NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
1अप्रैल को महाराष्ट्र के हर ज़िले में तहसील कर्यालयों का घेराव करेंगे के किसान
किसान नेताओं का कहना है कि जिन वादों को सरकार ने माना था, उन्हें अब तक ज़मीन पर लागू नहीं किया गया है I
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
21 May 2018
kisan andolan

1 जून को अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में महाराष्ट्र के लाखों किसान राज्य के हर  ज़िले में तहसील कार्यालयों के दफ्तरों का घेराव करेंगे I ये विरोध प्रदर्शन पिछले साल महाराष्ट्र में हुए किसान आन्दोलन के एक साल के उपलक्ष में और किसानों की माँगे न माने जाने के खिलाफ किया जा रहा है I पिछले साल यानि 1 अप्रैल 2017 को महाराष्ट्र के पुणतांबा गाँव में किसानों ने एक बहुत बड़ी हड़ताल की थी जिसमें उन्होंने सब्ज़ी, दूध, पोल्ट्री के सामान और फलों की सप्लाई को रोक दिया था I इस हड़ताल ने बहुत जल्द ही ज़ोर पकड़ा और फिर ये नासिक, कोलापुर, अहमदनगर और शोलापुर में भी फ़ैल गयी I   

8 अप्रैल को महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार ने किसानों के 34,022 करोड़ रुपयों का कर्ज़ माफ़ करने का वादा किया था, जिसके बाद हड़ताल को ख़त्म कर दिया गया थाI इस वादे को न निभाये जाने और पूरी कर्ज़ माफ़ी न किये जाने की वजह से किसान तब से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैंI इन्हीं प्रदर्शनों की कड़ी में इस साल मार्च के महीन में हुआ ऐतिहासिक “किसान लॉन्ग मार्च” भी शामिल है, जिसमें पूरे महाराष्ट्र के 40,000 से ज़्यादा किसानों ने मुंबई तक मार्च किया थाI इस मार्च ने महाराष्ट्र सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था और किसानों की सभी माँगों को लिखित में मान लिया थाI

किसान लम्बे अर्से से यह माँग कर रहे हैं कि किसानों के पूरे कर्ज़ माफ़ किये जायें, बिजली के बिल पूरी तरह माफ़ हों, कृषि उत्पादन का डेढ़-गुना दाम मिले, डेरी किसानों को दुग्ध उत्पादन का सही दाम मिले, Scheduled Tribes and Other Traditional Forest Dwellers (Recognition of Forest Rights) Act को सही ढंग से लागू किया जाए और स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू किया जाएI

AIKS (अखिल भारतीय किसान सभा) के महाराष्ट्र सचिव अजित नवाले ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार के द्वारा बार-बार वादा करके न निभाए जाने की वजह से किसान अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं I अजित नवाले ने मार्च में हुए ऐतिहासिक “किसान लॉन्ग मार्च” को आयोजित करने के लिए एक अहम भूमिका निभाई थी I AIKS का दावा है कि 1 जून को होने वाले इस घेराव में पूरे महाराष्ट्र से 2 लाख़ किसान हिस्सा लेंगे और वह उम्मीद कर रहे हैं कि बाकि किसान संगठन भी इस आन्दोलन में शामिल होंगे I

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए नवाले ने कहा “पिछले साल की हड़ताल और लॉन्ग मार्च के बाद सरकार ने किसानों के वादे मान लिए थे लेकिन उन्हें अब तक ज़मीन पर लागू नहीं किया गया है I इसके विरोध में महाराष्ट्र के हर ज़िले में किसान तहसील कार्यालयों का घेराव करेंगे I ये घेराव तब तक जारी रहेगा जब तब उनकी माँगे मान नहीं ली जाती I पुरानी माँगों के आलावा हम ये भी माँग कर रहे हैं कि तूर दाल के आयात को रोका जाए क्योंकि इससे किसानों का बहुत नुक्सान होगा I”

उन्होंने आगे बताया “दरअसल महाराष्ट्र सरकार ने 1.5 लाख़ टन तूर दाल को आयत करने का फैसला लिया है इससे तूर के दाम बहुत कम हो जायेंगे और खासकर विदर्भ के किसानों को बहुत नुकसान होगा I इसके साथ ही डेरी किसान 5 अप्रैल को दुग्ध विकास मंत्री के घर के सामने दूध के सही दाम नहीं दिए जाने के विरोध में बड़ी मात्रा में दूध फेंकने का कार्य करेंगे I”

दरअसल भारत में महाराष्ट्र कृषि संकट का गढ़ बनकर उभरा है 1995 से 2014 तक इस राज्य में 60,750 किसानों ने कर्ज़ों के बोझ तले अपनी जाने दीं है I इसके बाद भी ये आकड़ा बढता ही रहा है 2014 में 2,568, 2015 में 3,228 और 2016 में  3,063  किसानों ने जाने दी I

महाराष्ट्र में भी सबसे ज़्यादा ख़राब स्थिति विदर्भ इलाके की रही है I कुल मरने वाले किसानों में से 70% इसी इलाके के 11 जिलों से आते हैं I यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में यहाँ किसानों का गुस्सा आन्दोलन के रूप में उभर कर आया है I किसान नेताओं को उम्मीद है कि लगातार ज़ोर पकड़ता ये आन्दोलन किसानों की भयावह समस्यायों के कुछ उपाय निकलेगाI

kisan andolan
Maharashtra
BJP
kisan sabha
AIKS

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • JAYANT
    रवि शंकर दुबे
    आज़म के परिवार से जयंत की मुलाकात के क्या मायने निकाले जाएं?
    20 Apr 2022
    रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी की आज़म खान के बेटे अब्दुल्ला आज़म खान से मुलाकात के बाद तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। एक अटकल ये है कि आज़म खान सपा छोड़ सकते हैं तो दूसरी तरफ़ यह भी कि शायद जयंत अखिलेश…
  • jammu kashmir
    राजा मुज़फ़्फ़र भट
    जम्मू-कश्मीर में नियमों का धड़ल्ले से उल्लंघन करते खनन ठेकेदार
    20 Apr 2022
    विशालकाय मशीनें छोटी नदियों का दोहन कर जैव विविधता को नष्ट कर रही हैं। गैरकानूनी ठेके और ज्यादा खनन से जलीय जीवन, वनस्पतियों और जीवों तथा कृषि के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया है।
  • jahangirpuri
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी में अतिक्रमण रोधी अभियान पर रोक लगाई, कोर्ट के आदेश के साथ बृंदा करात ने बुल्डोज़र रोके
    20 Apr 2022
    मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने मौजूदा हालात में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए। उसने कहा कि याचिका को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा।
  • hate
    असद रिज़वी
    लखनऊ: देशभर में मुस्लिमों पर बढ़ती हिंसा के ख़िलाफ़ नागरिक समाज का प्रदर्शन
    20 Apr 2022
    उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विभिन सामाजिक, सांस्कृतिक और महिला संगठनों ने देश में बिगड़ते सम्प्रदायिक सौहार्द पर चिंता जताई हैं।
  • Libya
    पीपल्स डिस्पैच
    सत्ता हस्तांतरण की मांग के विरोध के बाद लीबिया में तेल उत्पादन बाधित
    20 Apr 2022
    लीबिया की संसद ने प्रधान मंत्री अब्दुल हामिद दबेबा की जगह फाति बाशागा को चुन लिया है, इसके बावजूद दबेबा ने पद छोड़ने से इनकार कर दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License