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अंतरराष्ट्रीय
अफ्रीका
द.अफ्रीकाः स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना बाद की कटौती का विरोध कर रहे हैं
दक्षिण अफ्रीका के कई प्रांतों में स्वास्थ्य संस्थानों में काम करने वाले श्रमिकों ने अपने रोजगारों के नुकसान और सेवाओं के पुनर्गठन के खतरों का सामना करते हुए विरोध प्रदर्शन किया और औद्योगिक कार्यकलापों का आयोजन किया है।
पीपुल्स डिस्पैच
16 Apr 2022
South Africa
फोटो: मासेगो माफाटा

दक्षिण अफ्रीका के कई प्रांतों में स्वास्थ्य कर्मचारी मार्च के अंत से ही विरोध-प्रदर्शन एवं हड़ताल आदि करने में लगे हुए हैं, ये लोग वेतन भुगतान न होने, कार्यस्थलों के घोषित नुकसान और सेवाओं की पुनर्व्यवस्था, जो स्वास्थ्य देखभाल तक लोगों की पहुंच को महत्त्वपूर्ण रूप से बदल देती है, इन पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। हालांकि कर्मचारियों की शिकायतें प्रांत दर प्रांत अलग-अलग थीं और वे सभी की सभी कामगारों की मांगों के बीच विसंगतियों और महामारी के बाद स्थिति सामान्य होने के सूरत में सरकार द्वारा कौन सा रास्ता अख्तियार किए जाने की संभावना है, इस ओर इंगित करती हैं: पर्याप्त स्टाफ एवं काम करने की बेहतर स्थिति, जो नए दौर के मितव्ययिता-उपायों के एकदम विपरीत है।

मार्च की शुरुआत में, ओर्समंड और एम्पिलवेनी अस्पताल,जिनकी टीबी चिकित्सा में विशेषज्ञता हासिल है, उनके कर्मचारियों ने यूटेनहेज प्रांतीय अस्पताल के सामने रैली की। ये कर्मचारी इन दोनों अस्पतालों की प्रदत्त सेवाओं में आमूलचूल बदलाव करने के साथ दोनों संस्थानों को बंद करने की सरकार की मंशा का विरोध कर रहे थे। प्रदर्शन के दौरान, नेशनल एजुकेशन, हेल्थ एंड एलाइड वर्कर्स यूनियन (एनईएचएडब्ल्यूयू) के सदस्यों ने ग्राउंड अप से कहा कि टीबी मरीजों की चिकित्सा सेवाएं बंद करने और इनके कर्मचारियों के रोजमर्रे की गतिविधियों को रोकने से पहले इस्टर्न केप के प्रांतीय स्वास्थ्य विभाग को यह साबित करना है कि अब टीबी मरीजों के लिए जानलेवा मर्ज नहीं रहा है।

सबसे बड़ी कार्रवाई तो गौतेंग प्रांत के सोवेटो में, क्रिस हानी बरगवानथ अकादमिक अस्पताल (बीएआरए) में हुई। जब पूर्वी केप में विरोध प्रदर्शन हो रहे थे, लगभग उस समय, बारा अस्पताल ने कर्मचारियों को यह चेतावनी देना शुरू कर दिया कि महामारी में सहायता देने के लिए कार्यरत 800 से अधिक अस्थायी कर्मचारियों को महीने के अंत में सरकार की दखल के बिना ही बर्खास्त कर दिया जाएगा क्योंकि उनके अनुबंध समाप्त हो गए हैं। जबकि कर्मचारी अपने सहयोगियों की नौकरी पक्की करने की मांग कर रहे थे। अस्पताल प्रशासन का बजट कम हो गया है, जिससे चिकित्सा उपकरणों के रख-रखाव और मरीजों के भोजन की डिलीवरी में समस्याएं उत्पन्न हो गई,जिससे कर्मचारियों के कार्यों के परिणाम स्पष्ट नहीं हो रहे हैं।

प्रांत में स्वास्थ्य अधिकारियों को इसमें संदेह है कि महामारी की शुरुआत के बाद से गौतेंग में बनाए गए अस्थायी पदों को धन की कमी के बावजूद आगे जारी रखा जा सकता है। वेस्टर्न केप प्रांत में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को एक ही स्थिति का सामना करना पड़ा, और उनमें से लगभग 400 कर्मचारियों की मार्च के अंत में अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है,क्योंकि सरकार ने अस्थायी अनुबंधों को आगे भी जारी रखने के लिए धन का आवंटन नहीं किया था। इस साल की शुरुआत में, ईस्टर्न केप में, कोरोना महामारी के बढ़ने के दौरान गठित किए 2,700 से अधिक पदों पर कार्यरत कर्मचारियों की नौकरी जाने का खतरा बढ़ गया है। ये स्थितियां कर्मचारियों को विरोध प्रदर्शन करने और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा एकजुटता बनाए रखने के कार्य करने और दक्षिण अफ्रीकी देखभाल कार्यकर्ता फोरम जैसे स्वास्थ्य समूहों के अधिकार को स्वतः ही उकसा रही हैं।

बारा में, श्रमिकों के दबाव के परिणामस्वरूप 22 मार्च को अगले 12 महीनों के लिए अनुबंधों को बढ़ा दिया गया है, जिससे कोविड-19 के पहले पूरे देश में कर्मचारियों की कमी की समस्याओं का दीर्घकालिक समाधान खोजने के लिए अधिक समय मिल गया। कर्मचारियों की यह कमी खराब शासन, कुप्रबंधन और खर्च में किफायत जैसे उपायों के परिणामस्वरूप बनी हुई थी। फिर भी, यह अभी भी वैसे परिणाम से दूर है, जो स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के अधिकारों और रोगियों की देखभाल तक सहज पहुंच में ठोस सुधार ला सकता है।

महामारी सहायता नीतियां समाप्त होने के करीब

अधिक स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में ज्यादा रोजगार देने और इसके लिए पर्याप्त वेतन देने सहित मसले के दीर्घकालिक समाधान होने की संभावना केवल दक्षिण अफ्रीका में सरकार की स्थिति पर ही निर्भर नहीं करती है, बल्कि वह उपलब्ध धन, खासकर अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थानों से आने वाले कोष, पर निर्भर करती है। दरअसल, दक्षिण अफ्रीका उन 90 देशों में से एक है, जिसने महामारी से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से धन लेने पर बातचीत की है।

ऑक्सफैम की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार, आईएमएफ की तरफ से महामारी निबटने के लिए जिन देशों को जो कर्जा दिया गया था, उसमें अधिकतर में यह प्रावधान किया गया था कि वे अपने सार्वजनिक व्यय में कटौती करेंग, सब्सिडी नीतियों में सुधार करेंगे और मजदूरी बिलों में कटौती करेंगे। दूसरे शब्दों में, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने जैसे यह पहले ही भांप लिया था कि कोविड-19 की लहर जैसे ही कमजोर पड़ेगी तो वे सुविधाएं भी वापस ले ली जाएंगी, जो महामारी की शुरुआत में सामाजिक सुरक्षा का ढ़ांचा बनाने और लोगों की सहायता में निवेश की गई थीं। आईएमएफ ऑक्सफैम के साथ लगभग 20 देशों के ऋण के मामले में, मुद्रा कोष ने 2020 और 2021 की शुरुआत में संरचनात्मक समायोजन शुरू करने की सिफारिश की, जबकि महामारी का प्रकोप अभी जारी ही था।

आईएमएफ और डब्ल्यूबी सिविल सोसाइटी पॉलिसी फोरम में एक पैनल के दौरान ऑक्सफैम के वाशिंगटन डीसी कार्यालय से नादिया दार ने कहा कि जब अफ्रीकी देशों ने चिंता जताई तो मुद्रा कोष ने एक को छोड़ कर उन सभी देशों की ऋण शर्तों के बीच संरचनात्मक समायोजन उपायों को शामिल कर लिया। इसी समय, 2021 में, ऋण भुगतान की लागत अफ्रीका स्वास्थ्य देखभाल व्यय से 8.6 गुनी अधिक है, इससे मुद्रा कोष के इस दावे पर संदेह होता है कि वह अब भी देशों की आबादी के लिए समर्थन तंत्र को प्राथमिकता दे रहा है क्योंकि महामारी का प्रकोप बना हुआ है।

दार ने नोट किया कि वास्तव में मुद्रा कोष की दिशा में बदलाव का कोई संकेत नहीं था, जबकि कई संकट महामारी के बोझ को और बढ़ा रहे थे। ऑक्सफैम के अनुमानों के अनुसार, भोजन और ऊर्जा की बढ़ती कीमतों, कोविड 19 और युद्ध के कारण 2022 में आधे अरब से अधिक लोगों को अत्यधिक गरीबी के दलदल में जा सकते हैं।

महामारी से उबरने के लिए भुगतान करना

यद्यपि आईएमएफ ऋण यह सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि महामारी से उबरने के दौरान सरकार किफायत के उपाय करे लेकिन उसका कार्यान्वयन स्थानीय नीति और बजट निर्माताओं के दृष्टिकोण से भी संबंधित है। दक्षिण अफ्रीका में, 2022/2023 बजट में पहले से ही सार्वजनिक सेवाओं और सामाजिक समर्थन के तंत्र में कई कटौती शामिल हैं। असेम्बली ऑफ दि एम्पलाइज एंड क्राइ ऑफ दि एक्सक्लूडेड के एक बयान के अनुसार, सार्वजनिक व्यय में योजनाबद्ध कटौती गरीबों और बेरोजगारों के लिए विशेष रूप से हानिकारक साबित होगी, जिनकी संख्या महामारी के दौरान काफी बढ़ गई है।

अमीरों पर करों में वृद्धि करने और कर्मचारियों, खास कर स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य सार्वजनिक सेवाओं में, पूर्णकालिक और स्थायी आधार पर नियुक्त कर्मचारियों को बेहतर कार्यस्थलों पर रखा जाना सुनिश्चित करने में धन का उपयोग करने की बजाय, यह योजना धनाढ्यों एवं अंतरराष्ट्रीय निगमों,विशेष रूप से खनन क्षेत्र में, "मुद्रास्फीति राहत" की पेशकश करती है,जो अपने कर्मचारियों को पॉवर्टी वेज का भुगतान करते हैं और उनके स्वास्थ्य तथा सुरक्षा चिंताओं की अनदेखी करते हैं।

अच्छी नौकरियों के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के अनुरोधों की बात करते हुए असेम्बली ऑफ दि एम्पलाइज एंड क्राइ ऑफ दि एक्सक्लूडेड ने कहा: "हम एक विनाशकारी आर्थिक और राजनीतिक रास्ते पर चल रहे हैं, जिसमें एक बात तय है कि मितव्ययिता एवं टोकनवादी सामाजिक सुरक्षा ढांचे का समर्थन हमें नहीं बचा सकता है। हमें अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा पर केंद्रित जातीय प्रगतिशील विकल्पों, काम करने का अधिकार, न कहने का अधिकार, बुनियादी आय अनुदान, और सार्वजनिक वस्तुओं के प्रावधान पर केंद्रित एक बड़े कामकाजी सार्वजनिक क्षेत्र की आवश्यकता है।”

साभार :  पीपुल्स डिस्पैच

South Africa
Austerity measures
Health and Allied Workers’ Union
Healthcare workers strike
International Monetary Fund
Nadia Daar
National education
Oxfam
Structural adjustment

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