NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
उचित वेतन की मांग करने पर चेन्नई लक्ज़री क्लबों ने अपने 95 कर्मचारी निकाले
करोड़ों रुपये की परिसंपत्ति वाले मद्रास जिमखाना और बोट क्लब ने मार्च 2020 में लॉकडाउन की शुरुआत के बाद से हो रही श्रमिकों के वेतन में देरी के लिए महामारी के दौरान राजस्व में हो रही कमी का हवाला दिया।
श्रुति एमडी
11 Feb 2021
उचित वेतन की मांग करने पर चेन्नई लक्ज़री क्लबों ने अपने 95 कर्मचारी निकाले

23 मार्च 2020 को कोविड-19 लॉकडाउन लागू होने के बाद से चेन्नई के जिमखाना क्लब और मद्रास बोट क्लब के कर्मचारी उचित आमदनी नहीं मिल पाने से परेशान रहे हैं। जबकि पूर्ण भुगतान के लिए संघर्ष चल ही रहा था कि तभी उसी दरम्यान दोनों क्लबों ने रातोंरात उन कुछ कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया, जिन्होंने कई साल तक उनके लिए काम किया था।

जिमखाना क्लब और बोट क्लब चेन्नई के अहम जगहों पर स्थित हैं और उनके पास करोड़ों रुपये की संपत्ति है। सदस्यता शुल्क के रूप में ये कल्ब लाखों रुपये भी वसूलते हैं।

मद्रास जिमखाना क्लब

लेकिन, दोनों क्लबों ने श्रमिकों के वेतन में देरी और कर्मचारियों को भारी संख्या में निकाले जाने को लेकर महामारी के दौरान राजस्व में हुई कमी का हवाला दिया है।

हस्तक्षेप को लेकर सरकार की दुविधा

लॉकडाउन की शुरुआत में ही श्रमिकों के वेतन में बोट क्लब ने 50% और जिमखाना क्लब ने 70% तक की कटौती कर दी थी। लेफ़्ट ट्रेड यूनियन सेंटर (LTUC) की अगुवाई में दोनों क्लबों के श्रमिकों ने श्रम विभाग के साथ इस मुद्दे को उठाया और 6 जून, 2020 को इनके ख़िलाफ़ एक मामला दायर कर दिया गया। मामला अब भी चल रहा है।

सरकार के लॉकडाउन हटाने के बाद से इन क्लबों में 1 सितंबर, 2020 से कामकाज भी फिर से शुरू हो गया था, इसके बावजूद इन क्लबों के प्रबंधनों ने श्रमिकों को पूर्ण वेतन देने से इनकार कर दिया। पूर्ण भुगतान की मांग के जवाब में जिमखाना क्लब ने 4 नवंबर को 149 श्रमिकों में से 56 की सेवा समाप्त कर दी थी, और बोट क्लब ने दायर मुकदमे का अनुसरण किया और 10 दिसंबर को 76 श्रमिकों में से 39 को निकाल दिया।

जिमखाना क्लब ट्रेड यूनियन के पदाधिकारी, विनोद ने सवाल उठाया, "जब सरकार ने कोरोना लॉकडाउन में इन क्लबों को बंद करने के लिए कहा, तो प्रबंधन ने इसका पालन किया, लेकिन जब सरकार ने 100% श्रमिकों के साथ इन्हें फिर से खोलने के लिए कहा, तो क्लबों ने इसका पालन क्यों नहीं किया?"

कई महीनों तक श्रम मंत्रालय से इस मुद्दे में हस्तक्षेप करने की मांग करते रहने के बाद राज्य के श्रम मंत्री, निलोफ़र कफ़ील ने आख़िरकार 21 दिसंबर, 2020 को ट्रेड यूनियन नेताओं के साथ मुलाक़ात की। हालांकि, उस बैठक से कुछ भी हासिल नहीं हुआ।

भूख-हड़ताल का सहारा

सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलनरत दो ट्रेड यूनियन श्रमिकों- एन.जेम्स और एस.मल्लाह के जनवरी 2021 में अनशन पर बैठने के बाद ही श्रम मंत्रालय ने हस्तक्षेप किया। 12 जनवरी, 2021 को ट्रेड यूनियन नेताओं के साथ बैठक के बाद श्रम विभाग ने ट्रेड यूनियन की मांगों को स्वीकार कर लिया और क्लबों को उन सभी श्रमिकों को वापस लेने के लिए कहा, जिन्हें निकाल दिया गया था। इसके बावजूद इन क्लबों ने सरकार की सलाह का पालन नहीं किया।

बोट क्लब के एक कर्मचारी, सरावनन ने पूछा, “क्या क्लब प्रबंधन सरकार से ज़्यादा ताक़तवर हैं? वे सरकारी सलाह का पालन कैसे नहीं कर सकते हैं?”

इन असंवेदनशील क्लब प्रबंधनों के सरकारी आदेश का पालन करने से इनकार किये जाने के बाद, लेफ़्ट ट्रेड यूनियन सेंटर (LTUC) के सचिव, ऐडवोकेट भारती 27 जनवरी को अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गये।

लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर उग्र आंदोलन किया गया, जिसमें 4 फ़रवरी को विधानसभा में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के साथ एक बैठक की मांग की गयी और इन मांगों को लेकर एक ज्ञापन भी दिया गया, जिसमें सीएम से निकाले गये कर्मचारियों को फिर से बहाल किये जाने और उन्हें पूर्ण वेतन फिर से दिये जाने की मांग की गयी। हालांकि, प्रदर्शनकारी श्रमिकों पर राज्य पुलिस ने बल प्रयोग किया था, और इसमें उनमें से तीन लोग घायल भी हो गये थे।

भूख हड़ताल के 14 दिनों बाद श्रम आयोग के इस इस ऐलान के बाद ही भारती ने 9 फ़रवरी को भूख हड़ताल ख़त्म कर दिया था कि श्रम सचिव को औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 10 बी के तहत एक सरकारी आदेश पारित करने के लिए कहा जायेगा।

न्यूज़क्लिक के साथ बात करते हुए उन्होंने कहा, "श्रम विभाग आसानी से एक सरकारी आदेश(GO) जारी कर सकता है और सुनिश्चित कर सकता है कि श्रमिकों को फिर से काम पर वापस लिया जाये और पूर्ण वेतन दिया जाये, लेकिन उसने ऐसा करने की सिर्फ़ मंज़ूरी ही दी है।"

‘पूरा वेतन और फिर से बहाली’  

श्रमिकों को क्लब प्रबंधनों की तरफ़ से  श्रम विभाग से जारी इस सरकारी आदेश को लागू किये जाने का इंतज़ार है।

इन दोनों लक्ज़री क्लबों की तरफ़ से असंवेदनशील रुख़ अख़्तियार किये जाने की निंदा करते हुए भारती ने कहा, “न सिर्फ़ चेन्नई, बल्कि पूरे तमिलनाडु के कुछ सबसे अमीर लोग जिमखाना क्लब और मद्रास बोट क्लब के सदस्य हैं और वे नियमित रूप से अपने शौक पूरा करने के लिए इन क्लबों में आते हैं। इन क्लबों के पास काफ़ी पैसे हैं, फिर भी वे श्रमिकों को उनके लंबित वेतन का भुगतान करने के लिए तैयार नहीं हैं।”

मद्रास बोट क्लब

बोट क्लब और जिमखाना क्लब चेन्नई के सबसे पुराने क्लबों के हिस्से हैं। अंग्रेज़ों ने इन दोनों की स्थापना क्रमशः 1864 और 1884 को की थी। इन क्लबों के पास गोल्फ़, बॉलिंग,पोलो, रोविंग, आदि जैसे खेलों के शानदार मैदान हैं। समाज के कुलीन और रसूखदार लोग इन क्लबों के सदस्य हैं, इनमें आईएएस और आईपीएस अफ़सर, केंद्रीय मंत्री और उद्योगपति शामिल हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

95 Employees Terminated from Chennai Luxury Clubs for Demanding Proper Pay

Madras Boat Club
Tamil Nadu Government
Gymkhana Club
Illegal Termination of Workers
Pending Workers Salaries
workers protest
Tamil Nadu Labour Department
Workers rights

Related Stories

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?

#Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान

लंबे संघर्ष के बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायक को मिला ग्रेच्युटी का हक़, यूनियन ने बताया ऐतिहासिक निर्णय

मध्य प्रदेश : आशा ऊषा कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन से पहले पुलिस ने किया यूनियन नेताओं को गिरफ़्तार

झारखंड: हेमंत सरकार की वादाख़िलाफ़ी के विरोध में, भूख हड़ताल पर पोषण सखी

अधिकारों की लड़ाई लड़ रही स्कीम वर्कर्स

उत्तर प्रदेश में स्कीम वर्कर्स की बिगड़ती स्थिति और बेपरवाह सरकार

अर्बन कंपनी से जुड़ी महिला कर्मचारियों ने किया अपना धरना ख़त्म, कर्मचारियों ने कहा- संघर्ष रहेगा जारी!

एक बड़े आंदोलन की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशा बहनें, लखनऊ में हुआ हजारों का जुटान


बाकी खबरें

  • srilanka
    न्यूज़क्लिक टीम
    श्रीलंका: निर्णायक मोड़ पर पहुंचा बर्बादी और तानाशाही से निजात पाने का संघर्ष
    10 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने श्रीलंका में तानाशाह राजपक्षे सरकार के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन पर बात की श्रीलंका के मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. शिवाप्रगासम और न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सत्यम् तिवारी
    रुड़की : दंगा पीड़ित मुस्लिम परिवार ने घर के बाहर लिखा 'यह मकान बिकाऊ है', पुलिस-प्रशासन ने मिटाया
    10 May 2022
    गाँव के बाहरी हिस्से में रहने वाले इसी मुस्लिम परिवार के घर हनुमान जयंती पर भड़की हिंसा में आगज़नी हुई थी। परिवार का कहना है कि हिन्दू पक्ष के लोग घर से सामने से निकलते हुए 'जय श्री राम' के नारे लगाते…
  • असद रिज़वी
    लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी
    10 May 2022
    एक निजी वेब पोर्टल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर की गई एक टिप्पणी के विरोध में एबीवीपी ने मंगलवार को प्रोफ़ेसर रविकांत के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया। उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में घेर लिया और…
  • अजय कुमार
    मज़बूत नेता के राज में डॉलर के मुक़ाबले रुपया अब तक के इतिहास में सबसे कमज़ोर
    10 May 2022
    साल 2013 में डॉलर के मुक़ाबले रूपये गिरकर 68 रूपये प्रति डॉलर हो गया था। भाजपा की तरफ से बयान आया कि डॉलर के मुक़ाबले रुपया तभी मज़बूत होगा जब देश में मज़बूत नेता आएगा।
  • अनीस ज़रगर
    श्रीनगर के बाहरी इलाक़ों में शराब की दुकान खुलने का व्यापक विरोध
    10 May 2022
    राजनीतिक पार्टियों ने इस क़दम को “पर्यटन की आड़ में" और "नुकसान पहुँचाने वाला" क़दम बताया है। इसे बंद करने की मांग की जा रही है क्योंकि दुकान ऐसे इलाक़े में जहाँ पर्यटन की कोई जगह नहीं है बल्कि एक स्कूल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License