NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
उत्पीड़न
भारत
राजनीति
बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल
यूपी पुलिस पर 20 साल के एक मुस्लिम युवक के साथ पुलिस चौकी के अंदर कथित तौर पर थर्ड डिग्री टॉर्चर से लेकर करंट लगाने और उसके प्राइवेट पार्ट में डंडा डालने तक के गंभीर आरोप हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
06 Jun 2022
up police
'प्रतीकात्मक फ़ोटो'

‘सुरक्षा आपकी, संकल्प हमारा' मोटो के साथ आए दिन यूपी पुलिस अपने कारनामों को लेकर विवादों में घिरी रहती है। कभी गाड़ी पलटने के बाद एनकाउंटर हो, या पीड़ित को और प्रताड़ित करने का मामला। कभी पिस्तौल की जगह मुंह से ठांय-ठांय बोलकर हीरो बनते दारोगा हों या फिर कथित लव जिहाद के केस में सुपर एक्टिव अंदाज़ में प्रेमी जोड़ों को पकड़ कर केस करना हो, किसी पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल हो, इन सब मामलों में यूपी पुलिस ‘सदैव तत्पर’ रहती है। अपराध, विवाद में कानून का सही ढंग से पालन हो रहा है या नहीं इससे यूपी पुलिस को शायद कोई फर्क नहीं पड़ता। हाल ही में बदायूं से पुलिस कस्टडी में हैवानियत का एक मामला सामने आया है। बाइक चोरी के संदेह में 2 मई को 20 साल के एक मुस्लिम युवक को उठाकर ले जाने के बाद पुलिसकर्मियों ने उसे हिरासत में लिया और कथित तौर पर बेरहमी से प्रताड़ित किया।

बता दें कि ये कोई पहला मामला नहीं है जब यूपी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। इससे पहले भी प्रदेश में दलितों और मुस्लिमों के खिलाफ कई मामलों में यूपी पुलिस यूं ही सुर्खियों में रही है। हाथरस कांड हो या लिंचिंग और कथित गौ-तस्करी के मामले प्रदेश में अक्सर पुलिस पर एक तरफा कार्रवाई के आरोप लगते रहे हैं। हर बार एक्शन के नाम पर कुछ पुलिसकर्मियों के सस्पेंशन के बाद मामला ठप पड़ जाता है।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक पूरा घटनाक्रम बीती 2 मई का है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बदायूं में 20 साल का रिहान मजदूरी के पैसे लेकर वापस लौट रहा था। रास्ते में पुलिस ने इसे बाइक चोरी के आरोप में उठा लिया। रिहान के परिवार का आरोप है कि पुलिस चौकी के अंदर उसके साथ थर्ड डिग्री टॉर्चर किया गया, उसे करंट लगाया गया और उसके प्राइवेट पार्ट में डंडा तक डाला गया। उसे इतनी बेरहमी से पीटा गया कि उसे दौरे आने लगे। जिसके चलते बाद में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। रिहान को अस्पताल ले जाते हुए एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें रिहान की हालत बहुत खराब दिख रही है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पीड़ित की भाभी ने मीडिया को बताया कि पुलिस ने रिहान को गिरफ्तार किया, बेरहमी से मारपीट और अत्याचार किए। उसके बाद जब पता चला कि गलत शख्स को उठा लिया है तो छोड़ दिया। वहीं रिहान का इलाज कर रहे डॉक्टर का कहना है कि उसे दौरे इसलिए आ रहे हैं क्योंकि उसके नर्वस सिस्टम पर असर पड़ा है और इस असर की वजह शायद करंट लगना है।

लाइव हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार पीड़ित की मां का आरोप है कि पुलिस वालों ने कस्टडी में टॉर्चर देने के बाद युवक को 100रुपये दिए ताकि वह अपना इलाज करा सके। वहीं उसे अपनी कस्टडी से छोड़ने के लिए पांच हजार रुपये की घूस ली। रिपोर्ट के अनुसार परिवार ने बताया कि रिहाई के बाद युवक की तबीयत बिगड़ने लगी जिसके बाद उसे बुलंदशहर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाया गया। लेकिन जब रिहान की तबीयत हद से अधिक बिगड़ी तब परिवार ने पुलिस के बड़े अधिकारियों के सामने मामले की शिकायत की।

मालूम हो कि शनिवार, 4 जून को युवक की मां की तहरीर पर अलापुर थाने में सभी पुलिस कर्मियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। शिकायत के आधार पर प्राथमिक जांच में परिवार के आरोप सही पाए जाने के बाद एक सब-इंस्पेक्टर, चार कांस्टेबल और दो अज्ञात आरोपियों के खिलाफ अलापुर थाने में एफआईआर दर्ज की गयी है। सातों पर धारा 338, 323, 506, 147 और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत यह प्राथमिकी दर्ज की गयी है। इस मामले में कुछ पुलिसकर्मियों के निलंबन की भी खबर है।

पुलिस का क्या कहना है?

इस मामले में बदायूं के एसएसपी डॉ. ओपी सिंह ने मीडिया को बताया कि आरोपी पुलिस कर्मियों द्वारा युवक के साथ किये गये कृत्य और रिश्वत के मामले में मुकदमा दर्ज हो चुका है। दातागंज सीओ की जांच रिपोर्ट के आधार पर विभागीय कार्रवाई में सभी पुलिस कर्मियों को निलंबित किया गया है।

उधर, एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस पूरे मामले में योगी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि योगी सरकार की ठोक दो नीति की वजह से पुलिस वालों को लगने लगा है कि कानून उन पर लागू ही नहीं होता।

असदुद्दीन ओवैसी ने पीड़ित का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, "बाबा की ठोक दो नीति की वजह से पुलिस वालों को लगने लगा है कि कानून उन पर लागू ही नहीं होता। मुसलमानों और गरीबों के खिलाफ हिरासती हिंसा और पुलिस बर्बरता की खबरें आम हैं। पीड़ित के इलाज का खर्चा सरकार को उठाना चाहिए, जल्द से जल्द मुआवजा देना जरूरी है।"

उन्होंने आगे लिखा कि पुलिस वालों पर कमजोर धाराएं लगाई गई हैं। क्या इन पर रासुका नहीं लगेगा? धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत कार्यवाही होनी चाहिए।

गौरतलब है कि यूपी पुलिस अक्सर ही अपनी कार्रवाई को लेकर सुर्खियों में रहती है। बीते साल ही बहुचर्चित हाथरस कांड में भी पुलिस की भूमिका पर कई सवाल खड़े हुए थे। साल 2019में आई राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यकों और दलितों पर अत्याचार में टॉप पर है। साल 2016 से 15 जून 2019 तक आयोग में अल्पसंख्यकों और दलितों के साथ शोषण के कुल 2008 मामले दर्ज हुए, जिनमें से 869 मामले अकेले उत्तर प्रदेश से हैं। यानी करीब 43 प्रतिशत अकेले उत्तर प्रदेश से हैं। इन मामलों में प्रदेश में हुई मॉब लिंचिंग की घटनाएं भी शामिल हैं। कई बार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खुद पुलिस के साथ-साथ सरकार को भी लताड़ लगाई, लेकिन इन सब के बावजूद यूपी पुलिस अपनी छवि रोज बद से बदतर करवाती जा रही है।

UttarPradesh
Budaun
Budaun police
U.P Budaun case
Muslims
Police brutality
UP Police Brutality

Related Stories

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन

2023 विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र तेज़ हुए सांप्रदायिक हमले, लाउडस्पीकर विवाद पर दिल्ली सरकार ने किए हाथ खड़े

चंदौली: कोतवाल पर युवती का क़त्ल कर सुसाइड केस बनाने का आरोप

प्रयागराज में फिर एक ही परिवार के पांच लोगों की नृशंस हत्या, दो साल की बच्ची को भी मौत के घाट उतारा

अब भी संभलिए!, नफ़रत के सौदागर आपसे आपके राम को छीनना चाहते हैं

मुस्लिम जेनोसाइड का ख़तरा और रामनवमी

उत्तर प्रदेश: योगी के "रामराज्य" में पुलिस पर थाने में दलित औरतों और बच्चियों को निर्वस्त्र कर पीटेने का आरोप

मथुरा: गौ-रक्षा के नाम पर फिर हमले हुए तेज़, पुलिस पर भी पीड़ितों को ही परेशान करने का आरोप, कई परिवारों ने छोड़े घर

यूपी चुनाव: पूर्वी क्षेत्र में विकल्पों की तलाश में दलित

झारखंड: भाजपा कार्यकर्ताओं ने मुस्लिम युवक से की मारपीट, थूक चटवाकर जय श्रीराम के नारे लगवाए


बाकी खबरें

  • modi
    अनिल जैन
    खरी-खरी: मोदी बोलते वक्त भूल जाते हैं कि वे प्रधानमंत्री भी हैं!
    22 Feb 2022
    दरअसल प्रधानमंत्री के ये निम्न स्तरीय बयान एक तरह से उनकी बौखलाहट की झलक दिखा रहे हैं। उन्हें एहसास हो गया है कि पांचों राज्यों में जनता उनकी पार्टी को बुरी तरह नकार रही है।
  • Rajasthan
    सोनिया यादव
    राजस्थान: अलग कृषि बजट किसानों के संघर्ष की जीत है या फिर चुनावी हथियार?
    22 Feb 2022
    किसानों पर कर्ज़ का बढ़ता बोझ और उसकी वसूली के लिए बैंकों का नोटिस, जमीनों की नीलामी इस वक्त राज्य में एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। ऐसे में गहलोत सरकार 2023 केे विधानसभा चुनावों को देखते हुए कोई जोखिम…
  • up elections
    रवि शंकर दुबे
    यूपी चुनाव, चौथा चरण: केंद्रीय मंत्री समेत दांव पर कई नेताओं की प्रतिष्ठा
    22 Feb 2022
    उत्तर प्रदेश चुनाव के चौथे चरण में 624 प्रत्याशियों का भाग्य तय होगा, साथ ही भारतीय जनता पार्टी समेत समाजवादी पार्टी की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। एक ओर जहां भाजपा अपना पुराना प्रदर्शन दोहराना चाहेगी,…
  • uttar pradesh
    एम.ओबैद
    यूपी चुनाव : योगी काल में नहीं थमा 'इलाज के अभाव में मौत' का सिलसिला
    22 Feb 2022
    पिछले साल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि "वर्तमान में प्रदेश में चिकित्सा सुविधा बेहद नाज़ुक और कमज़ोर है। यह आम दिनों में भी जनता की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त…
  • covid
    टी ललिता
    महामारी के मद्देनजर कामगार वर्ग की ज़रूरतों के अनुरूप शहरों की योजना में बदलाव की आवश्यकता  
    22 Feb 2022
    दूसरे कोविड-19 लहर के दौरान सरकार के कुप्रबंधन ने शहरी नियोजन की खामियों को उजागर करके रख दिया है, जिसने हमेशा ही श्रमिकों की जरूरतों की अनदेखी की है। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License