NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की कोशिश!
आख़िर अचानक से देश में राजा महेंद्र प्रताप बारे इतनी चर्चा कैसे शुरू हो गई है? क्या सचमुच भाजपा राजा महेंद्र प्रताप के योगदान, उनके विचारों और विरासत को लेकर गंभीर है या उनके नाम का इस्तेमाल हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण और जाट वोट को साधने के लिए कर रही हैं। इसे समझने की कोशिश करते हैं।
राज कुमार
13 Sep 2021
राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की कोशिश!

राजा महेंद्र प्रताप आजकल सुर्खियों में हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर विश्वविद्यालय के निर्माण की घोषणा के बाद अब 14 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिलान्यास के लिए अलीगढ़ जा रहे हैं। मीडिया और सोशल मीडिया में लगातार राजा महेंद्र प्रताप सिंह के जीवन, स्वतंत्रता संग्राम और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को लेकर अनेकों आर्टिकल और ख़बरें तैर रही हैं। इस मुद्दे पर एंकर प्राइम टाइम कर रहे हैं। बीजेपी उत्तर प्रदेश के ऑफिशियल ट्वीटर अकाउंट से भी एक वीडियो ट्वीट किया गया।

आखिर अचानक से देश में राजा महेंद्र प्रताप बारे इतनी चर्चा कैसे शुरू हो गई है? क्या सचमुच भाजपा राजा महेंद्र प्रताप के योगदान, उनके विचारों और विरासत को लेकर गंभीर है या उनके नाम का इस्तेमाल हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण और जाट वोट को साधने के लिए कर रही हैं। इसे समझने की कोशिश करते हैं।

कौन थे राजा महेंद्र प्रताप सिंह?

अगर संक्षेप में कहें तो राजा महेंद्र प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश, हाथरस की मुरसान रियासत के राजा थे। वे एक स्वंतत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे। उन्होंने काबुल में वर्ष 1915 में भारत की अंतरिम सरकार का गठन किया था। शिक्षा के प्रति उनकी गहरी रूचि थी और उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के साथ-साथ अन्य शिक्षण संस्थाओं के लिए भी ज़मीन दान की थी और उनकी स्थापना की थी।

राजा महेंद्र प्रताप सिंह बारे झूठा प्रोपगेंडा

राजा महेंद्र प्रताप सिंह के बारे में कई तरह की भ्रामक और झूठी सूचनाएं सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को लेकर दावा किया जा रहा है कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिये ज़मीन दान की थी लेकिन यूनिवर्सिटी में उनका कोई फोटो या परिचय-पत्र तक नहीं है। ये जानकारी भ्रामक है।

यह सही है कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए ज़मीन दान दी थी। लेकिन ये दावा गलत है कि यूनिवर्सिटी में उनका कोई फोटो तक नहीं है। यूनिवर्सिटी की लाइब्ररी में न सिर्फ उनका फोटो है बल्कि उनका परिचय भी अंकित है। ज्यादा जानकारी के लिए ये लिंक देखें।

राजा महेंद्र प्रताप बनाम जिन्ना करके हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की कोशिश की जा रही है। प्रचार किया जा रहा है कि देश के टुकड़े करने वाले जिन्ना की फोटो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में है लेकिन राजा महेंद्र प्रताप सिंह जैसे सच्चे देशभक्त का कोई निशान तक नहीं जिन्होंने काबुल में भारत की अंतरिम सरकार का गठन किया था और स्वयं राष्ट्रपति बने थे। हम ऊपर बता चुके हैं कि ये तथ्य सही है कि महेंद्र प्रताप ने काबुल में 1915 में अंतरिम सरकार का गठन किया था और वो उस सरकार के राष्ट्रपति थे। लेकिन क्योंकि आईटी सेल का मुख्य मकसद हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण करना है तो दूसरे तथ्य नहीं बताए जाते हैं जो इस ध्रुवीकरण की पोल खोल देते हैं। जैसे कि ये नहीं बताया जा रहा कि उस अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री बरकतुल्ला ख़ान थे। यानी राष्ट्रपति राजा महेंद्र प्रताप सिंह और प्रधानमंत्री बरकतुल्लाह ख़ान।

क्या सचमुच योगी और मोदी राजा महेंद्र प्रताप की विरासत को लेकर गंभीर है?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर विश्वविद्यालय स्थापित करने की घोषणा की थी। 14 सितंबर को उसका शिलान्यास करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आ रहे हैं। सवाल उठता है कि क्या भाजपा, योगी और मोदी सचमुच महेंद्र प्रताप के विचारों और विरासत को लेकर गंभीर है? या सिर्फ हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण करना है और चुनाव से पहले जाट वोटरों को साधना है।

गौरतलब है कि राजा महेंद्र प्रताप ने सिर्फ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को ही ज़मीन दान नहीं दी बल्कि और भी कई शिक्षण संस्थानों को ज़मीन दी और स्थापना की। जिन राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर भाजपा ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है उन महेंद्र प्रताप ने 1909 में वृंदावन में यमुना नदी के किनारे प्रेम महाविद्यालय की स्थापना की थी। जिन्होंने महाविद्यालय का नाम प्रेम रखा आज उनके नाम पर भाजपा ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही है।

प्रेम महाविद्यालय के सामने ही राजा महेंद्र प्रताप की समाधि है। अमर उजाला कि ये रिपोर्ट देखें जिसमें बताया गया है कि समाधि स्थल दुर्दशा की शिकार है। मात्र राजा महेंद्र प्रताप की समाधि ही बदहाल नहीं है बल्कि उनकी ज़मीन पर उनके द्वारा स्थापित किया गया प्रेम महाविद्यालय भी जर्जर हो चुका है। ज्यादा जानकारी के लिए इस लिंक पर देखें। जैसे 14 सितंबर को नरेंद्र मोदी द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के शिलान्यास की ख़बर आई वैसे ही प्रेम महाविद्यालय के प्रधानाचार्य देव प्रकाश शर्मा ने मांग की कि सरकार प्रेम महाविद्यालय और समाधि-स्थल की भी सुध ले। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने जा रहे हैं लेकिन प्रेम महाविद्यालय और उनके समाधि-स्थल की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। मथुरा के स्थानीय पत्रकार ज़हीर आलम ने पब्लिक एप पर इस बारे रिपोर्ट डाली है। पब्लिक एप स्थानीय ख़बरों का एक मंच है।

अगर योगी और मोदी राजा महेंद्र प्रताप की विरासत और विचारों को लेकर गंभीर हैं तो प्रेम महाविद्यालय की दुर्दशा की तरफ भी ध्यान देना चाहिये। जिसने महाविद्यालय का नाम प्रेम रखा उसके नाम पर हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण बंद करना चाहिये।

राजा महेंद्र प्रताप सिंह, किसान आंदोलन और उत्तर प्रदेश चुनाव।

उत्तर प्रदेश चुनाव के मुहाने पर खड़ा है और किसान आंदोलन ने भाजपा की हालत खराब कर रखी है। उत्तर प्रदेश के किसानों में और खासतौर पर जाटों में भाजपा के प्रति काफी गुस्सा है। भाजपा राजा महेंद्र प्रताप सिंह के कंधे पर बंदूक रखकर इन जाटों को साधने की भी कोशिश कर रही है। चूंकि राजा महेंद्र प्रताप सिंह का जन्म जाट परिवार में हुआ था और हरियाणा से भी उनका ताल्लुक था इसलिये भाजपा सोच रही है कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा दोनों राज्यों के जाटों को उनके गौरव के नाम पर भरमाया जा सकता है।

दूसरी बात ये कि भाजपा की मुख्य चुनावी रणनीति हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण रही है। राजा महेंद्र प्रताप बनाम जिन्ना और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को बीच में घसीटकर भाजपा ध्रुवीकरण करना चाह रही है। आमतौर पर भाजपा की ध्रुवीकरण की रणनीति कारगर रही है लेकिन देखना है कि क्या इस बार उत्तर प्रदेश चुनाव में भी सही साबित होगी या नहीं? क्योंकि किसान आंदोलन में अल्ला-हू-अकबर और हर-हर महादेव एक साथ गूंजा है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Raja Mahendra Pratap Singh
hindu-muslim
BJP
BJP Uttar Pradesh
Yogi Adityanath

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License