NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विज्ञान
भारत
अंतरराष्ट्रीय
पृथ्वी दिवस: वैज्ञानिकों ने चिंता जताई
Covid-19 के बाद की स्थिति से निपटने में पारिस्थितिकी तंत्र की संभावित घातक चुनौतियों को नहीं भूलना चाहिए।
भरत डोगरा
22 Apr 2020
earth

आज पूरी दुनिया Covid-19 की चपेट में है और इसके प्रसार को रोकने के प्रयास किए गए हैं, लेकिन इससे हमारा ध्यान इस ग्रह के समक्ष उत्पन्न अन्य बड़े खतरों से नहीं हटना चाहिए। इन ख़तरों पर विचार किया जाना चाहिए क्योंकि विश्व जल्द ही Covid-19 के बाद की घटनाओं से घिरने लगेगा। उस समय लिए जाने वाले हमारे निर्णय में उन सभी तरीक़ों का ध्यान रख जाना चाहिए जो Covid-19 से होने वाले नुकसान की भरपाई करने के हमारे प्रयासों में परिपूरक बन सकते हैं, हालांकि लंबी अवधि के उभरते संकटों की उपेक्षा नहीं करते हैं।

इनमें से दो वैश्विक समस्याएं तेज़ी से गंभीर होती जा रही हैं। सबसे पहले, सामूहिक विनाश के हथियारों (डब्ल्यूएमडी) का प्रसार है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ये सबसे गंभीर और स्पष्ट ख़तरे हैं, लेकिन कई विशेषज्ञ रोबोट या एआई हथियारों के तेज़ी से बढ़ते ख़तरों की ओर भी इशारा कर रहे हैं और साथ ही रासायनिक व जैविक हथियारों सहित अन्य अत्यधिक विनाशकारी हथियारों के बारे में चेतावनी दे रहे हैं।

दूसरा, जलवायु परिवर्तन के चलते कई बेहद गंभीर पर्यावरणीय समस्याएं हैं। सबसे गंभीर वैश्विक पर्यावरणीय समस्याएं आम तौर पर किसी न किसी स्तर पर एक-दूसरे से संबंधित होती हैं। इनमें महासागरों का अम्लीकरण (एसिडिफिकेशन) और प्रदूषण, जल संकट, वायु प्रदूषण, प्रजातियों के नुकसान की अभूतपूर्व दर, नाइट्रोजन और फास्फोरस चक्र का बालाघात (एक्सेंटुएशन), ख़तरनाक पदार्थों और प्रौद्योगिकियों में कई गुना वृद्धि, सुरक्षित भोजन के लिए खतरा और साथ ही भूमि उपयोग के पैटर्न में परिवर्तन विशेष रूप से प्राकृतिक वनों का नुकसान शामिल हैं।

सैंकड़ों नोबेल पुरस्कार विजेताओं सहित कई प्रतिष्ठित वैज्ञानिक इस बात की ओर इशारा करते हैं कि एक साथ देखे जाने पर समस्याओं के ये दो समूह हमारे ग्रह पर सभी जीव के लिए अस्तित्व के संकट से कुछ भी कम नहीं हैं। इन वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी की बुनियादी जीवन-संबंधी स्थितियां मानव निर्मित परिस्थितियों के द्वारा ख़तरे में डाले जा रहे हैं जो पहले कभी नहीं थे। यह कई प्रख्यात वैज्ञानिकों के लिए बाध्य करने वाली ऐसी चिंता है कि उन्होंने प्रकृति पर पड़ने वाले प्रभाव का असर देखने के लिए खुद को संगठित किया है और विश्व को चेतावनी दे रहे हैं और सचेत करने वाला बयान जारी करते रहे हैं।

इसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर 1992 में यूनियन ऑफ कंसर्नड साइंटिस्ट्स के बैनर तले 1,575 वैज्ञानिकों द्वारा जारी किया गया प्रसिद्ध बयान था। इस समय जीवित 196 नोबेल पुरस्कार विजेताओं में से 99 वैज्ञानिकों द्वारा हस्ताक्षरित “वर्ल्ड साइंटिस्ट्स वार्निंग टू ह्यूमनिटी” (विश्व की वैज्ञानिकों की मानवता को चेतावनी) सभी राष्ट्र प्रमुखों को भेजा गया था। इसमें बहुत स्पष्ट शब्दों में यह कहा गया था, "हम ... भविष्य में जो कुछ होने वाला है उसके बारे में पूरी मानवता को चेतावनी देते हैं। पृथ्वी और इस पर जीवन के हमारे प्रबंधन में एक बड़े परिवर्तन की आवश्यकता है।"

उक्त चेतावनी की 25 वीं वर्षगांठ पर साल 2017 में एक नया बयान जारी गया; इस बार 180 देशों के 13,524 वैज्ञानिकों ने हस्ताक्षर करके समर्थन किया। सभी नवीनतम सूचनाओं का मूल्यांकन करने के बाद, इन वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि मानवता उन पर्यावरणीय चुनौतियों को हल करने में "पर्याप्त प्रगति करने में विफल" रही है, जो भविष्य के लिए चेताया गया था। नतीजतन, इनमें से कई समस्याएं "बहुत बदतर हो रही थीं"। वैज्ञानिकों ने कहा कि 1992 से ऐसा मामला था। मानवता की निराशाजनक विफलता का एकमात्र अपवाद स्ट्रैटोस्फेरिक ओजोन परत को स्थिर करने के लिए किए गए प्रयास थे।

डब्लूएमडी को लेकर चिंतित वैज्ञानिकों ने और भी सख़्त चेतावनी जारी की है। बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट्स के बोर्ड ऑफ स्पॉन्सर्स में 13 नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। उनके परामर्श से ये संगठन एक विशेष घड़ी मेंटेन करता है जिसे डूमसडे क्लॉक (क़यामत की घड़ी) कहा जाता है। मध्यरात्रि 12 बजे को डूम्सडे के प्रतीक के लिए यहां ली गई है और हर साल उपलब्ध वैज्ञानिक साक्ष्य और राय के आधार पर घड़ी की सूई को रीसेट किया जाता है। साल 2019 में पृथ्वी को मध्यरात्रि से केवल दो मिनट पहले सेट किया गया था। इस साल भी, इस सूई को 20 सेकंड तक घुमाया गया था। हालांकि यह केवल एक प्रतीकात्मक तरीक़ा है जो यह दर्शाता है कि स्थिति कितनी गंभीर है, बोर्ड द्वारा घड़ी को आगे बढ़ाने के कारणों को बताया जाता है। यह बताता है कि ग्रह "क़यामत के क़रीब है"। उनकी दुनिया भर के नेताओं और नागरिकों को स्पष्ट चेतावनी है कि अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा स्थिति अब और अधिक ख़तरनाक हो गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि चीजें कभी भी खराब नहीं थीं, ये "न ही शीत युद्ध की चरम के समय" इतनी बदतर थी।

वे जो सबसे बड़ी चिंता व्यक्त करते हैं, वह सभ्यता को समाप्त करने वाले परमाणु युद्ध की वास्तविक संभावना है- "चाहे वह उद्देश्यपूर्ण, भारी चूक या सामान्य ग़लतफ़हमी द्वारा शुरू किया गया हो"। फिर वे कहते हैं, "जलवायु परिवर्तन जो इस ग्रह को तबाह कर सकता है, वह पहले से ही हो रहा है।"

इस बयान में सूचीबद्ध तीसरा ख़तरा परमाणु युद्ध और जलवायु परिवर्तन का ख़तरा है जो "ख़तरे बढ़ाने वाले साइबर-एनेबल्ड इनफॉर्मेशन वारफेयर द्वारा तेज हो रहा है, जो समाज की प्रतिक्रिया देने की क्षमता को कम करता है।"

"नए सिरे से परमाणु हथियारों की होड़ के लिए, परमाणु हथियारों के प्रसार के लिए और परमाणु युद्ध के लिए बाधाओं को कम करने के लिए अनुकूल माहौल बनाते हुए परमाणु क्षेत्र में राष्ट्रीय नेताओं ने पिछले साल कई प्रमुख हथियार नियंत्रण संधियों और वार्ताओं को समाप्त कर दिया या नज़रअंदाज़ कर दिया है।"

हालांकि यह स्पष्ट है कि हम गंभीर अस्तित्व के संकट के बीचो बीच खड़े हैं लेकिन प्रभावी समाधान दिखाई नहीं देते हैं। इसलिए समय आ गया है कि अंतर्राष्ट्रीय प्रशासन प्रणालियों में दूरगामी सुधारों को तलाशें और इससे जुड़े अन्य स्तरों पर भी शासन संबंधी सुधारों की खोज करें।

परिवर्तन तभी आ सकता है जब इसे पर्यावरण संरक्षण और न्याय के माध्यम से शांति के लिए निरंतर और बड़े पैमाने पर प्रयासों का समर्थन किया जाए, जिनमें से प्रत्येक को बदलने के लिए हमारे आदर्श प्रणालियों की आवश्यकता है। सबसे पहले, शांति, न्याय, प्रारंभिक वातावरण और महिलाओं की समानता के लिए प्रयास करने वाले सभी समूहों को एक साथ आना चाहिए और एक बेहतर विश्व के लिए योगदान करना चाहिए।

उत्तरजीविता संकट (सरवाइवल क्राइसिस) की गंभीरता और इसके बहुत ही गंभीर प्रभाव को ध्यान में रखते हुए कोई केवल यह उम्मीद कर सकता है कि प्रभाव जल्द ही सामने आने वाले हैं। बेहद प्रतिबद्ध, साहसी और निरंतर कार्य इस संघर्ष को सफल रुप से समाप्त करने में मदद कर सकता है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। सेव द अर्थ नाउ कैंपेन के संयोजक हैं और प्लैनेट इन पेरिल, प्रोटेक्टिंग अर्थ फॉर चिल्ड्रेन और मैन ओवर मशीन के लेखक हैं। लेख में व्यक्त विचार निजी हैं।)

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल लेख नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है।

https://www.newsclick.in/Earth-Day-Thousands-Scientists-Waving-Red-Flags

 

earth day
environment degradation
global warming
Corona Virus
Artificial intelligence

Related Stories

अंकुश के बावजूद ओजोन-नष्ट करने वाले हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन की वायुमंडल में वृद्धि

संयुक्त राष्ट्र के IPCC ने जलवायु परिवर्तन आपदा को टालने के लिए, अब तक के सबसे कड़े कदमों को उठाने का किया आह्वान 

अगले पांच वर्षों में पिघल सकती हैं अंटार्कटिक बर्फ की चट्टानें, समुद्री जल स्तर को गंभीर ख़तरा

धरती का बढ़ता ताप और धनी देशों का पाखंड

आईईए रिपोर्ट की चेतावनी, जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए स्वच्छ ऊर्जा निवेश करने में दुनिया बहुत पीछे

ग्लोबल वार्मिंग के दौरान कई जानवर अपने आकार में बदलाव कर रहे हैं

1400 वैज्ञानिकों की चेतावनी : जलवायु परिवर्तन पर क़दम नहीं उठाए तो मानवता झेलेगी 'अनकही पीड़ा'

पर्यावरणीय पहलुओं को अनदेखा कर, विकास के विनाश के बोझ तले दबती पहाड़ों की रानी मसूरी

कीटनाशक प्रदूषण के जोखिम की ज़द में विश्व के 64% कृषि क्षेत्र

तेज़ी से पिघल रहे हैं सतोपंथ और ऋषि गंगा ग्लेशियर


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    'राम का नाम बदनाम ना करो'
    17 Apr 2022
    यह आराधना करने का नया तरीका है जो भक्तों ने, राम भक्तों ने नहीं, सरकार जी के भक्तों ने, योगी जी के भक्तों ने, बीजेपी के भक्तों ने ईजाद किया है।
  • फ़ाइल फ़ोटो- PTI
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?
    17 Apr 2022
    हर हफ़्ते की कुछ ज़रूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन..
  • hate
    न्यूज़क्लिक टीम
    नफ़रत देश, संविधान सब ख़त्म कर देगी- बोला नागरिक समाज
    16 Apr 2022
    देश भर में राम नवमी के मौक़े पर हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद जगह जगह प्रदर्शन हुए. इसी कड़ी में दिल्ली में जंतर मंतर पर नागरिक समाज के कई लोग इकट्ठा हुए. प्रदर्शनकारियों की माँग थी कि सरकार हिंसा और…
  • hafte ki baaat
    न्यूज़क्लिक टीम
    अखिलेश भाजपा से क्यों नहीं लड़ सकते और उप-चुनाव के नतीजे
    16 Apr 2022
    भाजपा उत्तर प्रदेश को लेकर क्यों इस कदर आश्वस्त है? क्या अखिलेश यादव भी मायावती जी की तरह अब भाजपा से निकट भविष्य में कभी लड़ नहींं सकते? किस बात से वह भाजपा से खुलकर भिडना नहीं चाहते?
  • EVM
    रवि शंकर दुबे
    लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों में औंधे मुंह गिरी भाजपा
    16 Apr 2022
    देश में एक लोकसभा और चार विधानसभा चुनावों के नतीजे नए संकेत दे रहे हैं। चार अलग-अलग राज्यों में हुए उपचुनावों में भाजपा एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हुई है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License