NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बाबरी विवाद : धन्नीपुर और अयोध्या के बीच स्पष्ट विरोधाभास
सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले के महीनों बाद सरकार ने भूमि आवंटन की घोषणा की है, लेकिन अयोध्या इस मुद्दे पर पूरी तरह से विभाजित है।
सौरभ शर्मा
07 Feb 2020
Translated by महेश कुमार
ayodhya dispute

अयोध्या : अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण को लेकर सरकार द्वारा ट्रस्ट की घोषणा करने से  उत्तर प्रदेश के इस शहर में मुस्लिम समुदाय ख़ुश नहीं है।

बुधवार को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा एक्सपो का उद्घाटन करने के लिए दिल्ली से लखनऊ की  उड़ान भरने से पहले संसद में श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र नामक ट्रस्ट की घोषणा की। मोदी ने कहा कि मंदिर का निर्माण पूरी 67 एकड़ भूमि पर किया जाएगा, जबकि मस्जिद के निर्माण के लिए धन्नीपुर  गांव में भूमि आवंटित की गई है। धन्नीपुर गाँव अयोध्या शहर से लगभग 22 किलोमीटर दूर है और यह स्थल राज्य राजमार्ग से 200 मीटर की दूरी पर है।

नाख़ुश आयोध्या

यह पहले से ही स्पष्ट था कि संत और अयोध्या की पूरी संत बिरादरी इस घोषणा से ख़ुश होगी। हालांकि, हैरानी की बात यह है कि मस्जिद के लिए आवंटित की गई भूमि के स्थान, जो काफ़ी दूर है,  को लेकर हिंदू समुदाय का एक छोटा सा हिस्सा दुखी दिखा।

रजनीश बाल्मीकि ने कही जो पेशे से एक प्रोपेर्टी डीलर हैं, ने कहा, “मस्जिद के लिए दी गई ज़मीन काफ़ी दूरी पर है और लोगों को वहाँ जाने में समस्या का सामना करना पड़ेगा। सरकार को इसे यहीं कहीं आवंटित करना चाहिए था या ऐसा किया होता कि ज़मीन को भले ही सरयू नदी के दूसरे किनारे पर आवंटित कर दिया होता।”

अयोध्या निवासी 39 वर्षीय मोहम्मद लईक काफ़ी गुस्से में हैं। उन्होंने कहा, “उन्होंने पहले मस्जिद को ढहाया और अब वे अयोध्या के बाहर पांच एकड़ ज़मीन देकर इसकी भरपाई कर रहे हैं। यदि आप कहते हैं कि अयोध्या सांप्रदायिक सौहार्द का बड़ा उदाहरण है, तो इसके भीतर ही ज़मीन दी जानी चाहिए थी न कि इतनी दूर।”

“आपके पास निर्णय लेने की ताक़त है और आपने तय कर लिया है। हम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं। लेकिन क्या यह उचित है?” उन्होंने सवाल किया।

हाजी महबूब, अयोध्या-बाबरी टाइटल सूट के प्रमुख वादियों में से एक है। उन्होंने कहा, “इतनी दूर ज़मीन देने का क्या मतलब है। मैं इस फ़ैसले को अस्वीकार करता हूँ।” महबूब ने यह भी कहा कि "गेंद निश्चित तौर पर सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की पाले में है" क्योंकि उन्हें यह फ़ैसला लेना है कि वे इस फ़ैसले को 24 फ़रवरी को होने वाली बैठक में स्वीकार करेंगे या नहीं।

लेकिन दूसरी तरफ़, शहीद लेन के निवासी इश्तियाक आलम ने इस फ़ैसले की सराहना की, यह उम्मीद जताते हुए कि अयोध्या अब विवादों से मुक्त हो सकता है, और इससे क्षेत्र में अधिक ख़ुशहाली आ सकती है।

ख़ुश होता धन्नीपुर

इस बीच, अयोध्या शहर से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित धन्नीपुर कस्बा मस्जिद के लिए उसकी ज़मीन को चुने जाने से ख़ुश होता दिखाई दे रहा है। मुस्लिम समुदाय के प्रभुत्व वाला यह कस्बा हरे धान के खेतों से घिरा हुआ है और यहाँ लगभग 70 घर हैं।

एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, "इस क्षेत्र में सांप्रदायिक हिंसा का कोई इतिहास नहीं है और दोनों समुदायों के सदस्य आपसी सौहार्द से रहते रहे हैं।"

धन्नीपुर के 32 वर्षीय ग्राम प्रधान रमेश यादव को उम्मीद है कि अब गाँव पनपेगा। क्योंकि जो लोग भी अयोध्या में भव्य राम मंदिर के दर्शन करने के लिए आएंगे वे उत्सुकता से गाँव का दौरा भी करेंगे। उन्होंने कहा, “यह हमारे गांव के विकास में मदद करेगा।” यादव ने तर्क दिया कि अगर लोग धन्नीपुर आते हैं, तो व्यापार के अवसरों में वृद्धि से गांव को फ़ायदा होगा।

धन्नीपुर गाँव में शाहज़ादा शाह रहमत उल्लाह आलिया की कब्र भी है और यहाँ उनकी याद में एक वार्षिक मेला भी लगता है।

वीएचपी चन्दा अभियान शुरू करेगी

इस परियोजना में प्रत्येक हिंदू की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, विश्व हिंदू परिषद (VHP) मार्च के महीने से प्रत्येक घर से 11 रुपये और एक ईंट इकट्ठा करने का अभियान शुरू करेगी।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Babri Dispute: The Stark Contrast Between Dhannipur and Ayodhya

Ayodhya verdict
babri masjid
Ram Janmabhoomi
Ayodhya Land Allocation
VHP
ayodhya
Babri Title Dispute
Dhannipur Village

Related Stories

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद

क्यों धार्मिक जुलूस विदेशी भूमि को फ़तह करने वाले सैनिकों जैसे लगते हैं

काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी विवाद: ईद बाद वकील कमिश्नर लेंगे परिसर का जायज़ा

गहराते आर्थिक संकट के बीच बढ़ती नफ़रत और हिंसा  

चुनाव से पहले गुजरात में सांप्रदायिकता तनाव, उन जिलों में दंगों की कोशिश जहां भाजपा मजबूत नहीं

महंत ने भगवानपुर में किया हनुमान चालीसा का पाठ, कहा ‘उत्तराखंड बन रहा कश्मीर’

जहांगीरपुरी हिंसा में अभी तक एकतरफ़ा कार्रवाई: 14 लोग गिरफ़्तार

दंगे भड़काने के लिए धार्मिक जुलूसों के इस्तेमाल का संघ का इतिहास


बाकी खबरें

  • सरोजिनी बिष्ट
    विधानसभा घेरने की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशाएं, जानिये क्या हैं इनके मुद्दे? 
    17 May 2022
    ये आशायें लखनऊ में "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन- (AICCTU, ऐक्टू) के बैनर तले एकत्रित हुईं थीं।
  • जितेन्द्र कुमार
    बिहार में विकास की जाति क्या है? क्या ख़ास जातियों वाले ज़िलों में ही किया जा रहा विकास? 
    17 May 2022
    बिहार में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है, इसे लगभग हर बार चुनाव के समय दुहराया जाता है: ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का और दरभंगा ठोप का’ (मतलब रोम में पोप का वर्चस्व है, मधेपुरा में यादवों का वर्चस्व है और…
  • असद रिज़वी
    लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश
    17 May 2022
    एडवा से जुड़ी महिलाएं घर-घर जाकर सांप्रदायिकता और नफ़रत से दूर रहने की लोगों से अपील कर रही हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा नए मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए 
    17 May 2022
    देश में क़रीब एक महीने बाद कोरोना के 2 हज़ार से कम यानी 1,569 नए मामले सामने आए हैं | इसमें से 43 फीसदी से ज्यादा यानी 663 मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए हैं। 
  • एम. के. भद्रकुमार
    श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ख़तरे से भरी
    17 May 2022
    यहां ख़तरा इस बात को लेकर है कि जिस तरह के राजनीतिक परिदृश्य सामने आ रहे हैं, उनसे आर्थिक बहाली की संभावनाएं कमज़ोर होंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License