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राजनीति
हरियाणा में ‘रोडवेज़ बचाने’ की लड़ाई तेज़, अन्य विभाग और जनसंगठन भी साथ आए
“हड़ताल को जनसर्मथन इसलिए मिल रहा है क्योंकि लोग भी समझ रहे हैं कि ये रोडवेज कर्मचारी अपने वेतन या फिर बोनस के लिए हड़ताल नहीं कर रहे हैं बल्कि उनके व उनके बच्चों के भविष्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं।”
मुकुंद झा
22 Oct 2018
हरियाणा में ‘रोडवेज़ बचाने’ की लड़ाई तेज़

हरियाणा रोडवेज कर्मचारियों की  हड़ताल सोमवार को सातवें दिन में पहुँच गई और अभी ये जारी रहेगी। रविवार को सरकार की ओर से कर्मचारियों से की गई बातचीत विफल रही और कर्मचारियों ने अंबाला में आयोजित रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी के मीटिंग में इस हड़ताल को तीन दिन बढ़ाने का निर्णय किया है।

इस बीच हरियाणा रोडवेज कर्मचारी का ये आंदोलन अब जन आंदोलन का रूप लेता हुआ नजर आ रहा है। इसके समर्थन में राज्यभर में कई जन संगठन के साथ ही अन्य विभाग के कर्मचारी भी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यहाँ तक की हरियाणा में रोडवेज के बाद सबसे बड़ी यूनियन हरियाणा स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड वर्करज यूनियन भी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की तैयारी में है।

हरियाणा रोडवेज कर्मचारी की हड़ताल के समर्थन में अब हरियाणा के बाहर के राज्यों में भी असर दिख रहा है। हिमाचल में सीटू ने रोडवेज हड़ताल के समर्थन में रैली कर कलेक्टर को ज्ञापन दिया। इसके अलावा दिल्ली सीटू ने भी एक पत्र लिख कर हरियाणा सरकार व मुख्यमंत्री मनहोर लाल खट्टर से अपील की है कि वो रोडवेज कर्मियों की मांगों को मान लें| रोडवेज कर्मियों की हड़ताल के समर्थन में मोटर मजदूर यूनियन (सीटू) ने पटियाला में हरियाणा सरकार का पुतला फूंका|

पंजाब में हरियाणा रोडवेज हड़ताल के समर्थन में प्रदर्शन.jpg

सरकार की ओर से इस हड़ताल को खत्म करने का कोई भी गंभीर प्रयास नहीं हुआ है, बल्कि हड़ताल के पहले चरण में जो 16 अक्टूबर से दो दिन के लिए था, सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों से बातचीत के बजाय सख्ती और लाठी के जोर पर आन्दोलन को खत्म करने का प्रयास किया। इसके तहत सैकड़ों कर्मचारियों को एस्मा के तहत जेल भेज दिया गया व बर्खास्तगी का नोटिस थमा दिया गया। सरकार के इस रवैये ने स्थितियों को और खराब कर दिया |

 इसे भी पढ़े:- हरियाणा रोडवेज कर्मचारी क्यों है हड़ताल पर?

हड़ताल की व्यापकता को देखते हुए हड़ताल के छठे दिन सरकार ने जन दबाव को देखते हुए हड़ताली कर्मचरियों से बातचीत की परन्तु ये वार्ता पूरी तरह से असफल रही। ये वार्ता पांच चरण में हुई इसमें केवल हंगामा और ड्रामा हुआ। इस पूरी वार्ता में सरकार निजी लोगों को बसों का टेंडर देने की जिद्द पर अड़ी रही, हालांकि सरकार ने इसमे अगर कोई अनियिमिता है तो उसकी जाँच करने की बात जरूर कही, लेकिन यूनियनों का कहना था कि सरकार इस पूरी टेंडर प्रक्रिया को रदद् करे और प्रस्तावित 720 बसों को परमिट देने के आदेश को वापस ले।

आंदोलन को मिल रहा जनसमर्थन

आमतौर पर जब भी कर्मचारी किसी हड़ताल पर जाते हैं तो आम जनता ज्यादातर उसके खिलाफ होती है क्योंकि हड़ताल से आम लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, लेकिन यह एक ऐसी हड़ताल है जिसे अन्य विभागों के कर्मचारी व यूनियन के साथ ही ग्राम स्तर के लोगों का समर्थन भी मिल रहा है।हरियाणा की अधिकतर पंचायतें इस हड़ताल व कर्मचारियों की मांग के समर्थन में हैं।

रविवार को हरियाणा में सीटू, सर्व कर्मचारी संघ, आशा वर्कर के साथ-साथ महिला और छात्र संगठनों ने सैकड़ों की तादाद में हरियाणा भर में भाजपा के मंत्री, विधायकों के घर का घेराव किया और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का पुतला भी फूंका।

आशा वर्कर का रोडवेज की हड़ताल को समर्थन.jpeg

सीटू हरियाणा के नेता सुखवीर ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बताया कि हड़ताल को जनसर्मथन इसलिए मिल रहा है क्योंकि लोग भी समझ रहे हैं कि ये रोडवेज कर्मचारी अपने वेतन या फिर बोनस के लिए हड़ताल पर नहीं हैं बल्कि उनके व उनके बच्चों के भविष्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हरियाणा रोडवेज कर्मचारी मांग कर रहे हैं कि रोडवेज को 14,000 नई बसें खरीदनी चाहिए, ताकि 84000 नई नौकरियां पैदा की जा सकें।

सरकार द्वारा बार–बार एक बात कही जाती है कि पैसे की कमी और बढ़ते घाटे को देखते हुए हम निजी लोगों को सार्वजनिक परिवहन के लिए आमंत्रित कर रहे हैं, इसपर हरियाणा रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी के सदस्य धर्मवीर हुड्डा ने कहा कि अगर सरकार के पास आज इतना बजट नहीं है कि वह सरकारी बसें हरियाणा रोडवेज के बेड़े में शामिल कर सके तो उसके लिए हरियाणा रोडवेज के सभी कर्मचारी अपनी1 महीने की सैलरी और 3 साल का बोनस छोड़ने के लिए तैयार हैं परन्तु सरकार इन 720 प्राइवेट बसों को आने से रोके।

आगे वो कहते है कि प्राइवेट बसों के आने से सरकारी रोजगार खत्म हो जाएगा और हम आने वाली पीढ़ियों के गुनाहगार हो जाएंगे। इसलिए हम अपनी एक महीने की सैलरी भी छोड़ने के लिए तैयार हैं।  इसके बावजूद सरकार निजी बसों को किराये पर लेने पर अड़ी हुई है ये साफ दिखाता है बजट की समस्या नहीं बल्कि सरकार सार्वजनिक परिवहन को निजी हाथों में बेचना चाहती है।

भाजपा की हरियाणा सरकार की मुश्किलें और बढ़ सकती है। बिजली निगम के कर्मचारी भी हड़ताल करने का एलान कर रहे हैं। दूसरी तरफ पुलिस एसोसिएशन समेत कई संगठनों ने रोडवेज के समर्थन का एलान कर दिया है। एसोसिएशन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसकी जानकारी दी।

हरियाणा पुलिस एसोसिएशन.jpg

हरियाणा पुलिस एसोसिएशन के नेता ओम प्रकाश ने कहा कि हरियाणा के सभी सेवानिवृत्त पुलिसकर्मियों ने यह निर्णय किया है कि वो सरकार के रोडवेज बेचने के खिलाफ पूरी मजबूती से रोडवेज के साथियों के साथ है। ये हमारे बच्चो के रोजगार का सवाल है। उन्होंने कहा कि वो लोग रोडवेज को बचाने के लिए किसी भी कुर्बानी को तैयार हैं। ओम प्रकाश ने सरकार के उस निर्णय की भी आलोचना की कि जहाँ सरकार द्वारा पुलिस के लोगों द्वारा बस चलवाई जा रही है, वे कहते हैं कि हमारे पुलिस विभाग के ड्राइवर बस जैसे भारी वाहन चलाने के लिए प्रशिक्षित नहीं होते हैं, फिर भी उनसे बस चलवाना जान-बूझकर अनहोनी को आमंत्रित करने जैसा है। 

 

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मनहोर लाल खट्टर

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