा

अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !

कर्नाटक: स्कूली किताबों में जोड़ा गया हेडगेवार का भाषण, भाजपा पर लगा शिक्षा के भगवाकरण का आरोप

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

उत्तराखंड : ज़रूरी सुविधाओं के अभाव में बंद होते सरकारी स्कूल, RTE क़ानून की आड़ में निजी स्कूलों का बढ़ता कारोबार 

NEP भारत में सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करने के लिए भाजपा का बुलडोजर: वृंदा करात

ऑस्ट्रेलिया-इंडिया इंस्टीट्यूट (AII) के 13 अध्येताओं ने मोदी सरकार पर हस्तक्षेप का इल्ज़ाम लगाते हुए इस्तीफा दिया

नई शिक्षा नीति ‘वर्ण व्यवस्था की बहाली सुनिश्चित करती है' 

EXCLUSIVE: ‘भूत-विद्या’ के बाद अब ‘हिंदू-स्टडीज़’ कोर्स, फिर सवालों के घेरे में आया बीएचयू


बाकी खबरें

  • भाषा
    ईडी ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला को धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए तलब किया
    27 May 2022
    माना जाता है कि फ़ारूक़ अब्दुल्ला से यह पूछताछ जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनिमियतता के मामले में की जाएगी। संघीय एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एनसीबी ने क्रूज़ ड्रग्स मामले में आर्यन ख़ान को दी क्लीनचिट
    27 May 2022
    मेनस्ट्रीम मीडिया ने आर्यन और शाहरुख़ ख़ान को 'विलेन' बनाते हुए मीडिया ट्रायल किए थे। आर्यन को पूर्णतः दोषी दिखाने में मीडिया ने कोई क़सर नहीं छोड़ी थी।
  • जितेन्द्र कुमार
    कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ
    27 May 2022
    कांग्रेस नेतृत्व ख़ासकर राहुल गांधी और उनके सिपहसलारों को यह क़तई नहीं भूलना चाहिए कि सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई कई मजबूरियों के बावजूद सबसे मज़बूती से वामपंथी दलों के बाद क्षेत्रीय दलों…
  • भाषा
    वर्ष 1991 फ़र्ज़ी मुठभेड़ : उच्च न्यायालय का पीएसी के 34 पूर्व सिपाहियों को ज़मानत देने से इंकार
    27 May 2022
    यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने देवेंद्र पांडेय व अन्य की ओर से दाखिल अपील के साथ अलग से दी गई जमानत अर्जी खारिज करते हुए पारित किया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    “रेत समाधि/ Tomb of sand एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं”
    27 May 2022
    ‘रेत समाधि’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है। इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License