NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
सूडान में तख़्तापलट विरोधी प्रदर्शन जारी, सात और लोग मारे गये और सौ से ज़्यादा घायल
सुरक्षा बलों की ओर से हिंसक दमन के बावजूद तख़्तापलट को मंज़ूर नहीं किये जाने को लेकर सूडान में सामूहिक हड़ताल और सिविल नाफ़रमानी की मुहिम जारी हैं।
पवन कुलकर्णी
20 Jan 2022
Sudan
17 जनवरी को मारे गये एक प्रदर्शनकारी के अंतिम संस्कार को लेकर आयोजित जुलूस को सुरक्षा बलों ने 18 जनवरी को तितर-बितर कर दिया था। फ़ोटो: मोहनद हामिद

सुरक्षा बलों ने सोमवार, जनवरी 17 को ख़ार्तूम शहर में सात और लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों को गोली मार दी थी। 25 अक्टूबर, 2021 को हुई सैन्य तख़्तापलट के बाद से सैन्य जनरलों के वास्तविक हूक़ूमत को नामंज़ूर करते हुए सूडान के शहरों में हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आये। ज़्यादातर मौतें सीने, पेट और कूल्हे में लगी गोलियों की वजह से हुईं।

ख़ार्तूम सूबे के तीन शहरों- राजधानी ख़ार्तूम सिटी, ख़ार्तूम नॉर्थ और ओमदुर्मन में प्रदर्शनकारियों के शरीर पर सीधे दागी गयी गोलियों के साथ-साथ आंसू गैस के कनस्तरों और बिना गंभीर चोट के अचेत कर देने वाले हथगोले से सौ से ज़्यादा लोग घायल हो गये हैं।
एल.जावदा अस्पताल में इलाज करा रहे 70 से ज़्यादा घायल प्रदर्शनकारियों में से कम से कम छह की हालत गंभीर बनी हुई है। रेडियो दबंगा ने बताया कि इस अस्पताल के सामने आंसू गैस के गोले दागे गये, जब घायल प्रदर्शनकारियों को यहां लाया जा रहा था। "प्रत्यक्षदर्शियों ने मक निमिर पुल में एक एम्बुलेंस पर सैन्य बलों के हमले की सूचना दी...उन्होंने यह भी बताया कि चिकित्सा कर्मचारियों और एक ड्राइवर को लाठी और राइफ़ल के बट से बेरहमी से पीटा गया।"

ओमडुर्मन के एक प्रदर्शनकारी ने पीपल्स डिस्पैच से कहा, "17 नवंबर को छोड़कर कल का दमन शायद तख़्तापलट के बाद का सबसे हिंसक दमन था। ऐसा लगता है कि सुरक्षा बलों ने दमन का एक नया अध्याय जोड़ दिया है।" वह क़यास लगाते हुए कहते हैं, ”मुझे लगता है कि अब से जो भी प्रदर्शनों किया जायेगा,उसे दबाने के लिए हिंसा का ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल किया जायेगा।”

तख़्तापलट के बाद से सुरक्षा बलों की हिंसा में पहले ही कम से कम 71 लोग मारे जा चुके हैं और 2,000 से ज़्यादा लोग घायल हो चुके हैं। 18 जनवरी तक हैड्रिन ऑर्गनाइज़ेशन की ओर से इकट्ठा किये गये आंकड़ों के मुताबिक़, 250 से ज़्यादा लोगों का इस समय भी इलाज चल रहा है। 24 प्रदर्शनकारी ऐसे हैं, जिनके शरीर के किसी न किसी हिस्से को नुक़सान पहुंचा है और सात लोग लकवाग्रस्त हो गये हैं।

ख़ार्तूम स्टेट रेजिस्टेंस कमिटी कॉर्डिनेशन (KSRCC) ने 17 जनवरी को कार्रवाई के बाद एक बयान में कहा, "यह हमारी सेना नहीं, ये हमारे दुश्मन हैं, और जब तक हम जीत नहीं जाते या जब तक वे हम सभी को मार देने के बाद एक ख़ाली देश पर शासन करने के लिए मजबूर नहीं हो जाते, तब तक उनका विरोध करना हमारा फ़र्ज़ है। शहीदों के लिए यही हमारा संकल्प है।"

सेंट्रल कमिटी ऑफ़ सूडानी डॉक्टर्स (CCSD) ने 18 जनवरी को एक बयान जारी करते हुए "सेना, पुलिस और सुरक्षा अस्पतालों से पूरी तरह से अपनी वापसी" का ऐलान कर दिया। इस बयान पर सूडान सेंट्रल कमिटी ऑफ़ फ़िजिशियन्स, सूडान मेडिकल सिंडिकेट, कमिटी ऑफ़ कंसल्टेंट्स एंड स्पेशलिस्ट्स और एक दंत चिकित्सक संघ ने हस्ताक्षर किये हैं।

इस बयान में कहा गया है कि इसके सदस्य "मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को आपातकालीन सेवा, गहन देखभाल और हृदय की देखभाल, इनक्यूबेटर, आइसोलेशन वार्ड, डायलिसिस और ... ट्यूमर से सम्बन्धित सेवा की पूरी प्रतिबद्धता के साथ ठंडे बस्तों में डाल दिये गये मामलों को लेकर हड़ताल पर जायेंगे।"

केएसआरसीसी के उस बयान में "सभी क्रांतिकारियों को पूरी तरह से ख़ार्तूम को बंद करने और हर जगह बैरिकेड्स लगाने" का आह्वान करते हुए कहा गया है कि "हमारे बैरिकेड्स उन्हें डराते हैं और उन्हें याद दिलाते हैं कि हम इस देश की सबसे मज़बूत और सबसे बड़ी फ़ौज़ हैं।"

केएसआरसीसी ने "सभी पेशेवरों, कर्मचारियों और श्रमिकों को कार्यस्थल में अपनी समितियों की स्थापना करने, और सामूहिक हड़ताल और 18 और 19 तारीख़ को सिविल नाफ़रमानी को लागू किये जाने की तैयारी में उनके और प्रतिरोध समितियों के बीच अच्छी तरह से समन्वय करने का आह्वान किया।"

24 जनवरी को "मार्च ऑफ़ मिलियन्स" के अगले दौर के लिए लामबंदी चल रही है। केएसआरसीसी ने कहा, "हम पीछे नहीं हट सकते, इस सफ़र की क़ीमत कल भी हमारी ज़िंदगी थी और आज भी हमारी ज़िंदगी ही है।"

"दुनिया भर के क्रांतिकारियों को यह पता है कि हम अब भी अपने रास्ते पर डटे हुए हैं.. हमें अब भी यक़ीन है कि हम इस सड़ी-गली ख़ूनी हूक़ूमत के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई और क्रांति को जीत लेंगे।"

साभार : पीपल्स डिस्पैच

Central Committee of Sudanese Doctors
CCSD
Coup in Sudan
General Abdel Fattah al-Burhan
Khartoum State Resistance Committees Coordination
Military coup in Sudan
Sudanese Armed Forces
SAF

Related Stories

तख़्तापलट का विरोध करने वाले सूडानी युवाओं के साथ मज़बूती से खड़ा है "मदर्स एंड फ़ादर्स मार्च"

सूडान: सैन्य तख़्तापलट के ख़िलाफ़ 18वें देश्वयापी आंदोलन में 2 की मौत, 172 घायल

कड़ी कार्रवाई के बावजूद सूडान में सैन्य तख़्तापलट का विरोध जारी

संयुक्त राष्ट्र और अफ़्रीकी संघ ने किया सूडान में तख़्तापलट से बनी सरकार का समर्थन, लेकिन सड़कों पर लोगों का संघर्ष जारी


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License