NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दिल्ली और पंजाब के बाद, क्या हिमाचल विधानसभा चुनाव को त्रिकोणीय बनाएगी AAP?
इस साल के आखिर तक हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, तो प्रदेश में आप की एंट्री ने माहौल ज़रा गर्म कर दिया है, हालांकि भाजपा ने भी आप को एक ज़ोरदार झटका दिया 
रवि शंकर दुबे
09 Apr 2022
AAP-CONG-BJP

हिन्दुस्तान में राज्यों की राजनीति पिछले एक दशक में लगभग पूरी तरह बदल चुकी है। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब के चुनावों पर ग़ौर किया जा सकता है। अब बारी है इन्ही तीनों राज्यों से सटे हिमाचल प्रदेश की... जहां इस साल के आख़िर में विधानसभा चुनाव होने हैं।

हिमाचल प्रदेश में सियासी इतिहास देखें तो राजनीति की धुरी भाजपा और कांग्रेस के आसपास ही घूमती है। लेकिन पंजाब में जीत के बाद बेहद उत्साहित आम आदमी पार्टी भी सीना तानकर देव भूमि पहुंच गई है। हालांकि ‘’आप’’ की हिमाचल में इस एंट्री को भाजपा ने ज़रा फीका कर दिया और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अनूप केसरी को भाजपा में शामिल कर भगवा रंग में रंग दिया। इतना ही नहीं केसरी के साथ आप के संगठन महामंत्री सतीश ठाकुर ने भी भाजपा का दामन थामन लिया और अपने साथ ऊना से आप अध्यक्ष इकबाल सिंह को भी भाजपा में ले आए। इन सभी को केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की उपस्थिति में पार्टी में शामिल कराया।

image

आप के हिमाचल प्रदेश अध्यक्ष अनूप केसरी ने दरअसल ये कहकर पार्टी को छोड़ दिया, कि हम पिछले 8 साल से आम आदमी पार्टी के लिए काम कर रहे थे लेकिन इसके बावजूद 6 तारीख को मंडी में हुई अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान की रैली में 4 घंटे हमारे कार्यकर्ता धूप में खड़े होकर इंतजार कर रहे थे, लेकिन उनके पास उनसे मिलने का 1 मिनट समय नहीं था।

जबकि दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर BJP के शीर्ष नेतृत्व में केजरीवाल का ज़बर्दस्त ख़ौफ़ बताया। सिसोदिया ने कहा कि BJP के अध्यक्ष नड्डा और होने वाले नए CM चेहरा अनुराग ठाकुर दौड़कर हिमाचल प्रदेश पहुंचे और रात 12 बजे AAP के एक पदाधिकारी को शामिल करवाया। हालांकि बीजेपी में शामिल हुए केसरी पर सिसोदिया ने एक गंभीर आरोप भी लगाया और कहा कि महिलाओं के साथ गंदी हरकत करने वालों को AAP निकालने वाली ही थी, और इनकी जगह भाजपा में ही हो सकती है।

BJP के शीर्ष नेतृत्व को केजरीवाल जी का ज़बर्दस्त ख़ौफ़

BJP के अध्यक्ष नड्डा और होने वाले नए CM चेहरा अनुराग ठाकुर दौड़ कर HP पहुँचे और रात 12बजे AAP के एक पदाधिकारी को शामिल करवाया

महिलाओ के ख़िलाफ़ गंदी हरकत के आरोप में AAP इसे आज निकालने वाली थी

ऐसे लोगो की जगह BJP मे ही है

— Manish Sisodia (@msisodia) April 9, 2022

आम आदमी पार्टी के खिलाफ भाजपा का ये एक्शन ये तो बयां कर रहा हैं, कि हिमाचल प्रदेश की 68 सीटों पर चुनाव कांग्रेस और भाजपा के लिए आसान होने वाला नहीं है, क्योंकि इसका परिणाम सभी राजनीतिक पार्टियां पंजाब में देख चुकी हैं। 

आपको बताते चलें कि हिमाचल प्रदेश में हुए साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 68 में से 44 सीटों पर जीत मिली थी जबकि कांग्रेस के खाते में महज़ 21 सीटों आई थीं। जबकि एक सीट सीपीएम के खाते में भी आई थी।

वैसे तो यहां जातीय समीकरण बहुत मायने नहीं रखते लेकिन हिंदुस्तान की राजनीतिक है तो जातियों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करना भी ठीक नहीं होगा। 

हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा सवर्ण मतदाता हैं, जो फिलहाल भाजपा का कोर वोटर माने जाते हैं, 2017 में इन्होंने भाजपा का भरपूर साथ दिया था, हालांकि चौंकाने वाली बाते ये रही थीं कि भाजपा के लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा रहे प्रेम कुमार धूमल खुद चुनाव हार गए थे, जबकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सत्यपाल सिंह भी अपनी सीट नहीं बचा पाए थे।

साल 2011 की जनगणना के अनुसार देखें तो, हिमाचल प्रदेश में 50 फीसदी से ज्यादा आबादी सवर्ण मतदाताओं की है। 50.72 सवर्णों में सबसे ज्यादा 32.72 फीसदी राजपूत और 18 फीसदी ब्राह्मण हैं। इसके अलावा अनुसूचित जाति की आबादी 25.22 फीसदी है और अनुसूचित जनजाति की आबादी 5.71 फीसदी है। प्रदेश में ओबीसी 13.52 फीसदी और अल्पसंख्यक 4.83 फीसदी हैं। 

अब अगर इन जातियों के आधार पर भाजपा की रणनीति को समझें तो, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश के ब्राह्मण बिरादरी से आते हैं, तो 2017 में जब भाजपा सत्ता में आई तो पहले राजीव बिंदल और फिर अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले शिमला के सांसद सुरेश कश्यप को संगठन की कमान सौंप दी गई, जनसंख्या के लिहाज से राजपूतों के बाद एससी समुदाय का नंबर है, और फिर प्रदेश की राजनीति में राजपूतों का दखल तो किसी से छिपा है नहीं, जबकि किंग मेकर की भूमिका अक्सर ब्राह्मण निभाते हैं। कहने का मतलब साफ है कि भाजपा अपने पुराने ढर्रे पर ही चलकर जातियों को साधकर एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर चुकी है। 

वहीं बात प्रदेश में विपक्षी पार्टी यानी कांग्रेस की करें तो पार्टी अपने दलित नेताओं के माध्यम से मतदाताओं को उनके उत्थान के बारे में समझाने में जुटी हुई है। राज्य में कांग्रेस के द्वारा दलित सशक्तिकरण और महंगाई के मुद्दे के माध्यम से सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है। इसमें भी कांग्रेस के लिए सरकार के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार महंगाई ही साबित हो सकता है, क्योंकि अक्टूबर 2021 में जितनी सीटों पर उपचुनाव हुए भाजपा ने सभी गवां दी थीं। जिसमें मंहगाई का मुद्दा ही सबसे ऊपर निकलकर आया था। 

वैसे कांग्रेस के लिए हिमाचल प्रदेश में मुस्लिम फैक्टर भी फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि इस समुदाय के 67 फीसदी वोट पिछली बार कांग्रेस को मिले थे जबकि 21 फीसदी वोट भाजपा को। जबकि 12 फीसदी अन्य के खाते में गए थे। हालांकि प्रदेश में मुस्लिम मतदाता ज्यादा नहीं है, फिर भी दर्जन भर सीटों पर ये तख्तापलट की ताकत रखते हैं। 

एक ओर जहां भाजपा और कांग्रेस ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं, ऐसे में मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए आम आदमी पार्टी भी पूरी तरह से तैयार है, जिसका ऐलान पार्टी ने सभी 68 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए पहले ही कर दिया है। पार्टी का हिमाचल के ऊना, कांगड़ा, बिलासपुर और सोलन जिलों पर फोकस है। इसकी वजह ये है कि ये सभी इलाके पंजाब से लगते हैं। वहीं पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व में सरकार बन चुकी है, इसका असर पड़ोसी राज्य के इन इलाकों में देखने को मिल सकता है। वहीं कांगड़ा जिले में ही राज्य की सबसे ज्यादा 15 विधानसभा सीटें आती हैं।

एक लिहाज से देखा जाए तो आम आदमी पार्टी भाजपा और कांग्रेस दोनों का खेल बिगाड़ सकती है, जिसमें ज्यादा ख़तरा कांग्रेस को है, क्योंकि पिछले कुछ दिनों में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए ज्यादातर नेता कांग्रेस से ही आते हैं, लेकिन ये बात भी सही है कि अपरिपक्व संगठन के साथ पहाड़ चढ़ना आम आदमी पार्टी के लिए इतना आसान भी नहीं होगा। क्योंकि 52 लाख से ज्यादा वोटरों वाले इस प्रदेश में आम आदमी पार्टी के पास लगभग 2.25 लाख सदस्य ही हैं, वहीं साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में चारों सीटों पर महज़ 2.06 फीसदी वोट ही मिले थे। 

ख़ैर.... तबियत की ठंड संभालकर रखने वाला हिमाचल प्रदेश इस बार नवंबर दिसंबर में सियासत से गर्म होता नज़र आने वाला है, क्योंकि इस बार चुनावी समीकरण पूरी तरह अलग-थलग दिखाई पड़ रहे हैं।

ये भी पढ़ें: विश्लेषण: आम आदमी पार्टी की पंजाब जीत के मायने और आगे की चुनौतियां

Delhi
AAP
Himachal
Himachal assembly elections
punjab
Congress

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल, कहा प्रधानमंत्री का छोटा सिपाही बनकर काम करूंगा

राज्यसभा सांसद बनने के लिए मीडिया टाइकून बन रहे हैं मोहरा!

ED के निशाने पर सोनिया-राहुल, राज्यसभा चुनावों से ऐन पहले क्यों!

ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया

राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास

धनशोधन क़ानून के तहत ईडी ने दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ़्तार किया

हिमाचल : मनरेगा के श्रमिकों को छह महीने से नहीं मिला वेतन

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया


बाकी खबरें

  • MGNREGA
    सरोजिनी बिष्ट
    ग्राउंड रिपोर्ट: जल के अभाव में खुद प्यासे दिखे- ‘आदर्श तालाब’
    27 Apr 2022
    मनरेगा में बनाये गए तलाबों की स्थिति का जायजा लेने के लिए जब हम लखनऊ से सटे कुछ गाँवों में पहुँचे तो ‘आदर्श’ के नाम पर तालाबों की स्थिति कुछ और ही बयाँ कर रही थी।
  • kashmir
    सुहैल भट्ट
    कश्मीर में ज़मीनी स्तर पर राजनीतिक कार्यकर्ता सुरक्षा और मानदेय के लिए संघर्ष कर रहे हैं
    27 Apr 2022
    सरपंचों का आरोप है कि उग्रवादी हमलों ने पंचायती सिस्टम को अपंग कर दिया है क्योंकि वे ग्राम सभाएं करने में लाचार हो गए हैं, जो कि जमीनी स्तर पर लोगों की लोकतंत्र में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए…
  • THUMBNAIL
    विजय विनीत
    बीएचयू: अंबेडकर जयंती मनाने वाले छात्रों पर लगातार हमले, लेकिन पुलिस और कुलपति ख़ामोश!
    27 Apr 2022
    "जाति-पात तोड़ने का नारा दे रहे जनवादी प्रगतिशील छात्रों पर मनुवादियों का हमला इस बात की पुष्टि कर रहा है कि समाज को विशेष ध्यान देने और मज़बूती के साथ लामबंद होने की ज़रूरत है।"
  • सातवें साल भी लगातार बढ़ा वैश्विक सैन्य ख़र्च: SIPRI रिपोर्ट
    पीपल्स डिस्पैच
    सातवें साल भी लगातार बढ़ा वैश्विक सैन्य ख़र्च: SIPRI रिपोर्ट
    27 Apr 2022
    रक्षा पर सबसे ज़्यादा ख़र्च करने वाले 10 देशों में से 4 नाटो के सदस्य हैं। 2021 में उन्होंने कुल वैश्विक खर्च का लगभग आधा हिस्सा खर्च किया।
  • picture
    ट्राईकोंटिनेंटल : सामाजिक शोध संस्थान
    डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अर्जेंटीना ने लिया 45 अरब डॉलर का कर्ज
    27 Apr 2022
    अर्जेंटीना की सरकार ने अपने देश की डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के साथ 45 अरब डॉलर की डील पर समझौता किया। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License