NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
बंगाल चुनावः तृणमूल नेताओं को भगवा पहनाकर चुनावी बिसात बैठा रही भाजपा!
बात बोलेगी: मेदिनीपुर-जंगलमहल है बंगाल राजनीति का थर्मामीटर, तृणमूल के आधार पर सेंधमारी की है भाजपा ने।
भाषा सिंह
24 Mar 2021

पश्चिम बंगाल की राजनीति का केंद्र (epicenter)  है मेदिनीपुर का इलाका। यहीं से नंदीग्राम का आंदोलन पनपा था जो वाम शासन के लिए मारक बना था। इसके बाद से यह तृणमूल कांग्रेस का गढ़ बना हुआ है। शायद यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यहां पूरा जोर लगा दिया है। तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता, सांसद, विधायक, मंत्रियों वाले एक परिवार शिशिर अधिकारी, सुवेंदु अधिकारी को भाजपा में शामिल करके पासा पलटने की कोशिश तगड़ी की है। दरअसल, अधिकारी परिवार का यहां की राजनीति में लंबे समय से बोलबाला है और वे पार्टियां बदल-बदलकर हमेशा सत्ता का लाभ उठाते रहे हैं।

bangal chunav

भाजपा और खासतौर से गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्वी मेदिनीपुर (16 सीट) के साथ-साथ जंगलमहल के तीन जिलों – बांकुरा (12 सीट), पुरुलिया (9 सीट) औऱ पश्चिम मेदिनीपुर (19 सीट) यानी कुल 56 सीटों को अधिकारी परिवार के चेहरे और प्रभाव के जरिये भाजपा की झोली में डालने की रणनीति बनाई है। इसी तरह से 63 विधानसभा सीटों के लिए भाजपा ने तृणमूल के आधार और उनके नेताओं को अपने में मिलाकर दांव खेला है। यही वजह है तृणमूल नेता, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस चुनौती को सीधे स्वीकार करते हुए नंदीग्राम से ही चुनाव लड़ रही हैं। उन्होंने अधिकारी परिवार को मीर जाफ़र की संज्ञा देते हुए खुलकर कहा कि उनसे गलती हो गई, उन्होंने गद्दारों को पहचाना नहीं और इसलिए वह खुद बड़ा गधा (बोरो गधा) है। ये सारे शब्दों के जाल ममता की राजनीति की खास पहचान है।

भाजपा के समर्थक रहे हल्दिया में रहने वाले शुभेंदु बनर्जी का कहना है कि भाजपा ने तृणमूल से इतने ज्यादा नेता-कार्य़कर्ता ले लिये हैं कि लगता ही नहीं है कि ये दूसरी पार्टी है। तृणमूल के सारे गुंडा-बदमाश, बुरा नाम वाले यहां आ गये हैं, ऐसे में भाजपा को बहुत फायदा नहीं होगा। जिनके खिलाफ हम जमीन पर अभी तक लड़ रहे थे, वे ही अब हमारे सिर पर बैठ गये हैं। इसलिए हम लोग नाराज है। ये नाराजगी बहुत जगहों पर फूटकर बाहर आ रही है। भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय को टिकट बंटवारे पर भाजपा में बढ़ते हुए असंतोष को शांत करने का जिम्मा मिला है और उन्हें कहना पड़ा कि जो लोग नाराज़ थे, उन्हें समझा दिया गया है और बाकी को समझा दिया जाएगा। इस असंतोष को उन्होंने भाजपा के भीतर लोकतंत्र की संज्ञा दी।

bangal chunav2

इन चुनावों में चूंकि सारी लड़ाई तृणमूल और भाजपा के बीच तन गई है, इसका राजनीतिक खामियाजा वाम गठबंधन को बहुत बड़े पैमाने पर उठाना पड़ रहा है। बैनर, पोस्टर तृणमूल-भाजपा के ही अधिकांश जगहों पर दिख रहे हैं, लाल झंडा नदारद सा है।

सभी फोटो : अविनाश सौरव

(भाषा सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

इसे भी पढ़ें : बंगाल चुनाव: भाजपा का बंगाली और प्रवासी के बीच ध्रुवीकरण का ख़तरनाक खेल

west bangal election
West Bengal Assembly Election 2021
TMC
BJP
Left unity
mamta banerjee
Narendra modi
Hindutva

Related Stories

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल के ‘गुजरात प्लान’ से लेकर रिजर्व बैंक तक

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?

मुस्लिम जेनोसाइड का ख़तरा और रामनवमी

ख़बरों के आगे-पीछे: भाजपा में नंबर दो की लड़ाई से लेकर दिल्ली के सरकारी बंगलों की राजनीति


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर
    30 Apr 2022
    मुज़फ़्फ़रपुर में सरकारी केंद्रों पर गेहूं ख़रीद शुरू हुए दस दिन होने को हैं लेकिन अब तक सिर्फ़ चार किसानों से ही उपज की ख़रीद हुई है। ऐसे में बिचौलिये किसानों की मजबूरी का फ़ायदा उठा रहे है।
  • श्रुति एमडी
    तमिलनाडु: ग्राम सभाओं को अब साल में 6 बार करनी होंगी बैठकें, कार्यकर्ताओं ने की जागरूकता की मांग 
    30 Apr 2022
    प्रदेश के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 22 अप्रैल 2022 को विधानसभा में घोषणा की कि ग्रामसभाओं की बैठक गणतंत्र दिवस, श्रम दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के अलावा, विश्व जल दिवस और स्थानीय शासन…
  • समीना खान
    लखनऊ: महंगाई और बेरोज़गारी से ईद का रंग फीका, बाज़ार में भीड़ लेकिन ख़रीदारी कम
    30 Apr 2022
    बेरोज़गारी से लोगों की आर्थिक स्थिति काफी कमज़ोर हुई है। ऐसे में ज़्यादातर लोग चाहते हैं कि ईद के मौक़े से कम से कम वे अपने बच्चों को कम कीमत का ही सही नया कपड़ा दिला सकें और खाने पीने की चीज़ ख़रीद…
  • अजय कुमार
    पाम ऑयल पर प्रतिबंध की वजह से महंगाई का बवंडर आने वाला है
    30 Apr 2022
    पाम ऑयल की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। मार्च 2021 में ब्रांडेड पाम ऑयल की क़ीमत 14 हजार इंडोनेशियन रुपये प्रति लीटर पाम ऑयल से क़ीमतें बढ़कर मार्च 2022 में 22 हजार रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गईं।
  • रौनक छाबड़ा
    LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम
    30 Apr 2022
    कर्मचारियों के संगठन ने एलआईसी के मूल्य को कम करने पर भी चिंता ज़ाहिर की। उनके मुताबिक़ यह एलआईसी के पॉलिसी धारकों और देश के नागरिकों के भरोसे का गंभीर उल्लंघन है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License