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इलाहाबाद विवि: छात्रसंघ बचाने के लिए 50 दिन से आंदोलन, 7 दिन से आमरण अनशन, फिर भी सुनवाई नहीं
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र 50 से ज्यादा दिनों से आंदोलनरत हैं और पिछले 7 दिन से छात्रसंघ बहाली की मांग के साथ आमरण अनशन पर बैठे हैं। अनशन पर बैठे निवर्तमान छात्रसंघ महामंत्री शिवम सिंह समेत दूसरे छात्र नेताओं की तबीयत भी बिगड़ गई है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
28 Sep 2019
hunger strike

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रसंघ बहाली की मांग पर निवर्तमान पदाधिकारियों के साथ छात्र अड़े हुए हैं। ये छात्र 50 से ज्यादा दिनों से आंदोलनरत हैं और पिछले 7 दिन से आमरण अनशन पर बैठे हैं।

आपको बता दें कि छात्रसंघ बचाने के लिए नौ छात्र नेताओं ने आमरण अनशन शुरू किया था। अनशन के तीसरे दिन दो छात्र नेताओं की तबीयत खराब हो गई थी और दोनों का अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

शुक्रवार सुबह को निवर्तमान छात्रसंघ महामंत्री शिवम सिंह को अचानक बेचैनी होने लगी और तबीयत तेजी से बिगड़ने लगी। मौके पर पहुंची चिकित्सकों की टीम उन्हें पुलिस बल की देखरेख में बेली अस्पताल ले गई।

वहीं, छात्रसंघ अध्यक्ष उदय प्रकाश यादव, उपाध्यक्ष अखिलेश यादव और पूर्व अध्यक्ष अवनीश यादव समेत अनशन पर बैठे अन्य छात्रों को भी ब्लडप्रेशर की दिक्कत शुरू हो गई है।
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छात्रों की तबीयत बिगड़ने से इविवि परिसर में तनाव लगातार बढ़ रहा है। चीफ प्रॉक्टर प्रो. रामसेवक दुबे और डीएसडब्ल्यू प्रो. हर्ष कुमार की ओर से छात्रसंघ अध्यक्ष उदय प्रकाश यादव को पत्र लिखकर आमरण अनशन समाप्त करने के लिए फिर अपील की गई है।

हालांकि छात्र कुलपति से मिलना चाहते हैं लेकिन अभी तक उन्हें मिलने का वक्त नहीं दिया गया है।

अमर उजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुलपति से छात्रों के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मिलने के लिए समय मांगा था लेकिन अब तक समय नहीं मिला। संयुक्त संघर्ष समिति के मुख्य संयोजक अतेंद्र सिंह को डीएसडब्ल्यू प्रो. हर्ष कुमार और डॉ. राकेश सिंह ने पत्र लिखकर बताया है कि चीफ प्रॉक्टर छुट्टी पर गए हैं। वह शनिवार शाम तक वापस आएंगे और कुलपति को आपकी भावनाओं से अवगत कराएंगे। छात्रों का कहना है कि कुलपति उनसे मिलना ही नहीं चाहते और इविवि प्रशासन अब बहानेबाजी पर उतर आया है।

न्यूज़क्लिक की बातचीत में छात्रसंघ महामंत्री शिवम सिंह कहते हैं, 'छात्रसंघ बहाली की मांग को लेकर हमारा आंदोलन जारी रहेगा। शनिवार से पांच दूसरे छात्र नेता आमरण अनशन पर बैठेंगे। तय किया गया कि दो अक्टूबर को गांधी जयंती पर बालसन चौराहे पर बापू की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके छात्रसंघ भवन के सामने स्थित शहीद लाल पद्मधर की प्रतिमा तक रैली निकाली जाएगी। मांगें पूरी न होने पर अगले चरण में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सामने अनिश्चितकालीन धरना दिया जाएगा।'

आपको बता दें कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रसंघ की बहाली की मांग को लेकर छात्रों के आंदोलन की पृष्ठभूमि में भाजपा सरकार पर निशाना साधा है।
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उन्होंने एक एक खबर शेयर करते हुए ट्वीट किया, ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र 50 दिनों से आंदोलनरत हैं और पिछले 6 दिन से छात्रसंघ बहाली की मांग के साथ आमरण अनशन पर बैठे हैं। उनकी मांगे अनसुनी हैं और उनका दमन किया जा रहा है।’ प्रियंका ने ट्वीट किया, ‘भाजपा सरकार विद्यार्थियों से छात्रसंघ छीनने के लिए इतनी आतुर क्यों है?’

बारिश में भी डटे हुए हैं छात्र, पूर्व नेता भी समर्थन में

प्रयागराज में हो रही भारी बारिश के बीच भी छात्रसंघ बहाली की मांग को लेकर छात्र नेताओं का प्रदर्शन जारी है। आंदोलन करने वाले छात्रों का कहना है कि यदि छात्रसंघ का हिंसा से संबंध होता तो वह 48 दिनों का शांतिपूर्ण धरना और अनशन पर न रहता। आपको बता दें कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ का बेहद गौरवशाली इतिहास रहा है। लेकिन अभी विश्वविद्यालय प्रशासन की दलील है कि छात्रसंघ की वजह से कैंपस में आए दिन अराजकता का माहौल रहता था इसलिए इसे खत्म किया जा रहा है।

विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक में छात्र संघ की जगह छात्र परिषद का मॉडल लागू किए जाने पर अंतिम मुहर लग गई है। हालांकि इसके बाद से ही छात्र नेता आंदोलनरत हैं।

छात्रसंघ आंदोलन का समर्थन कर रहे पूर्व छात्र नेता रमेश यादव कहते हैं, 'विश्वविद्यालय में छात्र संघ के साथ प्रशासन जो कर रहा है वह एक काला अध्याय है। जब भी इतिहास लिखा जाएगा तो इस बात की चर्चा होगी कि केंद्र की भारी बहुमत के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र संघ की पुरानी परंपरा को खत्म करने का काम किया।'

आपको बता दें कि छात्रसंघ प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली है जिसमें छात्र अपने मत का इस्तेमाल कर सीधे अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महामंत्री आदि का चुनाव करते हैं, जबकि छात्र परिषद अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली है। इसमें पहले कक्षावार प्रतिनिधि चुने जाते हैं और यही प्रतिनिधि पदाधिकारियों का चुनाव करते हैं।

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