NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
‘इंडिया फॉर फार्मर्स’...दिल्ली को बताने आ रहे हैं किसान
AIKSCC के बैनर तले करीब 210 किसान संगठन इस ‘मुक्ति मार्च’ में हिस्सा ले रहे हैं। इनका कहना है कि जन विरोधी और किसान विरोधी नीतियां लागू करने वाली सरकार हमें मंज़ूर नहीं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
28 Nov 2018
india for farmers

सभी किसान संगठनों के सांझा मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC ) के आह्वान पर देश भर से किसान मोदी सरकार की किसान-विरोधी व जनविरोधी नीतियों के खिलाफ दिल्ली पहुंच रहे हैं और 29-30 नवंबर को दिल्ली शहर में मार्च कर सरकार को बताएंगे कि ऐसी सरकार हमें मंजूर नहीं। 
AIKSCC के बैनर तले करीब 210 किसान संगठन इस मुक्ति मार्च में हिस्सा ले रहे हैं। देश के सभी हिस्सों खासकर यूपी, बिहार, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से किसान बड़ी संख्या में दिल्ली मार्च में शामिल हो रहे हैं। 
बीती 5 सितंबर को सीआईटीयू और अखिल भारतीय किसान सभा के बैनर तले करीब 2 लाख से ज़्यादा मज़दूर और किसानों ने दिल्ली में मार्च किया था। खास बात यह है कि देश भर से मध्यम वर्ग के विभिन्न हिस्से भी अब इस आंदोलन से जुड़ रहे हैं। समाज के अन्य वर्ग खासतौर से छात्र और अन्य युवा, शिक्षक-कर्मचारी, महिला संगठन यहां तक की पत्रकार और साहित्यिक-सांस्कृतिक संगठन और रिटायर्ड आर्मी अफसर भी इस मार्च में किसानों के साथ शामिल हो रहे हैं। इसके लिए काफी समय से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। किसान मुद्दे पर लगातार काम कर रहे वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ और कुछ लोगों ने मिलकर इसके लिए ‘इंडिया फॉर फार्मर्स’ नामक एक संगठन बनाया है और उसके बैनर तले साईनाथ इस मार्च के लिए समर्थन जुटाने के लिए विभिन्न जगहों पर सभाएं कर रहे हैं। बुधवार को दिल्ली के आटीओ पर ‘आर्टिस्ट फॉर फार्मर्स’ नाम से एक कार्यक्रम हुआ।

46869797_385522388851964_812400270993522688_n.jpg

यह मुक्ति मार्च क्यों?

किसान नेताओं का कहना है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी भाजपा ने अच्छे दिन का झूठा वादा करते हुए, देश के किसानों से कर्ज माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुरूप फसलों का डेढ़ गुना दाम देने का वायदा किया था। पर अपने साढ़े चार साल के शासन में इस सरकार ने न सिर्फ देश के किसानों के साथ खुला धोखा किया बल्कि अपनी कारपोरेट परस्ती के कारण आज देश को आर्थिक कंगाली के कागार पर खड़ा कर दिया है। जो मोदी सरकार घाटे की खेती के कारण आत्महत्या को मजबूर देश के किसानों की कर्ज माफी को तैयार नहीं है, वही सरकार देश के सभी संसाधनों पर कब्जा जमा कर अति मुनाफ़ा लूट रहे देश के बड़े पूंजीपतियों का साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये का बैंक कर्ज इसी साल बट्टे खाते में डाल चुकी है। इस सरकार ने अपने एक चहेते पूंजीपति के लिए जहां रफाल सौदे में महाघोटाला कर देश को चूना लगाया है, वहीं इनका खुला संरक्षण पाकर ललित मोदी, विजय माल्या, नीरव मोदी से लेकर मेहुल चौकसी जैसे कई उद्योगपति देश के बैंकों का लाखों करोड़ रुपया लेकर देश से भागते रहे। और अब जब इस सरकार की इन नीतियों के कारण देश वित्तीय कंगाली के कागार पर खड़ा है, तो यह सरकार रिज़र्व बैंक के रिज़र्व फंड को निकाल कर देश को पूरी तरह कंगाल बनाने पर तुली है। इस सरकार द्वारा लागू की गयी नोटबंदी व जीएसटी के कारण देश के डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी और करोड़ों लोगों का रोजगार ख़त्म हो गया। 

46830944_10213416699315864_7682038373174738944_n.jpg
अखिल भारतीय किसान महासभा के अध्यक्ष रुलदू सिंह, महासचिव  राजाराम सिंह और राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि आज रिज़र्व बैंक के आंकड़े साबित कर रहे हैं कि नोटबंदी की आड़ में भाजपा नेताओं के जरिए सारा काला धन सफ़ेद धन में बदल दिया गया। दिल्ली से लेकर देश भर के कई जिलों तक भाजपा के आलीशान पार्टी कार्यालयों की जमीन और इमारतों के लिए इसी दौर में काला धन जुटाया गया। अब यह सरकार नोटबंदी के दो साल बाद भी उसकी ऑडिट रिपोर्ट को जारी करने से भाग रही है।
किसान नेताओं का कहना है कि किसानों को राहत देने के बजाय मोदी सरकार ने ठान लिया है कि जब भी किसान भाजपा से चुनावी वायदे पूरे करने की मांग करेंगे, उनका दमन किया जायेगा। पिछले साल मध्‍य प्रदेश के मंदसौर में किसान हड़ताल के दौरान पांच किसानों को गोली मार दी गई। इसी साल दिल्‍ली आ रहे हजारों शांतिपूर्ण किसानों को बॉर्डर पर ही रोक कर उन पर लाठीचार्ज, आंसू गैस और वाटर कैनन से हमला किया गया।  
मंदसौर में किसानों पर गोली चलने के बाद जब केन्‍द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह से पूछा गया तो जवाब देने की बजाय बड़ी बेशर्मी से उन्‍होंने कहा कि ‘योगा कीजिए’। भाजपा नेता वेंकैया नायडू जो आज देश के उपराष्‍ट्रपति हैं, जब 2017 में केन्‍द्र में शहरी विकास मंत्री थे तब उन्‍होंने बयान दिया था कि ‘किसानों की कर्ज माफी तो आजकल फैशन बन गया है।’ ऐसे भाजपा नेताओं और मंत्रियों की कमी नहीं है जो बार बार संकट में डूबे किसानों का मजाक उड़ाते रहते हैं। मोदी सरकार एक तरफ तमान कारपोरेट कंपनियों को खुली लूट मचाने की छूट दिये हुए है और दूसरी तरफ किसानों पर दमन जारी है। 
किसान महासभा के मुताबिक आंकड़े बता रहे हैं कि मोदी के साढ़े चार साल के शासन काल में पचास हजार से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं, जबकि पिछले दो साल से इस सरकार ने राष्ट्रीय अपराध शाखा के किसान आत्महत्या से सम्बंधित आंकड़े जारी करना भी बंद कर दिया है। देश की आबादी लगातार बढ़ रही है, पर सरकार खेती की जमीन को कारपोरेट के हित में अधिग्रहित कर उसे लगातार कम कर रही है। यह इतनी बड़ी आबादी के देश की खाद्य सुरक्षा को खतरे में डालने का काम कर रही है। झारखंड और छत्तीसगढ़ के साथ ही दिल्ली तक में भूख से लगातार मौतें हो रही हैं, फिर भी मोदी सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस सिस्टम) को ख़त्म करने की दिशा में आगे बढ़ती जा रही है। आज हमारा देश अब तक के सबसे बड़े सूखे के सामने खड़ा है। महाराष्ट्र के मराठवाड़ा से लेकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश तक अभी से पानी के लिए त्राहि-त्राहि मचनी शुरू हो गयी है पर इस सरकार ने तीन साल पहले पड़े भयंकर सूखे के बाद भी उससे निपटने के लिए कोई दीर्घकालिक या तात्कालिक कदम नहीं उठाया। बुलेट ट्रेन, ईस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर, वेस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर, गेल की गैस पाईप लाइन, राष्ट्रीय राजमार्गों और औद्योगिक गलियारों के साथ ही कोल ब्लाक व अन्य परियोजनाओं के लिए किसानों, आदिवासियों और ग़रीबों की जमीनों का देश भर में बलपूर्वक अधिग्रहण किया जा रहा है। घाटे की खेती के बाद बड़े पैमाने पर देश भर में हो रही बटाई खेती में लगे बटाईदार किसानों को यह सरकार किसान का दर्जा देने को तैयार नहीं है। इसके चलते इनको सरकार द्वारा दी जा रही सुविधा का लाभ नहीं मिलता है और न उनके उत्पाद की सरकारी खरीद होती है। मनरेगा योजना लगभग ठप है और भूमिहीनों, खेत मजदूरों को जमीन देने के बजाय पहले से बसे मजदूरों की बस्ती को उजाड़ा जा रहा है।
किसान नेताओं के अनुसार मोदी सरकार द्वारा घोषित नया समर्थन मूल्य और पीएम आशा योजना देश के किसानों के साथ खुला धोखा है। खरीफ फसल के लिए मोदी सरकार द्वारा घोषित नई एमएसपी में सिर्फ नकद लागत और पारिवारिक श्रम जोड़ा गया है, जो यूपीए सरकार के समय से ही लागू है। यह स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार +C 2 पद्धति (यानी खेत का किराया और बैंक ऋण के ब्याज) को भी कुल लागत में जोड़कर उसका डेढ़ गुना नहीं है। इसी तरह इस सरकार द्वारा घोषित पीएम आशा योजना किसानों के खुला धोखा और पूरी तरह फेल हो चुकी मध्यप्रदेश सरकार की भावान्तर योजना का ही जारी रूप है। ऐसी स्थिति में खुद के साथ हो रहे इस धोखे से देश भर के किसानों में मोदी सरकार के खिलाफ भारी गुस्सा है। देश के किसानों के गुस्से से घबराकर आज मोदी सरकार एक बार फिर से किसानों की इस एकता को धार्मिक उन्माद और मंदिर-मस्जिद का विवाद पैदा कर तोड़ना चाहती है। गौ रक्षा कानून के बाद गाय बैलों की बिक्री पर लगी रोक और गौरक्षक गुंडों द्वारा मुस्लिम पशुपालकों की देश भर में भीड़ हत्या के बाद आवारा जानवरों की समस्या आज देश व्यापी विकराल समस्या के रूप में हमारे सामने खड़ी है। 
इन सब मुददों को लेकर ही किसानों के 210 किसान संगठनों ने एकताबद्ध होकर “अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति” के बैनर तले दिल्ली में मार्च और रैली करने कर फैसला किया। 

46451755_2198409647100106_3045552492025741312_n_0.jpg

क्या है पूरा कार्यक्रम?  

29 नवंबर : दोपहर 12 बजे से किसानों की रैली आनंद विहार रेलवे स्टेशन, मजनू का टीला गुरुद्वारा, निज़ामुद्दीन तथा होली चौक, बिजवासन से होते हुए रामलीला मैदान जाएगी तथा रात को रामलीला मैदान में सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा।
30 नवंबर : सुबह 9 बजे रामलीला मैदान से संसद मार्ग के लिए किसान मार्च। संसद मार्ग पर रैली व सभा।

kisan mukti march
DILLI CHALO
india for farmers
farmers protest
farmer crises
AIKSCC
AIKS
AIKM
Modi government

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता


बाकी खबरें

  • उपेंद्र स्वामी
    अंतरिक्ष: हमारी पृथ्वी जितने बड़े टेलीस्कोप से खींची गई आकाशगंगा के ब्लैक होल की पहली तस्वीर
    13 May 2022
    दुनिया भर की: ब्लैक होल हमारे अंतरिक्ष के प्रमुख रहस्यों में से एक है। इन्हें समझना भी अंतरिक्ष के बड़े रोमांच में से एक है। इस अध्ययन के जरिये अंतरिक्ष की कई अबूझ पहेलियों को समझने में मदद
  • परमजीत सिंह जज
    त्रासदी और पाखंड के बीच फंसी पटियाला टकराव और बाद की घटनाएं
    13 May 2022
    मुख्यधारा के मीडिया, राजनीतिक दल और उसके नेताओं का यह भूल जाना कि सिख जनता ने आखिरकार पंजाब में आतंकवाद को खारिज कर दिया था, पंजाबियों के प्रति उनकी सरासर ज्यादती है। 
  • ज़ाहिद खान
    बादल सरकार : रंगमंच की तीसरी धारा के जनक
    13 May 2022
    बादल सरकार का थिएटर, सामाजिक-राजनीतिक बदलाव का थिएटर है। प्रतिरोध की संस्कृति को ज़िंदा रखने में उनके थर्ड थिएटर ने अहम रोल अदा किया। सत्ता की संस्कृति के बरअक्स जन संस्कृति को स्थापित किया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    असम : विरोध के बीच हवाई अड्डे के निर्माण के लिए 3 मिलियन चाय के पौधे उखाड़ने का काम शुरू
    13 May 2022
    असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस साल फ़रवरी में कछार में दालू चाय बाग़ान के कुछ हिस्से का इस्तेमाल करके एक ग्रीनफ़ील्ड हवाई अड्डे के निर्माण की घोषणा की थी।
  • पीपल्स डिस्पैच
    इज़रायल को फिलिस्तीनी पत्रकारों और लोगों पर जानलेवा हमले बंद करने होंगे
    13 May 2022
    टेली एसयूआर और पान अफ्रीकन टीवी समेत 20 से ज़्यादा प्रगतिशील मीडिया संस्थानों ने वक्तव्य जारी कर फिलिस्तीनी पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की हत्या की निंदा की है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License