NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
आख़िर क्यों बीजेपी के लिए इतने ख़ास हैं बाबुल सुप्रियो, जो अब गले की फांस बन गए हैं!
माना जा रहा है कि अगर सुप्रियो लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देते हैं तो बीजेपी को राज्य में उपचुनाव का सामना करना पड़ सकता है, जो फिलहाल बीजेपी बिल्कुल नहीं चाहती।
सोनिया यादव
02 Aug 2021
बाबुल सुप्रियो
फोटो साभार : फेसबुक

"चलता हूँ, अलविदा, अपने माँ-बाप, पत्नी, दोस्तों से बात करके मैं कह रहा हूँ कि मैं अब (राजनीति) छोड़ रहा हूँ।''

पूर्व केंद्रीय मंत्री (राज्य प्रभार) और बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो ने शनिवार, 31 जुलाई को अपने फ़ेसबुक पेज़ पर एक लंबी पोस्ट लिखकर राजनीति को अलविदा कह दिया। सुप्रियो के बांग्ला भाषा में लिखी गई इस पोस्ट में बताया कि वह जल्द ही लोकसभा सांसद से इस्तीफ़ा दे देंगे और अपना सरकारी आवास ख़ाली कर देंगे।

उन्होंने लिखा कि वो राजनीति में सिर्फ समाज सेवा के लिए आए थे। अब उन्होंने अपनी राह बदलने का फैसला किया है। उन्होंने कहा है कि लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति में रहने की जरूरत नहीं है। वे राजनीति से अलग होकर भी अपने उस उदेश्य को पूरा कर सकते हैं।

हालांकि सुप्रियो ने इससे पहले इस पोस्ट में यह भी लिखा था कि “मैं किसी राजनीतिक दल में नहीं जा रहा हूँ। टीएमसी, कांग्रेस, सीपीआई (एम)...किसी ने मुझे नहीं बुलाया है। मैं कहीं नहीं जा रहा हूँ। मैं एक टीम के साथ रहने वाला खिलाड़ी हूँ”। लेकिन बताया जाता है कि बाद में उन्होंने इसे एडिट करके हटा दिया।

सुप्रियो के सन्यास के कयास बीते कुछ दिनों से लगाए जा रहे थे लेकिन अब जब उन्होंने आधिकारिक तौर पर ऐलान कर दिया है तो बीजेपी के खेमे में हलचल मच गई है, साथ ही उन्हें मनाने की कोशिशें भी तेज हो गई हैं। खबरों के मुताबिक खुद पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा इस काम में सक्रिय तौर पर लगे हुए हैं।

दो बार लोकसभा चुनाव जीते लेकिन विधानसभा में हार मिल गई

आपको बता दें कि साल 2014 में आसनसोल लोकसभा सीट से सांसद बनकर संसद पहुंचने वाले बाबुल सुप्रियो अब तक कई मंत्रालयों का कार्यभार संभाल चुके हैं। हालांकि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में पचास हज़ार वोटों से हार के बाद इस महीने की शुरुआत में उनके हाथ से मंत्री पद भी चला गया, जिसे सुप्रियो ने राजनीति छोड़ने की एक वजह के रूप में भी गिनाया है।

उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि "अगर कोई पूछे कि क्या मंत्री पद हाथ से जाना राजनीति छोड़ने से जुड़ा हुआ है तो ये एक हद तक सच है। लेकिन चुनाव शुरू होने से पहले से ही मेरे राज्य प्रभारियों से मतभेद थे।"

किसी का नाम लिए बिना सुप्रियो ने लिखा है कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी के शीर्ष नेताओं में कलह मची हुई है, जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है। वैसे ये सभी जानते हैं कि बंगाल में दिलीप घोष और बाबुल सुप्रियो की लंबे समय से अनबन चली आ रही है, जिसका असर विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिला था और अब सुप्रियो के इस्तीफे में भी ये वजह साफ दिखाई दे रही है।

सुप्रियो ने लिखा, "मैं कहना चाहूंगा कि चुनाव से पहले से ही मेरे और पार्टी नेतृत्व में काफ़ी विरोधाभास था। मुझे लगा कि ये सब सामान्य है लेकिन अक्सर इन घटनाओं को उठाया जा रहा था। इसके लिए कुछ लोग ज़िम्मेदार थे और मैं भी उतना ही ज़िम्मेदार था। मैंने भी एक पोस्ट लिखी थी, जिसे पार्टी अनुशासन के उल्लंघन के रूप में देखा जा सकता है।''

बंगाल बीजेपी में आंतरिक कलह!

सुप्रियो ने अपनी एक अन्य पोस्ट में बंगाल बीजेपी प्रमुख दिलीप घोष और कुणाल घोष के कमेंट का स्क्रीनशॉट लगाकर उन पर सीधा निशाना साधा। सुप्रियो ने कहा कि दिलीप घोष बस खबरों में रहने की कोशिश करते हैं। और अब राजनीति छोड़ने के बाद उन्हें ऐसी टिप्पणियों से नहीं गुजरना पड़ेगा।

मालूम हो कि सुप्रियो के राजनीति से सन्यास लेने की पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए पश्चिम बंगाल बाजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि-क्या उन्होंने अपना इस्तीफा दिया है? किसी का राजनीति में आना या इसे छोड़ना उसका खुद का फैसला हो सकता है। दिलीप घोष ने आगे कहा था कि उन्हें समझाइए कि फेसबुक पर पोस्ट लिखकर राजनीति नहीं छोड़ी जाती।

वहीं टीएमसी के कुणाल घोष ने कहा था कि लोकसभा चल रही है। वहां स्पीकर बैठे हुए हैं। वहां पर इस्तीफा देने के बजाए फेसबुक पर ड्रामा किया जा रहा है। कुणाल ने यहां तक कहा था कि असल में वह पॉलिटिक्स छोड़ना नहीं चाहते हैं। वह बस लोगों का ध्यान खींचना चाहते हैं।

उपचुनाव की स्थिति में नहीं है बीजेपी

गौरतलब है कि बंगाल में बीजेपी की राजनीति के लिए बाबुल सुप्रियो अहम हैं। बीजेपी के राज्यसभा सांसद मुकुल रॉय पहले ही बगावत कर तृणमूल कांग्रेस में वापसी कर चुके हैं। ऐसे में अब अगर सुप्रियो लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देते हैं तो पार्टी को राज्य में उपचुनाव का सामना करना पड़ सकता है, जो फिलहाल पार्टी बिल्कुल नहीं चाहती। आंतरिक कलह, विधायकों की नाराज़गी और टीएमसी में घर वापसी के चलते यदि बीजेपी उपचुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से पराजित हुई तो इसका असर कार्यकर्ताओं और राज्य इकाई के नेताओं के मनोबल पर पड़ेगा। वैसे भी शनिवार को उत्तर 24 परगना में हुई अहम बैठक से तीन विधायकों ने दूरी बना ली। पार्टी को आशंका है कि ये विधायक तृणमूल कांग्रेस में जा सकते हैं।

कहा ये भी जा रहा है कि बीते कुछ दिनों में बाबुल सुप्रियो की मुलाकात तृणमूल कांग्रेस के कई बड़े नेताओं से हो चुकी है। हालांकि इसकी कोई आधिकारिक सूचना न तृणमूल कांग्रेस की ओर से है और ना ही बाबुल सुप्रियो की ओर से कभी साझा की गई। लेकिन मीडिया खबरें बताती हैं कि ममता बनर्जी के बहुत खास राजनीतिक सिपहसालारों के साथ उनकी दो दौर की वार्ता हो चुकी है।

जिस तरीके से पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस के बहुत बड़े बड़े विकेट अपने पाले में लेकर के गिराए थे, अब ठीक उसी तर्ज पर तृणमूल कांग्रेस का पार्टी नेतृत्व भाजपा को बंगाल में कमजोर करने की रणनीति बना रहा है। बाबुल सुप्रियो का राजनीतिक संन्यास भी इसी कड़ी का एक हिस्सा हो सकता है।

बाबुल सुप्रियो जल्द ही दोबारा सक्रिय हो सकते हैं!

सुप्रियो भले ही राजनीति को अलविदा कह चुके हों लेकिन बीजेपी अभी उन्हें इतनी आसानी से जाने नहीं देगी। वहीं अन्य पार्टियों की बात करें तो सुप्रियो को वो अपने साथ मिलाने के इस मौके को अपने हाथ से नहीं निकलने देंगी। बाबुल सुप्रियो भी अभी सभी विकल्प खुला रखना चाहते हैं शायद यही वजह है कि एक बार यह लिखकर कि वह किसी पार्टी में नहीं जाएंगे, उन्होंने उसे एडिट करके हटा दिया। इसलिए पूरी संभावना है कि बाबुल सुप्रियो बहुत जल्द पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बार फिर सक्रिय होंगे।

बाबुल सुप्रियो एक लोकल से नेशनल वाली सेलिब्रिटी इमेज रखते है। जो किसी भी पार्टी को लुभाने के लिए काफी है। वैसे ये कम ही लोग जानते होंगे कि उनका असली नाम सुप्रिय बराल है जो उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री के साथ बदलकर बाबुल सुप्रियो कर लिया। म्यूजिकल फैमिली से ताल्लुख रखने वाले बाबुल ने नब्बे के दशक में हिंदी सिनेमा में प्ले बैक सिंगर के रूप में अपना करियर बनाया। खास तौर पर हिंदी, बंगाली और उड़िया भाषाओं सहित 11 अन्य भाषाओं में भी सिंगिंग की है। वे ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन में भी परफ़ॉर्मर रहे हैं। ऐसे में वो हमेशा से मास मीडिया की ताकत को अच्छे से समझते हैं और उनकी एक अलग ही फैन फॉलोइंग भी है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बाबुल सुप्रियो जैसा पश्चिम बंगाल का चर्चित चेहरा बगैर पॉलिटिकल पार्टी के रहे ऐसा दूसरी राजनीतिक पार्टियां होने नहीं देंगी। इसलिए पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस ही नहीं बल्कि और भी कई पार्टियां बाबुल सुप्रियो पर दांव लगाने के लिए पश्चिम बंगाल में तैयार हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि बाबुल सुप्रियो के राजनीतिक अध्याय के अभी कई पन्ने सामने आने बाकी हैं।

Babul Supriyo
BJP
Babul Supriyo quits politics

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • पुलकित कुमार शर्मा
    आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?
    30 May 2022
    मोदी सरकार अच्छे ख़ासी प्रॉफिट में चल रही BPCL जैसी सार्वजानिक कंपनी का भी निजीकरण करना चाहती है, जबकि 2020-21 में BPCL के प्रॉफिट में 600 फ़ीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है। फ़िलहाल तो इस निजीकरण को…
  • भाषा
    रालोद के सम्मेलन में जाति जनगणना कराने, सामाजिक न्याय आयोग के गठन की मांग
    30 May 2022
    रालोद की ओर से रविवार को दिल्ली में ‘सामाजिक न्याय सम्मेलन’ का आयोजन किया जिसमें राजद, जद (यू) और तृणमूल कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने भाग लिया। सम्मेलन में देश में जाति आधारित जनगणना…
  • सुबोध वर्मा
    मोदी@8: भाजपा की 'कल्याण' और 'सेवा' की बात
    30 May 2022
    बढ़ती बेरोज़गारी और महंगाई से पैदा हुए असंतोष से निपटने में सरकार की विफलता का मुकाबला करने के लिए भाजपा यह बातें कर रही है।
  • भाषा
    नेपाल विमान हादसे में कोई व्यक्ति जीवित नहीं मिला
    30 May 2022
    नेपाल की सेना ने सोमवार को बताया कि रविवार की सुबह दुर्घटनाग्रस्त हुए यात्री विमान का मलबा नेपाल के मुस्तांग जिले में मिला है। यह विमान करीब 20 घंटे से लापता था।
  • भाषा
    मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया
    30 May 2022
    पंजाब के मानसा जिले में रविवार को अज्ञात हमलावरों ने सिद्धू मूसेवाला (28) की गोली मारकर हत्या कर दी थी। राज्य सरकार द्वारा मूसेवाला की सुरक्षा वापस लिए जाने के एक दिन बाद यह घटना हुई थी। मूसेवाला के…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License