NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका
इधर ट्रम्प की आरती उतारते हुक्मरान, उधर अमरीकी जेलों में युवा हिन्दुस्तान !
ट्रम्प और अमरीकी आव्रजन विभाग के मुताबिक़ यह वीसा धोखाधड़ी का, फ्रॉड का मामला है। फ्रॉड वीसा - जो खुद अमरीकी सरकार देती है - में हुआ है, मुजरिम उन्हें बनाया गया है जो दरअसल फ्रॉड के शिकार हैं।
बादल सरोज
09 Feb 2019
सांकेतिक तस्वीर

इधर मौजूदा हिंदुस्तानी हुक्मरान अमरीका के - अब तक के सबसे उन्मादी -  राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को तकरीबन ब्रह्मा का अवतार और उसके कहे को वेदोचित वाक्य का दर्जा देने के लिए रात और दिन एक किये हुए है उधर ट्रम्प और उसकी नौकरशाही कंस-मोड में आयी हुयी है और अमरीका में "पढ़ने " गए सवा सौ से ज्यादा भारतीय छात्रों को अमरीकी जेलों में ठूंस दिया गया है। सैकड़ों जेल जाने वाली पाइप लाइन में हैं। ट्रम्प और अमरीकी आव्रजन विभाग के मुताबिक़ यह वीसा धोखाधड़ी का, फ्रॉड का मामला है। फ्रॉड वीसा - जो खुद अमरीकी सरकार देती है - में हुआ है, मुजरिम उन्हें बनाया गया है जो दरअसल फ्रॉड के शिकार हैं।  

अमरीकी प्रशासन के मुताबिक़ मिशीगन नामक शहर में एक कोई  "यूनिवर्सिटी ऑफ़ फ़र्मिंगटन " नाम की अमरीकी यूनिवर्सिटी और आठ अन्य भर्ती कंपनियों (रिक्रूटर्स) का स्टिंग ऑपरेशन करके आव्रजन कस्टम प्रवर्तन विभाग ने एक बड़ा घोटाला पकड़ा। ये यूनिवर्सिटी/यूनिवर्सिटियां मोटी फीस लेकर अनेक हिन्दुस्तानी विद्यार्थियों को ऐसी क्लास में 'दाखिला' देती थीं, जिसमें उन्हें क्लास अटेंड करने की कोई बाध्यता नहीं थी। एक तरह से ये छात्र अमरीका में "रहने " और छात्रों को मिलने वाले एफ-1 वीसा को बनाये रखने की रकम चुका रहे होते थे। अमरीकी आव्रजन अधिकारियों के मुताबिक़ इन फर्जी यूनिवर्सिटीज, जिनकी चिट्ठी के आधार पर वीसा दिया गया, के साथ साथ फ्रॉड का शिकार होने  वाले विद्यार्थी भी दोषी हैं, क्योंकि वे जानते थे कि ऐसा ही होना है। 

खुद दुनिया भर में बिन बुलाये जा धमकने वाला ट्रम्प का अमरीका अपने देश में बाहर से आने वालों पर रोक लगाने के लिए बदहवासी से बिलबिलाया हुआ है।  कभी मैक्सिको की सीमा पर कंक्रीट या स्टील की दीवार खड़ी करने का बेतुका और हास्यास्पद प्लान लेकर आता है और खुद अमरीकी संसद से पंगा ले लेता है - तो बाकियों को बाहर धकेलने के लिए शरणार्थियों के दुधमुंहे से लेकर शिशुओं तक की उम्र के बच्चे उनकी मांओं से छीन लेता है।  इस बार उसका बहाना वीसा फ्रॉड है!! लाखों का खर्च करके अमरीका पढ़ने गए इन विद्यार्थियों को "डिपोर्ट" करने यानी जबरिया वापस भेजने के आदेश लिखने शुरू हो गए हैं। 

सवाल तीन हैं ; पहला  कुछ बड़ा सा प्रश्न तो ये कि अमरीका के पैदा होने से कुछ 2-3 हजार साल पहले से धरती के जिस हिस्से जम्बूद्वीपे भारतखण्डे में नालंदा और तक्षशिला और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय और अनेक विश्वस्तरीय पीठ और शिक्षा केंद्र रहे हों - वहां ऐसी क्या मरी आन पड़ी कि उसके युवा मिशीगन पढ़ने जाएँ? ये हालत क्यों कैसे हुयी। क्या इसे रोका जा सकता है? कहीं ऐसा तो नहीं कि अपढ़ों और बुद्धिभीरुओं के ताजे दौर में शिक्षा संस्थानों को मटियामेट करने की जो मुहिम सी चल रही है उसके बाद सेकेंडरी स्कूली पढ़ाई भी अमरीका और यूरोप के लिए "आउटसोर्स" कर दी जाने वाली है? कुछ भी हो सकता है उनके खून में व्यापार है, शिक्षा तालीम थोड़े ही है!! 

इस तरह की धोखाधड़ी के पीछे दूसरा  लोभ रोजगार का हो सकता है; देश में नहीं मिल रहा तो चलो बाहर चलें!!  तो ब्रह्मा जी 5 साल से क्या उस घास को खोद रहे हैं जो उनके सहगोत्री पूर्ववर्ती उगा कर गये थे?

तीसरा और फौरी सवाल है कि हाल के कुछ वर्षों में आमतौर से और पिछले पांच वर्षों में खासतौर से अमरीकी हुक्मरानों की लल्लो-चप्पो करने वाले हमारे नेता और सरकारें क्या इतनी भी हैसियत नहीं बना पाये कि अपनी यूनिवर्सिटियों की धोखाधड़ी के लिए भारतीय छात्रों को बलि का बकरा बनाने की अमरीकी हरकत के लिए उसे फटकार सकें -अपने बच्चों को- बोनाफाइड भारतीय नागरिकों को सलामती से वापस ला सकें? इत्ता भी नहीं कर सकते तो फिर कर क्या  सकते हो !!

इस फ्रॉड के पहले ही पिछले 2 सालों में एफ-1 वीसा में अमरीका पढ़ने जाने वाले हिन्दुस्तानी छात्रों की संख्या तेजी से घटी है।  वर्ष 2015 में यह  74,831 थी  और 2017 में 44741 रह गयी,  इस तरह 40% कम हो गयी है। अब इस फ्रॉड में जो धरे गए हैं उनके साथ जो होगा वह होगा, फिलहाल तो हिन्दुस्तानी विद्यार्थियों के लिए अमरीका जाने के दरवाजे भूलभुलैया में बदलते नजर आ रहे हैं। 

किसी बॉबी जिंदल - जो ठोंक कर कहता है "मैं भारतीय-वारतीय नहीं हूँ, चौबीस कैरट अमरीकी हूँ "- के लुइसानिया का गवर्नर बन जाने पर छद्म राष्ट्रवादी ग्रंथि को सहलाने या किसी कमला हैरिस - जो मोदी से किसी भी तरह के रिश्ते से इंकार करते करते गला बैठाये हुए हैं - के भावी राष्ट्रपति  के संभावित उम्मीदवार बनने की दौड़ में शामिल हो जाने पर "भारतीय गौरव" की आभासीय उपलब्धि पर इठलाना विदेश नीति नहीं होती। शरण मांगने आयी अरब देश की राजकुमारी को जबरिया वापस भेज देना भैंस चोरों द्वारा वसूली जाने वाली पनिहाई से अधिक नहीं होती ; विदेश नीति तो कत्तई नहीं होती।  विदेश नीति अंतर्राष्ट्रीय जगत में हैसियत प्राप्त करने का माध्यम होती है और यह अपने दम पर, अपने रिश्तों से हासिल की जाती है  - पीछे घिसटते रिरियाते हुए माँगी नहीं जाती। 

मोदी सरकार के भरोसे तो इसका हल निकलने से रहा। जैसा कि ऊपर लिखा है और खुद उन्होंने अनेक बार कहा है ; उनके खून में तो व्यापार है, शिक्षा या विदेश नीति या भारत की वैश्विक हैसियत नहीं। लिहाजा दबाव बनाने के दूसरे तरीके खोजने ही होंगे। 

(ये लेखक के निजी विचार हैं।)


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर
    30 Apr 2022
    मुज़फ़्फ़रपुर में सरकारी केंद्रों पर गेहूं ख़रीद शुरू हुए दस दिन होने को हैं लेकिन अब तक सिर्फ़ चार किसानों से ही उपज की ख़रीद हुई है। ऐसे में बिचौलिये किसानों की मजबूरी का फ़ायदा उठा रहे है।
  • श्रुति एमडी
    तमिलनाडु: ग्राम सभाओं को अब साल में 6 बार करनी होंगी बैठकें, कार्यकर्ताओं ने की जागरूकता की मांग 
    30 Apr 2022
    प्रदेश के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 22 अप्रैल 2022 को विधानसभा में घोषणा की कि ग्रामसभाओं की बैठक गणतंत्र दिवस, श्रम दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के अलावा, विश्व जल दिवस और स्थानीय शासन…
  • समीना खान
    लखनऊ: महंगाई और बेरोज़गारी से ईद का रंग फीका, बाज़ार में भीड़ लेकिन ख़रीदारी कम
    30 Apr 2022
    बेरोज़गारी से लोगों की आर्थिक स्थिति काफी कमज़ोर हुई है। ऐसे में ज़्यादातर लोग चाहते हैं कि ईद के मौक़े से कम से कम वे अपने बच्चों को कम कीमत का ही सही नया कपड़ा दिला सकें और खाने पीने की चीज़ ख़रीद…
  • अजय कुमार
    पाम ऑयल पर प्रतिबंध की वजह से महंगाई का बवंडर आने वाला है
    30 Apr 2022
    पाम ऑयल की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। मार्च 2021 में ब्रांडेड पाम ऑयल की क़ीमत 14 हजार इंडोनेशियन रुपये प्रति लीटर पाम ऑयल से क़ीमतें बढ़कर मार्च 2022 में 22 हजार रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गईं।
  • रौनक छाबड़ा
    LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम
    30 Apr 2022
    कर्मचारियों के संगठन ने एलआईसी के मूल्य को कम करने पर भी चिंता ज़ाहिर की। उनके मुताबिक़ यह एलआईसी के पॉलिसी धारकों और देश के नागरिकों के भरोसे का गंभीर उल्लंघन है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License