NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
भारत
हिमालय बड़ा या बछेन्द्री पाल...
बछेन्द्री ने हिमालय की ऊंचाई को अपने 30वें जन्मदिन से महज़ एक दिन पहले छुआ। इस तरह उन्होंने खुद को और पूरे देश को अपने जन्मदिन का नायाब तोहफा दिया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
22 May 2019
बछेन्द्री पाल
फाइल फोटो, साभार

23 मई का दिन भारत और भारत की महिलाओं के लिए एक अहम दिन है। इस दिन भारत की बछेन्द्री पाल दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर एवरेस्ट पर पहुंची थीं और यह कारनामा अंजाम देने वाली वह देश की पहली महिला पर्वतारोही बनीं।

पर्वतारोहण और साहसिक खेलों के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए इसी साल बछेन्द्री पाल को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है।

बछेन्द्री ने हिमालय की ऊंचाई को अपने 30वें जन्मदिन से महज़ एक दिन पहले छुआ। 24 मई 1954 को उनका जन्म उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के एक छोटे से गाँव नकुरी में हुआ था। इस तरह समझा जाए तो उन्होंने खुद, अपने आपको और पूरे देश को अपने जन्मदिन का ये नायाब तोहफा दिया।

Bachendri Pal 4.jpg

(फोटो साभार : BeAnInspirer)

विकिपीडिया से मिली जानकारी के मुताबिक खेतिहर परिवार में जन्मी बछेंद्री ने बी.एड. तक की पढ़ाई पूरी की। मेधावी और प्रतिभाशाली होने के बावजूद उन्हें कोई अच्छा रोज़गार नहीं मिला। जो मिला वह अस्थायी, जूनियर स्तर का था और वेतन भी बहुत कम था। इस से बछेंद्री को निराशा हुई और उन्होंने नौकरी करने के बजाय 'नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग' कोर्स के लिये आवेदन कर दिया। यहाँ से बछेंद्री के जीवन को नई राह मिली। 1982 में एडवांस कैम्प के तौर पर उन्होंने गंगोत्री (6,672 मीटर) और रूदुगैरा (5,819) की चढ़ाई को पूरा किया। इस कैम्प में बछेंद्री को ब्रिगेडियर ज्ञान सिंह ने बतौर इंस्ट्रक्टर पहली नौकरी दी। हालांकि पेशेवर पर्वतारोही का पेशा अपनाने की वजह से उन्हे परिवार और रिश्तेदारों के विरोध का सामना भी करना पड़ा।

बछेंद्री के लिए पर्वतारोहण का पहला मौक़ा 12 साल की उम्र में आया था, जब उन्होंने अपने स्कूल की सहपाठियों के साथ 400 मीटर की चढ़ाई की। 1984 में भारत का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ। इस अभियान में जो टीम बनी, उस में बछेंद्री समेत 7 महिलाओं और 11 पुरुषों को शामिल किया गया था। इस टीम के द्वारा 23 मई 1984 को अपराह्न 1 बजकर सात मिनट पर 29,028 फुट (8,848 मीटर) की ऊंचाई पर 'सागरमाथा (एवरेस्ट)' पर भारत का झंडा लहराया गया। इस के साथ एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक क़दम रखने वाले वे दुनिया की 5वीं महिला बनीं। उसी साल उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया।

भारतीय अभियान दल के सदस्य के रूप में माउंट एवरेस्ट पर आरोहण के कुछ ही समय बाद उन्होंने इस शिखर पर महिलाओं की एक टीम के अभियान का सफल नेतृत्व किया। उन्होंने 1994 में गंगा नदी में हरिद्वार से कलकत्ता तक 2,500 किमी लंबे नौका अभियान का नेतृत्व किया। हिमालय के गलियारे में भूटान, नेपाल, लेह और सियाचिन ग्लेशियर से होते हुए काराकोरम पर्वत श्रृंखला पर समाप्त होने वाला 4,000 किमी लंबा अभियान उनके द्वारा पूरा किया गया, जिसे इस दुर्गम क्षेत्र में प्रथम महिला अभियान का प्रयास कहा जाता है। वर्तमान में वे इस्पात कंपनी टाटा स्टील में कार्यरत हैं, जहां वह चुने हुए लोगो को रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देती हैं।

उनके बाद देश की कई महिलाओं ने विभिन्न श्रेणियों में यह कारनामा किया। अभी दो साल पहले 2017 में  अरुणाचल प्रदेश की अंशु जमसेंपा, जो 32 वर्षीय दो बच्चों की माँ हैं, पांच दिनों में माउंट एवरेस्ट पर दो बार चढ़ने वाली एकमात्र महिला बन गई हैं। इससे पहले, एवरेस्ट पर चढ़ने का उसका पहला प्रयास वर्ष 2011 में था।अरुणिमा सिन्हा भारतीय महिला माउंटेनीयर्स की सूची में २०१३ में एवेरेस्ट की चोटी तक पहुंचने वाली दुनिया में पहली अपंग महिला हैं। उन्होंने बचेंद्री पाल से  माउंटेनीयर की फॉर्मल  ट्रेनिंग ली थी। एक कृत्रिम पैर के साथ इस चोटी पर चढ़कर उन्होंने दुनिया को दिखाया कि कुछ भी करना असंभव नहीं है। 2015 में उन्हें इसके लिए पद्म श्री प्राप्त हुआ।

उनके हिम्मत और हौसले को सलाम करती और दूसरों को प्रेरणा देती किसी कवि की दो पंक्तियों की सुंदर कविता हिंदी के वरिष्ठ आलोचक मैनेजर पाण्डेय के मुंह से बहुत पहले सुनी थी, जो आज भी हम सबके लिए प्रासंगिक हैं :  

हताश लोगों से एक सवाल 

हिमालय बड़ा या बछेन्द्री पाल

bachendri pal
Indian mountaineer
Mount Everest
Padma Bhusan
first Indian woman to reach the summit of Mount Everest

Related Stories


बाकी खबरें

  • कृष्णकांत
    भारत को मध्ययुग में ले जाने का राष्ट्रीय अभियान चल रहा है!
    10 May 2022
    भारत किसी एक मामले में फिसला होता तो गनीमत थी। चाहे गिरती अर्थव्यवस्था हो, कमजोर होता लोकतंत्र हो या फिर तेजी से उभरता बहुसंख्यकवाद हो, इस वक्त भारत कई मोर्चे पर वैश्विक आलोचनाएं झेल रहा है लेकिन…
  • सोनाली कोल्हटकर
    छात्रों के ऋण को रद्द करना नस्लीय न्याय की दरकार है
    10 May 2022
    छात्र ऋण अश्वेत एवं भूरे अमेरिकिर्यों को गैर-आनुपातिक रूप से प्रभावित करता है। समय आ गया है कि इस सामूहिक वित्तीय बोझ को समाप्त किया जाए, और राष्ट्रपति चाहें तो कलम के एक झटके से ऐसा कर सकते हैं।
  • khoj khabar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब झूठ मत बोलिए, सरकारी आंकड़ें बोलते- मुस्लिम आबादी में तेज़ गिरावट
    09 May 2022
    खोज ख़बर में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बताया कि किस तरह से अंतर्राष्ट्रीय negative ranking से घिरी नरेंद्र मोदी सरकार को अब PR का भरोसा, मुस्लिम आबादी का झूठ NFHS से बेनक़ाब |
  • एम.ओबैद
    बीपीएससी प्रश्न पत्र लीक कांड मामले में विपक्षी पार्टियों का हमला तेज़
    09 May 2022
    8 मई को आयोजित बिहार लोक सेवा आयोग के 67वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगी परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक होने के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई है। इसको लेकर विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर हमला करना शुरू कर…
  • सत्यम् तिवारी
    शाहीन बाग़ ग्राउंड रिपोर्ट : जनता के पुरज़ोर विरोध के आगे झुकी एमसीडी, नहीं कर पाई 'बुलडोज़र हमला'
    09 May 2022
    एमसीडी की बुलडोज़र कार्रवाई का विरोध करते हुए और बुलडोज़र को वापस भेजते हुए शाहीन बाग़ के नागरिकों ने कहा कि "हम मुसलमानों के दिमाग़ पर बुलडोज़र नहीं चलने देंगे"।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License