NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
इन्डोनेशिया : बच्चों के सुधार और पुनर्वास की कोशिशें जारी
धार्मिक कट्टरपंथ के शिकार मानव बम बनाए गए बच्चों को सुधारने और उनका पुनर्वास करने की कोशिशें जारी हैं और अब उन्हें समाज में एक बेहतर ज़िंदगी गुज़ारने के लिए परवरिश की जा रही है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
12 Jul 2019
इन्डोनेशिया
Image Courtesy: theworldnews.net

इन्डोनेशिया में नौ साल की मीला को कट्टरपंथ की पकड़ से जुदा करके अब पूरी तरह से नयी जिंदगी जीने के लिए तैयार किया जा रहा है जहां दुनिया के प्रति सिर्फ और सिर्फ प्रेम की भावना होगी।

इंडोनेशिया बच्चों समेत परिवार द्वारा आत्मघाती धमाकों से दहल गया है। बता दें कि मीला के माता-पिता ने खुद को बम से उड़ाने से पहले उसे मोटरसाइकिल से फेंक दिया था। वह आत्मघाती हमले करने वाले परिवार में जीवित बची अकेली लड़की है। 

अनाथ और कट्टर बना दी गई मीला के भविष्य को लेकर चिंताएं पैदा हो गई थी लेकिन पुनर्वास के प्रयासों से मीला और उसके जैसे अन्य बच्चों को सामान्य जिंदगी जीने का मौका दिया गया है। बच्ची को मीला नाम एएफपी ने दिया है।

वह उस छोटे-से दिखने वाले समूह की सदस्य है जिनका जकार्ता में एक अनोखी योजना के तहत इलाज चल रहा है जहां उसकी मनोवैज्ञानिक और सामाजिक देखरेख की जा रही है। यह आतंकवादी साज़िशों में शामिल आत्मघाती हमलावरों या बच्चों को सही राह पर लाने की योजना है।

दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल देश ‘परिवार हमलों’ के बढ़ते वैश्विक हमलों से जूझ रहा है और इस समस्या से जूझ रहा है कि आईएस से लौटे जिहादियों को फिर से कैसे मुख्यधारा में शामिल किया जाए।

पुनर्वास केंद्र की प्रमुख नेनेंग हेर्यानी ने कहा, ‘‘बच्चों से निपटना आसान नहीं रहा क्योंकि वे चरमपंथ में विश्वास रखते हैं और मानते हैं कि धमाके करना अच्छी चीज़ है।’’

उन्होंने बताया, ‘‘उन्हें सिखाया गया है कि जन्नत जाने के लिए जिहाद जरूरी है और तुम्हें चरमपंथ में भरोसा ना रखने वालों को मारना होगा। उनकी मानसिकता बदलना बहुत मुश्किल है।’’

सामाजिक कार्यकर्ता और मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग के ज़रिये उन्हें फिर से समाज की मुख्यधारा में शामिल कर रहे हैं और दिन-प्रतिदिन के कामों में उन्हें शामिल कर रहे हैं जिनमें मस्जिद में जाना और रोज़ा खेलना शामिल है।

पिछले साल सुराबाया में आत्मघाती हमलों से जुड़े आतंकवादी संदिग्धों के अन्य बच्चों का भी यहां उपचार चल रहा है।

सामाजिक कार्यकर्ता मुस्फिया हांडयानी ने कहा, ‘‘हम अब भी उन्हें पढ़ाते हैं कि कुरान हर चीज की नींव है और उन्हें इसमें भरोसा करना होगा। लेकिन अगर आप दूसरे लोगों के अधिकारों का उल्लंघन करेंगे तो यह ठीक नहीं है।’’

ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (एएनयू) के चरमपंथी परिवारों की विशेषज्ञ हौला नूर ने कहा, ‘‘हमें इन बच्चों को पीड़ितों के साथ-साथ संभावित हमलावरों के तौर पर देखना चाहिए।’’

पिछले दशक में इंडोनेशिया में बढ़े इस्लामिक हमलों से देश की धार्मिक सहिष्णुता की छवि धूमिल हुई है।

मीला अपने माता-पिता के साथ मोटरसाइकिल पर बैठी थी जब उन्होंने गत मई में सुराबाया पुलिस चौकी पर खुद को उड़ाया।

हांडयानी ने बताया कि मीला में अच्छा-खासा बदलाव देखा गया है। अब वह लोगों से बातचीत कर सकती है।

(भाषा से इनपुट के साथ)

indonesia
indonesia’s child bombers
Rehabilitation
child bombers
child victims

Related Stories


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License