NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अर्मेनिया और अज़रबैजान ने नागोर्नो-कराबाख क्षेत्र पर लड़ाई को ख़त्म करने के समझौते की घोषणा की
इस समझौते की मध्यस्थता रूस ने की जिसने इस क्षेत्र में शांति सेना की तैनाती की भी घोषणा की।
पीपल्स डिस्पैच
10 Nov 2020
अर्मेनिया और अज़रबैजान ने नागोर्नो-कराबाख क्षेत्र पर लड़ाई को ख़त्म करने के समझौते की घोषणा की

अर्मेनियाई प्रधानमंत्री निकोल पशिनयन ने मंगलवार आधी रात से नागोर्नो-काराबाख को लेकर अजरबैजान के साथ हफ्तों की लड़ाई ख़त्म करने के लिए एक समझौते की घोषणा की। रूस द्वारा इस शांति समझौते की मध्यस्थता की गई थी।

पशिनयन ने इस शांति समझौते को अपने और अर्मेनियाई लोगों के लिए "अकथनीय रूप से दर्दनाक" निर्णय बताया लेकिन यह सैन्य स्थिति के विश्लेषण पर आधारित था। अज़रबैजान की सेनाओं द्वारा दूसरे बड़े शहर नागोर्नो कारबाख के शुशा शहर पर क़ब्ज़ा करने के बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर किया गया।

इस समझौते की घोषणा की बाद में अज़रबैजान और रूस द्वारा पुष्टि की गई। एक के बाद एक कई ट्वीट में अज़ेरी के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने शांति समझौते की घोषणा पर खुशी ज़ाहिर की और इसे "ऐतिहासिक दिन" और "शानदार जीत" कहा।

अजरबैजान इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों से अर्मेनियाई सैनिकों की आक्रमकता को खत्म करने के लिए एक पूर्व शर्त के रूप में अर्मेनियाई सैनिकों की वापसी की मांग कर रहा था। इस समझौते के अनुसार आर्मेनिया इस क्षेत्र से अपनी सेना वापस ले लेगा और नागोर्नो-काराबाख तथा अजरबैजान के बीच की सीमा पर रूसी सैनिकों द्वारा पहरा दिया जाएगा।

दोनों देशों के बीच बातचीत की मध्यस्थता करने वाले रूस ने इस क्षेत्र में शांति सैनिकों के रूप में अपने 1,960 से अधिक सैनिकों की तैनाती की घोषणा की। रूस के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन सेनाओं को अगले पांच साल के लिए आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच सीमा पर तथा नागोर्नो काराबख क्षेत्र में तैनात किया जाएगा।

इस शांति समझौते की घोषणा को लेकर अज़रबैजान के बाकू में लोगों ने खुशी का इज़हार किया। हालांकि, आर्मेनिया में लोग राजधानी येरेवन में सड़कों पर उतर गए। सैकड़ों लोगों ने देश की संसद की तरफ मार्च भी किया और प्रधानमंत्री पशिनयन के इस्तीफे की मांग की।

नागोर्नो-काराबाख अजरबैजान का क्षेत्र है जहां आर्मेनियाई मूल की आबादी की बहुलता है। इस क्षेत्र ने सोवियत संघ के विघटन के बाद 1991 में अज़रबैजान से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की थी। इसकी स्वतंत्रता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिली है। 1991-1994 के बीच आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच लंबे समय तक युद्ध के बाद यह और इसके आस-पास के क्षेत्रों पर आर्मेनियाई लोगों ने क़ब्ज़ा कर लिया था। वर्ष 1994 में हस्ताक्षरित युद्ध विराम समझौता इस क्षेत्र में शांति लाने में विफल रहा है और दोनों देशों के बीच अक्सर झड़पें होती रही हैं। संघर्ष का मौजूदा दौर 28 सितंबर को शुरू हुआ था जिसमें दोनों पक्षों के बड़ी संख्या में नागरिकों सहित 1000 से अधिक लोग मारे गए।

Armenia
Azerbaijan
Nikol Pashinyan
International news

Related Stories

दुनिया भर की: कोलंबिया में पहली बार वामपंथी राष्ट्रपति बनने की संभावना

अमेरिका में महिलाओं के हक़ पर हमला, गर्भपात अधिकार छीनने की तैयारी, उधर Energy War में घिरी दुनिया

रूस-यूक्रैन संघर्षः जंग ही चाहते हैं जंगखोर और श्रीलंका में विरोध हुआ धारदार

दुनिया भर की: सोमालिया पर मानवीय संवेदनाओं की अकाल मौत

कोविड -19 के टीके का उत्पादन, निर्यात और मुनाफ़ा

दुनिया भर की: जर्मनी में ‘ट्रैफिक लाइट गठबंधन’ के हाथों में शासन की कमान

ईरान हो या इज़रायल, क्या भारत का दांव उल्टा?

दुनिया भर की : नेतन्याहू के जानेभर से इज़रायल भला नहीं बन जाएगा

थाईलैंड : "राजशाही के अपमान" को लेकर प्रदर्शनकारियों पर मुक़दमा शुरू

लीबिया में अंतरिम सरकार के लिए उम्मीदवारों की घोषणा का यूएन ने स्वागत किया


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License