NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक द्वारा आशा कार्यकर्ताओं को ‘ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’ से रविवार को सम्मानित किया। यूनियन ने अंतरष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड मिलने पर ख़ुशी जताई तो वही केंद्र सरकार पर शोषण का आरोप लगाया। विपक्षी नेताओं ने भी स्वास्थ्य क्षेत्र में उनके योगदान की सराहना की और कहा कि सरकार को उनके लिए बेहतर वेतन और काम करने की स्थिति सुनिश्चित करनी चाहिए।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
24 May 2022
ASHA Workers
फाइल फोटो।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा आशा कार्यकर्ताओं को सम्मानित करने के बाद कई विपक्षी नेताओं ने स्वास्थ्य क्षेत्र में उनके योगदान की सराहना की और कहा कि सरकार को उनके लिए बेहतर वेतन और काम करने की स्थिति सुनिश्चित करनी चाहिए।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक द्वारा आशा कार्यकर्ताओं को ‘ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’ से रविवार को सम्मानित किया गया। आशा स्वयंसेवकों को यह सम्मान ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने और देश में कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ अभियान में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए दिया गया है।

डब्ल्यूएचओ ने लाखों आशा कार्यकर्ताओं को किया सम्मानित

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयेसस ने रविवार को छह पुरस्कारों की घोषणा की थी। ये पुरस्कार वैश्विक स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने, क्षेत्रीय स्वास्थ्य मुद्दों के लिए नेतृत्व और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करने के लिए दिए गए हैं।

डब्ल्यूएचओ ने ट्वीट किया, ‘‘भारत में 10 लाख से अधिक महिला स्वयंसेवक ‘‘मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता’’ (आशा) को स्वास्थ्य प्रणाली से समुदाय को जोड़ने और गांवों में गरीबी में रह रहे लोगों की प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवा तक पहुंच सुनिश्चित करने में अहम भूमिका के लिए सम्मानित किया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आशा का हिंदी में अर्थ है -‘उम्मीद’। ये स्वास्थ्य कार्यकर्ता टीकों से रोकी जा सकने वाली बीमारियों के खिलाफ बच्चों के टीकाकरण एवं मातृ देखभाल, सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल; उच्च रक्तचाप और तपेदिक के उपचार तथा पोषण, स्वच्छता एवं बेहतर जीवन के लिए अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के मुख्य क्षेत्रों में काम करती हैं।’’

यूनियन ने अंतरष्ट्रीय स्तर पर इनाम मिलने पर ख़ुशी जताई तो वही केंद्र सरकार पर लगाया शोषण का आरोप

आशा कार्यकर्ताओं और सुविधाकर्ताओं की अखिल भारतीय समन्वय समिति-( AICCAW) जिसका संबंन्ध सेंट्रल ट्रेड यूनियन सीटू से है। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि भारत के दस लाख आशा कार्यकर्ताओं को उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए WHO ग्लोबल हेल्थ लीडर्स पुरस्कार का स्वागत करती है। यह गर्व की बात है।

यूनियन की नेता ए आर सिंधु ने अपने बयान में कहा कि  यह(आशा कार्यकर्ता) हमारे देश के आम लोगों के दरवाजे तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने, अपनी जान जोखिम में डालने वाले देश के 10 लाख आशा कार्यकर्ताओं और सेविकाओं द्वारा किए जा रहे निस्वार्थ कार्य की मान्यता है। आशा कार्यकर्ताओं ने कोविड -19 के आगे अपनी जान कुर्बान कर दी और भारत सरकार के पास उनके आंकड़े भी नहीं हैं। उनके परिवारों को अभी तक 50 लाख रुपये का बहुप्रचारित मृत्यु मुआवजा नहीं मिला है। वे अभी भी किसी भी मदद के लिए दर-दर भटक रहे हैं।

इसे भी देखे :आशा वर्कर्स: परेशानियों का सामना करते हुए करती हैं जनता की सेवा

साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा यह विडंबना ही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पुरस्कार के लिए आशा कार्यकर्ताओं की सराहना की और कहा कि वे स्वस्थ भारत सुनिश्चित करने में सबसे आगे हैं। लेकिन उन्हें शर्म आनी चाहिए और देश की आशा कार्यकर्ताओं से उनकी सरकार द्वारा चौबीसों घंटे काम करने के लिए केवल 2000 रुपये प्रति माह वेतन और बिना सामाजिक सुरक्षा और यहां तक कि मातृत्व अवकाश के बिना काम करवाया जाता है। उन्हें इस क्रूर शोषण के लिए माफी मांगनी चाहिए।

यूनियन ने कहा कि सरकार उनके काम का बोझ हर दिन महामारी के दौरान बढ़ा रही है। कुछ महीनों के लिए दिए जाने वाले कोविड इंसेंटिव नाम के कोविड रिस्क अलाउंस को सरकार ने रोक दिया है।आशा कार्यकर्ताओं को इस महामारी के दौरान सुरक्षा गियर, मास्क और सैनिटाइज़र प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। देश के अधिकांश हिस्सों में उनका वेतन पिछले तीन से पांच महीने से लंबित है।

सीटू के बैनर तले और सेंट्रल ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के तहत आशा कार्यकर्ताओं ने इस दौरान तीन अखिल भारतीय हड़तालों सहित कई संघर्ष किए हैं। लेकिन भाजपा सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करने और आशा को स्थायी सरकारी कर्मचारी बनाने के बजाय उनका निजीकरण करने पर तुली हुई है।

इसे भी पढ़े : बेहतर सेवा स्थिति की मांग को लेकर आशा, आंगनवाड़ी और अन्य स्कीम वर्कर्स की दो दिन की हड़ताल

यूनियन ने कहा वो भारत सरकार से मांग करते हैं कि 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को तुरंत लागू करें। जिसके मुताबिक आशा कार्यकर्ताओं को श्रमिकों के रूप में नियमित और उन्हें न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा और पेंशन का भुगतान किया जाए

आशा कार्यकर्ताओं को बेहतर वेतन मिलना चाहिए: विपक्षी नेता

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि यह पुरस्कार उनकी निस्वार्थ सेवा को मान्यता देता है। सरकार को उनके लिए बेहतर वेतन सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आशा कार्यकर्ता देश की गौरव हैं। वे गरिमापूर्ण जीवन की पात्र हैं।

गांधी ने ट्विटर पर कहा, ‘‘भारत की 10 लाख महिला आशा कार्यकर्ता हमारा गौरव हैं। डब्ल्यूएचओ का पुरस्कार उनकी निस्वार्थ सेवा को मान्यता देता है। वर्ष 2005 से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की यह दूरदर्शी पहल हमारे स्वास्थ्य ढांचे की जीवन रेखा है। भारत सरकार को बेहतर वेतन और काम करने की स्थिति सुनिश्चित करनी चाहिए। आशा कार्यकर्ता सम्मान के जीवन की पात्र हैं।’’

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार को उनके साथ सही व्यवहार करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।

इसे भी पढ़े: आशा कार्यकर्ताओं की मानसिक सेहत का सीधा असर देश की सेहत पर!

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं के लिए डब्ल्यूएचओ का सम्मान पूरे देश के लिए गर्व की बात है।

प्रियंका ने ट्वीट किया, ‘‘संप्रग सरकार ने गांव-खेड़ों के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए आशा बहनों की नियुक्तियां की थीं। कोरोना के समय आशा बहनों ने अभूतपूर्व ढंग से खुद की फिक्र किए बिना इस काम को किया।’’

asha worker
Global Health Leaders Award
workers protest
Congress
BJP
CPIM
CITU
WHO  

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?

मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई

#Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल


बाकी खबरें

  • अजय कुमार
    महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां
    26 May 2022
    विश्व आर्थिक मंच पर पेश की गई ऑक्सफोर्ड इंटरनेशनल रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के दौर में फूड फ़ार्मा ऑयल और टेक्नोलॉजी कंपनियों ने जमकर कमाई की।
  • परमजीत सिंह जज
    ‘आप’ के मंत्री को बर्ख़ास्त करने से पंजाब में मचा हड़कंप
    26 May 2022
    पंजाब सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती पंजाब की गिरती अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करना है, और भ्रष्टाचार की बड़ी मछलियों को पकड़ना अभी बाक़ी है, लेकिन पार्टी के ताज़ा क़दम ने सनसनी मचा दी है।
  • virus
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या मंकी पॉक्स का इलाज संभव है?
    25 May 2022
    अफ्रीका के बाद यूरोपीय देशों में इन दिनों मंकी पॉक्स का फैलना जारी है, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में मामले मिलने के बाद कई देशों की सरकार अलर्ट हो गई है। वहीं भारत की सरकार ने भी सख्ती बरतनी शुरु कर दी है…
  • भाषा
    आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद
    25 May 2022
    विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग अवधि की सजा सुनाईं। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    "हसदेव अरण्य स्थानीय मुद्दा नहीं, बल्कि आदिवासियों के अस्तित्व का सवाल"
    25 May 2022
    हसदेव अरण्य के आदिवासी अपने जंगल, जीवन, आजीविका और पहचान को बचाने के लिए एक दशक से कर रहे हैं सघंर्ष, दिल्ली में हुई प्रेस वार्ता।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License