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भारत
राजनीति
हुसैनब्बा कत्ल मामले में वी.एच.पी और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को ज़मानत
दक्षिण और पूर्वी राज्यों में गौ से जुड़ी 21 फीसदी हत्याओं में लगभग आधी कर्नाटक से हैं ।
योगेश एस.
20 Jun 2018
Translated by हर्ष कुमार
hussainabba

परडूर के एक मवेशी  व्यापारी  हुसैनब्बा पर बजरंगदल के कार्यकर्ताओं ने उस वक्त हमला कर दिया जब वो मवेशियों को स्कोरपियो गाड़ी से कर्नाटक के परडूर से उडूपी ले जा रहा था ।बजरंगदल के कार्यकर्ताओं ने पुलिस की मिलीभगत से हुसैनअब्बा की हत्या कर दी थी । हत्या के बाद पुलिस ने उडूपी विश्व हिंदू परिषद के नेता सुरेश मेंडन और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता प्रसाद कुंडाडी,उमेश शेट्टी,मोहन कोतवाल और रतन को भी गिरफ्तार किया था ।हरिअडिका पुलिस स्टेशन के सब इंस्पेक्टर को अपने कर्तव्य का पूर्ण रूप से पालन न करने के चलते पद से निलंबित भी कर दिया गया था  । 
 
 पुलिस ने अभियुक्त विश्व हिंदू परिषद के नेता और बजरंग के कार्यकर्ताओं के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। उडूपी कि जिला अदालत ने 18 जून को मामले मे गिरफ्तार  मोहन कोतवाल और बजरंगदल के कार्यकर्ता को बेल दे दी थी ।वही बजरंग दल के ही एक और कार्यकर्ता तुकाराम को अग्रिम ज़मानत दे दी गई ।वही मामले के मुख्य आरोपी सुरेश मेंडन उर्फ सूरी ,डी.एन कुमार,गोपाल,उमेश शेट्टी,रतन,चेतन उर्फ चेतन आचार्य,शैलेश शेट्टी और गनेश की ज़मानत अर्जी खारिज कर दी गई।उपयुक्त सभी 28 जून तक न्यायिक हिरासत मे रहेंगे ।
 
 इससे पहले 5 जून को भाजपा विधायकों, विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं सहित उडूपी के  सांसद शोभा करंडलजे ने इन गिरफ्तारियों के खिलाफ विरोद प्रदर्शन किया ।
 
स्थानिय पत्रकार हेम्मादी ने न्यूज़ क्लिक से बातचीत में बताया की “ प्रदर्शनकारी ,बजरंगदल के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारीयों का वरोध कर रहे थे, उनका कहना था की  पोस्टमार्टम रिपोर्ट  आने  से  पहले अभियुक्तो की गिरफ्तारी नहीं की जानी चाहिए। 
सांसद  करंडलजे के अनुसार “ मैंगलोर और दक्षिण कर्नाटका के  इलाको में मवेशियों की तस्करी बढ़ी है ।संघ परिवार के कार्यकर्ताओं ने कानून हाथ में नही लिया था ,उन्होने केवल पुलिस को हुसैनब्बा द्वारा मवेशीयों कि तस्करी की जानकारी दी थी।स्कोरपियो में लगभग 13 गाए लेजाई जा रही थी ।जब स्कोरपियो मौके पर पहूँची तब पुलिस की जीप वहाँ पहले से ही मौजूद थी ।अगर कार्यकर्ताओं ने हुसैनअब्बा पर हमला किया तो पुलिस को हस्तक्षेप कर उन्हे रोकना चाहिए था ।पुलिस ने क्यूँ उसी वक्त कार्यवाही नही की ।
 
हालांकि पुलिस अधिक्षक लक्षमन निंबर्गी ने प्रेस विज्ञपति में कहा है कि हिरिअडका पुलिस ने  बजरंगदल और विश्व हिंदू परिषद कार्यकर्ताओं की मदद की और मामले को जानबूझकर दबाने की कोशिश की थी ।
 
दैजीवर्ल्ड से बात करते हुए करंदलजे ने संघ परिवार का बचाव किया और कहा "न तो बीजेपी और न ही संघ परिवार के कार्यकर्ता हुसैनब्बा की मौत में शामिल हैं। दिल के दौरे के कारण उनकी मृत्यु हई है । पुलिस बेवजह संघ परिवार के कार्यकर्ताओं को परेशान कर रही है। हम इसकी घोर निंदा करते हैं । "
 
 जांच अधिकारियों ने गुरुवार, 14 जून को उडूपी जिला और सत्र न्यायालय में पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट पेश की जिसमें सामने आया है कि हुसैनब्बा की मौत दिल के दौरे से नहीं हुई बल्की उनकी मौत सिर पर आई चोटों के  कारण हुई है । रिपोर्ट पुष्टि करती है कि हुसैनबाबा की हत्या कर दी गई थी।
 
प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने के बाद, गाय संरक्षण के नाम पर भीड़ के हमलों और लिंचिंग के 78 मामले सामने आए हैं, जिसका नेतृत्व संघ परिवार से जुड़े लोगों द्वारा किया जाता रहा है। इन भयानक हमलों में 29 लोगों की मौत हो गई और 148 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। पीड़ितों में दो तिहाई से अधिक मुस्लिम थे और शेष दलितों थे।
 
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 97% हमले मई 2014 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद दर्ज किए गए है और गाय से संबंधित हिंसाओं का लगभग आधा  यानि 63 मामलों में से 32 मामले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा शासित राज्यों के हैं । इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि दक्षिणी या पूर्वी राज्यों (बंगाल और ओडिशा समेत) से 21% (63 में से 13) मामलों में से लगभग आधे मामले (13 में से छह) कर्नाटक से थे।
 
 बीजेपी द्वारा संघ परिवार के गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को अपना समर्थन देना निंदाजनक है और हुसैनब्बा के मामले में अभियुक्त को जमानत देने वाली अदालत किसी भी दृढ़ नतीजे को आश्वस्त नहीं करती है।
 

bajrang dal
VHP
Hussainabba
karnataka
Narendra modi

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