NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
23 मार्च के शहीदी दिवस के मद्देनज़र किसान-मज़दूर निकालेंगे पदयात्रा
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहीदी दिवस के दिन सीआईटीयू, किसान सभा, और खेत मज़दूर यूनियन ने कृषि क़ानूनों, लेबर एक्ट और मोदी सरकार की अन्य नीतियों के ख़िलाफ़ पदयात्रा निकालने की घोषणा की है और सभी किसानों-मज़दूरों, आम जनता, शिक्षक छात्र बुद्धिजीवी और हर वर्ग के लोगों से इसमें शामिल होने की अपील की है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
17 Mar 2021
23 मार्च

देश भर में मोदी सरकार द्वारा लाये गए तीनों कृषि क़ानूनों का विरोध लगातार बढ़ रहा है। किसानों के अलावा मज़दूर भी इस आंदोलन को अपने आंदोलन के साथ जोड़ कर एकजुट होकर संघर्ष कर रहे हैं। 

इसी सिलसिले में 23 मार्च, जिस दिन भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी, उस शहीदी दिवस के मद्देनज़र सीआईटीयू, किसान सभा, और खेत मज़दूर यूनियन ने तीन काले कृषि क़ानून, लेबर कोड एक्ट, बिजली बिल और निजीकरण के ख़िलाफ़ तथा एमएसपी पर ख़रीद की गारंटी का क़ानून बनवाने, खाद्य सुरक्षा और रोज़गार के अधिकार के लिए पदयात्रा निकालने की घोषणा की है और सभी किसानों-मज़दूरों, आम जनता, शिक्षक छात्र बुद्धिजीवी और हर वर्ग के लोगों से इसमें शामिल होने की अपील की है।

इस पदयात्रा की घोषणा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर की गई है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, "अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के सपनों के अनुरूप आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था को बदलने के संघर्ष को तेज करने के संकल्प के रूप में देश लोग के उन्हें याद करते हैं।

मशहूर शायर एवं स्वतंत्रता सेनानी हसरत मोहानी द्वारा दिये गए इंकलाब- जिंदाबाद के नारे को भगत सिंह और उसके साथियों ने ही ऐसा लोकप्रिय बनाया कि आज चप्पे- चप्पे पर इसकी गूंज सुनी जा सकती है। इंकलाब का मतलब है: व्यवस्थागत क्रांतिकारी बदलाव, पूंजीवाद की जगह कमेरे वर्गों का राज - जिसे समाजवाद कहते हैं। लेकिन देश की हालत क्या है?

उस आजादी को भी आज खतरा पैदा हो गया है जिसके लिए वे साम्राज्यवाद से लड़ते हुए भरी जवानी में फांसी पर झूल गए। हमारे देश में वो ताकत शासन पर पहुंच गई जिसने स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजी साम्राज्य का साथ दिया था। आज उन्होंने भारत को अमेरिकी साम्राज्यवाद का पिछल्लगू बना दिया।

बाबा साहब अंबेडकर की अध्यक्षता में स्वतंत्र भारत के लिए जिस संविधान को ग्रहण किया गया उसकी मूल रचना को ही खंडित किया जा रहा है। समानता, संप्रभुता, स्वतंत्रता, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के बुनियादी मूल्यों को तहस-नहस किया जा रहा है। नागरिक अधिकारों को छीना जा रहा है और तानाशाह निजाम थोपने की कुचेष्ठा की जा रही है।"

यह पदयात्रा हरियाणा में हांसी की लाल सड़क से शुरू की जा रही है जो कि ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ 1857 के जनप्रतिरोध का ऐतिहासिक केंद्र रहा है। इसी जगह पर लाला हुकुमचंद जैन और मिर्जा मुनीर बेग की सांझी शहादत हुई थी। इसी दिन एक सहयोगी जत्था जींद से चलकर हांसी वाले मुख्य जत्थे में रोहतक के आसपास मिलेगा। पांच दिन तक गांव - शहरों से गुजरते हुए इस विशाल जत्थे का 23 मार्च को टीकरी बार्डर पर हजारों किसानों के साथ समावेश होगा.

दूसरा बड़ा जत्था पंजाब किसान, मजदूरों का होगा जो शहीद भगत सिंह के गांव खटकड़ कलां से आएगा जिसका 19 मार्च को कुरुक्षेत्र और करनाल में नागरिक अभिनन्दन होगा और 20 मार्च को यह हरियाणा के किसान मजदूर जत्थे के साथ मिलकर पानीपत से सिंघु बार्डर पहूंचेगा। 

तीसरा जत्था उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश के किसानों का 19 मार्च को पदयात्रा करते हुए 23 मार्च को पलवल पहुंचेगा।

farmers
Workers
Farm Laws
Modi Govt
Bhagat Singh
sukhdev
Rajguru
Singhu Border
farmers protest

Related Stories

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना

दक्षिण अफ्रीका में सिबन्ये स्टिलवाटर्स की सोने की खदानों में श्रमिक 70 दिनों से अधिक समय से हड़ताल पर हैं 

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

आंगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने क्यों कर रखा है आप और भाजपा की "नाक में दम”?

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल का दूसरा दिन, जगह-जगह धरना-प्रदर्शन

मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ भारत बंद का दिखा दम !


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर
    30 Apr 2022
    मुज़फ़्फ़रपुर में सरकारी केंद्रों पर गेहूं ख़रीद शुरू हुए दस दिन होने को हैं लेकिन अब तक सिर्फ़ चार किसानों से ही उपज की ख़रीद हुई है। ऐसे में बिचौलिये किसानों की मजबूरी का फ़ायदा उठा रहे है।
  • श्रुति एमडी
    तमिलनाडु: ग्राम सभाओं को अब साल में 6 बार करनी होंगी बैठकें, कार्यकर्ताओं ने की जागरूकता की मांग 
    30 Apr 2022
    प्रदेश के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 22 अप्रैल 2022 को विधानसभा में घोषणा की कि ग्रामसभाओं की बैठक गणतंत्र दिवस, श्रम दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के अलावा, विश्व जल दिवस और स्थानीय शासन…
  • समीना खान
    लखनऊ: महंगाई और बेरोज़गारी से ईद का रंग फीका, बाज़ार में भीड़ लेकिन ख़रीदारी कम
    30 Apr 2022
    बेरोज़गारी से लोगों की आर्थिक स्थिति काफी कमज़ोर हुई है। ऐसे में ज़्यादातर लोग चाहते हैं कि ईद के मौक़े से कम से कम वे अपने बच्चों को कम कीमत का ही सही नया कपड़ा दिला सकें और खाने पीने की चीज़ ख़रीद…
  • अजय कुमार
    पाम ऑयल पर प्रतिबंध की वजह से महंगाई का बवंडर आने वाला है
    30 Apr 2022
    पाम ऑयल की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। मार्च 2021 में ब्रांडेड पाम ऑयल की क़ीमत 14 हजार इंडोनेशियन रुपये प्रति लीटर पाम ऑयल से क़ीमतें बढ़कर मार्च 2022 में 22 हजार रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गईं।
  • रौनक छाबड़ा
    LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम
    30 Apr 2022
    कर्मचारियों के संगठन ने एलआईसी के मूल्य को कम करने पर भी चिंता ज़ाहिर की। उनके मुताबिक़ यह एलआईसी के पॉलिसी धारकों और देश के नागरिकों के भरोसे का गंभीर उल्लंघन है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License