NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
IB ने कहा "बसंत के लेख राज्य के खिलाफ", अनुशासनात्मक कार्यवाही की माँग की
अगर ये किसी पत्रकार द्वारा किया जाता तो उसे शायद इनाम मिलता I
टिकेंदर सिंह पंवार
26 Feb 2018
Translated by ऋतांश आज़ाद
basant rath

तीन हफ़्ते पहले बरेली के डिस्ट्रिक्ट मेजिस्ट्रेट (डीएम) राघवेंदर विक्रम सिंह को अपनी बात रखने के लिए संघ परिवार के लोगों द्वारा न सिर्फ गालियाँ दी गयीं और ट्रोल किया गया, बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार ने उनका ट्रांसफर भी कर दिया I उनकी गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में उनके ज़िले में बढ़ रही “मुस्लिम इलाके में जाकर पाकिस्तान विरोधी नारे लगाने” की बढती हुई प्रवृत्ति पर सवाल उठाये थे I इसके बाद डीएम को बीजेपी के दबाव के चलते इस पोस्ट को हटाना पड़ा, जबकी उनका कहना था कि वो अपनी बात पर कायम हैं I

इसी तरह अधिकारयों को अपनी बात ज़ाहिर करने से रोकने के लिए जम्मू कश्मीर के एक IPS अफ़सर को भी निशाना बनाया गया I इस बार ये संघ परिवार द्वारा नहीं बल्कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा किया गया I गृह मंत्रालय ने इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) की जाँच के बाद इस बारे में जम्मू कश्मीर सरकार को चिट्ठी लिखी I इस चिट्ठी में कहा गया कि सरकार को बसंत रथ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करनी चाहिए I

IB का कहना है कि बसंत के लेख (जो कि वायर और इंडियन एक्सप्रेस के लिखे गए थे) विद्रोही किस्म के हैं और उन से पुलिस और सुरक्षा बालों के मनोबल पर और पुलिस के अनुशासन पर बुरा असर पड़ सकता है I MHA का कहना है कि अफसर ने  पिछली और वर्त्तमान सरकार के खिलाफ प्रेस में लिखकर All India Services के नियमों का उल्लंघन किया है I जबकी जम्मू कश्मीर सरकार ने उनकी पदोउन्नति करके उन्हें जम्मू परिवाहन विभाग का IG बना दिया है I

चलिए उनके कुछ लेखों की ओर नज़र डालें जो IB को आपत्तीजनक लगे और जिनकी  वजह से गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर के सबसे बुद्धीमान और ईमानदार अफसरों में से एक को निशाना बनाया I  

बसंत से पिछले कुछ सालों में काफी लेख लिखे हैं I उन्होंने वैलेंटाइन डे पर होने वाली गुंडागर्दी के खिलाफ लिखने की हिम्मत दिखाई और ये कहा कि इसे रोकने के लिए पुलिस को ठोस कार्यवाही करनी चाहिए I उनका एक लेख इस बारे में भी था कि पुलिस अफसरों की निष्ठा मंदिर के लिए नहीं संविधान के लिए होनी चाहिए I

पर जिन लेखों पर अपत्ति जताई गयी उनमें निम्न लिखित लेख शामिल है:

1- “नक्सल हिंसा के लिए हमें JNU छात्रों पर नहीं बल्की राजनीतिक संगरक्षण प्राप्त माफियाओं पर सवाल उठाने चाहिए” – इस लेख में वह गैरकानूनी खनन माफियाओं के बारे में बात करते हैं और ये बताते हैं कि माफिया और  माओवादियों के बीच एक प्रतिकात्मक रिश्ता है I वह दोनों के बीच के गठजोड़ का खुलासा करते हैं और ये बताते हैं कि उनके हिसाब से ये दोनों ही ताकतें छतीसगढ़ को पिछड़ा हुआ और वंचित रखना चाहती हैं I

2 “भारत में पुलिस, राजनेताओं और अंडरवर्ल्ड का गठजोड़ साफ़ ज़ाहिर है”- ये तथ्य किसी से छुपा हुआ नहीं है I यहाँ गलती सिर्फ ये हुई होगी कि पुलिस की अप्राधिता का खुलासा खुद पुलिस वाले ने ही किया है I अगर ये किसी पत्रकार द्वारा किया जाता तो उसे शायद इनाम मिलता I

3 “भारत की पुलिस और जाँच एजेंसियों द्वारा की गयी ज़्यादतियाँ” – इस बेजोड़ लेख में वो सवाल करते हैं कि जाँच एजेंसियों द्वारा की जा रही ज़्यादतियों और अपराधों के बावजूद उनपर कार्यवाही क्यों नहीं की जाती और  वह लगातार बिना शर्म और डर के इस तरह की आपराधिक कार्यवाहियाँ कैसे कर पाते हैं I

बसंत द्वारा लिखे गए लेखों में कुछ भी भड़काऊ या आपत्तिजनक नहीं है I इसीलिए इनपर राजद्रोह या राज्य के खिलाफ लिखने का आरोप बिलकुल बेबुनियाद है I उन्होंने इस सिस्टम के खोखलेपन को उजागर किया है , जिसका वो खुद एक हिस्सा हैं I पर IB के हिसाब से ऐसा नहीं है , IB लगता है कि उनके लेख अपराधिक हैं और इसीलिए उन्होंने इन्हें राजद्रोही करार किया है I

घाटी के एक महत्वपूर्ण नेता मोहम्मद अमिन के मुताबिक बसंत रथ पर वहां लोगों को काफी भरोसा है, उन्हें परेशानी के समय याद किया जाता है और एक प्रतिष्ठित व्यक्ति माना जाता है I घाटी में किसी भी पुलिस अफसर के लिए ये करना आसान नहीं है और रथ अपनी इमानदारी और बुद्धिमानी के कारण ही ये प्रतिष्ठा प्राप्त कर पाए हैं I दिल्ली से बहुत दूर जम्मू में जहाँ फिलहाल तैनात हैं, उन्हें यातायात संचाचालित करने में लोगों का भरपूर समर्थन प्राप्त है I ऐसा मना जाता है कि वह ऑफिस में बैठकर नहीं सड़क पर काम करते हैं , यही वजह है कि उन्हें लोगों का समर्थन प्राप्त है I भले ही IB और MHA को उनका राज्य के लिए समर्पण नहीं दिख दे रहा हो पर लोगों को उनका जुझारूपन और असाधारण कौशल साफ़ दिखाई पड़ता है I

अफसरों को ट्रोल किया जाना बीजेपी के राज में कोई नयी बात नहीं है I ये साफ़ है कि प्रतिरोध की आवाज़ को दबाना, चाहे वह एक व्यक्ति द्वारा उठाई गयी हो या एक संगठन द्वारा इस सरकार की एक नीति बन गयी है I ये निती बन गयी है कि भारतीय जनतंत्र को निरंकुशता की ओर धकेलना है जहाँ पर प्रतिरोध की आवाज़ को निशाना बनाना, डरना या ख़तम किया जाना है I बीजेपी ने कुछ लोगों को इसी काम के लिए नियुक्त किया है कि  सोशल मीडिया पर प्रतिरोध करने वाले लोगों को गली और धमकियाँ दे कर चुप कराएँ I लगता है बीजेपी एक निरंकुश शासन की तरफ बढ  रही है जहाँ लोकतान्त्रिक नियम या प्रक्रियाएं रस्ते का रोड़ा साबित होंती हैं I गौरी लंकेश को क़त्ल कर दिया गया और काफी सारे लोगों इसीलिए निशाना बनाया जा रहा है जिससे वह चुप चाप इस शासन का समर्थन करें I लेकिन लोग फिर भी लगातार प्रतिरोध की आवाजें उठा रहे हैं, जो कि लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए बहुत ज़रूरी है I

basant rath
बसंत रथ
जम्मू कश्मीर
केंद्र सरकार
गृह मंत्रालय
MHA
IB
पुलिस अधिकारी

Related Stories

बार-बार धरने-प्रदर्शन के बावजूद उपेक्षा का शिकार SSC GD के उम्मीदवार

अब उप राज्यपाल होंगे दिल्ली के प्रमुख शासक !

लॉकडाउन: जो मालिक और कंपनियां अपने मज़दूरों को वेतन नहीं दे रहीं उनके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई से रोका

लॉकडाउन में वेतन न देने को लेकर कंपनी मालिक पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, अदालत ने सरकार से मांगा जवाब

बेकाबू भीड़, पिटती  पुलिस: क्यों खामोश है सरकार?

केंद्र सरकार राजनीतिक कारणों के चलते जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल को बदलना चाहती है?

दक्षिण दिल्ली में काटे जाएँगे 16,500 पेड़

दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की माँग पर जनता की राय

कश्मीरी के प्रमुख समाचार संपादक शुजात बुखारी निर्मम हत्या ने , पत्रकारों को हिलाकर रख दिया है

शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई): इतने वर्षों बाद भी क्या हम इसके उद्देश्यों को पूरा कर पाए?


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License