NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कृषि
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर
मुज़फ़्फ़रपुर में सरकारी केंद्रों पर गेहूं ख़रीद शुरू हुए दस दिन होने को हैं लेकिन अब तक सिर्फ़ चार किसानों से ही उपज की ख़रीद हुई है। ऐसे में बिचौलिये किसानों की मजबूरी का फ़ायदा उठा रहे है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
30 Apr 2022
wheat
Image courtesy : TV9 Bharatvarsh

बिहार में सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं की धीमी खरीद के चलते किसान परेशान हैं। किसान अपनी उपज बेचने की उम्मीद में राह देख रहे हैं क्रय केंद्रों उनके उपज की खरीदारी नहीं हो रही है जिसका फायदा बिचौलिया उठा रहे है। ये बिचौलिए किसानों से कम कीमत में खरीद कर अधिक मुनाफा पर दूसरे राज्यों और विदेश में गेहूं भेज रहे हैं।

बिहार के मुजफ्फरपुर की बात करें तो हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक यहां से रोजाना 20 से 30 गेहूं लदा ट्रक दूसरे राज्यों के साथ बांग्लादेश भी ले जाया जा रहा है। गुरुवार को बाजार समिति सहित अन्य जगहों से गेहूं लदी करीब 15 से अधिक गाड़ियां देश के दूसरे राज्यों जैसे गुजरात, उड़ीसा, असम समेत अन्य जगहों के लिए निकली थी। ज्ञात हो कि गेहूं खरीद का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल है लेकिन बिचौलिया किसानों से इस मूल्य की तुलना में दो सौ से ढाई सौ रुपये कम में गेहूं खरीद रहे है। सरकारी क्रय केंद्रों पर खरीद न होने के चलते मजबूरी में किसानों को कम कीमत पर इन बिचौलिए के हाथों अपनी उपज को बेचना पड़ रहा है ताकि अगली फसल की बुआई के लिए तैयारी शुरू की जा सके।

रिपोर्ट के अनुसार सहकारिता विभाग गेहूं खरीद करने के लिए तत्पर दिखाई नहीं दे रहा है। मुजफ्फरपुर में गेहूं की खरीद शुरू हुए आठ दिन बीत चुके है लेकिन अब तक सिर्फ चार किसानों से ही खरीद हुई है। जिले में गेहूं खरीद के लिए 178 समितियों का चयन किया गया है। इसमें 172 पैक्स व छह व्यापार मंडल हैं जिनसे गेहूं खरीद की गई है। जिन किसानों से गेहूं की खरीद की गई उसमें कुढ़नी के तीन व गायघाट के एक किसान शामिल हैं। चारों किसानों से अब तक 115 क्विंटल मात्र गेहूं खरीदी गई है।

बोरा की क़ीमत और प्रति क्वींटल पर 6 किलो ज्यादा अनाज की मांग

कांटी सदातपुर निवासी किसान राहुल कुमार ने हिंदुस्तान को बताया कि उन्होंने 10 एकड़ में गेहूं की खेती की थी। उपज भी बढ़िया हुई है लेकिन पैक्स में खरीदारी नहीं हो रही है। मजबूरन उपज को 18 सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचना पड़ा। वहीं प्रति क्विंटल छह किलो अधिक गेहूं देने की मांग होती है। इसके अलावा बोरा भी मांगा जाता है।

पैक्स नहीं दिखा रहे दिलचस्पी

एक अन्य किसान राधा मोहन प्रसाद बताते है कि खेती काफी महंगी हो गई है। खाद-बीज के दाम में काफी वृद्धि हुई है। इस बीच गेहूं की अच्छी कीमत नहीं मिलने से वे निराश है। वे कहते हैं कि कुछ दिन इंतजार करने के बाद यदि सरकारी केंद्रों द्वारा खरीद नहीं होती है तो वे व्यापारी से गेहूं बेचने को मजबूर हो जाएंगे। उनका कहना है कि सरकारी स्तर पर खरीद नहीं हो पा रही है जिसके चलते मजबूरन 18 सौ रुपये प्रति क्विंटल से भी नीचे की दर से गेहूं बेचना पड़ रहा है।

गेहूं की खरीद न होने की बात पदाधिकारी भी मानते हैं

जिला सहकारिता पदाधिकारी विरेंद्र कुमार शर्मा भी मानते हैं कि सरकारी केंद्रों पर गेहूं की खरीद नहीं हो रही है। हालांकि इसकी जो वजह उन्होंने बताई वह हास्यास्पद है। उनका कहना है कि बाजार दर अधिक होने की वजह से किसान सरकारी केंद्र पर आने को इच्छुक नहीं दिख रहे हैं। अगर किसी किसान को गेहूं बेचनी है तो वे समिति में जाए या फिर उनके कार्यालय में संपर्क करें। उनसे गेहूं खरीदी जाएगी। उनका कहना है कि गेहूं क्रय की मॉनिटरिंग की जा रही है।

पैक्सों में गेहूं बेचने पर होती है परेशानी

वहीं मुजफ्फरपुर कॉपरेटिव बैंक के उपाध्यक्ष किसान वीरेंद्र राय बताते हैं कि पैक्सों में गेहूं बेचने पर रजिस्ट्रेशन कराने से लेकर कई तरह की परेशानी होती है। लेकिन बिचौलियों से बेचने पर कोई परेशानी नहीं होती है। इसलिए किसान बिचौलियों से ही गेहूं बेच दे रहे हैं।

गुजरात और बांग्लादेश भेज जा रहे गेहूं

मुजफ्फरपुर के बोचहां सर्फुद्दीनपुर निवासी व्यापारी सिद्धार्थ कुमार हिंदुस्तान को बताते हैं कि वे पिछले 10 साल से गेहूं सहित अन्य अनाज की खरीद बिक्री करते हैं। प्रति क्विंटल 50 रुपये मुनाफा रखते हैं। परिवहन का प्रति क्विंटल दो सौ रुपये तय कर इसे सिलीगुड़ी से फुलवारी बॉर्डर के रास्ते बांग्लादेश भेज देते है। वहां के व्यापारी आकर गेहूं की खेप 23 सौ रुपये प्रति क्विंटल ले जाते हैं। इसके अलावा गुजरात के गांधीधाम में भी गेहूं भेज जा रहे हैं। यहां पर परिवहन शुल्क लेकर 2450 रुपये आता है। यहां की गेहूं से सूजी, चोकर, मैदा आदि बनाया जाता है। गुजरात और बांग्लादेश में फ्लोर मिल काफी हैं जिससे वहां पर गेहूं की मांग अधिक है। मुजफ्फरपुर से प्रतिदिन चार से पांच ट्रक गेहूं की मांग बांग्लादेश से आ रही है।

समस्तीपुर में गेहूं खरीद की विभाग से नहीं मिली सूचना

उधर बिहार के समस्तीपुर में भी पैक्सों में किसानों से गेहूं खरीद को लेकर कोई प्रक्रिया शुरू नहीं है। भाकपा-माले के समस्तीपुर जिला समिति के सदस्य सुरेंद्र न्यूजक्लिक से बातचीत में कहते हैं कि अभी विभाग से किसानों के गेहूं की उपज खरीद के लिए पैक्सों को कोई सूचना नहीं दी गई है। इसलिए इसको लेकर प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। खरीद प्रक्रिया शुरू न होने से किसान की चिंता बढ़ गई है। ऐसे में उन्हें एमएसपी से कम कीमत पर ही बेचना पड़ेगा।

ज्ञात हो कि करीब दस दिन पहले बिहार सरकार के खाद्य सचिव विनय कुमार ने मीडिया से बताया था कि केंद्र सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2015 रुपये प्रति क्विंटल की दर प्रदेश में 10 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा गया है। कृषि विभाग के पोर्टल पर निबंधित किसानों से अनाज की खरीद 31 मई तक की जाएगी।

बता दें कि पिछले साल की तुलना में इस साल गेहूं के समर्थन मूल्य में 40 रूपये प्रति क्वींटल की वृद्धि की गई है। पहले 1975 रुपया प्रति क्वींटल खरीद होती थी, इस बार बढ़ाकर 2015 रुपया कर दिया गया है।

Bihar
Wheat
wheat and rice
Bihar Farmers
Farmers crisis
Agriculture
Nitish Kumar

Related Stories

भारत में गेहूं की बढ़ती क़ीमतों से किसे फ़ायदा?

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

ग्राउंड रिपोर्टः डीज़ल-पेट्रोल की महंगी डोज से मुश्किल में पूर्वांचल के किसानों की ज़िंदगी

बिहार: कोल्ड स्टोरेज के अभाव में कम कीमत पर फसल बेचने को मजबूर आलू किसान

ग्राउंड रिपोर्ट: कम हो रहे पैदावार के बावजूद कैसे बढ़ रही है कतरनी चावल का बिक्री?

यूक्रेन-रूस युद्ध से मध्य पूर्व को गंभीर गेहूं संकट का सामना करना पड़ सकता है

यूपी चुनाव : किसानों ने कहा- आय दोगुनी क्या होती, लागत तक नहीं निकल पा रही

उत्तर प्रदेश चुनाव : डबल इंजन की सरकार में एमएसपी से सबसे ज़्यादा वंचित हैं किसान

ग्राउंड  रिपोर्टः रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के गृह क्षेत्र के किसान यूरिया के लिए आधी रात से ही लगा रहे लाइन, योगी सरकार की इमेज तार-तार


बाकी खबरें

  • भाषा
    महाराष्ट्र : एएसआई ने औरंगज़ेब के मक़बरे को पांच दिन के लिए बंद किया
    19 May 2022
    महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रवक्ता गजानन काले ने मंगलवार को कहा था कि औरंगजेब के मकबरे की कोई जरूरत नहीं है और उसे ज़मींदोज़ कर दिया जाना चाहिए, ताकि लोग वहां न जाएं। इसके बाद, औरंगाबाद के…
  • मो. इमरान खान
    बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’
    19 May 2022
    रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदुत्ववादी भीड़ की हरकतों से पता चलता है कि उन्होंने मुसलमानों को निस्सहाय महसूस कराने, उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और उन्हें हिंसक होकर बदला लेने के लिए उकसाने की…
  • वी. श्रीधर
    भारत का गेहूं संकट
    19 May 2022
    गेहूं निर्यात पर मोदी सरकार के ढुलमुल रवैये से सरकार के भीतर संवादहीनता का पता चलता है। किसानों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने की ज़िद के कारण गेहूं की सार्वजनिक ख़रीद विफल हो गई है।
  • एम. के. भद्रकुमार
    खाड़ी में पुरानी रणनीतियों की ओर लौट रहा बाइडन प्रशासन
    19 May 2022
    संयुक्त अरब अमीरात में प्रोटोकॉल की ज़रूरत से परे जाकर हैरिस के प्रतिनिधिमंडल में ऑस्टिन और बर्न्स की मौजूदगी पर मास्को की नज़र होगी। ये लोग रूस को "नापसंद" किये जाने और विश्व मंच पर इसे कमज़ोर किये…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 30 फ़ीसदी की बढ़ोतरी 
    19 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,364 नए मामले सामने आए हैं, और कुल संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 29 हज़ार 563 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License