NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
हम क्यों न डरें, क्योंकि डरने के कारण मौजूद हैं
सरकारी आंकड़े ही बता रहे हैं कि मोदी सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद से नौ राज्यों में 40 मॉब लिंचिंग की घटनाओं में 45 लोगों की मौत हुई है।
ऋतांश आज़ाद
22 Dec 2018
naseer
image courtesy : scroll.in

मशहूर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के बयान पर बीजेपी युवा मोर्चा के विरोध के बाद अजमेर लिट्रेचर फेस्टिवल में उनके कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया है। आयोजकों ने कहा कि ऐसा उनकी सुरक्षा के मद्देनज़र किया गया है। बीजेपी युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने नसीर के विरोध में अजेमर लिट्रेचर फेस्टिवल के बाहर प्रदर्शन किया और तोड़फोड़ भी की।

दरअसल 17 दिसंबर को “कारवां-ए-मोहब्बत” जो कि सांप्रदायिकता के विरोध में एक मुहिम है, के एक वीडियो में नसीरुद्दीन शाह ने बुलंदशहर हिंसा के खिलाफ बोला था, जिसके बाद यह हंगामा हुआ। नसीर ने कहा “यह ज़हर फैल चुका है और अब इस जिन्न को दोबारा बोतल में डालना बड़ा मुश्किल होगा। खुली छूट मिल गयी है कानून को अपने हाथों में लेने की। कई जगह हम देख रहे हैं एक गाय की मौत को ज़्यादा अहमियत दी जा रही है बजाय एक पुलिस अफसर की मौत के।’’

उन्होने आगे कहा “हमने अपने बच्चों को मज़हबी तालीम बिलकुल नहीं दी क्योंकि मेरा यह मानना है कि अच्छाई और बुराई का मज़हब से कुछ लेना देना नहीं है।’’

“फिक्र मुझे होती है अपने बच्चों के बारे में क्योंकि कल को अगर भीड़ ने उन्हें घेर लिया और पूछा कि तुम हिन्दू हो या मुसलमान? तो उनके पास तो कोई जवाब नहीं होगा। इस बात की फिक्र होती है क्योंकि हालात जल्दी सुधरते तो मुझे नहीं नज़र नहीं आ रहे। इन बातों से मुझे डर नहीं लगता गुस्सा आता है और मैं चाहता हूँ इन बातों से हर सही सोचने वाले व्यक्ति को डर नहीं लगना चाहिए गुस्सा आना चाहिए । हमारा घर है हमें कौन निकाल सकता है यहाँ से।’’

इसी बीच नसीरुद्दीन शाह को अजमेर लिट्रेचर फेस्टिवल में एक भाषण देना था। साथ ही उन्हें इस कार्यक्रम में अपनी किताब का विमोचन भी करना था। लेकिन बीजेपी युवा मोर्चा और बाकी दक्षिणपंथी संगठन के लोग वहाँ पहुँच गए और विरोध प्रदर्शन करने लगे, इनके द्वारा इस जगह पर तोड़ फोड़ भी की गयी। आयोजकों का कहना है कि इसके बाद इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया। अब तक राजस्थान की काँग्रेस सरकार से इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

इससे पहले नसीर साहब के वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल हो जाने के बाद चारों तरफ से प्रतिक्रियाएँ आने लगीं। नसीरुद्दीन ने जिस डर का जिक्र ही नहीं किया उसी डर को मुद्दा बना दिया गया। जैसा कि लगातार देखा गया है समर्थन में आए लोगों से ज़्यादा तेज़ आवाज़ें विरोध करने वालों की थीं। इनमें बीजेपी और दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े लोग भी शामिल थे।  

मुख्य आवाज़े बीजेपी के राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा ,बीजेपी नेता सुनील बेओधर और बाकी लोगों की थी ।

उत्तर प्रदेश के घोर दक्षिणपंथी संगठन उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना ने तो नसीर साहब को पाकिस्तान जाने की नसीहत के साथ उनके लिए पाकिस्तान को टिकट भी बुक कर दिया । 

राकेश सिन्हा का कहना था कि नसीरुद्दीन शाह ने उन लोगों के साथ जुड़ गए हैं जो देश को गाली देते हैं। उन्होंने कहा कि जिस देश ने उन्हे इतनी दौलत दी आज वह उसी को गाली देने के साजिश में शामिल हो गए हैं ।

जैसा कि इससे पहले बहुत लोगों से कहा गया है वैसे ही नसीर साहब को कहा गया  “इतना डर है तो पाकिस्तान जाओ”। कुछ लोगों ने उनसे सिख विरोधी दंगों के समय कहाँ थे, का सवाल किया। कुछ यह सवाल करने लगे कि नसीर इस्लामिक आतंकवाद के विरोध में क्यों नहीं बोलते।

यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा 2015 में आमिर खान के इसी तरह के डर जाहिर करने के बाद हुआ था। आमिर ने 2015 में लिंचिंग कि घटनाओं को लेकर इसी तरह कि चिंता जताई थी। इससे पहले दक्षिणपंथी संगठनों के विरोध के चलते एम एफ हुसैन को देश से बाहर जाने पर मजबूर होना पड़ा था। इसी तरह 2012 में मुस्लिम संगठनों के विरोध के बाद जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में सलमान रुश्दी का एक कार्यक्रम भी रद्द किया गया था।

सोशल मीडिया पर ज़हर फैलाये जाने के बाद नसीरुद्दीन शाह ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा “‘जो मैंने पहले कहा वह एक चिंतित भारतीय के तौर पर कहा था। मैं यह पहले भी कह चुका हूं। इस बार मैंने ऐसा क्या कहा कि मुझे गद्दार कहा जा रहा है। यह बेहद अजीब है? मैं  उसदेश के बारे में चिंता ज़ाहिर कर रहा हूँ जिससे मैं प्यार करता हूँ, देश जो मेरा घर है। यह गुनाह कैसे हो गया?”

नसीर किस चीज़ के बारे में चिंता जता रहे हैं? जैसा कि ज़ाहिर है कि वह बुलंदशहर में हुई हिंसा के बारे में बात कर रहे थे। 3 दिसम्बर को तथाकथित गौ हत्या के बाद बुलंदशहर में हिंसा भड़की और वहाँ मौजूद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और वहाँ मौजूद एक और युवक सुमित की मौत हो गयी। सुमित पर हिंसा में शामिल होने का आरोप है। इस घटना का मुख्य आरोपी योगेश जो बजरंग दल का स्थानीय नेता है, को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।

घटना के बाद योगी सरकार पर इस मामले में तथाकथित गौ हत्या के मामले को इंस्पेक्टर कि हत्या से ज़्यादा अहमियत देने के आरोप लगे हैं। आदित्यनाथ ने अपने बयानों से भी इसी बात पर मुहर लगाई है। इस पर 83 पूर्व अफसरों ने भी योगी आदित्यनाथ पर इंस्पेक्टर सुबोध के कत्ल पर गंभीरता से काम न करने का आरोप लगते हुए उनसे इस्तीफा मांगा है ।

लेकिन यह अकेली ऐसी घटना नहीं है जिससे उन्हें या किसी को भी अपने बच्चों के लिए चिंता हो या जिससे उन्हें या आपको डर लगे या गुस्सा आए। डर लगने के कारण मौजूद हैं, तभी डर लगता है। 2015 में यूपी के दादरी के पास बिसहाड़ा गांव में एक बुजुर्ग अख़लाक के कत्ल के बाद गाय के नाम पर शुरू हुआ लिंचिंग का सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार मोदी सरकार के 2014 के बाद से सत्ता में आने के बाद से नौ राज्यों में 40 मॉब लिंचिंग की घटनाओं में 45 लोगों की मौत हुई है। 

उधर, सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसायटी एंड सेकुलरिज़्म (CSSS)  ने मीडिया रिपोर्टों के हिसाब से यह पता लगाया है कि जनवरी 2014  से जुलाई  31, 2018 तक 109 मॉब लिंचिंग की घटनाएँ सामने आई हैं। यह ताज्जुब की बात नहीं है कि इनमें से 82 घटनाएँ बीजेपी शासित राज्यों में हुई हैं।

इंडिया स्पेंडस के अनुसार इस तरह के 97% मामले 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद रिपोर्ट हुए हैं। लिंचिंग की घटनाओं की मुख्य वजह सांप्रदायिक रही है।

यह आंकड़ें बताते हैं कि नसीरुद्दीन शाह का उनके बच्चों के लिए डर भी जायज़ है और इसके खिलाफ गुस्सा भी। वैसे तो यह सवाल ही गलत है कि आप तब कहाँ थे? लेकिन जानकारी के लिए बता दें नसीर मुस्लिम कट्टरपंथियों के खिलाफ भी मुखरता से बोलते रहे हैं। इसका एक उदाहरण है एनडीटीवी को 2009 में दिया गया उनका एक इंटरव्यू। इसी तरह सिख आतंकवाद पर बनी आनंद पटवर्धन की 1990 की फिल्म “उन मित्रा दी याद” के लिए भी नसीर साहब ने अपनी आवाज़ दी थी।

नसीर साहब की आवाज़ दबाने का प्रयास भी इसी बात का प्रमाण है कि आज माहौल में बहुत ज़हर फैल गया है। बीजेपी और दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा उनकी आवाज़ दबाने के प्रयास इसी बात के संकेत हैं, कि उनकी बात में काफी सच्चाई है।

naseeruddin shah
mob lynching
bulandshahr violence
communal violence
BJP-RSS

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल

लखनऊ विश्वविद्यालय: दलित प्रोफ़ेसर के ख़िलाफ़ मुक़दमा, हमलावरों पर कोई कार्रवाई नहीं!

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

रुड़की : दंगा पीड़ित मुस्लिम परिवार ने घर के बाहर लिखा 'यह मकान बिकाऊ है', पुलिस-प्रशासन ने मिटाया

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

भारत में सामाजिक सुधार और महिलाओं का बौद्धिक विद्रोह

2023 विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र तेज़ हुए सांप्रदायिक हमले, लाउडस्पीकर विवाद पर दिल्ली सरकार ने किए हाथ खड़े

जोधपुर में कर्फ्यू जारी, उपद्रव के आरोप में 97 गिरफ़्तार

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • Modi
    अनिल जैन
    PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?
    01 Jun 2022
    प्रधानमंत्री ने तमाम विपक्षी दलों को अपने, अपनी पार्टी और देश के दुश्मन के तौर पर प्रचारित किया और उन्हें खत्म करने का खुला ऐलान किया है। वे हर जगह डबल इंजन की सरकार का ऐसा प्रचार करते हैं, जैसे…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    महाराष्ट्र में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। महाराष्ट्र में आज तीन महीने बाद कोरोना के 700 से ज्यादा 711 नए मामले दर्ज़ किए गए हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    चीन अपने स्पेस स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रहा है
    01 Jun 2022
    अप्रैल 2021 में पहला मिशन भेजे जाने के बाद, यह तीसरा मिशन होगा।
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी : मेरठ के 186 स्वास्थ्य कर्मचारियों की बिना नोटिस के छंटनी, दी व्यापक विरोध की चेतावनी
    01 Jun 2022
    प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बिना नोटिस के उन्हें निकाले जाने पर सरकार की निंदा की है।
  • EU
    पीपल्स डिस्पैच
    रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ
    01 Jun 2022
    ये प्रतिबंध जल्द ही उस दो-तिहाई रूसी कच्चे तेल के आयात को प्रभावित करेंगे, जो समुद्र के रास्ते ले जाये जाते हैं। हंगरी के विरोध के बाद, जो बाक़ी बचे एक तिहाई भाग ड्रुज़बा पाइपलाइन से आपूर्ति की जाती…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License