NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
बिहार: आर्सेनिक के बाद अब भूजल में यूरेनियम संदूषण मिलने से सेहत को लेकर चिंता बढ़ी
एक अध्ययन में कहा गया है कि गंगा नदी के दक्षिणी एवं उत्तरी जिले में भौगोलिक रूप से गहरी विषमता है। गंगा के उत्तर के जिलों के बनिस्बत इसके दक्षिणी जिलों में आमतौर पर यूरेनियम की उच्च और आर्सेनिक की कम मात्रा मिलती है।
मो. इमरान खान
06 Oct 2021
water
प्रतिनिधिक चित्र। सौजन्य: पीटीआई

पटना : बिहार में आर्सेनिक मिलने के बाद अब भूजल में यूरेनियम संदूषण पाया गया है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर इसके हानिकारक प्रभाव को लेकर गहरी चिंता उत्पन्न हो गई है। 

हाल के एक अध्ययन के अनुसार, पूरे बिहार में आर्सेनिक और यूरेनियम की सांद्रता अत्यधिक विषम है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के (प्रोविजनल) दिशा-निर्देशों क्रमशः 16% तथा 7% के सेंपल से कहीं अधिक है। आर्सेनिक और यूरेनियम के बीच यह जबर्दस्त प्रतिलोमी सह-संबंध आर्सेनिक और यूरेनियम गतिशीलता के विरोधाभासी रेडॉक्स नियंत्रणों के अनुरूप ही है।

इस शोध-अनुसंधान टीम का नेतृत्व करने वाले प्रमुख वैज्ञानिकों में से एक अशोक कुमार घोष ने कहा: "भूजल में यूरेनियम संदूषण, गंभीर चिंता का विषय है। भूजल का व्यापक उपयोग पीने के पानी के रूप में किया जाता है, इसलिए संदूषण का उजागर हुआ यह स्तर जन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होगा। हमने अपने अध्ययन में पाया है कि बिहार में भूजल में यूरेनियम संदूषण की मौजूदगी है।"

अशोक कुमार घोष, जो बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा : “यूरेनियम में कार्सिनोजेनिक के साथ यह सम्मिश्रण स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है; इससे हड्डियों में विषाक्तता और गुर्दे की सक्रियता में खराबी और कैंसर के लिए बड़े खतरे का कारण बन सकता है।"

बिहार में भूजल से व्युत्पन्न पेयजल में आर्सेनिक और यूरेनियम का वितरण और भू-रासायनिक नियंत्रण विषय पर किए गए इस शोध-अध्ययन को मैनचेस्टर विश्वविद्यालय (ब्रिटेन) और महावीर कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र, पटना ने संयुक्त रूप से वित्त पोषित किया था।

इस अध्ययन से पता चलता है कि यूरेनियम सांद्रता मुख्य रूप से उत्तर पश्चिम-दक्षिण पूर्वी कटिबंध के साथ और गंडक नदी के पूर्व में और गंगा नदी के दक्षिण में झारखंड की ओर बढ़ रही है, खासकर गोपालगंज, सीवान, सारण, पटना, नालंदा और नवादा जिलों में। .

उच्च यूरेनियम पानी के नमूने सुपौल जिले (इस अध्ययन में सबसे अधिक) में भी पाए गए हैं, जो अधिक भिन्न मालूम होते हैं जबकि गंगा के दक्षिण में, विशेष रूप से औरंगाबाद, गया, जहानाबाद, नालंदा और नवादा के दक्षिण-पश्चिमी जिलों में तथा पटना में पाए गए यूरेनियम के उन्नत स्तर पिछले अध्ययन के अनुरूप ही हैं।

अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि यूरेनियम काफी भिन्न होता है और पटना के कुछ हिस्सों में वह उन्नत स्तर पर है। पहले यह पटना के कई ब्लॉकों में अनुमान से काफी नीचे बताया गया था।

अध्ययन के अनुसार, जिन जिलों में यूरेनियम कम से कम एक नमूने में डब्ल्यूएचओ के अनंतिम दिशानिर्देशों से अधिक पाया गया है, उनमें भागलपुर, गोपालगंज, कटिहार, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नालंदा, नवादा, पटना, सारण, सीवान, सुपौल और वैशाली जिले शामिल हैं। एक अध्ययन में कहा गया है कि गंगा नदी के दक्षिणी एवं उत्तरी जिले में गहरी विषमताएं हैं। इसके दक्षिणी जिले में आमतौर पर यूरेनियम उच्च मात्रा में और आर्सेनिक कम मात्रा में मिलती है, बनिस्बत गंगा के उत्तर के जिलों के।

अध्ययन के अनुसार, सिंहभूम जिला (जो पहले बिहार का हिस्सा था और अब झारखंड राज्य में शामिल हो गया है), उसके कतरनी क्षेत्र में यूरेनियम खनिजकरण Cu (कॉपर), Ni (निकेल) और सल्फाइड के साथ जुड़ा हुआ है, विशेष रूप से यूरेनियम-समृद्ध मध्य जादूगुड़ा-भटिन-निमडीह और नरवापहाड़-गिरिडीह-तुरामडीह के बीच के क्षेत्र में। बंगाल बेसिन में भूजल में पैलियो-इंटर (यूवियल) में उन्नत यूरेनियम सांद्रण भी पाया है। 

अध्ययन से खुलासा हुआ है कि आर्सेनिक की सांद्रता गंगा नदी के उत्तर के पास के क्षेत्रों में अधिक होती है, विशेष रूप से गंडक और कोशी की सहायक नदियों के बीच के क्षेत्र में और नेपाल सीमा के नजदीक के क्षेत्रों में। समस्तीपुर जिले के एक हॉटस्पॉट से गैर-यादृच्छिक नमूनों में कुल मिलाकर उच्चतम आर्सेनिक सांद्रता देखी गई।

घोष के अनुसार, अध्ययन में पाया गया कि अपेक्षाकृत कम घनत्व के नमूने के बावजूद, बिहार के सभी जिलों में किए गए व्यापक अनुसंधान में राज्य में (अकार्बनिक) भू-रासायनिक भूजल के लक्षणों के विश्लेषण के लिए पहली बार एक व्यापक और सुसंगत डेटा प्रदान करता है।

बिहार के भूजल में गंभीर आर्सेनिक संदूषण है। इसके 38 जिलों में से 22 जिलों में पीने के पानी में आर्सेनिक की मात्रा डब्ल्यूएचओ के निर्दिष्ट (प्रोविजनल) मानको 10 μg / L से अधिक की पाई गई थी। अनुमान है कि इस संदूषित भूजल का उपयोग राज्य के नौ मिलियन से अधिक लोगों पीने के पानी के रूप में करते हैं। राज्य में 33 फीसदी हैंडपंप के पानी के नमूनों में आर्सेनिक की मात्रा डब्ल्यूएचओ के निर्देशों से उच्च स्तर पर थी।

एक अन्य हालिया वैज्ञानिक शोध अध्ययन से पता चला है कि ग्रामीण बिहार में आर्सेनिक विषाक्तता न केवल पीने के पानी में बल्कि खाद्य श्रृंखला में भी देखी जाती है, मुख्य रूप से चावल, गेहूं और आलू में। इसलिए पीने के पानी के साथ-साथ सिंचाई के पानी की गुणवत्ता की भी निगरानी करने की तत्काल आवश्यकता है।

घोष ने कहा, बिहार में पीने के पानी में आर्सेनिक संदूषण की बात नई नहीं है। पर इस नए अध्ययन की अनूठी खासियत पीने के पानी की तुलना में खाद्य पदार्थों में आर्सेनिक की मात्रा का ज्यादा पाया जाना है। कच्चे चावल की तुलना में पके चावल में आर्सेनिक की मात्रा अधिक पाई गई।

(यह लेख ब्रिटेन के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय (ब्रिटेन) और पटना में महावीर कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र, फुलवारीशरीफ के एक संयुक्त अध्ययन पर आधारित है, जिसे 2020 में डाउन टू अर्थ पत्रिका में प्रकाशित किया गया था।)

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित इस लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

https://www.newsclick.in/Bihar-After-Arsenic-Health-Concerns-Uranium-Contamination-Groundwater

water crises
Arsenic in water
Uranium
Contaminated Water
pollution
Bihar
Ground water

Related Stories

बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी

मध्यप्रदेशः सागर की एग्रो प्रोडक्ट कंपनी से कई गांव प्रभावित, बीमारी और ज़मीन बंजर होने की शिकायत

बिहारः पिछले साल क़हर मचा चुके रोटावायरस के वैक्सीनेशन की रफ़्तार काफ़ी धीमी

बिहारः मुज़फ़्फ़रपुर में अब डायरिया से 300 से अधिक बच्चे बीमार, शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती

बिहार की राजधानी पटना देश में सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहर

लोगों को समय से पहले बूढ़ा बना रहा है फ्लोराइड युक्त पानी

बिहार में फिर लौटा चमकी बुखार, मुज़फ़्फ़रपुर में अब तक दो बच्चों की मौत

शर्मनाक : दिव्यांग मरीज़ को एंबुलेंस न मिलने पर ठेले पर पहुंचाया गया अस्पताल, फिर उसी ठेले पर शव घर लाए परिजन

नक्शे का पेचः भागलपुर कैंसर अस्पताल का सपना अब भी अधूरा, दूर जाने को मजबूर 13 ज़िलों के लोग

विश्व जल दिवस : ग्राउंड वाटर की अनदेखी करती दुनिया और भारत


बाकी खबरें

  • निखिल करिअप्पा
    कर्नाटक: वंचित समुदाय के लोगों ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों, सूदखोरी और बच्चों के अनिश्चित भविष्य पर अपने बयान दर्ज कराये
    24 Mar 2022
    झुग्गी-झोपड़ियों में रह रहे कई बच्चों ने महामारी की वजह से अपने दो साल गँवा दिए हैं और वे आज भी स्कूल में पढ़ पाने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं। 
  • आज का कार्टून
    कश्मीर फाइल्स की कमाई कश्मीरी पंडितों को देने के सवाल को टाल गए विवेक अग्निहोत्री
    24 Mar 2022
    सच के इर्द गिर्द झूठ की कहानी बुनकर लोगों के बीच फ़ैलाने की कवायद किसी न किसी तरह फायदा हासिल करने से जुडी कवायद होती है। कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर बनी फिल्म कश्मीर फाइल्स भी यही है।
  • सरोजिनी बिष्ट
    बसपा की करारी हार पर क्या सोचता है दलित समाज?
    24 Mar 2022
    इस चुनाव में दलित वोटरों ने किस सोच के तहत अपना मत दिया? बसपा के विषय में आज उसके विचार किस ओर करवट ले रहे हैं? क्या उन्हें यह लगता है अब बसपा का चरित्र वो नहीं रहा जो तीन दशक पुराना था?
  • भाषा
    दिल्ली दंगे: जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को जमानत देने से अदालत का इनकार
    24 Mar 2022
    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने 3 मार्च को खालिद और अभियोजन पक्ष के वकील की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान खालिद ने अदालत से कहा था कि अभियोजन पक्ष के पास उसके…
  • अजय कुमार
    सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUCET) सतही नज़र से जितना प्रभावी गहरी नज़र से उतना ही अप्रभावी
    24 Mar 2022
    भारत के शिक्षा क्षेत्र की बड़ी परेशानी यह है कि उच्च शिक्षा की पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या ज़्यादा है और उच्च शिक्षा के नाम पर बढ़िया संस्थान कम हैं। किसी तरह की छंटनी की प्रक्रिया बनाने से ज़्यादा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License