NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विज्ञान
भारत
राजनीति
हर्षवर्धन ने स्टीफन हॉकिंग पर टिप्पणी केवल यह दिखता है कि भारतीय विज्ञान बुरे दौर से गुज़र रहा है
वरिष्ठ भाजपा मंत्रियों द्वारा जारी बयान केवल इस तथ्य को मजबूत करता है कि भारतीय विज्ञान बुरे दौर से गुज़र रहा है |
सुरंग्या कौर
19 Mar 2018
Translated by मुकुंद झा
स्टीफन हॉकिंग पर टिप्पणी केवल यह दिखता है कि भारतीय विज्ञान बुरे दौर से गुज़र रहा है

एक बार फिर, एक बीजेपी मंत्री वैज्ञानिक रूप से प्रतिगामी टिप्पणियां देने के लिए स्पॉटलाइट में आऐ हैं। इस बार, यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के केंद्रीय मंत्री डॉ० हर्षवर्धन थे जिन्होंने दावा किया कि प्रसिद्ध भौतिक वैज्ञनिक स्टीफन हॉकिंग के अनुसार, वेदों ने आइंस्टीन के के समान समीकरण को पार कर लिया था। बहरहाल, वर्धन यह नहीं बता सके कि हॉकिंग ने यह वक्तव्य कब और कहां दिया था।

वरिष्ठ भारतीय मंत्रियों ने ऐसा बयान दिये है कि देश के तर्कसंगत नागरिकों में से अब कोई भी इससे आश्चर्यचकित नहीं है। बार-बार, भाजपा ने अपने विज्ञान-विरोधी दृष्टिकोण को दिखाया हैं। प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं और हमारे वैज्ञानिक रूप से बेहतर अतीत के बारे में बेतुके  दावे करने के अलावा, सरकार लगातार वैज्ञानिक शिक्षा और अनुसंधान के लिए धन को कम कर रही है। ये बजट कटौती और समझदारी पर हमले केवल देश के सर्वोच्च पदाधिकारीयों की मानसिकता को दर्शाते हैं। उनके द्वारा जारी किए गए बयान, जैसे डॉ० वर्धन और सत्यपाल सिंह द्वारा दिए गया बयानो में  evolution के सिधान्त को वैज्ञानिक रूप से गलत माना, केवल इस तथ्य को मजबूत करता है कि भारतीय विज्ञान बुरे दौर से गुज़र रहा है |

डॉ० वर्धन के ये दावे I-SERVE, वेदों पर वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान की वेबसाइट पर की गई एक पोस्ट से उत्पन्न हुईं हैं। पोस्ट में, आई-सर्विंग के आयोजन सचिव डॉ० Sivarambabu कहते हैं कि स्टीफन हॉकिंग ने वैदिक विज्ञान पर अपनी पुस्तकें संदर्भित की और “कहा कि वेदों के पास आइंस्टीन के कानून E=MC2से बेहतर सिद्धांत है”।  ये माना जाता है कि ये टिप्पणियां हॉकिंग द्वारा की गईं हैं,ये सब  स्टीफन हॉकिंग नामक असत्यापित फेसबुक पेज पर आये एक पोस्ट से शुरू हुआ था, लेकिन ये पेज@hari.scientist द्वारा चलाए जाता है।

पोस्ट ये भी कहता हैं कि, "मुझे दृढ़ता से महसूस होता है कि पश्चिमीकरण की प्रक्रिया ने भारतीयों के बीच एक मनोवैज्ञानिक दासता के बारे में बताया है जो वैदिक विद्वानों के बजाय इंजीनियर बनने का विकल्प चुनते हैं, निष्कर्षतः, वेद ज्ञान का विशाल भंडार है, प्रचुर मात्रा में जानकारी और समाधान जो समर्पित युवाओं द्वारा खोजे जाने का इंतजार कर रहा है। "

लेकिन भाजपा की तथ्य जांचने की कोशिश कभी भी मज़बूत नहीं रहीं है।  पिछले साल दिसंबर में स्मृती ईरानी जैसे कई वरिष्ठ मंत्रियों ने ट्वीट्स और बयान दिए थे कि राम सेतु एक मानव निर्मित संरचना थी और स्पष्ट रूप से यह साबित करता है कि रामायण वास्तवतविक घटना हैं |  ये सब “पृथ्वी पर क्या” के एक एपिसोड के एक 30-सेकंड प्रोमो के आधार पर कहा गया था?  बेशक, जब पूरा एपिसोड बाहर आया और राम सेतु को मानव निर्मित बनाने के बारे में कोई निष्कर्ष नहीं आया, तो उसी मंत्री ने कहा कि उसे कुछ नहीं कहना है |

यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि I-SERVE की वेबसाइट का कहना है कि ये संस्थान वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीआईएसआर), भारत सरकार द्वारा एक वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान संगठन (एसआईआरओ) के रूप में मान्यता प्राप्त है।

Dr. Sivarambabu, जिनके काम ने स्टीफन हॉकिंग को स्पष्ट रूप से प्रभावित किया था और ज़ाहिर तौर पर, डॉ० हर्षवर्धन को बेवकूफ़ बनाया, उन्हें यह आश्वस्त कराया कि हॉकिंग ने उनकी किताब पढ़ ली थी, जब उनके पूर्व छात्र ने उन्हें फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट भेजा था।  वह खुद इंटरनेट का उपयोग नहीं करते, उनकी भतीजी उन्हे मदद करती है लेकिन वह इस तथ्य से बहुत परेशान नहीं है कि फेसबुक पोस्ट नकली था, और हॉकिंग ने वास्तव में उनके काम का समर्थन नहीं किया था।  उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, “न तो वेदों ने मेरा जीवन बदल दिया है और उनमें बहुत ज्ञान है, मैं इसे पर दुनिया का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। मैं सिर्फ अपनी किताब पर ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं”|

 

Sivarambabu की मान्यताएं यह भी दर्शाती हैं कि प्राचीन शास्त्रों की व्याख्याओ किस तरह बार बार वैज्ञानिक खोजों से जोड़कर की जाती हैं  । ये व्याख्याएं धार्मिक ग्रंथों की अस्पष्ट व्याख्याओं को ध्यान में नहीं रखती हैं और इन्हें किसी नए वैज्ञानिक खोजों से सहमत होने के लिए किस तरह से  पुन: परिभाषित की जाती है | एक और सवाल यह है कि अगर हमारे शास्त्रों और जिन लोगों ने उन्हें लिखा है, वो पहले से ही विज्ञान के मुकाबले ज़्यादा जानते थे, तो इन शास्त्रों में ऐसे सवालों के जवाब क्यों नहीं दे सके हैं जिन पर विज्ञान ने अब तक कोई समाधन नहीं दे पाया है?

भाजपा
हर्षवर्धन
विज्ञान कांग्रेस
विज्ञान
भारत

Related Stories

#विज्ञानकांग्रेस : हम तो विमान उड़ाते थे, अरब तो कालीन भी उड़ा लिया करते थे

A से अच्छे दिन, B से भक्त

गुजरात की पर्दापोशी करने के लिए कुपोषण सर्वे के आंकड़े दबाए

विकसित गुजरात की कुपोषित सच्चाई

संघी मिथक का विज्ञान पर प्रहार

आईपी पर समर्पण: कभी वापस न लौटने की तरफ


बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License