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कोविड-19
भारत
राजनीति
भीमा कोरेगांव मामला: “भायखला जेल में कोरोना का बढ़ता संक्रमण चिंताजनक”
सुधा भारद्वाज के दोस्त और परिवार की ओर से मुम्बई की भायखला महिला जेल में कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को लेकर गहरी चिंता जताई गई है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
27 Sep 2021
sudha bharadwaj

भीमा कोरेगांव मामले में जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज के मित्र और परिवार मुम्बई की भायखला महिला जेल में बढ़ते कोविड-19 संक्रमण की चिंताजनक और परेशान करने वाली खबर से बेहद चिंतित हैं, जिससे अधिकारियों को परिसर को सील करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

पिछले हफ्ते, जेल की निगरानी में, फोन पर हुई एक बातचीत में कोयल सेन को उनकी मां शोमा सेन ने सूचित किया गया था कि जेल के 20 कैदी संक्रमित थे, जो अब बढ़कर 39 हो गए हैं! शोमा सेन नागपुर विश्वविद्यालय से अंग्रेजी की पूर्व प्रोफेसर हैं जिन्हें भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किया गया था और वे पिछले तीन साल से बिना मुकदमे के भायखला जेल में बंद हैं।

आपको बता दें कि तीन महिला राजनीतिक कैदी, शोमा सेन, सुधा भारद्वाज और ज्योति जगताप, सभी को भीमा कोरेगांव मामले में पिछले तीन साल से बिना किसी मुकदमे और जमानत के गिरफ्तार करके भायखला जेल की महिला जेल में रखा गया है।

सुधा भारद्वाज के परिवार और दोस्त की ओर से मायशा सिंह, कलादास डेहरिया और विमल भाई के नाम से जारी एक बयान के अनुसार चिंताजनक रूप से, 20 संक्रमितों में से दो उस बैरक से हैं, जिसमें 61 वर्षीय शोमा सेन और 59 वर्षीय सुधा भारद्वाज सहित 40 वरिष्ठ महिला कैदी हैं। 40 वरिष्ठ नागरिक महिला कैदियों की बैरक पूरी तरह से टीकाकृत है। हालांकि दो पूरी तरह से टीकाकृत महिलाओं के वायरस संक्रमण ने जेल के अंदर सभी महिलाओं और उनके परिवारों को परेशान कर दिया है जो उनका घरों पर इंतजार कर रहे हैं।

शोमा सेन की अंतरिम मेडिकल जमानत, इस सप्ताह मंगलवार को एक विशेष एनआईए अदालत ने खारिज कर दी थी। जिसमें कहा गया था कि 'कोविड-19 अब और रिहाई का आधार नहीं हो सकता'। जमानत के लिए उनकी याचिका उच्च रक्तचाप (hypertension), रक्तचाप (blood pressure) और अन्य ऐसी सह-रुग्णताओं (other such co-morbidities) की उसकी चिकित्सा स्थिति के आधार पर थी। जिससे कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसी तर्ज पर, अन्य राजनीतिक कैदियों, गौतम नवलखा, आनंद तेलतुम्बडे, और वर्नोन गोंजाल्विस, सभी 60 वर्ष से ऊपर हैं और सह-रुग्णता से पीड़ित हैं, कि जमानत याचिकाएं भी खारिज कर दी गईं।

बयान के अनुसार जेलें कैदियों की स्थिति को संभालने के लिए सुसज्जित नहीं हैं, अगर वायरस का प्रकोप होता है, तो यह खतरनाक होगा। भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए 16 में से सात के सकारात्मक (positive) परीक्षण आये हैं। बड़ी निराशा के साथ हम 84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी को याद करते हैं, जिनकी मृत्यु कोविड संक्रमण के कारण हुई थी। अस्पताल में स्थानांतरित होने के 24 घंटे के भीतर उनका सकारात्मक परीक्षण आया और फादर स्टेन स्वामी ने 40 दिनों के भीतर अंतिम सांस ली।

बयान में कहा गया है कि “हम सभी संबंधित विभागों, प्रशासन से भीमा कोरेगांव के सभी वरिष्ठ और राजनीतिक बंदियों को किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए आवश्यक सावधानी बरतने का आग्रह करते हैं। इन सबने अपने जीवन का दो-तिहाई समय काम करते हुए और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए बेहतर जीवन स्थितियों में योगदान दिया है। जिसमें संवैधानिक ढांचे के भीतर उन्हें न्याय सुनिश्चित करना शामिल है। अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार की संवैधानिक गारंटी के तहत उनके बहुमूल्य जीवन की रक्षा की जानी चाहिए।

जेलों में वायरस फैलने के जोखिम को देखते हुए, हम जेलों की भीड़-भाड़ कम करने के लिए गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति से अनुरोध करते हैं कि माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार उक्त उद्देश्य के लिए कैदियों की रिहाई के लिए पहचाने गए कारणो की फिर से जांच करें”।

Bhima Koregaon
Sudha Bharadwaj
COVID-19
Coronavirus

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