NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बिहार विधानसभा: चुनाव आयोग की नई गाइडलाइन पर उठे सवाल
राज्य चुनाव आयोग द्वारा विधानसभा चुनाव की नयी गाइडलाइन जारी किये जाने के बाद से उसकी निष्पक्ष भूमिका पर कई सवाल उठाने शुरू हो गए हैं। साथ ही कोरोना संक्रमण को देखते हुए ईवीएम की बजाय बैलेट से चुनाव कराने की मांग भी की जा रही है।
अनिल अंशुमन
01 Sep 2020
बिहार विधानसभा

पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों के संदर्भ में चुनाव आयोग की निष्पक्ष व पारदर्शी भूमिका पर संशय के सवालों के साथ साथ ईवीएम की बजाय फिर से बैलेट चुनाव की मांग ने काफी जोर पकड़ा था। इस बार बिहार में वही नज़ारा बनने के आसार दीखने लगे हैं।

प्रदेश में कोविड महामारी के बढ़ते संक्रमण की भयावाह स्थिति और बाढ़ त्रासदी से त्रस्त जनता दुर्दशापूर्ण हालात को लेकर राज्य के सभी विपक्षी व वामपंथी दलों के साथ साथ नागरिक सामाज के कई संगठनों द्वारा विधानसभा चुनाव टालने की मांग निरंतर हो रही है। पिछले ही माह जब केन्द्रीय चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनितिक दलों से सुझाव मांगे थे तब भी एक स्वर से सबों ने यही कहा था था कि अभी राज्य में चुनाव कराने के हालात नहीं हैं। विपक्ष के अनुसार राज्य चुनाव आयोग द्वारा हालिया जारी विशेष चुनावी गाइडलाइन और प्रशासनिक महकमे द्वारा कराई जा रही ताबड़तोड़ तैयारियों को देखकर यही लग रहा है कि चुनाव आयोग पूरी तरह से सत्ताधारी दल की योजना को ही अमली जामा पहनाने पर आमादा है।

राज्य चुनाव आयोग द्वारा विधानसभा चुनाव की नयी गाइडलाइन जारी किये जाने के बाद से अब उसकी निष्पक्ष–पारदर्शी और विश्वसनीय भूमिका पर कई संशयभरे सवाल उठाने शुरू हो गए हैं। साथ ही कोरोना संक्रमण को देखते हुए ईवीएम की बजाय बैलेट से चुनाव कराने की मांग भी की जा रही है। इस बाबत राज्य के प्रमुख वामपंथी दल भाकपा माले प्रतिनिधि मंडल ने राज्य चुनाव आयोग से मिलकर लिखित ज्ञापन दिया है ।

bihar chunaw ayog 1.jpg                           

जिसमें बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र जारी गाइडलाइन में पारदर्शी– विश्वसनीय चुनाव कराने और इस दौरान कोविड महामारी संक्रमण से बचाव इत्यादि पहलुओं को उठाया गया है। आयोग को दिए गए ज्ञापन में यह साफ़ कहा गया है कि – महाशय, आपके द्वारा जारी नयी गाइडलाइंस हमारे मन में कई संदेह पैदा कर रही हैं इस करण उक्त ज्ञापन के माध्यम से हम उन संदेहों– सवालों और सुझावों पर आपका ध्यान आकृष्ट करा रहें हैं।

मसलन – कोविड संक्रमण के संदेहास्पद मरीजों को पोस्टल बैलेट देने का प्रावधान चुनावी धांधली की गुंजाइश देनेवाला है। जबकि चंद महीने पहले ही 65 वर्ष के लोगों को बैलेट पत्र दिए जाने के प्रस्ताव भारी विरोध के कारण आपको वापस लेना पड़ा था। लेकिन अब कोविड के नाम पर पुनः वही प्रावधान रखा जा रहा जिससे व्यापक पैमाने पर चुनावी धांधली की गुंजाइश है।

पोस्टल बैलेट सम्बन्धी चैप्टर 12 के 1 डी में यह प्रावधान दिया गया है कि सिर्फ कोविड पॉजिटिव ही नहीं बल्कि संदेहास्पद मतदाता– होम और संस्थानिक क्वारंटाइन मतदाता पोस्टल बैलेट प्राप्त करने के अधिकारी होंगे।

इसी प्रकार पोलिंग स्टेशन व्यवस्था सम्बंधित चैप्टर 10 के 21 नम्बर बिंदु में कहा गया है कि क्वारंटाइन मतदाता अंतिम समय में बूथ पर वोट देंगे। इसी चैप्टर के 4 नंबर बिंदु में कहा गया है कि बूथों पर थर्मल स्क्रीनिंग के दौरान पाए गए बुखार पीड़ित को भी अंतिम समय में वोट डालने दिया जाएगा।

उक्त दोनों चैप्टरों के प्रावधान परस्पर अंतर्विरोधी और एक ही प्रकार के वोटरों के लिए दो तरह की व्यवस्था किसलिए? साथ ही सबसे अहम सवाल है कि संदेहास्पद कोविड मतदाता की पहचान कैसे होगी और यह व्यापक चुनावी धांधली को बढ़ावा देगा। क्योंकि ऐसे में यह तय है कि कोविड मरीजों के बहाने और होम क्वारंटाइन के नाम पर फर्जीवाड़ा कर सत्ताधारी दल बड़ी संख्या में पोस्टल बैलेट हथियाकर चुनाव परिणाम प्रभावित कर लेगा।

माले ने अपने ज्ञापन में चुनाव आयोग के गाइडलाइन में 1000 वोटर आधारित बूथ के प्रावधान को महामारी संक्रमण के लिए विस्फोटक बताते हुए 250 वोटर आधारित बूथ की मांग की है। उक्त मांग को सम्पूर्ण विपक्ष ने भी केन्द्रीय चुनाव आयोग के समक्ष रखा है। साथ ही यह भी सवाल किया गया है कि जब शादी अथवा अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में अधिकतम 100 लोगों के ही जमा होने की अनुमति है तो बूथों पर हज़ार मतदाताओं की उपस्थिति क्यों? चुनाव आयोग की नयी गाइडलाइन के चुनावी कैम्पेन सम्बन्धी चैप्टर 13 के 3 एफ में कहा गया है कि पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान चुनावी सभा– प्रचार जैसे मामलों में लोगों की कोविड संक्रमण से सुरक्षा की जिम्मेवारी राजनीतिक पार्टियों– उम्मीदवारों की होगी। इस प्रावधान को वापस लिया जाय क्योंकि यह चुनाव जब आयोग करा रहा है तो लोगों की सुरक्षा की जिम्मेवारी से आयोग भाग नहीं सकता है और यह जिम्मेवारी आयोग को ही लेनी होगी।

ज्ञापन के प्रमुख बिन्दुओं के तहत चुनाव काल में तमाम मतदाताओं सहित चुनाव कार्यों में लगे सभी चुनावकर्मियों व पुलिसकर्मियों हेतु 50 लाख का बीमा कराये जाने के साथ साथ संक्रमित के परिवार को गुज़ारा भत्ता व मुफ्त सरकारी ईलाज की गारंटी की जाय।

ज्ञापन के अंत में पारदर्शी व विश्वसनीय चुनाव कि गारंटी के लिए ईवीएम कि बजाय बैलेट से चुनाव कराये जाने की मांग की गयी थी। सनद हो कि महीनों से बिहार का सम्पूर्ण विपक्ष और नागरिक समाज के कई संगठन इस मांग को लगातार उठा रहें हैं। ख़बरों के अनुसार बिहार चुनाव आयोग द्वारा इस ज्ञापन पर संज्ञान में लिए जाने की कोई बात अभी तक सामने नहीं आई है। चर्चा तो यह भी है कि जिस तरह से कोविड संक्रमण के बढ़ते खतरों के बीच सरकार ने देश के लाखों नौजवानों के विरोध को अनसुना कर उन्हें जबरिया परीक्षा देने के लिए मजबूर कर दिया। साथ ही उन्हें ही परीक्षा केन्द्रों पर कोरोना सम्बन्धी स्वघोषणा पत्र जमा करने का भी निर्देश दे दिया, कहीं यही रवैया चुनाव में मतदाताओं के साथ भी न हो जाए। चुनाव आयोग अपने द्वारा जबरिया कराये जा रहे विधानसभा चुनाव में मजबूरन शामिल होनेवाले सभी विपक्षी राजनितिक दल और प्रदेश के मतदाताओं से महामारी संक्रमित नहीं होने का स्वघोषणा पत्र भी जमा कराये ।

जहां तक वर्तमान की चुनावी सरगर्मियों का मामला है, गठबंधन सरकार के दोनों प्रमुख सत्ताधारी दल पूरी चुनावी प्रक्रिया को वर्चुअल बनाने की ही कवायद में जुटे हुए हैं। नीतीश कुमार जी का चेहरा ही सामने रखकर फिर से सरकार बनाने के दावे किये जा रहे हैं। लेकिन एक चर्चा यह भी है कि भाजपा भले ही नीतीश कुमार का चेहरा गठबंधन नेता के तौर पर आगे रखे लेकिन उसकी अंदरूनी तैयारी हो रही है अपना मुख्यमंत्री और सरकार बनाने की।

वहीं, इस चुनाव में भी विपक्ष के खिलाफ अंधराष्ट्रवादी विचारों को उन्मादी शक्ल देने के लिए लोकसभा वाली नफरती दुष्प्रचार की राजनितिक मुहिम भी तेज़ की जा रही है। जिसका नेतृत्व स्वयं प्रदेश भाजपा के प्रमुख नेता और उप मुख्यमंत्री कर रहे हैं। एक दिन पूर्व ही उन्होंने फरमाया है कि हार की डर से राजद को सिद्धांतहीन जोड़ तोड़ कर चीन समर्थक कम्युनिस्टों का हाथ थामना पड़ रहा है। भारत तेरे टुकड़े होंगे का नारा लगाने वाले अब लालू प्रसाद जी की पार्टी के लिए वोट मांगते हुए दीखेंगे।

विपक्ष के महागठबंधन में पहली बार राज्य के वामपंथी दलों के भी शामिल होने की चर्चा ज़ोरों पर है। गौरतलब है कि हिंदी पट्टी के प्रदेशों में बिहार ही ऐसा राज्य है जहां वामपंथ की लगभग सभी धाराओं की मजबूत ज़मीनी सामाजिक उपस्थिति लम्बे समय से है। जिनके आन्दोलनों ने कई बार राज्य की सत्ता सियासत तक को हिला कर रख दिया है। जो अभी तक अलग अलग रहकर चुनाव लड़ते रहे हैं लेकिन इस बार उनका कहना कि वर्तमान की जन विरोधी– फासीवादी – सांप्रदायिक और कॉर्पोरेटपरस्त सरकार को सत्ता से हटाना उनका प्रमुख लक्ष्य है इसलिए वे इस बार पूरी तरह से एकजुट होकर और ज़रूरत पड़ी तो महागठबंधन के साथ भी मिलकर चुनाव लड़ेंगे।

वहीं जीतनराम मांझी व कुछ अन्य कद्दावर जातीय व समाजी राजनेताओं द्वारा तीसरा मोर्चा खड़ा करने प्रयास भी कुछ रंग नहीं ला पा रहा है। मीडिया के राजनितिक कयासों में जीतन जी के एनडीए वापसी की ही बात अधिक कही जा रही है।  

लॉकडाउन के ही दौरान पिछले महीने केन्द्रीय चुनाव आयोग ने भले ही बिहार के सभी राजनीतिक दलों से विधानसभा चुनाव को लेकर सुझाव माँगने की रस्मअदायगी की। जिसमें सत्ताधारी दल को छोड़ शेष सबों ने फिलहाल राज्य में विधानसभा चुनाव नहीं कराये जाने की ही मांग की। लेकिन बिहार चुनाव आयोग द्वारा चुनावी गाइडलाइन जारी करना साफ़ संकेत दे रहा है कि महामारी संक्रमण और बाढ़ विभीषिका से राज्य के मतदाता की जितनी दुर्दशा हो जाये और विपक्ष भी फिलहाल चुनाव नहीं कराने की जितनी मांगें कर ले, चुनाव आयोग चुनाव की योजना को अमलीजामा पहनाकर ही रहेगा। और यही सत्ताधारी दल की इच्छा है।

Bihar
Bihar Elections
Bihar Legislative Assembly
election commission of India
EVM Complaints
EVM
Postal Ballot System
Coronavirus
COVID-19
BJP-JJP alliance
Nitish Kumar
Narendra modi
left parties

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया


बाकी खबरें

  • बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी
    18 May 2022
    ज़िला अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए स्वीकृत पद 1872 हैं, जिनमें 1204 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं, जबकि 668 पद खाली हैं। अनुमंडल अस्पतालों में 1595 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 547 ही पदस्थापित हैं, जबकि 1048…
  • heat
    मोहम्मद इमरान खान
    लू का कहर: विशेषज्ञों ने कहा झुलसाती गर्मी से निबटने की योजनाओं पर अमल करे सरकार
    18 May 2022
    उत्तर भारत के कई-कई शहरों में 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पारा चढ़ने के दो दिन बाद, विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन के चलते पड़ रही प्रचंड गर्मी की मार से आम लोगों के बचाव के लिए सरकार पर जोर दे रहे हैं।
  • hardik
    रवि शंकर दुबे
    हार्दिक पटेल का अगला राजनीतिक ठिकाना... भाजपा या AAP?
    18 May 2022
    गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। हार्दिक पटेल ने पार्टी पर तमाम आरोप मढ़ते हुए इस्तीफा दे दिया है।
  • masjid
    अजय कुमार
    समझिये पूजा स्थल अधिनियम 1991 से जुड़ी सारी बारीकियां
    18 May 2022
    पूजा स्थल अधिनयम 1991 से जुड़ी सारी बारीकियां तब खुलकर सामने आती हैं जब इसके ख़िलाफ़ दायर की गयी याचिका से जुड़े सवालों का भी इस क़ानून के आधार पर जवाब दिया जाता है।  
  • PROTEST
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पंजाब: आप सरकार के ख़िलाफ़ किसानों ने खोला बड़ा मोर्चा, चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर डाला डेरा
    18 May 2022
    पंजाब के किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर राजधानी में प्रदर्शन करना चाहते हैं, लेकिन राज्य की राजधानी जाने से रोके जाने के बाद वे मंगलवार से ही चंडीगढ़-मोहाली सीमा के पास धरने पर बैठ गए हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License