NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बिहार: खेत व ग्रामीण मज़दूर संगठनों का संयुक्त राज्यस्तरीय कन्वेंशन, केरल की तर्ज पर केंद्रीय क़ानून बनाने की मांग
कन्वेंशन में मांगों से संबंधित ज्ञापन मुख्यमंत्री और विधायकों-सांसदों को सौंपने, 1 से 15 जनवरी तक ज़िलों में संयुक्त बैठकें आयोजित करने, 27 जनवरी को ज़िला मुख्यालयों पर संयुक्त प्रदर्शन करने और 23-24 फ़रवरी को प्रस्तावित राष्ट्रीय हड़ताल को जोरदार तरीक़े से सफल बनाने का भी आह्वान किया गया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
30 Dec 2021
Bihar

अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस), बिहार प्रांतीय खेतिहर मजदूर यूनियन और बिहार राज्य खेत मजदूर यूनियन के संयुक्त तत्वावधान में आज पटना के आईएमए हाल में खेत व ग्रामीण मजदूरों का संयुक्त राज्यस्तरीय कन्वेंशन आयोजित किया गया। इस कन्वेंशन का उदघाटन केरल से राज्य सभा सदस्य और AIAWU के नेता बी शिवदासन ने किया।

पूर्व सांसद नागेंद्र नाथ ओझा और खेग्रामस के महासचिव धीरेंद्र झा सहित जानकी पासवान, सत्यदेव राम, बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, भोला प्रसाद दिवाकर, देवेंद्र चौरसिया और रमाकांत अकेला अध्यक्ष मंडल में शामिल थे। इसके साथ ही इस कन्वेंशन में बड़ी संख्या में खेत व ग्रामीण मजदूर संघटनों के नेता व कार्यकर्ता उपस्थित थे।

उदघाटन करते हुए बी. शिवदासन ने केरल में खेत मज़दूरों की स्थिति पर व्यापक चर्चा की और कहा कि केरल की तरक्की का बड़ा कारण खेत मज़दूरों की जीवन स्थिति में सुधार है। केरल मज़दूरी, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा, पेंशन आदि मोर्चे पर देश में अग्रणी पंक्ति में है। आज जरूरत है कि बिहार में भी केरल की तर्ज पर एक व्यापक कानून बनाया जाए, तभी बिहार में खेत व ग्रामीण मजदूरों की जीवन दशा में सुधार संभव है।

नागेंद्र नाथ ओझा ने कहा कि बिहार में जमींदारी उन्मूलन के बाद खेत मज़दूरों ने जमीन, मज़दूरी, मान-सम्मान, वास-आवास को लेकर बड़े संघर्ष को सामने लाया। आज उस पर एक बार फिर हमले हो रहे हैं, हमें इसका मजबूती से जवाब देना होगा।

समापन वक्तव्य में खेग्रामस के राष्ट्रीय महासचिव धीरेंद्र झा ने कहा कि नीतीश सरकार में दलितों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर हमले तेज हुए हैं। बकाया मज़दूरी मांगने पर समस्तीपुर में सफाई मज़दूर रामसेवक राम की पीट-पीट कर हत्या थाने में कर दी गई। उन्होंने कहा कि गरीबों को उजाड़ने के खिलाफ पूरे बिहार में प्रतिरोध आंदोलन तेज होगा। नया वास-आवास कानून सरकार को बनाना होगा और बिना वैकल्पिक व्यवस्था के दलित-गरीबों को उजाड़ने पर रोक लगानी होगी।

आगे कहा कि बिहार में मनरेगा को लूट की योजना बना दी गयी है। मनरेगा में 200 दिन काम, 600 रुपये दैनिक मज़दूरी और कार्यस्थल पर मज़दूरी भुगतान को लेकर किसान आंदोलन की जीत से ऊर्जा लेते हुए खेत मज़दूरों-ग्रामीण मज़दूरों का आंदोलन तेज होगा।

अन्य वक्ताओं ने कहा कि नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट ने बिहार के विकास की पोल खोल दी है। 51.91 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। गरीबों के कल्याण की सारी योजनाओं में भ्र्ष्टाचार है। नीतीश का विकास का दावा पूरी तरह खोखला है।

कन्वेंशन में खेत-ग्रामीण मजदूरों के लिए केंद्रीय कानून, भूमि सुधार आयोग की रिपोर्ट लागू करने, बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए गरीबों को उजाड़ने पर रोक लगाने, मनरेगा में 200 दिन काम व नयूनतम 600 रुपया मजदूरी करने, दलित-गरीबों-महिलाओं-अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले पर रोक लगाने, रामसेवक राम-योगेंद्र पासवान व चन्देश्वर ऋषिदेव के हत्यारे की गिरफ्तारी व पीड़ित परिवारों को मुआवजा, भोजन अधिकार कानून को सख्ती से लागू करने, प्रवासी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन कराने, स्वास्थ्य केंद्रों को सही ढंग से चालू करने, समान स्कूल प्रणाली को लागू करने, गरीबों की योजनाओं में मची लूट पर रोक लगाने, सांप्रदायिक उन्माद पर रोक लगाने आदि मांगें उठाई गईं और इन पर आने वाले दिनों में आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया गया।

कन्वेंशन से उपर्यक्त मांगों से संबंधित ज्ञापन मुख्यमंत्री और विधायकों-सांसदों को सौंपने, 1 से 15 जनवरी तक जिलों में संयुक्त बैठकें आयोजित करने, 27 जनवरी को जिला मुख्यालयों पर संयुक्त प्रदर्शन करने और 23-24 फरवरी को प्रस्तावित राष्ट्रीय हड़ताल को जोरदार तरीके से सफल बनाने का भी आह्वान किया गया।

Bihar
Bharatiya Khet Mazdoor Union
AIAWU
central law
Kerala

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 

बिहार : दृष्टिबाधित ग़रीब विधवा महिला का भी राशन कार्ड रद्द किया गया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका

बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’


बाकी खबरें

  • कुशाल चौधरी, गोविंद शर्मा
    बिहार: रोटी-कपड़ा और ‘मिट्टी’ के लिए संघर्ष करते गया के कुम्हार-मज़दूर
    21 May 2022
    गर्मी के मौसम में मिट्टी के कुल्हड़ और मिट्टी के घड़ों/बर्तनों की मांग बढ़ जाती है, लेकिन इससे ज्यादा रोज़गार पैदा नहीं होता है। सामान्य तौर पर, अधिकांश कुम्हार इस कला को छोड़ रहे हैं और सदियों पुरानी…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में ओमिक्रॉन के स्ट्रेन BA.4 का पहला मामला सामने आया 
    21 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,323 नए मामले सामने आए हैं | देश में अब कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 34 हज़ार 145 हो गयी है। 
  • विनीत तिवारी
    प्रेम, सद्भाव और इंसानियत के साथ लोगों में ग़लत के ख़िलाफ़ ग़ुस्से की चेतना भरना भी ज़रूरी 
    21 May 2022
    "ढाई आखर प्रेम के"—आज़ादी के 75वें वर्ष में इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा के बहाने कुछ ज़रूरी बातें   
  • लाल बहादुर सिंह
    किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है
    21 May 2022
    इस पूरे दौर में मोदी सरकार के नीतिगत बचकानेपन तथा शेखचिल्ली रवैये के कारण जहाँ दुनिया में जग हंसाई हुई और एक जिम्मेदार राष्ट्र व नेता की छवि पर बट्टा लगा, वहीं गरीबों की मुश्किलें भी बढ़ गईं तथा…
  • अजय गुदावर्ती
    कांग्रेस का संकट लोगों से जुड़ाव का नुक़सान भर नहीं, संगठनात्मक भी है
    21 May 2022
    कांग्रेस पार्टी ख़ुद को भाजपा के वास्तविक विकल्प के तौर पर देखती है, लेकिन ज़्यादातर मोर्चे के नीतिगत स्तर पर यह सत्तासीन पार्टी की तरह ही है। यही वजह है कि इसका आधार सिकुड़ता जा रहा है या उसमें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License