NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
बचपन
स्वास्थ्य
भारत
5 वर्ष से कम उम्र के एनीमिया से ग्रसित बच्चों की संख्या में वृद्धि, 67 फीसदी बच्चे प्रभावित: एनएफएचएस-5
सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 में किए गए सर्वेक्षण में 5 वर्ष से कम उम्र (6-59 महीने) के 58.6 प्रतिशत बच्चे इससे ग्रसित थे जबकि एनएफएचएस-5 के 2019-21 के सर्वे में इस बीमारी से ग्रसित बच्चों की संख्या में 8.5 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई है।
एम.ओबैद
14 May 2022
5 वर्ष से कम उम्र के एनीमिया से ग्रसित बच्चों की संख्या में वृद्धि, 67 फीसदी बच्चे प्रभावित: एनएफएचएस-5
Source: Deccan Chronicle

 

बच्चों में एनीमिया गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि यह मानसिक विकास को बाधित करता है। इसके साथ ही शारीरिक विकास को प्रभावित करता है और संक्रामक रोगों से लड़ने की क्षमता को कम करता है।

सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 2015-16 में किए गए पिछले सर्वेक्षण में 58.6 फीसदी की तुलना में इस बार 67.1 प्रतिशत बच्चों (6-59 महीने) में एनीमिया है।

ये आंकड़े एनीमिया मुक्त भारत के अभियान के लिए भी एक झटका जैसा है। इस अभियान के तहत वर्ष 2018 से 2022 के बीच 20-49 आयु वर्ग के बच्चों, किशोरों और महिलाओं के बीच प्रति वर्ष एनीमिया के प्रसार में 3 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा गया था।

आयरन हीमोग्लोबिन का एक प्रमुख घटक है और विश्व स्तर पर एनीमिया के आधे मामलों के लिए आयरन की कमी को जिम्मेदार माना जाता है। एनीमिया के अन्य कारणों में मलेरिया, हुकवर्म और अन्य कृमि, अन्य पोषक तत्वों की कमी, पुराने संक्रमण और आनुवंशिक स्थितियां शामिल हैं।

कुल मिलाकर 67 प्रतिशत बच्चों में तीन स्तर में एनीमिया (हीमोग्लोबिन का स्तर 11.0 ग्राम/डेसीलीटर ग्राम प्रति डेसीलीटर से नीचे) पाया गया। उनतीस प्रतिशत बच्चों में माइल्ड एनीमिया था, 36 प्रतिशत को मोडरेट एनीमिया था और 2 प्रतिशत को सिवेयर एनीमिया था।

बड़े बच्चों की तुलना में 35 महीने से कम उम्र के बच्चों में एनीमिया अधिक पाया गया। 12-17 महीने की उम्र के बच्चों में 80 प्रतिशत पाई गई।

6-59 महीने के बच्चों में एनीमिया का प्रसार गुजरात (80 प्रतिशत) में सबसे अधिक पाया गया, इसके बाद मध्य प्रदेश (73 प्रतिशत), राजस्थान (72 प्रतिशत) और पंजाब (71 प्रतिशत) का स्थान रहा। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में 94 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक एनीमिया का प्रसार पाया गया। एनीमिया के मामले में अन्य केंद्र शासित प्रदेशों में दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव 76 प्रतिशत पाया गया जबकि जम्मू और कश्मीर में 73 प्रतिशत पाया गया।

बच्चों में एनीमिया के सबसे कम प्रसार वाले राज्यों में केरल में 39 प्रतिशत, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 40 प्रतिशत और नागालैंड और मणिपुर में 43 प्रतिशत पाया गया।

बच्चों में बढ़ते एनीमिया के मामलों को लेकर न्यूजक्लिक ने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. नियाज आलम से बात की। उन्होंने कहा कि, "इसकी मुख्य वजह असंतुलित खान-पान है। पांच वर्ष तक के बच्चों के खाने में आयरन की काफी कमी होती है। नॉनवेज जैसी चीजों में आयरन डायरेक्ट मिल जाता है और ज्यादातर बच्चे नॉनवेज का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं इसलिए उनमें आयरन की कमी ज्यादा है। उन्हें आयरन सप्लीमेंट दी जा सकती है। दयनीय आर्थिक स्थिति होने के चलते गरीब परिवार अपनी इन जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता है।"

उन्होंने आगे कहा कि, "खून की कमी को दूर करने के लिए संतुलित आहार जरूरी है। खाने में सभी तत्वों का संतुलित रूप में इस्तेमाल करना जरूरी है। इसके लिए आवश्यक है कि हरी पत्तेदार साग-सब्जियों के साथ-साथ नॉनवेज भी लिया जाए लेकिन जो लोग नॉनवेज का इस्तेमाल नहीं करते हैं उन्हें शरीर में आयरन की कमी को पूरा करने के लिए अन्य आयरनयुक्त चीजों को लेना चाहिए।"



एनीमिया सिर्फ पांच साल से कम उम्र के बच्चों में ही नहीं पाया गया है बल्कि इस उम्र से अधिक उम्र के लड़के-लड़कियों और गर्भवति महिलाओं में भी पाया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वयस्कों (15-49 की उम्र के बीच) में 57 प्रतिशत महिलाओं और 25 प्रतिशत पुरुषों को एनीमिया है। एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जो खून में हीमोग्लोबिन के निम्न स्तर से चिह्नित होती है। महिलाओं में इसका स्थिति वर्ष 2015-16 में 53 प्रतिशत से बढ़कर 2019-21 में 57 प्रतिशत हो गई है। पुरुषों में यह 23 फीसदी से बढ़कर 25 फीसदी हो गया है।

Children
NFHS-5
Anaemia
Under 5 Years
Boys
Girls
Women
Increase

Related Stories


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन
    20 May 2022
    मुंडका, नरेला, झिलमिल, करोल बाग से लेकर बवाना तक हो रहे मज़दूरों के नरसंहार पर रोक लगाओ
  • रवि कौशल
    छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस
    20 May 2022
    प्रचंड गर्मी के कारण पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे गेहूं उत्पादक राज्यों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
  • Worship Places Act 1991
    न्यूज़क्लिक टीम
    'उपासना स्थल क़ानून 1991' के प्रावधान
    20 May 2022
    ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ा विवाद इस समय सुर्खियों में है। यह उछाला गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर क्या है? अगर मस्जिद के भीतर हिंदू धार्मिक…
  • सोनिया यादव
    भारत में असमानता की स्थिति लोगों को अधिक संवेदनशील और ग़रीब बनाती है : रिपोर्ट
    20 May 2022
    प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में परिवारों की आय बढ़ाने के लिए एक ऐसी योजना की शुरूआत का सुझाव दिया गया है जिससे उनकी आमदनी बढ़ सके। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य, शिक्षा, पारिवारिक विशेषताओं…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना
    20 May 2022
    हिसार के तीन तहसील बालसमंद, आदमपुर तथा खेरी के किसान गत 11 मई से धरना दिए हुए हैं। उनका कहना है कि इन तीन तहसीलों को छोड़कर सरकार ने सभी तहसीलों को मुआवजे का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License