NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
पुस्तकें
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
पृथ्वी पर इंसानों की सिर्फ एक ही आवश्यक भूमिका है- वह है एक नम्र दृष्टिकोण की
जहाँ एक तरफ दुनिया के महासागर, गैर-मानवीय जानवर और पेड-पौधे हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को बरक़रार रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, वहीं हम इसे नुकसान पहुंचाने के लिए इतने आतुर क्यों हैं?
कैप्टन पॉल वाटसन
23 Dec 2021
paul

हम जिस ग्रह पर रहते हैं, मैं आपको उसे देखने के एक वैकल्पिक तरीके से परिचित कराना चाहता हूँ। हम इसे पृथ्वी ग्रह कहते हैं, लेकिन वास्तविकता में इसे महासागर ग्रह कहा जाना चाहिए। इस ग्रह पर जीवन को संभव बनाये रखने के लिए जो तत्व बेहद महत्वपूर्ण है, वह है पानी। यह पानी का ग्रह है। हमें सिखाया गया है कि महासागर समुद्र से बनता है। हालाँकि, महासागर इससे कहीं अधिक है।

यह जल का एक ऐसा ग्रह है जो कि कई चरणों के जरिये निरंतर प्रसार में गतिमान है, जिसमें हर चरण आतंरिक तौर पर प्रत्येक चरण से सम्बद्ध है। यह समुद्र, झीलों, नदियों और नालों का पानी है। यह पानी ही है जो भूमिगत, ग्रह के भीतर गहराई में बह रहा है, चट्टानों में कैद है। यह पानी है जो वातावरण में है या बर्फ में घिरा हुआ है। और यह पानी है जो ग्रह पर मौजूद प्रत्येक पौधे और जानवर के भीतर प्रत्येक जीवित कोशिका के माध्यम से प्रवाहित होता है।

जल जीवन है, जो सूर्य की शक्ति से समुद्र से अवशोषित कर वायुमंडल में लाया जाता है और हमारी प्रत्येक जीवित कोशिका के जरिये प्रवाहित होता है। जल वह जीवन है जो हमारे शरीर के जरिये प्रवाहित होकर अपशिष्ट को बाहर निकालता है और पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है। मेरे शरीर में अभी जो जल है वह कभी बर्फ में बंद था। कभी यह भूमिगत हो गया था। कभी यह बादलों में या समुद्र में था। यहाँ तक कि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव भी हमारे शरीर पर उसी प्रकार से कार्य करता है जिस प्रकार से वह समुद्र में मौजूद पानी पर असर डालता है।

इस ग्रह पर मौजूद सभी जीवित चीजों के साथ जल का एक समान रिश्ता है, और सामूहिक रूप से यह सारा जल अपने विभिन्न स्वरूपों में मौजूद रहता है और पृथ्वी के सामूहिक महासागर का निर्माण करता है। समूचे ग्रह के लिए समुद्र एक जीवन रक्षक प्रणाली की भूमिका अदा करता है। समुद्र की गहराइयों के भीतर, पादक-प्लवक व्हेल एवं अन्य समुद्री जानवरों के मल-मूत्र से मिलने वाले नाइट्रोजन और आयरन के भोजन से ऑक्सीजन का निर्माण करते हैं। जबकि नदियों और झीलों का पानी विषाक्त पदार्थों, लवणों, और कचरे को निकालता है। ज्वारनद और आर्द्रभूमि बाकी के बचे विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए किसी गुर्दे की तरह काम करते हैं, और खनिज लवण को समुद्र में बहा देते हैं। सूरज से निकलने वाली गर्मी पानी को वायुमंडल में खींच कर लाने का काम करती है, जहाँ पर इसे शुद्ध किया जाता है और वापस ग्रह की सतह पर गिरा दिया जाता है, जहाँ जीवित प्राणियों के द्वारा इसे अपनी-अपनी प्रणालियों के जरिये इसे पिया या अवशोषित किया जाता है।

यह वह जटिल वैश्विक चक्करदार प्रणाली है जो हमें जीवन के लिए आवश्यक भोजन, स्वच्छता और जलवायु के नियमन के लिए आवश्यक सभी चीजें मुहैय्या कराती है। जल ही जीवन है और जीवन ही जल है। नदियाँ और झरने धरती की रक्त धमनियां, नसें और कोशिकाएं हैं, जो वैसे ही कार्यों को निष्पादित करती हैं जैसा कि ये हमारे शरीर में करती हैं: कचरे को हटाने और कोशिकाओं तक पोषक तत्वों को पहुंचाने का काम। जब किसी नदी को बाँध दिया जाता है, तो यह रक्त वाहिका में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध करने के समान होता है।उदहारण के लिए, मिश्र में नील नदी पर बने विशालकाय असवान हाई डैम ने नीचे की धरती को पोषक तत्वों के बगैर रख दिया है, जिसके कारण उपर विषैले पानी का निर्माण होता जा रहा है।

यह समूची अन्योन्याश्रित प्रणाली अपनी स्वंय की जीवन-समर्थन प्रणाली है।जेम्स लवलाक द्वारा लिखित पुस्तक गैया एक परिकल्पना है जो प्रस्तावित करती है कि सभी जीवित जीव अपने अकार्बनिक वातावरण में एक-दूसरे के साथ सहक्रियात्मक एवं स्व-नियंत्रित जटिल प्रणाली का निर्माण करने के लिए परस्पर प्रभाव डालते हैं, जिससे ग्रह पर जीवन के लिए स्थितियों को बनाये रखने और चिरस्थायी बनाये रखने में मदद मिलती है। दूसरे शब्दों में कहें तो, जीवन अपने खुद के लाइफ सपोर्ट सिस्टम को संचालित करता है।इस व्यवस्था में, सभी प्रजातियाँ एक समान नहीं हैं। कुछ प्रजातियाँ जहाँ आवश्यक हैं वहीँ कुछ प्रजातियाँ कम हैं, लेकिन सभी प्रजातियाँ आपस में सम्बद्ध हैं।

इस जीवन-समर्थन प्रणाली की आवश्यक बुनियाद में सूक्ष्म जीव, पादकप्लवक, कीड़े, पौधे, कृमि और कवक हैं। वे तथाकथित “उच्च” जानवर उतने आवश्यक नहीं हैं और उनमें से ही एक मनुष्य भी है, और साथ ही वे पालतू जानवर और पौधे हैं जिनके हम मालिक हैं - जो कि चिंताजनक रूप से विनाशकारी हैं। मैं धरती की तुलना एक अन्तरिक्ष यान से करना पसंद करता हूँ। आखिरकार, यह गृह यही तो है- एक विशालकाय अंतरिक्ष-यान जो जीवन के सामान को साथ लेकर दूधिया रास्ते पर विशाल आकाशगंगा के चारों ओर लगातार तेज और उग्र चक्कर काट रहा है। यह इतनी लंबी यात्रा है जिसमें केवल एक चक्कर लगाने में ही 25 करोड़ वर्ष का समय लगता है। असल में देखें तो जबसे हमारे ग्रह का निर्माण हमारे निकटतम तारे की धूल से हुआ है तबसे अभी तक यह यात्रा केवल 18 बार पूरी की जा सकी है।

किसी अंतरिक्ष यान को काम करने के लिए व्यवस्थित लाइफ-सपोर्ट प्रणाली की दरकार होती है, जिसे एक अनुभवी और दक्ष चालक दल के द्वारा प्रबंधित किया जाता है। यही वह चालक दल होता है जो हमारे वायुमंडल में विभिन्न गैसों का उत्पादन करता है, विशेषकर ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड का। यह वह चालक दल है जो फ़ालतू गैसों को, खासकर कार्बन और मीथेन को अलग करता है। यह वह दल है जो हवा को साफ़ रखने, कचरे को रीसायकलिंग करने और पानी के परिसंचरण में मदद करता है। इसके द्वारा परागण के जरिये प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से भोजन की आपूर्ति भी की जाती है। यह वह दल है जो मिट्टी से विषाक्त तत्वों को निकालता है और मिट्टी को नम और उत्पादक बनाये रखता है। पौधे जानवरों के काम आते हैं और जानवर पौधों को अपनी सेवाएं देते हैं। पौधे अपना भोजन मिट्टी से ग्रहण करते हैं और जानवर अपने भोजन के लिए पौधों पर निर्भर रहते हैं, और बदले में जानवर मिट्टी को पोषक तत्व प्रदान करते हैं।

कुछ प्रजातियाँ, खासकर जिन्हें हम “उच्च” जानवर कहते हैं (मुख्यतया बड़े स्तनपायी जीव), प्राथमिक तौर पर यात्री हैं। इनमें से कुछ यात्री लाइफ सपोर्ट-सिस्टम की मशीनरी को बनाये रखने में बेहद अहम रोल निभाते हैं, हालाँकि वे उतनी महत्वपूर्ण प्रजाति नहीं हैं जितना कि इस व्यवस्था की मशीनरी को बनाये रखने में जुटे अथक इंजिनियरों के तौर पर काम करने वाली अति-आवश्यक प्रजातियां हैं। हालाँकि इनमें से एक यात्री प्रजाति है, जिसने बहुत पहले ही चालक दल से बगावत कर अपने तरीके पर चलने का फैसला किया था, और अपने दिनों को मनोरंजन के साथ बिताने और सिर्फ अपने कल्याण को ही ध्यान में रखा। वह प्रजाति है होमो सेपियन्स।

कुछ और भी प्रजातियाँ हैं जिनमें पौधे और जानवर दोनों शामिल हैं, जिन्हें हमने अपने निहित स्वार्थ के लिए अपना गुलाम बना रखा है। ये वे पालतू पौधे हैं जिन्होंने जंगली पेड़-पौधों को विस्थापित कर दिया है जो व्यवस्था को चलाने में मदद करते थे। ये वे जानवर हैं जिन्हें हमने मांस, अण्डों और दूध पाने के लिए गुलाम बनाया है या हमारा मनोरंजन करने के उद्देश्य से सिर्फ इनका शोषण, यातना और वध किया जाता है।

जैसे-जैसे गुलाम जानवरों की संख्या बढ़ने लगती है, तो जंगली जानवरों का खात्मा कर या उनके आवास को नष्ट कर उन्हें विस्थापित कर दिया जाता है।जिन पौधों को हमने गुलाम बना रखा है उन्हें “संरक्षित”  रखने के लिए घातक रासायनिक उर्वरकों एवं आनुवांशिक रूप से संशोधित बीजों के साथ-साथ अन्य रासायनिक जहर, जैसे कि शाकनाशी, कवकनाशी और जीवाणुनाशकों का इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ती है।

हम इंसानों और घरेलू पशुओं की संख्या को बढ़ाने के लिए अन्य प्रजातियों से पारिस्थितिकी प्रणालियों की वहन क्षमता की चोरी कर रहे हैं। निर्धारित संसाधनों का नियम इस बात का निर्देश देता है कि यही चलता रहा तो यह व्यवस्था ध्वस्त हो जायेगी। यह कहीं से भी टिकाऊ नहीं है।

अपने तकनीकी कौशल के कारण मनुष्य एक बेहद महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए विकसित हुए हैं: हमारे पास समूचे गृह को एक हत्यारे उपग्रह द्वारा खत्म कर दिए जाने से बचाने की क्षमता है, जिसकी कीमत हमारे डायनासोर मित्रों को 6 करोड़ वर्ष पहले एक मुलाकात में चुकानी पड़ी थी। हालाँकि, मुझे कभी-कभी आश्चर्य होता है कि क्या हम अपनी प्रजातियों के बीच में सहयोग के अभाव को देखते हुए कभी ऐसा कर पाने में सफल भी हो सकते हैं। हमारे पास इसके लिए कौशल और बुद्धिमत्ता भी है, और यदि हम इन क्षमताओं को इस्तेमाल करने को चुनते हैं तो हमें सबसे पहले जलवायु परिवर्तन को बेहद आक्रामक तौर पर संबोधित करना होगा, वह समस्या जिसे खड़ा करने के लिए हम सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। लेकिन क्या हम ऐसा करेंगे?  

कैप्टन पॉल वाटसन एक कनाडाई-अमेरिकी समुद्री संरक्षण कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने 1977 में सी शेफर्ड कंजर्वेशन सोसाइटी नामक प्रत्यक्ष कार्यवाही समूह की स्थापना की थी।

इस अंश को कैप्टन पॉल वाटसन द्वारा लिखित  अर्जेंट! सेव आवर ओशन टू सर्वाइव क्लाइमेट चेंज, (ग्राउंडस्वेल बुक्स, 2021) से लिया गया है। इस वेब रूपांतरण को ग्राउंडस्वेल बुक्स द्वारा इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टीट्यूट की परियोजना अर्थ / फ़ूड / लाइफ के साथ साझेदारी में तैयार किया गया था।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित इस लेख को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें:

There’s Only One Essential Role Humans Have on Earth—A Humbler Perspective

activism
Animal Rights
Book
climate change
Environment
opinion

Related Stories

किताब: यह कविता को बचाने का वक़्त है

लोकतांत्रिक व्यवस्था में व्याप्त खामियों को उजाकर करती एम.जी देवसहायम की किताब ‘‘चुनावी लोकतंत्र‘‘

‘शाहीन बाग़; लोकतंत्र की नई करवट’: एक नई इबारत लिखती किताब

सतत सुधार के लिए एक खाका पेश करती अंशुमान तिवारी और अनिंद्य सेनगुप्ता की किताब "उल्टी गिंनती"

रवींद्रनाथ टैगोर साहित्य पुरस्कार 2021, 2022 के लिए एक साथ दिया जाएगा : आयोजक

तरक़्क़ीपसंद तहरीक की रहगुज़र :  भारत में प्रगतिशील सांस्कृतिक आंदोलन का दस्तावेज़

समीक्षा: तीन किताबों पर संक्षेप में

मास्टरस्ट्रोक: 56 खाली पन्नों की 1200 शब्दों में समीक्षा 

जन मुक्तियुद्ध की वियतनामी कथा- ‘हंसने की चाह में’

विशेष : सोशल मीडिया के ज़माने में भी कम नहीं हुआ पुस्तकों से प्रेम


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    'राम का नाम बदनाम ना करो'
    17 Apr 2022
    यह आराधना करने का नया तरीका है जो भक्तों ने, राम भक्तों ने नहीं, सरकार जी के भक्तों ने, योगी जी के भक्तों ने, बीजेपी के भक्तों ने ईजाद किया है।
  • फ़ाइल फ़ोटो- PTI
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?
    17 Apr 2022
    हर हफ़्ते की कुछ ज़रूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन..
  • hate
    न्यूज़क्लिक टीम
    नफ़रत देश, संविधान सब ख़त्म कर देगी- बोला नागरिक समाज
    16 Apr 2022
    देश भर में राम नवमी के मौक़े पर हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद जगह जगह प्रदर्शन हुए. इसी कड़ी में दिल्ली में जंतर मंतर पर नागरिक समाज के कई लोग इकट्ठा हुए. प्रदर्शनकारियों की माँग थी कि सरकार हिंसा और…
  • hafte ki baaat
    न्यूज़क्लिक टीम
    अखिलेश भाजपा से क्यों नहीं लड़ सकते और उप-चुनाव के नतीजे
    16 Apr 2022
    भाजपा उत्तर प्रदेश को लेकर क्यों इस कदर आश्वस्त है? क्या अखिलेश यादव भी मायावती जी की तरह अब भाजपा से निकट भविष्य में कभी लड़ नहींं सकते? किस बात से वह भाजपा से खुलकर भिडना नहीं चाहते?
  • EVM
    रवि शंकर दुबे
    लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों में औंधे मुंह गिरी भाजपा
    16 Apr 2022
    देश में एक लोकसभा और चार विधानसभा चुनावों के नतीजे नए संकेत दे रहे हैं। चार अलग-अलग राज्यों में हुए उपचुनावों में भाजपा एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हुई है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License