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कोविड-19
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असम: नागांव ज़िले में स्वास्थ्य ढांचा उपलब्ध होने के बावजूद कोविड मरीज़ों को स्थानांतरित किया गया
महामारी ने स्वास्थ्य सुविधा संकट की परतें खोलकर रख दी हैं और बताया कि कैसे एम्स की सुविधा होने पर नागांव बेहतर तरीक़े से महामारी का सामना कर सकता था।
संदीपन तालुकदार
29 Nov 2021
Assam

असम के ठीक मध्य में नागांव जिला है, जो कोविड-19 की दूसरी लहर के चरमोत्कर्ष के दौरान ख़बरों में था। एक लंबे वक़्त तक नागांव असम के सबसे प्रभावित सात जिलों में से एक था। कुछ साल पहले नागांव तब भी ख़बरों में था, जब यहां एम्स की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन हुए थे। रिपोर्ट्स के मुताबि़क़, 2016 में हुए उस प्रदर्शन में एक व्यक्ति मारा भी गया था। एम्स की बिल्डिंग चांगसारी में बन रही है, जो गुवाहाटी के नज़दीक है। लेकिन लोकप्रिय मांग इसे नागांव के राहा में बनाने की थी, इसमें कई स्थानीय संगठनों और पार्टियों ने भी अपना समर्थन दिया था। 

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि असम के मध्य में स्थित होने की वजह से नागांव में एम्स जैसे संस्थान से ज़्यादा लोगों को फायदा पहुंचता, क्योंकि गुवाहाटी में पहले ही बड़ी संख्या में स्वास्थ्य संस्थान उपलब्ध हैं। समय निकल गया और मुद्दा भी दूर हो गया, लेकिन महामारी ने स्वास्थ्य तंत्र के गहन परीक्षण की जरूरत महसूस करवा दी। 

नागांव सड़कों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, यह राजधानी गुवाहाटी से 115 किलोमीटर दूर है। सड़क भी अच्छी स्थिति में है। स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए सरकारी स्वास्थ्य तंत्र का इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है। खैर, सवाल उठता है कि क्यों मौजूदा नेटवर्क पर कोविड-19 के मरीज़ों को सेवा उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह विश्वास नहीं किया जा सकता। न्यूज़क्लिक ने जिले के कुछ स्वास्थ्य केंद्रों में दौरा किया और पाया कि कोविड-19 संक्रमितों को इन केंद्रों से आखिरकार सीसीसी (कोविड केयर सेंटर) या कोई विशेष अस्पताल ही भेजना पड़ता है।

बारापुजिया में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के मुख्य अधिकारी और एसडीएम डॉ लखीधर दास को कोविड परीक्षण, मरीज़ से संपर्क में आए लोगों की पहचान और मरीज़ों के इलाज़ के साथ-साथ अपने ब्लॉक में टीकाकरण का पर्यवेक्षण करना पड़ता है। दूसरी लहर के दौरान कुछ महीनों तक बारापुजिया लगातार कोविड-19 हॉटस्पाट बना हुआ था। न्यूज़क्लिक बारापुजिया ब्लॉक पीएचसी में सिर्फ़ इसी एक व्यस्त व्यक्ति से मिल सका। राहा में सब्सिडायरी हेल्थ सेंटर (एसएचसी) में डॉ दास ने न्यूज़क्लिस से विस्तार से बात की और स्वास्थ्य सुविधा तंत्र के कई आयामों पर प्रकाश डाला। 

डॉ दास ने बताया कि जिले में स्वास्थ्य सेवा ढांचे में "सबसे ऊपर जिला अस्पताल या सिविल हॉस्पिटल है, जिसके तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आते हैं, जो ब्लॉक स्तर पर हैं। हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उप-प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, एसएचसी (सब्सिडायरी हेल्थ सेंटर) और फिर एसडी (स्टेट डिस्पेंसरी या राज्य चिकित्सालय) हैं। फिर ब्लॉक स्तर पर मौजूद हर पीएचसी में कुछ सहायक केंद्र भी होते हैं। सभी मिलाकर स्वास्थ्य सेवा ढांचा बनाते हैं।"

राहा एसएचसी, जहां डॉ दास हमसे मिले, उसमें दो डॉक्टरों और चार से पांच नर्सों के कार्य करने की क्षमता है। डॉ दास कहते हैं, "एसएचसी करीब़ 31,000 लोगों को सुविधा उपलब्ध करवाता है। इस एसएचसी में एक आयुर्वेदिक डॉक्टर भी है। बारापुजिया पीएचसी के तहत आने वाले 11 एसएचसी में से यह एक है।"

राहा एसएचसी में मरीज़ों को भर्ती करने की क्षमता मौजूद नहीं है। हालांकि अस्पताल में आपात स्थिति और प्रसव के लिए एक विस्तर उपलब्ध है। कुछ ऑक्सीजन सिलेंडर भी मौजूद हैं। लेकिन यह स्वास्थ्य ढांचा सिर्फ़ प्राथमिक इलाज़ ही उपलब्ध करवा सकता है। किसी नाजुक स्थिति के वक़्त में मरीज़ को दूसरी जगह स्थानांतरित करना पड़ता है। चूंकि एसएचसी हाईवे से ज़्यादा दूर नहीं है, तो डॉक्टरों को दुर्घटनाओं के केस को भी संभालना पड़ता है, अगर मामला छोटी चोट का है, तो वे मदद कर सकते हैं, गंभीर मामलों को बेहतर सुविधा वाले अस्पतालों में भेजना होता है। डॉ दास कहते हैं, "हालांकि इस एसएचसी को चलाने के लिए 24 घंटे की बाध्यता नहीं है, लेकिन हमारे स्टॉफ और डॉक्टर चौबीस घंटे सेवा के लिए उपलब्ध रहते हैं। वे आधी रात को भी उठ जाते हैं।" 

राहा एसएचसी कैम्पस

इस तरह की स्थिति में महामारी में कैसे संघर्ष किया होगा। डॉ दास और दूसरे स्टॉफ ने हमें बताया, "हमने जांच की और कोरोना मरीज़ों को कोविड केयर सेंटर भेज दिया। बारापुजिया ब्लॉक पीएचसी में दो केंद्र बनाए गए थे। एक राहा कॉलेज और दूसरा चापारमुख में।" कोविड केयर सेंटर तात्कालिक अस्पताल थे, जो कोरोना के चरमोत्कर्ष के दौरान बनाए गए थे। इन सुविधा केंद्रों में ऑक्सीजन सिलेंडर और कंसंट्रेटर उपलब्ध थे, साथ ही डॉक्टरों, नर्सों और सफाईकर्मियों की एक पूरी टीम तैनात रहती थी। लेकिन इनकी तैनाती सिर्फ़ मध्यम लक्षण वाले या बिना लक्षण वाले कोरोना मरीज़ों से निपटने के लिए थी। गंभीर मरीज़ों को नागांव सिविल हॉस्पिटल भेजना होता था। या सीधे गुवाहाटी। नागांव में एक अधिकारी ने बताया, "नागांव में 9 कोविड सुविधा वाले अस्पताल थे। जिसमें से 7 सरकारी क्षेत्र से और 2 निजी क्षेत्र से थे।"

डॉ दास ने आशा कार्यकर्ताओं के शानदार काम की तारीफ़ की। उन्होंने कहा, "कोरोना जांच, ट्रेसिंग और आइसोलेशन के लिए आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी क्षमताओं से बढ़कर काम किया। उन्होंने गांवों का परीक्षण किया और हमें रिपोर्ट पहुंचाई, जिससे आगे जांच करने और संपर्क को पहचानने की प्रक्रिया में मदद मिली। टीकाकरण के मामले में भी यही हुआ। राहा में रैपिड एंटीजन टेस्ट और आरटी पीसीआर टेस्टिंग, दोनों ही उपलब्ध थी। 

लेकिन कोविड केयर सेंटर तक मरीज़ों को ले जाने के लिए कोई भी अतिरिक्त एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई गई थी। इन्हें पहुंचाने के लिए प्राथमिक तौर पर 108 नंबर एंबुलेंस सेवा का ही उपयोग किया गया। डॉ दास याद करते हुए बताते हैं कि एक मरीज़ जिसने अपनी अंतिम सांस ली, वो एसएचसी में एंबुलेंस के आने का इंतज़ार कर रहा था। हालांकि इस दौरान बहुत मौतें नहीं हुईं। 

बुहागुराईं थान ब्लॉक पीएचसी

राहा से 26 किलोमीटर दूर बुरगुहैन है, जब हम वहां पहुंचे तो वहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बहुत ज़्यादा चहल-पहल नहीं थी। तब वहां डॉ हजारिका खुद मौजूद थीं, उन्होंने हमसे केंद्र द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में चर्चा की। 

उन्होंने कहा, "ब्लॉक पीएचसी को करीब़ ढाई लाख मरीज़ों को सुविधा उपलब्ध करवानी होती है। इस ब्लॉक पीएचसी में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर- सीएचसी) और एक मॉडल अस्पताल है, साथ ही 13 उप-स्वास्थ्य केंद्र और राज्य चिकित्सालय हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तीन से चार डॉक्टर हैं, मॉडल हॉस्पिटल में चार डॉक्टर हैं और उप-स्वास्थ्य केंद्रों व राज्य चिकित्सालयों में एक-एक डॉक्टर है। सिलोमोनी उप-स्वास्थ्य केंद्र में दो डॉक्टर हैं।" लेकिन ब्लॉक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में दो डॉक्टर और 3 जीएनएम (जनरल नर्सिंग एंड मिडवाईफ) हैं। इस अस्पताल में 10 बिस्तरों की क्षमता होती है, जहां मरीज़ों को भर्ती किया जा सकता है। ब्लॉक पीएचसी में आपात स्थिति और प्रसव के लिए सुविधा उपलब्ध है। सवाल उठता है कि इतनी कम श्रमशक्ति में 10 बिस्तरों वाले अस्पताल को कैसे चलाया जा सकता है। 

जब हमने कोरोना में उनके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में पूछा तो डॉ हजारिका ने वही बात कही जो राहा में डॉ दास ने कही थी। उन्होंने भी मरीज़ों को कोविड केयर सेंटर या सिविल हॉस्पिटल भेजा। सबसे पास स्थित कोवि़ड केयर सेंटर 20 किलोमीटर दूर स्थित है। तब ब्लॉक पीएचसी रही बुर्गुहैन ने आशा कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए सर्वेक्षणों की मदद से तब अपने तहत आने वाले गांवों में कोविड जांच की थी।

लेकिन डॉ हजारिका ने एक दिलचस्प बात बताई। उन्होंने कहा कि रोजोना उनकी ब्लॉक पीएचसी में आने वाले मरीज़ों की संख्या कोरोना के बाद कम हो गई। पहले दिन में करीब़ 100 मरीज आया करते थे, लेकिन कोविड के बाद यह संख्या 30-40 रह गई है। कई बार 50 मरीज़ आ जाते हैं। क्या अनिवार्य कोवि़ड जांच एक वजह हो सकती है, जिसकी वज़ह से मरीज़ों में डर बैठ गया? खैर अब तक कुछ भी साफ़ नहीं है।

इस जिले के उत्तर में ढींग सर्किल है, जहां मुस्लिम बहुसंख्यक (करीब़ 90 फ़ीसदी) हैं। वहां के एसडीएम और ढींग ब्लॉक पीएचसी के मुख्य अधिकारी डॉ डी सी रॉय ने न्यूज़क्लिक से बात की। जब हमने उनसे बुनियादी चीजों पर सवाल पूछे, तो उन्होंने बताया, "इस परिसर में 6 डॉक्टर हैं, जिनमें एक गायनेकोलॉजिस्ट, एक एनथेसियोलॉजिस्ट, एक पीडियाट्रिसियन और एक आयुर्वेदिक डॉक्टर है। बाकी दो एमबीबीएस डॉक्टर हैं। हमारे यहां दो फार्मासिस्ट हैं, चार लैब टेक्नीशियन और 14 जीएनएम हैं।" यहां 6 उप-प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं और 32 उप केंद्र हैं। 

धींग बीपीएचसी 

सबसे अहम ढींग के अस्पताल परिसर में एफआरयू (फर्स्ट रेफर यूनिट) भी है, जिससे समग्र प्रसूति सुविधाएं यहां उपलब्ध हो पाती हैं। यह 40 बिस्तरों वाला एक अस्पताल है।

दिलचस्प है कि ढींग ब्लॉक पीएचसी में तमाम सुविधाएं होने के बावजूद, कोविड काल में दूसरे अस्पतालों की तरह ही काम किया गया। यहां भी उन्होंने कोविड जांच, सैंपलिंग की, लेकिन कोविड मरीज़ों के इलाज़ की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। दूसरे ब्लॉक पीएचसी की तरह ही यहां से भी मरीज़ों कोविड केयर सेंटर भेजा गया। 

धींग बीपीएचसी अस्पताल का आपातकालीन वॉर्ड

किसी ने हमें बताया कि ढींग में एक कोविड केयर सेंटर था। डॉ रॉय कहते हैं, "हम बिना लक्षण वाले मरीज़ों को कोविड केयर सेंटर भेजते थे और लक्षण वालों को जिला अस्पताल। हम कुछ पॉजिटिव मरीज़ों को ऑक्सीजन उपलब्ध करवाते थे, लेकिन कोविड केयर केंद्रों में ऑक्सीजन आपूर्ति की कमी नहीं होती।"

ढींग से आगे दक्षिण-पूर्व में जाने पर हम एक और ब्लॉक पीएचसी समागुड़ी में पहुंचे। न्यूज़क्लिक द्वारा जिन पीएचसी का दौरा किया गया, उनकी तुलना में यह पीएचसी थोड़े अंदरूनी इलाके में थी। हमें यहां एक महिला डॉक्टर मिलीं, जो सीनियर डॉक्टर थीं। उन्होंने हमें बताया कि अस्पताल परिसर में 6 डॉक्टर, 6 जीएनएम और 1 एएनएम हैं। अस्पताल में एनआरसी (पोषक पुनर्वास केंद्र) की सुविधा उपलब्ध है, यहां हम ऐसे दो बच्चों से मिले, जो गंभीर कुपोषण का शिकार थे। 

कोरोना की लहर में समागुड़ी पीएचसी ने भी दूसरे केंद्रों की तरह ही काम किया। यहां से मरीज़ों को कोविड केयर सेंटर या दूसरे अस्पतालों में भेजा गया। डॉक्टर ने कुछ भयावह अनुभव बताए। उन्होंने कहा, "कई गांव वाले वहां जाने के लिए तैयार नहीं थे, कई ने हमारे बीपीएचसी से भागने की कोशिश की। हमें सरकारी निर्देश थे कि हम मरीज़ों को तय किए गए अस्पतालों में भेजें। कई बार हमें एंबुलेंस के आने के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ता था। इतने वक़्त में कई मरीज़ अस्पताल परिसर से भागने की कोशिश करते थे।"

तो महामारी से जूझने के क्रम में, नागांव में सामान्य तौर पर कोविड केयर सेंटर बनाए गए, कुछ तात्कालिक प्रबंध किए गए। इन कोविड केयर सेंटर्स में मुख्यत: कम लक्षण वाले या बिना लक्षण के मरीज़ों को रखा जाता था। जबकि गंभीर मरीज़ों को दूसरे उच्च स्तर के अस्पतालों में पहुंचाया जाता था। जिले में व्यापक स्वास्थ्य तंत्र होने के बावजूद क्यों उन्हें कोरोना इलाज़ के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया, यह सवाल बना हुआ है। कोविड केयर केंद्र पूरी तरह तात्कालिक थे और वहां पहुंचाई गई ऑक्सीजन सिलेंडर, कंसंट्रेटर आदि की सुविधा मौजूदा पीएचसी, राज्य चिकित्सालयों या उप प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाई जा सकती थी। 

डॉ डीसी रॉय ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, "चूंकि पीएचसी और दूसरे अस्पताल दूसरे रोगियों का इलाज़ भी कर रहे थे, ऐसे में कोविड मरीज़ों को भर्ती करने से समस्या खड़ी हो सकती थी। हमारे इंफ्रास्ट्रक्चर में कोवि़ड मरीज़ों के लिए अलग से वार्ड बनाने की व्यवस्था नहीं है। फिर यह रहवासी पीएचसी भी है, तो इससे डॉक्टर भी संक्रमित हो सकते थे।"

(रिपोर्टर का शोध ठाकुर परिवार फाउंडेशन से मिली निधि से समर्थित था। ठाकुर परिवार फाउंडेशन का इस शोध पर किसी तरह का संपादकीय नियंत्रण नहीं था।) 

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

In a Central Assam District, Makeshift Covid Care System Became Necessity Despite Extensive Healthcare Networks

Pandemic Response in Assam
Nagaon District
Covid Care Hospitals Assam
Government Response to COVID-19 Assam
Assam
Nagaon

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