NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
बिहार : आशा वर्कर्स 11 मार्च को विधानसभा के बाहर करेंगी प्रदर्शन
आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि बिहार सरकार हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने में भी टाल मटोल कर रही है। कार्यकर्ताओं ने ‘भूखे रहकर अब और नहीं करेंगी बेगारी’ का ऐलान किया है।
अनिल अंशुमन
25 Feb 2022
ASHA Workers

देश भर में जिन आशा कार्यकर्त्ताओं की बदौलत सरकारों  की तमाम स्वास्थ्य योजनायें ज़मीनी स्तर पर घर घर पहुंचाई जाती हैं, उनके बदतर हालात को दुरुस्त करने में सरकारों और उसके स्वास्थ्य विभाग की कोई दिलचस्पी नहीं दिखती है। फलतः आये दिन आशाकर्मियों को भी मजबूर होकर इनके मतलबपरस्त, हठधर्मी और संवेदनहीन रवैये के खिलाफ रोष प्रदर्शित करना पड़ता है। तो इसका भी जवाब सत्ता के दमन से मिलता है।

उक्त मामले में सबसे नाकारात्मक व्यवहार भाजपा शासित राज्य सरकारों का ही दिखता है। हरियाणा में तो राज्य की सरकार आशाकर्मियों की प्रस्तावित हड़ताल पर एस्मा लगाने का राज्यादेश जारी कर चुकी है। वहीं बिहार में जदयू-भाजपा की डबल इंजन वाली सरकार के लिए तो हाई कोर्ट का आदेश भी मानो ठेंगे पर ही है।

23 फ़रवरी को पटना हाई कोर्ट के विशेष आदेश बिहार सरकार की ओर से राज्य स्वास्थ्य समिति और आशा कार्यकर्त्ता संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच समझौता वार्ता रखी गयी थी। जिसमें राज्य में कार्यरत 60000 आशाकर्मियों की वर्षों से लंबित मांगों के समुचित समाधान के ठोस उपाय लिए जाने थे। वार्ता संचालित कर रहे राज्य स्वास्थ्य समिति के आला अधिकारियों ने रटे रटाये अंदाज़ में आश्वासन दिया कि मार्च महीने में वे सरकार से उनकी बात करवाएंगे। इस पर जब आशा प्रतिनिधियों ने फिर से होनेवाली वार्ता की तिथि तय करने की मांग की तो कार्यपालक स्वास्थ्य निदेशक चिढ़ गए। 

सरकार और विभाग के इस टालू रवैये की प्रतिक्रिया में आशा संगठनों ने भी राज्य भर की आशाकर्मियों के नाम अपील जारी करते हुए 11 मार्च को विधान सभा के समक्ष प्रदर्शन की घोषणा कर फिर से आन्दोलन का बिगुल फूंक दिया।

उक्त अपील में कहा गया है कि- बिहार की आशा-फैसिलिटेटर बहनों ! गत 17 फ़रवरी की प्रस्तावित हड़ताल को माननीय हाई कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए स्थगित किया गया था। क्योंकि हाई कोर्ट ने आशा बहनों की मांगों को लेकर बहुत ही सकारात्मक रुख दिखाते हुए बिहार सरकार को आदेश दिया था कि हमारी मांगों को हल करने के लिए 28 फ़रवरी को होनेवाली सुनवाई में वह कोर्ट को कार्य प्रगति की रिपोर्ट प्रस्तुत करे। लेकिन 23 फ़रवरी की हुई वार्ता से ये साफ़ दिख रहा है कि एकबार फिर से मामले को टालने के लिए सरकार ‘डेट पर डेट’ ही लेगी। इसलिए सरकार के इस रवैये के खिलाफ आशा संयुक्त संघर्ष मंच को 11 मार्च को विधान सभा के समक्ष फिर से प्रदर्शन करने को विवश होना पड़ रहा है। हमें अपनी लड़ाई कोर्ट और सड़क दोनों स्तरों पर लड़ना है। 11 मार्च को ही प्रदेश के सभी विपक्षी दलों को भी स्मार-पत्र दिया जाएगा ताकि विधान सभा पटल पर भी सरकार के टाल मटोल रवैये को उजागर किया जा सके। 

सनद हो कि गत 17  फ़रवरी को बिहार में कार्यरत आशा कार्यकर्त्ताओं के वर्षों से लंबित मांगों को लेकर ‘संयुक्त आशा संघर्ष समिति’ के आह्वान पर पुरे प्रदेश में अनिश्चित कालीन हड़ताल होना था। लेकिन 16 फरवरी को ही पटना हाई कोर्ट ने आशाकर्मियों की दायर याचिका पर त्वरित संज्ञान लेते हुए हुए सभी आशा बहनों को हड़ताल नहीं करने के साथ साथ बिहार सरकार को इनकी मांगों को ज़ल्द से ज़ल्द पूरा करने के फौरी उपाय करने का आदेश जारी किया था। जिसके तहत ये स्पष्ट निर्देश था कि स्वास्थ्य विभाग एक सप्ताह के अन्दर आन्दोलनरत आशाओं के सभी संगठनों के प्रतिनिधियों से सीधा वार्ता कर समुचित समाधान का रास्ता तैयार करे और 28 फ़रवरी को होने वाली अगली सुनवाई के दिन रिपोर्ट प्रस्तुत करे। 

हाई कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए सभी आशा संगठनों की ओर से केन्द्रीय वामपंथी ट्रेड यूनियन एक्टू की राष्ट्रिय सचिव मंडल की सदस्य एवं आशा आन्दोलन की प्रमुख अगुवा शशि यादव ने भी सोशल मिडिया में वीडियो जारी कर कहा कि- पटना हाई कोर्ट के माननीय मुख्य न्यायाधीश ने आशाओं की मांगों और प्रस्तावित अनिश्चितकालीन हड़ताल के सन्दर्भ में दिया गया निर्देश स्वागत योग्य है। उम्मीद करते हैं कि बिहार की सरकार तय समय में उक्त मांगों को मानकर शीघ्र क़दम उठाएगी। वरना बाध्य होकर हमें पुनः हड़ताल पर जाना होगा। क्योंकि आशा बहनें अब बेगारी नहीं करेंगी। 

23 फ़रवरी को स्वस्थ्य विभाग के आला अधिकारीयों से हुई वार्ता की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि- हमलोगों ने सोचा था कि माननीय हाई कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए बिहार की सरकार के रवैये में कुछ बदलाव आयेगा और वो आशा कर्मियों की बदतर स्थितयों के प्रति संवेदना दर्शाएगी। लेकिन जब वार्ता में हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार हमारी सभी मांगों को पूरा करने के उपायों की  चर्चा करने की बजाय सिर्फ सरकार से अगली वार्ता कराने का आश्वासन दिया गया तो हम समझ गए कि आज की वार्ता महज एक दिखावे के लिए थी। ताकि हाई कोर्ट को भरमाया जा सके कि उसके आदेश का अनुपालन हो रहा है।  

28 फ़रवरी को होनेवाली सुनवाई के दौरान हम लोग फिर से माननीय कोर्ट के समक्ष बिहार सरकार के संवेदनहीन और अड़ियल रवैये का सबूत पेश करेंगे। साथ ही यह भी बताएँगे कि 16 फरवरी को माननीय मुख्य न्यायधीश ने जो आशा कार्यकर्ताओं को आश्वस्त किया कि एक सप्ताह के अन्दर सरकार को विचार कर हल करने का निर्देश दिया जाएगा, किस तरह से बिहार सरकार के ठेंगे पर है।    

गौर तलब है कि 16 फरवरी को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल की डिविजनल बेंच ने सुनवाई के दौरान राज्य में आशा वर्करों की भूमिका की काफी प्रशंसा की थी । विशेषकर कोविड-19 महामारी के दौरान इनके कार्यों की काफी सराहना की। कोर्ट में सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर उपस्थित बिहार स्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी निदेशक से एक सप्ताह भीतर हलफनामा पर कार्यवाही के नतीजे देने का आदेश देते हुए बिहार सरकार के नाकारापन के लिए काफी फटकार भी लगाई थी।

देखना है कि ताज़ा घटनाक्रम के कारण आशा कर्मियों के सवालों पर 28 फ़रवरी को होने वाली सुनवाई में हाई कोर्ट के समक्ष बिहार सरकार कौन सा नाटक करती है!

Bihar
asha workers
Asha Workers Protest
Bihar government
Nitish Kumar

Related Stories

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

पटना : जीएनएम विरोध को लेकर दो नर्सों का तबादला, हॉस्टल ख़ाली करने के आदेश

बिहार: 6 दलित बच्चियों के ज़हर खाने का मुद्दा ऐपवा ने उठाया, अंबेडकर जयंती पर राज्यव्यापी विरोध दिवस मनाया

बिहार: विधानसभा स्पीकर और नीतीश सरकार की मनमानी के ख़िलाफ़ भाकपा माले का राज्यव्यापी विरोध

बिहार में आम हड़ताल का दिखा असर, किसान-मज़दूर-कर्मचारियों ने दिखाई एकजुटता

पटना: विभिन्न सरकारी विभागों में रिक्त सीटों को भरने के लिए 'रोज़गार अधिकार महासम्मेलन'

बिहार बजट सत्र: विधानसभा में उठा शिक्षकों और अन्य सरकारी पदों पर भर्ती का मामला 

बिहार : सीटेट-बीटेट पास अभ्यर्थी सातवें चरण की बहाली को लेकर करेंगे आंदोलन

बिहार आरआरबी-एनटीपीसी छात्र आंदोलनः महागठबंधन माले नेता ने कहा- ये सरकार लोकतंत्र विरोधी है


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License