NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
भारत
राजनीति
बिहारः लॉकडाउन में आर्थिक तंगी से जूझ रहे निचली अदालतों के वकील
ये वकील अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को भी पूरा कर पाने में सक्षम नहीं हैं। बच्चों के स्कूल की फीस से लेकर तमाम मूलभूत चीजों को पूरा करने में उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
एम.ओबैद
22 May 2021
बिहारः लॉकडाउन में आर्थिक तंगी से जूझ रहे निचली अदालतों के वकील
'प्रतीकात्मक फ़ोटो'

कोरोना महामारी ने बड़ी संख्या में लोगों को बेरोजगार किया है। इसकी मार से किसी भी तबके या पेशे के लोग अछूते नहीं हैं। इसने वकीलों की आमदनी पर भी खासा असर डाला है। विशेष रूप से निचली अदालतों के वकीलों की आमदनी पर लॉकडाउन के चलते भारी असर पड़ा है।

आंकड़ों की बात करें तो अर्थव्यवस्था में आई गिरावट से इस साल जनवरी से अप्रैल तक करीब एक करोड़ लोगों ने अपनी नौकरी गंवाई है। विशेषज्ञों के मुताबिक इससे भी बुरा वक्त आना भी बाक़ी है।

उधर कोरोना को लेकर बिहार में पिछले कुछ सप्ताह से लॉकडाउन के चलते अदालतें बंद हैं जिससे निचली अदालतों के वकील भी आर्थिक तंगी की चपेट में आ गए हैं। निजी वकीलों की आय का एकमात्र जरिया मुवक्किलों से मिलने वाली रकम है जो आदलती कार्रवाई बंद होने के चलते उन्हें नहीं मिल पा रही है। ऐसे में ये वकील अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को भी पूरा कर पाने में सक्षम नहीं हैं। बच्चों के स्कूल की फीस से लेकर तमाम मूलभूत चीजों को पूरा करने में उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

इसी बाबत बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के विधि एवं मानवाधिकार विभाग के उपाध्यक्ष मुकेश रंजन ने बिहार के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है जिसमें आर्थिक तंगी से जूझ रहे निचली अदालतों के वकीलों को सहायता देने की बात कही गई है। उन्होंने इस पत्र में लिखा कि अधिवक्ताओं का एक बड़ा समूह आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। खासकर निचली अदालतों में बड़ी संख्या में अधिवक्ता अपनी बेहद कम आमदनी के चलते किसी प्रकार अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। ऐसे में इन वकीलों के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया है।

रंजन ने पत्र में लिखा कि ये वकील रोज कमाने और रोज खाने वाले लोग हैं जो कहीं जाकर मदद के लिए अपनी हाथ भी नहीं फैला सकते हैं। यही कारण है कि बहुत से अधिवक्ता दो जून की रोटी की समस्या के बावजूद चुप हैं। ऐसे वक्त में जब कोरोना से बिहार के विभिन्न जिलों में अधिवक्ताओं के मौत हो चुकी है सरकार से गुजारिश है कि वह इस बुद्धिजीवी वर्ग की सुध ले। उन्होंने आगे कहा कि राजस्थान, तेलंगाना और दिल्ली कि सरकार ने अधिवक्ताओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की है। ऐसे में बिहार सरकार को भी अधिवक्ताओं के लिए कुछ ऐसा करना चाहिए। आगे पत्र में लिखा कि अधिवक्ताओं के लिए शीघ्र सम्मानजनक आर्थिक सहायता की घोषणा की जाए और इस घोषणा पर जल्द अमलीजामा पहनाया जाए ताकि आर्थिक तंगी की मार झेल रहे अधिवक्ताओं को कुछ मदद मिल सके।

बिहार के हाजीपुर कोर्ट के वरिष्ठ वकील संजीव कुमार ने फोन पर बताया कि बड़ी संख्या में वकील शहर में किराये के मकानों में रह रहे हैं ऐसे में अदालत की कार्रवाई बंद होने से उन्हें मकान मालिकों को किराया देने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कुमार ने कहा कि पिछले साल आई कोरोना महामारी के बाद से वकीलों की आर्थिक स्थिति और दयनीय हो गई है। उन्होंने कहा कि 'कोरोना काल हो या अन्य समय सरकार की ओर से निचली अदालतों के वकीलों के लिए कोई कल्याणकारी योजना नहीं शुरु की गई है। वकील अपने प्रैक्टिस के भरोसे ही रह गए। लॉकडाउन के समय जब वकीलों की आमदनी नहीं होती है तो मकान का किराया, बच्चों का स्कूल फीस, परिवार के सदस्यों के इलाज, बिजली बिल समेत तमाम बुनियादी चीजों को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। स्कूलों का संचालन तो नहीं हो रहा है लेकिन स्कूल का प्रशासन फीस देने के लिए दबाव डालता है। बच्चों का नाम स्कूल से न कट जाए इसके लिए मजबूरन हमें पूरी फीस जमा करनी हो रही है। इस फीस में कोई कन्सेशन नहीं मिल रहा है। इस तरह निचली अदालतों के वकीलों पर काफी ज्यादा आर्थिक दबाव है।'

Bihar
Coronavirus
COVID-19
Bihar Lawyers
unemployment
Corona Crisis
Hajipur Court
economic crises
Lockdown

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • Modi
    अनिल जैन
    PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?
    01 Jun 2022
    प्रधानमंत्री ने तमाम विपक्षी दलों को अपने, अपनी पार्टी और देश के दुश्मन के तौर पर प्रचारित किया और उन्हें खत्म करने का खुला ऐलान किया है। वे हर जगह डबल इंजन की सरकार का ऐसा प्रचार करते हैं, जैसे…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    महाराष्ट्र में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। महाराष्ट्र में आज तीन महीने बाद कोरोना के 700 से ज्यादा 711 नए मामले दर्ज़ किए गए हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    चीन अपने स्पेस स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रहा है
    01 Jun 2022
    अप्रैल 2021 में पहला मिशन भेजे जाने के बाद, यह तीसरा मिशन होगा।
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी : मेरठ के 186 स्वास्थ्य कर्मचारियों की बिना नोटिस के छंटनी, दी व्यापक विरोध की चेतावनी
    01 Jun 2022
    प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बिना नोटिस के उन्हें निकाले जाने पर सरकार की निंदा की है।
  • EU
    पीपल्स डिस्पैच
    रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ
    01 Jun 2022
    ये प्रतिबंध जल्द ही उस दो-तिहाई रूसी कच्चे तेल के आयात को प्रभावित करेंगे, जो समुद्र के रास्ते ले जाये जाते हैं। हंगरी के विरोध के बाद, जो बाक़ी बचे एक तिहाई भाग ड्रुज़बा पाइपलाइन से आपूर्ति की जाती…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License