NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
असम : चाय बाग़ान खोल कर मज़दूरों की जान ख़तरे में डाल रही है सरकार?
असम में लगभग 70 हज़ार से अधिक मज़दूर 100 से अधिक चाय बाग़ान में काम करते हैं। इन सभी मज़दूरों को इस लॉकडाउन में बिना किसी सुरक्षा उपकरण के काम करने का आदेश दिया गया है। विभिन्न मज़दूर संगठनों ने इस निर्णय का विरोध करते हुए कहा है कि सरकार मुनाफ़े के लिए मज़दूरों की जान ख़तरे में डाल रही है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
04 Apr 2020
ASSAM TEA WORKER

असम के चाय बाग़ानों में पुनः कार्य शुरू कर दिया गया हैं, इसके लिए असम के गृह सचिव ने 1 अप्रैल को आदेश दे दिया था। लेकिन मज़दूर संगठनों के साथ ही चाय बाग़ान के नौजवान छात्रों के संगठन असम टी ट्राइब स्टूडेंट एसोसिएशन(ATTSA) ने इस फ़ैसले का विरोध किया है। मज़दूर संगठन एक्टू ने इसे मालिकों के मुनाफ़े के लिए मज़दूरों की जान को जोखिम में डालने वाला क़दम क़रार दिया है।

कोरोना महामारी के बढ़ते ख़तरे के मद्देनज़र सरकार ने पूरे देश में 25 मार्च से 14 अप्रैल तक के लॉकडाउन का आदेश दिया हुआ है। इससे देश के करोड़ो मज़दूरों के रोज़गार पर गहरा असर पड़ा है। चाय बाग़ान में काम करने वाले लाखों दैनिक मज़दूरों की रोज़ी रोटी छिन गई है। दूसरे राज्यों से आए मज़दूर इसमें फंस गए हैं और उनमें से बहुतों के सामने भुखमरी के हालात पैदा हो गए हैं।

असम में लगभग 70 हज़ार से अधिक मज़दूर 100 से अधिक चाय बाग़ानों में काम करते हैं। इन सभी मज़दूरों को इस लॉकडाउन में बिना किसी सुरक्षा उपकरण के काम करने का आदेश दिया गया है। ये मज़दूर भी मजबूरी मे काम कर रहे है क्योंकि उन्हें इस लॉकडाउन के शुरू होने के बाद से ही किसी भी तरह का वेतन या मानदेय नहीं दिया गया है, जिसकी वजह से उनके सामने खाने का भी संकट आ गया है।

असम के गृह सचिव ने 1 अप्रैल 2020 से सभी चाय बाग़ानों में उत्पादन फिर से शुरू करने की दिशा में एक संशोधित नोटिस जारी किया। इसी तरह तमिलनाडु के बाग़ानों ने भी ज़िला कलेक्टर से यह कहते हुए काम शुरू कर दिया है कि यह केवल उद्योग नहीं है बल्कि कृषि है। वहां भी मज़दूरों के लिए किसी भी तरह की सुरक्षा की व्यवस्था नहीं की गई है।

चाय बागानों में काम करने से कोरोना वायरस के संक्रमण का ख़तरा कई गुना बढ़ जाता है। क्योंकि असम में कई बड़े चाय बाग़ान ऐसे हैं जहाँ एक समय में 2000 से 3000 श्रमिक काम करते हैं और वहाँ सामाजिक दूरी को बनाए रखना बहुत कठिन है।

मज़दूर संगठन और अन्य संगठन इस फ़ैसले का विरोध कर रहे हैं। मज़दूर संगठन ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ़ ट्रेड यूनियन्स (ऐक्टू) का कहना है, "चाय उत्पादन असहाय श्रमिकों के जीवन को ख़तरे में डालते हुए शुरू करना सरकार के लॉकडाउन के ख़िलाफ़ है। इस लॉकडाउन में सोशल डिस्टेंसिंग की बात कही गई है। साथ ही इस बात की भी आशंका और संभावना है कि जल्द ही अन्य सरकार द्वारा इसी तरह का आदेश जारी किया जा सकता है। जिसमें पश्चिम बंगाल और अन्य चाय उत्पादक राज्यों में चाय बागानों में सामान्य प्लकिंग (पत्ते तोड़ने) और प्रसंस्करण कार्यों को फिर से शुरू करने के आदेश जारी किए जा सकते हैं। इनमें केवल केरल में ही श्रमिकों को मज़दूरी और लॉकडाउन में राशन के साथ छुट्टी की पेशकश की गई है। इसलिए वहां इस तरह की आशंका कम है।"

असम चाय मज़दूर संघ और ATTSA ने भी इस निर्णय का विरोध किया है। उन्होंने श्रमिकों की सुरक्षा चिंताओं पर सवाल उठाए हैं, चाहे सैनिटाइजिंग सुविधाएं या अन्य सावधानियां उपलब्ध जाने की बात हो।

चाय मज़दूर संघ के जनरल सेक्रेटरी रूपेश गोवाला ने कहा, "विशेष रूप से चाय बाग़ान में जब मज़दूर पत्ते तोड़ने जाएंगे, तब उनको स्वास्थ्य सुरक्षा की गंभीर चिंताएं हैं। हम मांग करते हैं कि मज़दूरों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है और इस तरह के किसी भी निर्णय लेने से पहले स्टेक होल्डर्स को ध्यान में रखा जाए।"

महामारी के बढते फैलाव को देखते हुए देशव्यापी बंद के परिणामस्वरूप, दोनों राज्यों में ट्रेड यूनियनों की मौजूदगी के मद्देनज़र, प्रबंधन को 25 मार्च 2020 के बाद बंद घोषित करना पड़ा था। ट्रेड यूनियन का कहना है कि केंद्र सरकार की अधिसूचना डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट -1 (ए) के तहत जो 29 मार्च 2020 को जारी हुआ वो स्पष्ट रूप से यह कहता है कि किसी भी उद्योग में लगे श्रमिकों के वेतन और मानदेय में इस लॉकडाउन के दौरान कोई भी कटौती नहीं होनी चाहिए। लेकिन, बाग़ान मालिकों ने क़ानून का उल्लंघन किया है और श्रमिकों को मज़दूरी और अन्य लाभों से वंचित किया है।

इस बीच, बंद से हो रहे नुक़सान को देखते हुए सीसीपीए ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि चाय उद्योग के लिए 1455 करोड़ का विशेष वित्तीय बेलआउट पैकेज जारी करे। इसके लिए वर्तमान बंद का हवाला दिया गया था।

ऐक्टू ने इस पर कहा, "सीसीपीए 150 साल पुराना उद्योग है जो अपने मज़दूरों को न्यूनतम मज़दूरी नहीं देता है। इस बात को सब जानते हैं कि निर्यात और चाय की घरेलू खपत के माध्यम से भारी लाभ कमाता है।"

ऐक्टू ने असम और पश्चिम बंगाल में लॉकडाउन की अवधि के दौरान चाय श्रमिकों के लिए मज़दूरी और वेतन भुगतान करने की मांग की है और इस दौरान मज़दूरों को निकाले जाने का विरोध किया है।

इसके साथ ही ऐक्टू ने चाय क्षेत्र में कामकाजी आबादी के जीवन और आजीविका की कीमत पर असीम मुनाफाखोरी का भी विरोध किया है। इसके साथ ही लॉकडाउन की इस अवधि में सभी राज्यों के सभी वृक्षारोपण - बड़े या छोटे को तुरंत बंद करने की मांग की है।

आपको बता दें कि सोमवार रात मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की एक बैठक में चाय के बाग़ानों को 1 अप्रैल से पत्तियों को प्रोसेस करने की अनुमति देने का फ़ैसला किया था। क्योंकि चाय बाग़ानों के मालिकों का सरकार पर दबाव बढ़ रहा था कि वे इस लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों की मज़दूरी का भुगतान करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करे।

Assam
tea garden workers
Assam Tea Tribe Student Association
ATTSA
Coronavirus
COVID-19
All India Central Council of Trade Unions
AICCTU

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन
    20 May 2022
    मुंडका, नरेला, झिलमिल, करोल बाग से लेकर बवाना तक हो रहे मज़दूरों के नरसंहार पर रोक लगाओ
  • रवि कौशल
    छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस
    20 May 2022
    प्रचंड गर्मी के कारण पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे गेहूं उत्पादक राज्यों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
  • Worship Places Act 1991
    न्यूज़क्लिक टीम
    'उपासना स्थल क़ानून 1991' के प्रावधान
    20 May 2022
    ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ा विवाद इस समय सुर्खियों में है। यह उछाला गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर क्या है? अगर मस्जिद के भीतर हिंदू धार्मिक…
  • सोनिया यादव
    भारत में असमानता की स्थिति लोगों को अधिक संवेदनशील और ग़रीब बनाती है : रिपोर्ट
    20 May 2022
    प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में परिवारों की आय बढ़ाने के लिए एक ऐसी योजना की शुरूआत का सुझाव दिया गया है जिससे उनकी आमदनी बढ़ सके। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य, शिक्षा, पारिवारिक विशेषताओं…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना
    20 May 2022
    हिसार के तीन तहसील बालसमंद, आदमपुर तथा खेरी के किसान गत 11 मई से धरना दिए हुए हैं। उनका कहना है कि इन तीन तहसीलों को छोड़कर सरकार ने सभी तहसीलों को मुआवजे का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License